Saturday, 13 December 2025

शोभायात्रा, वैदिक अनुष्ठान और दीपोत्सव में डूबी काशी

चार वर्ष... चार युगों का साक्ष्य बना काशी विश्वनाथ धाम

शोभायात्रा, वैदिक अनुष्ठान और दीपोत्सव में डूबी काशी 

वेद मंत्रों से गूंजा धाम, बाबा का हुआ दिव्य अभिषेक

सुरेश गांधी

वाराणसी. चार वर्ष पूर्व जिन पत्थरों ने इतिहास का नया अध्याय लिखा था, आज वही पत्थर दीपों की रोशनी में युगबोध करा रहे थे। श्री काशी विश्वनाथ धाम के नविनीकरण की चौथी वर्षगांठ पर काशी एक बार फिर शिवमय हो उठी। 

धाम परिसर से लेकर काशी की गलियों तक हर-हर महादेव और बम-बम भोले के जयघोष गूंजते रहे। इस पावन अवसर पर मंदिर में वेद-पारायण, महाभिषेक, हवन-पूजन, तो वहीं शहर की सड़कों पर भव्य शिव शोभायात्रा और सांस्कृतिक झांकियों ने जन-जन को शिवभक्ति से जोड़ दिया।

उत्सव की शुरुआत प्रातःकाल वैदिक विधि से हुई। वैदिक आचार्यों ने चारों वेदों का पारायण किया। इसके पश्चात बाबा श्री काशी विश्वनाथ का षोडशोपचार पूजन एवं महाभिषेक संपन्न कराया गया। 
धाम में जयादि एवं अप्रतिरथ मंत्रों के उच्चारण के बीच 11 वैदिक शास्त्रियों की सान्निध्य में विशेष हवन किया गया। धार्मिक मान्यता के अनुसार ये मंत्र देव-विजय और धर्म की प्रतिष्ठा के प्रतीक हैं। इस अवसर पर धाम की उन्नति, लोककल्याण और राष्ट्र मंगल की कामना की गई।

दीपों से सजा बाबा का आंगन

सांध्य बेला में धाम परिसर दीपों आकर्षक विद्युत झालरों से जगमगा उठा। कहीं तो कहीं त्रिशूल के आकार में सजे रंगोलियों ने आध्यात्मिक आकाश रच दिया। दीपदान में श्रद्धालुओं के साथ-साथ मंदिर के कर्मचारियों ने भी सहभागिता निभाई। यह दृश्य काशी की आत्मा को प्रकाशित करता प्रतीत हुआ।

शिव गणों के साथ निकली शोभायात्रा, सड़कों पर उतरा पुराण

चतुर्थ वर्षगांठ के अवसर पर मैदागिन से गोदौलिया तक भव्य शिव शोभायात्रा निकाली गई। अघोरी साधु, भूत-पिशाच और शिव गणों के स्वरूप में सजे कलाकारों ने शिवलोक का सजीव चित्र प्रस्तुत किया। मां काली के स्वरूप में कलाकारों का अग्नि प्रदर्शन, डमरू-शंखनाद और तांडव ने जनसमूह को मंत्रमुग्ध कर दिया। शोभायात्रा में नारी शक्ति वंदन, अयोध्या राम मंदिर, रोपवे परियोजना और भारतीय महिला क्रिकेट टीम की उपलब्धि पर आधारित झांकियां आकर्षण का केंद्र रहीं। यह यात्रा शिवबारात की परंपरा में आधुनिक भारत की उपलब्धियों का उत्सव भी बन गई।

संस्कृति, साधना और समर्पण का संगम

त्र्यंबकेश्वर हाल में आयोजित संगोष्ठी में विद्वानों ने काशी विश्वनाथ धाम को सनातन संस्कृति का वैश्विक केंद्र बताया। शंख-वादन, वैदिक घोष और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने उत्सव को बहुआयामी बना दिया। धाम के मुख्य द्वार पर शोभायात्रा के पहुंचते ही आरती और पुष्पवर्षा से स्वागत किया गया। दशाश्वमेध स्थित चित्तरंजन पार्क में यात्रा का समापन हुआ।

आस्था से अर्थव्यवस्था तक, धाम बना शक्ति-केंद्र

इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की परिकल्पना से साकार हुआ श्री काशी विश्वनाथ धाम आज केवल आध्यात्मिक, बल्कि सांस्कृतिक और आर्थिक चेतना का केंद्र बन चुका है। बीते चार वर्षों में करोड़ों श्रद्धालुओं की उपस्थिति ने काशी को वैश्विक पहचान दिलाई है।


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