Monday, 4 March 2019

‘आतंकी फैक्ट्री’ के सहारे ‘इमरान’ बनेंगे ‘शांति दूत’


आतंकी फैक्ट्रीके सहारेइमरानबनेंगेशांति दूत
सीमा पर तनाव बना हुआ है। पाकिस्तान लगातार सीजफायर का उल्लंघन किए जा रहा है। बार्डर पर पाक सैनिकों द्वारा लगातार मोटार्र समेत कई भारी गोले दाग रहा है। सुरक्षा बल भी पाक के इस नापाक हरकत का मुंहतोड़ जवाब दे रहे हैं। लेकिन इससे आम भातीय जनता के साथ जवान भी मारे जा रहे है। पाकिस्तान की गोलीबारी में अब तक दर्जनभर से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। अफसेस है कि भारत के टूकड़ों पर पल-बढ़ रहे गद्दारों को सेना पर भरोसा नहीं है, वे इसके सबूत मांगने लग गए है। खासकर मोदी हटाओं की रट लगाने वाली ममता बनर्जी, सिद्धू एंड कंपनी ने तो सबूत मांगते हुए इमरान को शांति का नोबेल पुरस्कार दिलाने की वकालत तक करने लगी है। तो ऐसे में सवाल यही है क्या मोदी हटाओं विरोध में देशद्रोह जायज है? क्या भारतीय गद्दारों को पाकिस्तानी आतंकियों द्वारा सबूत देने के बाद भी विरोध वाजिब है, जबकि यह सच है कि इस सियासत में आतंकी देश के अन्य हिस्सों में भी सक्रिय हो सकते है
सुरेश गांधी
विंग कमांडर अभिनंदन की रिहाई पर भले ही हम सुकून में हो, लेकिन सच्चाई यह है कि पाकिस्तान के आतंक के खिलाफ भारत हर पल जूझ रहा है। सीमा पर तनाव बना हुआ है। पाकिस्तान लगातार सीजफायर का उल्लंघन किए जा रहा है। बार्डर पर पाक सैनिकों द्वारा लगातार मोटार्र समेत कई भारी गोले दाग रहा है। यह अलग बात है कि सुरक्षा बल भी पाक के इस नापाक हरकत का मुंहतोड़ जवाब दे रहे हैं। लेकिन इससे आम भातीय जनता के साथ जवान भी मारे जा रहे है। पाकिस्तान की गोलीबारी में अब तक दर्जनभर से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इसके बावजूद पाक प्रधानमंत्री इमरान खान शांति के नाम पर आतंक को बचाने में जुटे है। जबकि भारत के गैरभाजपाई पुलवामा हमले के बदले बालाकोट में की गयी ऐअर स्ट्राइक को लेकर सियासत में जुट गई है। एक ओर कांग्रेस, सपा-बसपा, महबूबा ममता बनर्जी सहित पूरा विपक्ष मोदी सरकार से ऐअर स्ट्राइक की सबूत देने की मांग को लेकर जंग छेड़ दी है तो दुसरी ओर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सबूत मांगने वालों की देशभक्ति पर ही सवाल खड़ा कर दिया है। कहा, देश के लिए कुर्बानी देने वाले वीर जवानों की सहादत पर भी ये महामिलावट वाले सवाल खड़ा कर रहे है। पहले भी सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाएं और अब सवाल कर ऐसी बाते कर रहे हैं जिससे दुश्मनों के चेहरे खिल उठते है।
