प्रधानमंत्री ने कुदाल चला काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की नींव रखी
360 करोड़ की
लागत से 39 हजार
वर्गमीटर में होगा
मंदिर का विस्तार
सुरेश गांधी
वाराणसी। लोकसभा चुनाव
से पहले प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी ने
शुक्रवार को अपने
संसदीय क्षेत्र वाराणसी में
काशी विश्वनाथ मंदिर
में पूजा-अर्चना
की। इसके बाद
कुदाल चलाकर मोदी
ने पांच शिलाएं
रख कर काशी
विश्वनाथ कॉरिडोर की नींव
रखी। भूमि पूजन
काशी की प्राचीन
वैदिक रीति-रिवाज
एवं वैदिक मंत्रों
के बीच की
गयी। पीएम ने
कारिडोर निर्माण का शिलापट्ट
करने के साथ
ही भवनों के
ध्वस्तीकरण के दौरान
मिले देवालयों को
भी शीश झुकाया
और नमन किया।
वहीं कारीडोर से
ही मां गंगा
को भी उन्होंने
नमन कर सभी
के कल्याण की
कामना की।
कॉरिडोर का उद्घाटन
करने के बाद
प्रधानमंत्री मोदी ने
वहां पर मौजूद
लोगों को संबोधित
किया। उन्होंने अपने
संबोधन की शुरुआत
हर-हर महादेव
से की। उन्होंने
कहा कि चार
चरणों में कॉरिडोर
का काम पूरा
होगा। इस परियोजना
के लिए 360 करोड़
रूपये स्वीकृत किया
गया है। 39 हजार
वर्गमीटर में मंदिर
का विस्तार होगा।
मोदी ने कहा,
ये कॉरिडोर बाबा
विश्वनाथ मंदिर से शुरू
होकर गंगा किनारे
घाट तक जाएगा।
मोदी का यह
19वां काशी दौरा
है। श्री मोदी
ने कहा कि
मां गंगा के
साथ उन्होंने बाबा
भोले को भी
जोड़ दिया है।
कहा, आप सभी
अब रंगभरी एकादशी
और होली मनाइए।
आज मेरा भी
सौभाग्य है कि
जिन सपनों को
अरसे से संजोया
था वह पूरा
हो रहा है।
उन्होंने कहा कि
इस कॉरिडोर को
बनाने में काफी
मुश्किलें आई थीं,
कुछ लोगों ने
झूठ भी फैलाया।
लेकिन अफसरों के
शानदार काम की
बदौलत अब ये
सच्चाई बन रही
है।
मोदी ने
कहा कि ये
स्थान हमेशा दुश्मनों
के निशाने पर
रहा है, कितनी
बार ध्वस्त हुआ,
अपने अस्तित्व के
बिना जिया। लेकिन
यहां की आस्था
ने इसे पुनर्जीवित
किया और ये
क्रम सदियों से
चल रहा है।
उन्होंने कहा, जब
मैं राजनीति में
नहीं था, तब
भी सोचता था
कि यहां कुछ
करना चाहिए। लेकिन
ये मेरे नसीब
में ही लिखा
था मेरे हाथ
से ही इसका
काम हुआ। आज
बाबा के आदेश
से सपना साकार
होने का शुभारंभ
हो रहा है।
काशी विश्वनाथ धाम
में आज भोले
बाबा के मुक्ति
का पर्व है।
चारों ओर दीवारों
से घिरे बाबा
को सांस लेने
में दिक्कत होती
थी। अगल बगल
कई मकानों ने
घेर रखा था।
देखा जाएं तो
बाबा भोलेनाथ काफी
वर्षों से बंधे
हुए थे, लेकिन
आज इस काम
से उन्हें भी
मुक्ति मिलेगी। बाबा के
भक्तों को अब
विशालता की अनुभूति
होगी। अब मां
गंगा को सीधे
बाबा भोलेनाथ से
जोड़ दिया गया
है। अब श्रद्धालु
गंगा स्नान करके
सीधे भोले बाबा
के दर्शन करने
आ सकेंगे।
श्री मोदी
ने कहा जब
महात्मा गांधी यहां आये
थे, तो उनके
मन में भी
ये पीड़ा थी
की भोले बाबा
का स्थान ऐसा
क्यों? इसका उद्धार
होना चाहिए। बीएचयू
के एक कार्यक्रम
में बापू अपने
मन की व्यथा
बताने से खुद
को रोक नहीं
पाए थे। उनकी
बात को अब
सौ साल होने
जा रहे। अहिल्या
देवी ने सदियों
के बाद इसके
पुनरुद्धार का बीडा
उठाया था। तब
उसे रूप मिला।
अगर आप सोमनाथ
जाएंगे तो सोमनाथ
में भी बडी
भूमिका निभाई थी। लेकिन
उसको भी ढाई
सौ साल बीत
गए। प्रधानमंत्री मोदी
ने कहा कि
जब कॉरिडोर के
लिए घरों को
तोड़ा गया, तो
करीब 40 मंदिर मुक्त कराए।
लोगों ने घरों
के अंदर मंदिर
छुपाए हुए थे,
लेकिन अब उनके
दर्शन भी हो
पाएंगे। चालीस के करीब
ऐसे ऐतिहासिक पुरातात्विक
मंदिर मिले जो
