कारपेट इंडस्ट्री की बढ़ावा के लिए होगी हरसंभव कोशिश : राघवेन्द्र
कालीन उद्यमी
क्वालिटी
व
गुणवत्ता
पर
दें
विशेष
ध्यान,
उत्पाद
बेहतर
होंगे,
तभी
खरीदारों
की
रुचि
बढ़ेगी
निर्यातकों को
दी
समस्याओं
की
समाधान
का
भरोसा
सुरेश
गांधी
नयी
दिल्ली।
रविवार को कालीन
निर्यात संवर्धन परिषद सीइपीसी
के तत्वावधान में
एनएसआईसी एग्जिबिशन ग्राऊंड ओखला
नई दिल्ली में
आयोजित कार्पेट एक्सपो - 2019 का
आगाज हुआ। एक्सपो
में ट्रेंड के
हिसाब से इस
बार नए रंगों
के साथ मशीन
मेड कार्पेट का
भी बोलबाला नजर
आया। मेले में
देशभर के कालीन
निर्माता बेहतरीन कलेक्शन लेकर
पहुंचे हैं। इसमें
भदोही, मीरजापुर, कश्मीर, पानीपत,
बनारस, गोपीगंज, कोलकाता, जयपुर,
आगरा, मुंबई आदि
जगहों के निर्यातक
हैं। एक्सपो का
उद्घाटन हस्तशिल्प सचिव राघवेन्द्र
सिंह ने दीप
प्रज्ववलित एवं फीता
काटकर किया। इस
मौके पर कारपेट
डायरी का भी
उन्होंने विमोचन किया। दीप
प्रज्जवलन के वक्त
हस्तशिल्प आयुक्त शांतमनु कुमार,
सीइपीसी चेयरमैन महाबीर प्रताप
शर्मा, प्रथम उपाध्यक्ष सिद्धनाथ
सिंह, सीनियर प्रशासनिक
सदस्य उमेश गुप्ता,
ओंकारनाथ मिश्रा, सीइपीसी सदस्य
संजय गुप्ता आदि
उपस्थित थे।
इस मौके
पर श्री राघवेन्द्र
सिंह ने मेले
में भाग लेने
वाले कालीन निर्यातकों
से कहा, इंडस्ट्री
से जुड़ी हर
समस्याओं की समाधान
के लिए सरकार
संकल्पित है। निर्यातक
हो बुनकर सभी
के योगदान से
उद्योग लगातार प्रगति कर
रहा है। देश
में कालीन उद्यमियों
के समक्ष हाल
के दिनों में
जो दिक्कते आई
हैं, उसे शीघ्र
ही दूर कर
किया जायेगा। इस
संदर्भ में 11 मार्च को
इंडस्ट्री के सभी
उद्यमियों की बैठक
बुलाई गयी है।
इस बैठक में
उनकी समस्याओं से
रुबरु होने के
बाद समस्याओं का
निदान किया जायेगा।
उन्हें खुशी है
कि सीइपीसी भारतीय
बुनकरों को प्रोत्साहित
करने के लिए
साल में दो
बार कारपेट एक्स्पों
का आयोजन करती
है। हर साल
एक्स्पों बड़ी मात्रा
में न सिर्फ
उद्यमियों को कारोबार
मुहैया कराता है, बल्कि
विदेशी ग्राहकों को भी
आकर्षित करता है।
इसकी बड़ी वजह
है कि भारतीय
उद्यमियों को उत्पाद
हाथ से बुनी
हुई हुई होती
है। जबकि कुछ
को छोड़ दे
तो बाकि के
देशों की उत्पाद
मशीनमेड होता है।
हाथ से बुनी
हुई कालीने ही
विदेशी खरीददारों के आकर्षण
का मुख्य केन्द्र
है। उन्हें खुशी
है कि भारत
सरकार के तत्वावधान
में भारतीय हस्त
निर्मित कालीनों की सांस्कृतिक
विरासत तथा बुनाई
कौशल को बढ़ावा
देने के लिए
किया जा रहा
है।
श्री सिंह
ने कहा कि
कारपेट उद्यमियों को सभी
सुविधाएं दी जा
रही हैं। कारपेट
का निर्यात पहले
से बढ़ा है।
उन्होंने कहा कि
कारोबारियों के लिए
यह एक्स्पों एक
बड़ा प्लेटफार्म है।
जहां एक ही
ग्राउंड में खरीदारों
को अलग अलग
वेराइटी वाली कालीनें
मिल जाती है।
उन्होंने देशभर के कालीन
निर्माताओं को भरोसा
दिया कि कारपेट
इंडस्ट्री को विकसित
करने के लिए
हर संभव कोशिश
की जा रही
है। इसके विकास
एवं अंतराष्ट्रीय मार्केट
में आ रही
समस्याओं का शीघ्र
ही निदान भी
होगा। उन्होंने निर्यातकों
से अपील किया
कि वह कालीनों
की गुणवत्ता एवं
क्वालिटी से किसी
भी तरह की
समझौता ना करें।
क्योंकि जब उत्पाद
बेहतर होंगे, तभी
खरीदारों की रुचि
बढ़ेगी। इसके लिए
सीइपीसी का प्रयास
सराहनीय है। क्योंकि
कालीन मेला एक
ऐसा माध्यम है
जो भारतीय बुनकरों
की कला को
पूरी दुनियां में
पहुंचने का अवसर
उपलब्ध कराती है। साथ
ही एक ही
मंच पर उद्योग
को अच्छा कारोबार
मिल जाता है।
यही वजह है
कि सरकार भी
कालीन समेत छोटे-छोटे उद्योगों
के बढ़ावा देने
के लिए संकल्पित
है।
सीईर्पपीसी के चेयरमैन
महावीर प्रताप शर्मा ने
कहा, इण्डिया कारपेट
एक्सपो अन्तरराष्ट्रीय कालीन खरीददारों, क्रेता
सदनों, क्रेता एजेन्ट्स, आर्कीटेक्ट्स
एवं भारतीय कालीन
निर्माताओं और निर्यातकों
के लिए आदर्श
मंच है, जो
उन्हे एक दूसरे
से मिलने तथा
दीर्घकालिक कारोबारी सम्बन्ध बनाने
में मदद करता
है। यह प्रदर्शनी
भारतीय हस्तनिर्मित कालीनों के
निर्यात को बढ़ाने
की दिशा में
महत्वपूर्ण कदम है।
कारपेट एक्सपो में नए
रंगो एवं डिज़ाइनों
से तैयार किए
गए कालीनों की
प्रदर्शनी लगाई गयी
है। इंडिया कारपेट
एक्सपो एशिया में हस्तनिर्मित
कालीनों के सबसे
बड़े मेलों में
से एक है
जहां एक ही
छत के नीचे
हाथ से बने
कालीनों और गलीचों
की व्यापक रेंज
प्रस्तुत की जाती
है। मेले में
ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, कनाडा, चीन,
चिली, जर्मनी, मैक्सिको,
रूस, सिंगापुर, दक्षिण
अफ्रीका, तुर्की, यूके, यूएस,
सहित 60 देशों से कालीन
खरीदार पहुंचे हैं।
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