जबकि भारत में पल-बढ़ रहे सियासी गद्दारों को इससे बड़ा सबूत और क्या हो सकता है कि जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले का मास्टरमाइंड आतंक का सरगना मसूद अजहर के छोटे भाई मौलाना अम्मार ने भारतीय वायुसेना द्वारा पाकिस्तान में घुसकर की गई एयर स्ट्राइक की पुष्टि की है। उसका एक ऑडियो सामने आया है, जिसमें वह भारत की कार्रवाई में जैश--मोहम्मद के ठिकानों की तबाही का रोना रो रहा है। इससे पहले पाकिस्तान सरकार ने भारतीय वायुसेना की कार्रवाई में किसी तरह के नुकसान की खबर को खारिज किया था। यह ऑडियो 28 फरवरी का है, जिसमें मौलाना अम्मार ने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भारतीय वायुसेना की एयर स्ट्राइक में बालाकोट स्थित जैश--मोहम्मद के आतंकी कैंपों के तबाह होने की बात कह रहा है। मतलब साफ है बालाकोट में आतंकी संगठन जैश--मोहम्मद का ट्रेनिंग कैंप था। जिसका संचालन मसूद अजहर का निगरानी में मौलाना यूसुफ अजहर कर रहा था। उसका दूसरा नाम उस्ताद गौरी भी है। वो रिश्ते में जैश--मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर का साला है। 
1999 में कंधार विमान अपहरण में यूसुफ अजहर शामिल था। वो अपहरणकर्ताओं की टीम को लीड कर रहा थ। मसूद को छुड़ाने के बाद वो जैश में भर्ती का काम देख रहा था। लेकिन सेना के जवानों ने पाकिस्तान में घूसकर ऐअर स्ट्राइक के जरिए उन्हें तबाह कर दिया। इस दौरान पाकिस्तान की तरफ से हवाई हमले में सिर्फ भारतीय जवानों ने मुंहतोड़ जवाब दिया, बल्कि उनके एफ 16 विमान को तहस नहस कर दिया। हालांकि इस लड़ाकू वीमान को मार गिराने वाले जाबांज पायलट जिसमें सवार थे वह भी तकनीकी खराबी के चलते ध्वस्त हो गया। यह अलग बात है कि इसमें पैराशूट के सहारे बच तो गए लेकिन पाकिस्तान के हत्थे लग गए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कुशल कूटनीति घेराबंदी के चलते पाकिस्तान को बिना किसी के शर्त के रिहा करना पड़ा।
अफसोस है पीएम के दबाव के बाद जैसे ही इमरान ने अभिनंदन की रिहाई का ऐलान किया, भारतीय गद्दारों की बांझे खिल गयी। वे तत्काल इमरान को नोबेल शांति पुरस्कार दिलाने का दंभ भरने लग गए। वे भूल गए कि शांति वार्ता इस समय इमरान की मजबूरी बन गयी है। उन पर चौतरफा दबाव है। यही वजह है कि इमरान ने अपना आतंकी चेहरा छिपाने के लिए दुनिया के सामने शांतिदूत बनने का ढोंग किया है। अन्यथा वह हमारे पुराने युद्धबंदियों को क्यों नहीं छोड़ देता? पहले भी उन्होंने हमारे जवानों के साथ कम ज्यादितियां नहीं की है। लेकिन मोदी विरोध में देश के गद्दार भूल गए कि पाकिस्तान के बालकोट में भारतीय वायुसेना की कार्रवाई के बाद से पाकिस्तान ने कम से कम सौ से अधिक बार सीजफायर का उल्लंघन किया है। पुंछ में लगातार आठवे दिन फायरिंग, हंदवाड़ा में आतंकियों से मुठभेड़ में 7 जवान शहीद हो गए। 
मतलब साफ है वायुसेना के विंग कमांडर अभिनंदन को भारत भेजकर भले ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान शांति की बात कर रहे हों लेकिन उनका असली चेहरा सीमा पर दिख रहा है। कहा जा सकता है पुलवामा के आतंकी हमले के दोषियों पर कार्रवाई के बिना और पाकिस्तान की जमीन से चल रहे आतंकी गतिविधियों पर लगाम कसे बगैर इमरान के शांति बात बेईमानी है। पाकिस्तान मसूद अजहर, हाफिज सईद और सैय्यद सलाउद्दीन जैसे आतंकियों को पाल रखा है। ये आतंकी भारत को अस्थिर करने के लिए लगातार कायराना हरकत करते रहते हैं।
