खादी ग्रामोद्योग प्रदर्शनी बनी कुटीर उद्योगों की ताकत, 9 दिन में 2 करोड़ से अधिक की बिक्री
खादी से आत्मनिर्भरता की बुनियाद मजबूत : रवीन्द्र जायसवाल
स्टांप मंत्री
रविन्द्र
जायसवाल
ने
किया
अवलोकन,
अंतिम
दिन
अधिक
खरीदारी
की
अपील
सुरेश गांधी
वाराणसी। खादी अब केवल
परंपरा नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की मजबूत
पहचान बन चुकी है।
चौकाघाट स्थित अर्बन हॉट में आयोजित
दस दिवसीय खादी ग्रामोद्योग प्रदर्शनी
ने यह साबित कर
दिया है कि यदि
कुटीर और ग्रामोद्योगों को
सही मंच मिले, तो
वे न सिर्फ अपनी
पहचान बना सकते हैं,
बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ भी
बन सकते हैं। प्रदेश
के स्टांप एवं न्यायालय पंजीयन
शुल्क राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रविन्द्र जायसवाल ने रविवार को
प्रदर्शनी का निरीक्षण करते
हुए इसे कुटीर उद्योगों
से जुड़े लोगों के
लिए “बेहतरीन प्लेटफार्म” बताया।
मंत्री रविन्द्र जायसवाल ने स्टॉलों पर
मौजूद शिल्पियों और कारीगरों से
संवाद कर उनका उत्साहवर्धन
किया। उन्होंने कहा कि यह
प्रदर्शनी एक ओर शिल्पियों
को अपने उत्पादों की
बिक्री का अवसर देती
है, वहीं दूसरी ओर
आम लोगों को देश के
विभिन्न प्रांतों में बने हस्तनिर्मित
उत्पाद एक ही स्थान
पर उपलब्ध कराती है। इससे ग्रामीण
क्षेत्रों में रोजगार के
अवसर बढ़ते हैं और
स्थानीय अर्थव्यवस्था को नई गति
मिलती है।
खादी के महत्व
को रेखांकित करते हुए मंत्री
ने कहा कि खादी
के साथ देश की
आजादी की स्मृतियां जुड़ी
हैं। यह स्वदेशी होने
के साथ-साथ रोजगार
सृजन का भी सशक्त
माध्यम है। कपास, रेशम
और ऊन के हाथ
कते सूत से बने
खादी वस्त्र न केवल पर्यावरण
के अनुकूल हैं, बल्कि गर्मी
में ठंडक और सर्दी
में गर्माहट देकर स्वास्थ्य की
दृष्टि से भी उपयोगी
हैं। उन्होंने कहा कि कभी
साधारण समझी जाने वाली
खादी आज फैशन की
दुनिया में भी अपनी
अलग पहचान बना रही है
और हर आयु वर्ग
के लोगों की पसंद बन
चुकी है।
परिक्षेत्रीय ग्रामोद्योग अधिकारी यू.पी. सिंह
ने बताया कि प्रदर्शनी की
सफलता का अंदाजा इसी
बात से लगाया जा
सकता है कि नौ
दिनों में ही यहां
2 करोड़ रुपये से अधिक की
बिक्री हो चुकी है।
यह खादी एवं ग्रामोद्योग
परिवार के लिए उत्साहवर्धक
संकेत है। प्रदर्शनी में
वाराणसी सहित उत्तराखंड, प्रतापगढ़,
मीरजापुर, कुशीनगर, प्रयागराज सहित विभिन्न जनपदों
की पंजीकृत इकाइयों द्वारा लगाए गए कुल
125 स्टॉल हैं, जिनमें 22 खादी
और 103 ग्रामोद्योग से जुड़े हैं।
मंत्री ने आमजन से अपील
की कि सोमवार को
प्रदर्शनी के समापन के
अवसर पर अधिक से
अधिक संख्या में पहुंचकर अपनी
जरूरत की वस्तुओं की
खरीदारी करें। यह न केवल
स्थानीय शिल्पियों और कारीगरों के
श्रम का सम्मान होगा,
बल्कि स्वदेशी और आत्मनिर्भर भारत
की सोच को भी
मजबूती देगा।



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