अजूबा लगेगा कि
यह काम कैसे
हो गया। दशकों
बाद इस बार
शानदार शिवरात्रि मनाई गई।
उन्होंने कहा, जो
कल तक एक
सपना था उसका
आज मॉडल और
फिल्म देख रहे
हैं।
श्री मोदी
ने कहा कि
यह काशी विश्वनाथ
महादेव भोले बाबा
का स्थान है।
काशी आने का
मूल कारण यहां
आने का उददेश्य
है। मंदिरों की
रक्षा कैसे हो
उसकी आत्मा को
बरकरार रखते हुए
आधुनिक व्यवस्था हो इसका
बहुत अच्छा मिलन
दिख रहा है।
इससे काशी को
नई पहचान मिलेगी।
‘ढाई सौ साल
बाद मेरे ही
हाथ लिखा था
शिलान्यास। मैं आया
नहीं मुझे बुलाया
है। मुझे बुलावा
ऐसे ही कामों
के लिए था।
मेरा संकल्प मजबूत
हुआ है। यह
काशी नहीं देश
से जुडा है।
बीएचयू से आग्रह
है कि केस
स्टडी करना चाहिए।
काशी हिंदू यूनिवर्सिटी
इस पर रिसर्च
भी करे। ताकि
दुनिया को पता
चले कैसे लोगों
के सहयोग से
यह काम हुआ।
शास्त्रों के मुताबिक
कामों का पूरा
पालन किया गया।
ताकि आस्था पर
खरोच न आए।
यह नव चेतना
का केंद्र बनेगा।
सामाजिक चेतना का यह
केंद्र बनेगा। मुझे राज्य
सरकार का सहयोग
मिला होता तो
हम उद्घाटन कर
रहे होते। उन
सुविधाओं को सरकार
की वजह से
पूरा करने का
अवसर मिला है।
हम लोगों को
चालीस मंदिर मिले
उनको भी उसी
प्रकार संभालेंगे। उसकी भी
चीजें पुरातत्व के
महत्व को बीएचयू
भी संभाले। काशी
का महत्व बढेगा।
बाबा के चरणों
में सिर झुकाकर
नमन करता हूं।
उन्होंने कहा कि
कई लोगों ने
भोले बाबा की
सेवा में अपना
योगदान दिया। काशी विश्वनाथ
महादेव मंदिर करोड़ों देशवासियों
की आस्था का
स्थल है। लोग
यहां इसलिए आते
हैं कि काशी
विश्वनाथ के प्रति
उनकी अपार श्रद्धा
है। उनकी आस्था
को अब बल
मिलेगा। ये काशी
विश्वनाथ धाम, अब
काशी विश्वनाथ मंदिर
परिसर के रूप
में जाना जायेगा।
इससे काशी की
पूरे विश्व में
एक अलग पहचान
बनेगी। इस मौके
पर उत्तर प्रदेश
के मुख्यमंत्री योगी
आदित्यनाथ और राज्यपाल
राम नाइक भी
मौजूद रहे।
क्या है काशी विश्वनाथ कॉरिडोर?
इस प्रोजेक्ट
के पूरे होने
के बाद आप
गंगा किनारे होकर
50 फीट सड़क से
बाबा विश्वनाथ मंदिर
जा सकेंगे। इसके
अलावा यहां आपको
बेहतर स्ट्रीट लाइट्स,
साफ़-सुथरी सड़कें,
पीने के पानी
का इंतजाम मिलेगा।
यह प्रोजेक्ट प्रधानमंत्री
का ड्रीम प्रोजेक्ट
कहलाता है। यह
कॉरिडोर काशी विश्वनाथ
मंदिर, मणिकर्णिका घाट और
ललिता घाट के
बीच 25,000 स्क्वेयर वर्ग मीटर
में बन रहा
है। इसके तहत
फूड स्ट्रीट, रिवर
फ्रंट समेत बनारस
की तंग सड़कों
के चौड़ीकरण का
काम भी चल
रहा है। इसके
अलावा काशी के
प्राचीन मंदिरों को संरक्षित
किया जाएगा। अभी
यहां घनी आबादी
क्षेत्र है और
भवनों की खरीद
और ध्वस्तीकरण का
काम तेजी से
चल रहा है।
कॉरिडोर की जड़
में में आने
वाले मंदिरों, सड़कों
समेत कई इमारतों
को संवारा जा
रहा है। इसके
अलावा दो पुराने
पुस्तकालयों को भी
इस प्रोजेक्ट के
तहत संवारने का
काम किया जा
रहा है। इन्हें
डिजिटल लाइब्रेरी बनाया जा
रहा है। जिस
पर कुल 24 करोड़
रुपए खर्च किए
जाएंगे।
240 सालों बाद बाबा को मिलेगा नया कलेवर
काशी विश्वनाथ
मंदिर परिक्षेत्र के
विकास वर्ष 1780, 1853 के
बाद 2019 में हो
रहा है। इतिहास
पर नजर डाली
जाए तो 1780 में
इस इलाके का
जीर्णोद्धार महारानी अहिल्या बाई
होल्कर ने किया
था। उनके बाद
महाराजा रणजीत सिंह ने
1853 में मंदिर के शिखर
सहित अन्य स्थानों
पर सोना लगवाया
था। अब प्रधानमंत्री
2019 में इस परिक्षेत्र
को विकसित करवा
रहे हैं।
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