पाकिस्तान में इन आतंकी सरगनाओं के ट्रेनिंग कैंप भी चल रहे हैं, जिसमें वो कश्मीर के युवाओं को आतंकी हमलों के लिए प्रशिक्षण देते हैं। पाकिस्तान में मौजूदा समय में करीब 18 आतंकी संगठन चल रहे हैं, जिनके सरगना भारत में दहशतगर्दी फैलाने की बात खुले तौर पर अपनी रैलियों में करते रहते हैं। इन आतंकियों को लेकर भारत कई बार अंतरराष्ट्रीय और पाकिस्तान के सामने रख चुका है। ऐसे में इन आतंकियों पर लगाम लगाए शांति की बात कैसे की जाएगी। कश्मीर में अलगाववादियों को पाकिस्तान की ओर से लगातार मदद की जा रही है। इतना ही नहीं अलगाववादियों को आतंकी हमले के लिए ट्रेनिंग और फंडिग पाकिस्तान कर रहा है। मुंबई ब्लास्ट के मुख्य आरोपी दाऊद इब्राहीम जैसे भारत विरोधी तत्वों को पाकिस्तान ने अपने यहां पनाह दे रखा है। ये भारत विरोधी तत्व पाकिस्तान की जमीन से भारत के खिलाफ साजिश रचने का काम करते रहते हैं। ऐसे में दाऊद इब्राहीम जैसे भारत विरोधी तत्वों को सौंप बिना पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की शांति की बात छलावा नहीं तो क्या है?
पाकिस्तान पर किया गया एयर स्ट्राइक पीएम मोदी द्वारा लिया गया एक दृढ़ और साहिसक निर्णय था। लेकिन पाक पीएम इमरान खान अगर अब भी आतंकवाद के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करते तो पीएम मोदी का अगला एक्शन वाजिब हो जाएगा। पुलवामा हमले के जवाब में पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर एयरस्ट्राइक का निर्णय कर भारत ने अपना सबसे कठिन विकल्प चुना है। क्योंकिपाकिस्तान ऐसा बौना लोकतंत्र है जो बर्बादी की कगार पर है। वह सेना के अंतर्विरोधों से संचालित हो रहा है। हर बार वे हमें परमाणु हमले की धमकी देते रहे हैं। लेकिन पीएम मोदी ने उनकी हेकड़ी को खत्म किया है। भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय तक पहुंच कर राजनयिक तरीके से पाकिस्तान को पूरी दनिया में अलग थलग किया है। पुलवामा के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा था कि भारत उन्हें सबूत दे तो वे गारंटी देते हैं कि कार्रवाई करेंगे। लेकिन वे भूल गए कि भारत ने एक दो नहीं हजारों डोज़ियर दे चकी है। मगर हिंदुस्तान में मारे गए हज़ारों बेगुनाहों के खून के एक भी कतरे का हिसाब नहीं हुआ।
लेकिन अब भारत ने पाकिस्तान को समझा दिया कि अब उसका कोई भी पैंतरा काम नहीं करने वाला है। भारत को याद है कि किस तरह पिछले तीस साल से पाकिस्तान ने हमारे खिलाफ जंग छेड़ रखी है। इसमें 80,000 के करीब भारतीय नागरिकों और सैनिकों ने अपनी जान गंवायी है। उसकी हर कायरतापूर्ण गतिविधियों पर हमें जवाबी कार्रवाई सिर्फ इसलिए नहीं करने दी गयी कि उसके पास परमाणु हथियार हैं। अगर हमने उसके खिलाफ कार्रवाई की तो वह हम पर बम छोड़ देगा। यह सब अमेरिकी दबाव के कारण होता रहा है और हम पाकिस्तान की दहशतगर्दी को तीन दशक से झेलते