Wednesday, 30 January 2019

श्रद्धा और विश्वाश ही भक्त को ईश्वर से मिलता है : चिदानंद सरस्वती


श्रद्धा और विश्वाश ही भक्त को ईश्वर से मिलता है : चिदानंद सरस्वती
विश्व कल्याण के लिए परमार्थ निकेतन ऋषिकेश शिविर मे हवन पूजन
सुरेश गांधी
प्रयागराज। भारत विकास परिषद सद्भावना जौनपुर के अध्यक्ष उमाकांत बरनवाल इन दिनों प्रयागराज कुंभ में कल्पवास कर रहे हैं। श्री बरनवाल ने विश्व कल्याण के लिए परमार्थ निकेतन ऋषिकेश के शिविर मे स्वामी चिदानंद सरस्वती के सानिध्य में हवन पूजन किया। इस मौके पर स्वामी जी ने अपने प्रवचन में कहा श्रद्धा और विश्वाश ही भक्त को ईश्वर से मिलता है। विषाद को प्रसाद में बदलने की ताकत सिर्फ भारतीय संस्कृति में ही है। विश्व की किसी भी संस्कृति में इस तरह की ताकत नहीं है। आज की दुनिया इंटरनेट की दुनिया है लेकिन अगर हम इंटरनेट को इनरनेट के साथ जोड़ दें तो युवा पीढ़ी के लिए वरदान साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि कुंभ मेला हरित स्वच्छ कुंभ हो इस का प्रयास हम सबको करना चाहिए। इस कुंभ के माध्यम से पूरे विश्व को हम पूरी दुनिया को दोनों हाथ फैलाकर यह संदेश दे सकते हैं कि हम सब एक परिवार के हिस्से हैं। यदि हम सब एक होकर नहीं चल सकते तो यह सृष्टि भी नहीं चल सकती।
श्री स्वामी जी ने कहा, ’भारत का दर्शन अपने आप में अनूठा है। आज दुनिया मानवाधिकार की बात करती है जबकि वैदिक संस्कृति जीवन के अधिकार की बात पहले से ही करती रही है। कहा, विश्व के लोग अशांति की ओर है। ऐसे मे प्रयागराज कुंभ शांति का प्रतीक है। भारतीय धार्मिक संस्कृति में संत दर्शन का विशेष महत्व है। संगम तट पर अनादि काल से कुंभ, अर्धकुंभ का आयोजन होता रहा है। संतो के स्नान, ध्यान, पूजा पाठ, हवन, आरती, सतसंग से एक अलौकिक अध्यात्मिक  शक्ति का संचार समूचे ब्राह्मांड मे फैल जाता है। जो जन जन मे प्राणवायु के रुप मे ईश्वर के उपस्थिति का अनुभव कराता है। ऐसे ही भारत देश महान नहीं हुआ है। इसके पीछे बहुत गुढ़ रहस्य है। जिसे जान पाना आसान भी नहीं है। भारत देश के तकरीबन सभी साधु. संतों का कुंभ मे आगमन है। भगवान मे समर्पण है। आनंद की दिव्य अनूभूति मे अमृतरस का पान कर आत्मा को तृप्त कर रहे है।
श्री उमाकांत बरनवाल ने कहां कि दस साल से कुंभ, अर्धकुंभ मे आना हो रहा है। लेकिन जो व्यवस्था इस बार है ऐसा पहले कभी नहीं था। स्वछता ऐसी है कि देखने के बाद आत्मा प्रफुल्लित हो जाती है। जब उनसे पूछा गया बेहतर व्यवस्था के लिए क्या कहेंगे तो उन्होंने कहां कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बधाई के पात्र है। जिन्होंने विश्व के लोगों को एहसास करा दिया कि प्रयागराज कुंभ क्या है। इस दौरान उन्हें किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी का दर्शन मिला। रुक्मणी बल्लभ धाम वृन्दावन के बाल संत बटुक महाराज का दर्शन हुआ। उन्होंने कहां कि प्रयागराज कुंभ विश्व शांति का प्रतीक है। ईश्वर की अनूभूति का संगम है। भक्त और भगवान की महिमा का वर्णन है। जब उनसे पूछा गया कुंभ जाने का उद्देश्य क्या है तो उन्होंने कहां कि विश्व का कल्याण हो, प्राणियों मे सदभावना हो,धर्म की जय, हो अर्धम का नाश हो, मूल भावना यह है कि ईश्वर विश्व में शांति प्रदान करें। हर जीव का कल्याण हो, सभी सुखी रहे ऐसी भावना लेकर भगवान से आरजू कर रहा हू। प्रभु मेरी विनती सुन लीजिए। ताकि मुझे तसल्ली हो सके।

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