खरीदारी का
उत्साह
चरम
पर,
8 दिन
में
1.63 करोड़
की
रिकॉर्ड
बिक्री
खादी और ग्रामोद्योग उत्पादों की बढ़ती मांग से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती
सोमवार 29 दिसंबर
को
खादी
ग्रामोद्योग
प्रदर्शनी
का
होगा
समापन
सुरेश गांधी
वाराणसी। स्वदेशी की खुशबू और
आत्मनिर्भर भारत की सोच
को साकार कर रही खादी
ग्रामोद्योग प्रदर्शनी में खरीददारों की
जबरदस्त भीड़ उमड़ रही
है। उप्र खादी तथा
ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा अर्बन हाट प्रांगण, चौकाघाट
में आयोजित दस दिवसीय खादी
ग्रामोद्योग प्रदर्शनी का समापन अब
सोमवार 29 दिसंबर को होगा। समापन
से पहले ही प्रदर्शनी
ने बिक्री के नए कीर्तिमान
स्थापित कर दिए हैं।
परिक्षेत्रीय ग्रामोद्योग अधिकारी यू.पी. सिंह
ने बताया कि प्रदर्शनी के
आठ दिनों में 125 स्टालों से कुल बिक्री
1.63 करोड़ रुपये से अधिक पहुंच
चुकी है, जो खादी
एवं ग्रामोद्योग परिवार के लिए उत्साहवर्धक
संकेत है। उन्होंने कहा
कि खादी के साथ
हमारी आज़ादी जुड़ी है। खादी
असली स्वदेशी कपड़ा है और
यह बेरोजगारी हटाने का सशक्त माध्यम
भी है।
यू.पी. सिंह
ने बताया कि कपास, रेशम
और ऊन के हाथ
कते सूत से भारत
के हथकरघों पर बुना गया
वस्त्र ही खादी है।
खादी की विशेषता यह
है कि यह गर्मी
में ठंडक और सर्दी
में गर्माहट देती है, जिससे
मौसम के प्रभाव से
काफी राहत मिलती है।
उन्होंने कहा कि एक
समय खादी को साधारण
वस्त्र माना जाता था,
लेकिन आज फैशन के
दौर में खादी की
मांग लगातार बढ़ रही है
और हर उम्र के
लोग इसे पसंद कर
रहे हैं।
प्रदर्शनी का उद्देश्य केवल
बिक्री नहीं, बल्कि आम लोगों को
स्वरोजगार के लिए प्रेरित
करना और स्वदेशी उत्पादों
के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था
को मजबूती देना है। इसी
सोच के तहत प्रदर्शनी
में वाराणसी के साथ-साथ
उत्तराखंड और प्रदेश के
प्रतापगढ़, मीरजापुर, कुशीनगर, प्रयागराज सहित अन्य जनपदों
की पंजीकृत इकाइयों ने भागीदारी की
है।
प्रदर्शनी में कुल 125 स्टॉल
लगाए गए हैं, जिनमें
22 खादी एवं 103 ग्रामोद्योग के स्टॉल शामिल
हैं। यहां खादी वस्त्रों
के साथ-साथ हस्तशिल्प,
मधु उत्पाद, अगरबत्ती, मसाले, सजावटी वस्तुएं और घरेलू उपयोग
के स्वदेशी उत्पाद लोगों को खासा आकर्षित
कर रहे हैं।

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