रहे हैं। उस वक्त अमेरिका का बहुत चहेता देश पाकिस्तान ही था और तब वह अफगानिस्तान में पाकिस्तान से मदद चाहता था। उस दौर में हमारी सरकारें अमेरिकी आदेशों पर चलती रहीं। हमारे विदेश मंत्रालय और शांति का राग अलापने वालों ने यह फैसला कर लिया था कि भारत को बरबाद हो जाने देंगे, लेकिन जंग नहीं होने देंगे। हम तो अहिंसावादी हैं, गांधीवादी हैं। लेकिन, यह नया भारत है, मोदी का भारत है। अब भारत के लोग कुर्बानियां नहीं करारा से करारा जवाब देंगे। 
भारत ने एयर स्ट्राइक करके दिखा दिया है और वह दिन भारतीय सेना के लिए गर्व का दिन था, तो देश के लिए सिर ऊंचा करने वाला दिन था। हमारा मिराज जहाज पाकिस्तान की सीमा में घुसकर आतंकियों के ठिकानों पर गोले दागकर लौट आया और पाकिस्तान कुछ नहीं कर पाया। वह बहुत ही प्रोफेशनल एयर स्ट्राइक थी। हमने तो सिर्फ आतंकियों के ठिकाने पर हमला किया था, लेकिन पाकिस्तान ने उसका जवाब देकर पूरी दुनिया को बता दिया है कि जैशे-मुहम्मद उसकी सेना का हिस्सा है।
पाकिस्तान ने हमारी सेना पर हमला किया है और हमारे जहाज को मार गिराया है। हालांकि, इसमें उसका भी एक जहाज मार गिराया गया है। पाकिस्तान ने यह साबित कर दिया है कि भारत अगर पाकिस्तान के आतंकी संगठनों पर हमला करेगा, तो वह भारतीय सेना पर हमला करेगा। इससे बड़ा युद्ध का ऐलान नहीं हो सकता, जो पाकिस्तान ने किया है। पाकिस्तान के छद्मयुद्ध का जवाब देने का यही सही वक्त है। शांति का राग अलापने वालों का सुर बिगाड़ देना होगा। यह बहुत बड़ी विडंबना और दुख की बात है कि तीस साल तक हमने कुछ नहीं किया। अब देश को यह फैसला करना पड़ेगा कि हमारा लक्ष्य क्या है? क्या हमें सिर्फ पुलवामा का बदला लेना है या बीते तीस वर्षों में जान गंवाये सारे लोगों का बदला लेना है
अब देश के नेतृत्व को डीमोनेटाइजेशन जैसी इच्छाशक्ति का प्रदर्शन करने की जरूरत है, ताकि पाकिस्तान आतंकवाद को बंद करने पर मजबूर हो जाये। क्योंकि भारत पाकिस्तान के साथ संबंध सुधारने की लगातार कोशिशें करता आया है, लेकिन कभी कामयाब नहीं मिली। कभी मुंबई में हमला हुआ, तो कभी उड़ी, पठानकोट और पुलवामा में सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया गया। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अब भी वही पुराना राग अलाप रहे हैं कि भारत सबूत दे कि हमले में पाकिस्तानी संगठन शामिल हैं, तो कार्रवाई करेंगे, जबकि हमले की जिम्मेदारी आतंकवादी संगठन जैशे मोहम्मद ने ली है। 
जैशे मोहम्मद पाकिस्तान स्थित इस्लामिक आतंकवादी संगठन है। इसके सरगना मसूद अजहर का ठिकाना पाकिस्तान ही है। इस बार आत्मघाती हमलावर का वीडियो सबसे बड़ा सबूत है, जिसमें वह खुद कह रहा है कि वह जैशे मोहम्मद से जुड़ा हुआ है। इसके बाद भी पाकिस्तान को किन सबूतों की जरूरत है, यह समझ से परे है। दिलचस्प तो यह है कि पाकिस्तान अब इमरान खान को शांति दूत के रूप में पेश कर रहा है।

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