शिवालयों में गूंजा हरहर महादेव, गौरा संग ब्याहे गए भूतनाथ
काशी
में
उतरा
देवलोक,
बारात
में
शामिल
हुए
देवी-देवता
समेत
भूत-पिशाच,
हाथी-घोड़ा
बैंड
पार्टी,
सड़कों
पर
दिखा
जनसैलाब
नागा
संन्यासियों
ने
किया
बाबा
का
शाही
दर्शन
जगह-जगह
से
निकली
आकषर्क
झाकियों
ने
मन
मोहा,
श्रद्धालुओं
ने
की
पुष्प
वर्षा
सुरेश गांधी
वाराणसी।
भक्ति से शक्ति
है, शक्ति से
संसार है। त्रिलोक
में है जिसकी
चर्चा, महादेव का आज
त्योहार है महाशिवरात्रि।
शहर हो या
देहात लवार को
महाशिवरात्रि के पर्व
पर हर कोना
हर-हर महादेव
और भगवान शिव
के जयघोष से
गूंज उठा। मंदिरों
और शिवालयों में
भक्तों का सैलाब
उमड़ पड़ा। हर
मंदिर में भगवान
शिव की आराधना
के लिए श्रद्धालुओं
का तांता लगा
रहा। हाथों में
कलश लिए बच्चों,
महिलाओं, युवाओं, बुजुर्गों ने
लंबी कतार में
लगकर अपनी बारी
की प्रतीक्षा की
और नंबर आते
ही जलाभिषेक किया।
मंदिरों में सुबह
से ही भक्तों
का आना जाना
लगा रहा। शाम
तक मंदिरों में
भक्तों की भीड़
कम नहीं हुई।
भक्तों ने बेल-पत्र, दूध, धतूरा,
रुद्राक्ष की माल,
दही आदि शिवलिंग
पर चढ़ाकर शिव
भगवान की पूजा
की। मंदिरों एवं
घरों में सुबह
से शुरु हुआ
रुद्राभिषेक देर शाम
तक चला। इस
मौके पर नागा
संन्यासियों ने बाबा
का शाही दर्शन
किया। हनुमान घाट
पर गंगा में
स्नान के बाद
सुबह आठ बजे
ध्वज - निशान के साथ
जूना अखाड़े के
साधु बाबा दरबार
पहुंचे। आम भक्तो
की कतार रोक
उन्हें दर्शन कराया गया।
नागा संन्यासियों के
स्वागत में भी
श्रद्धालुओं ने हर
हर महादेव उद्घोष
किया। दोपहर में
महानिर्वाणी अखाड़ा ने बाबा
का दर्शन किया।
कुंभ में वसंत
पंचमी पर शाही
स्नान बाद शैव
अखाड़े परंपरानुसार काशी
आए हैं।
द्वादश ज्योतिर्लिंगों में
से एक बाबा
विश्वनाथ की झलक
पाने के लिए
भोर से लेकर
रात तक बेताब
रहा। उत्सव, उल्लास
से भरी काशी
का हर कोना
शिवमय हो गया।
शाम ढलते ही
मंदिरों से बाबा
भोलेनाथ की बारात
निकली गई, जो
देर रात जारी
रहा। इस दौरान
काशी में अलग
अंदाज में अपने
बाबा का विवाहोत्सव
मनाने लोग सड़कों
पर निकले। गोधूलि
बेला से पूर्व
शिव बरात निकली
तो पूरी रात
की तैयारियों के
साथ बराती भी
साथ हो लिए। इसके बाद बाबा
बराती मां अन्नपूर्णेश्वरी
द्वार पर पहुंचे
जहां अन्नपूर्णा ऋषिकुल
के 251 बटुकों ने मन्त्रोच्चार
के साथ आये
संतों का स्वागत
किया। फिर अन्नपूर्णा
मन्दिर के महंत
अखाड़ा के सभी
साधु सन्तों को
पुष्पों की पंखुडी
को उड़ा कर
व भस्म लगा
कर मां दरबार
में मत्था टेका।
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के
गर्भगृह में पर्व
विशेष पर दूल्हा
भोले के विवाह
की चार प्रहर
आरती के रूप
में रस्में निभाई
गईं। रानी भवानी
परिसर में जनवासा
सजा और भक्त
मंडली पूरे भाव
के साथ मंगल
गीत गाने में
व्यस्त रही। इसके
बाद सभी ने
पूरे मन्दिर परिसर
में भस्म की
होली खेली। उस
दौरान साधु संतों
के साथ उप
महंत शंकर पुरी
मंदिर परिवार रहा।
आये हुये साधु
सन्तों को प्रसाद
रूप में ठंडई
व मीठा दिया
गया।
ग्रामीण अंचलों में
भी महिलाओं ने
अराध्यदेव महादेव की पूजा
अर्चना कर मनोवांछित
कामनाओं की याचना
की। मंदिरों में
श्रद्धालु हर हर
महादेव के जयकारे
लगाते रहे। काशी
विभिन्न घाटों पर स्नान
करने के बाद
बाबा विश्वनाथ, मृत्युंजय
महादेव, कालभैरव समेत अन्य
शिवालयों में जाकर
भक्तों ने भगवान
का जलाभिषेक कर
सुख-शांति और
समृद्धि की कामना
की। श्रद्धालुओं ने
जलाभिषेक कर पूजा-अर्चना कर अपने
खुशमय जीवन के
लिए भगवान भोलेनाथ
से प्रार्थना की।
महिला श्रद्धालुओं ने
शिवरात्रि का व्रत
रख भगवान शिव
को पंचामृत, गंगाजल,
चन्दन, चावल, पुष्प, बेलपत्र,
भांग, धतूरा चढ़ा
कर पूजा की।
हर-हर महादेव
के जयघोष व
भक्ति भजनों से
वातावरण ओत-प्रोत
बना रहा। कैथी
के मार्कंडेय महादेव,
हरहुआ रामेश्वर महादेव,
रोहनिया शूल टंकेश्वर
महादेव मंदिर समेत शहर
से लेकर गांव
तक शिव भक्तों
का रेला उमड़ता
रहा। इसमें पंचक्रोसी
यात्रियों ने भी
बाबा की नगरी
भक्ति गंगा को
विस्तार दिया।
शाम को
मंदिरों से निकली
बारात में लोग
भूत-प्रेत की
शक्ल में नजर
आए। शिव के
साथ पार्वती भी
नजर आईं, जो
आकर्षण का केंद्र
रहा। सड़कों पर
पैदल श्रद्धालुओं की
अगाध आस्था का
रेला देखने को
मिला। बैलगाड़ियों, बग्घियों
और घोड़ों से
सजी बारात जब
निकली तो छतों,
बारजों से लेकर
सड़कों की पटरियों
पर कतारबद्ध आस्थावानों
का हुजूम उमड़
पड़ा। बैंड पार्टियां
अलग से इस
माहौल को उत्सवमय
बना रही थीं
तो शहनाई की
धुन पर संगीतमय
माहौल में झूमते
बाराती अलग ही
आकर्षण का केंद्र
बने थे। भूत-प्रेत के स्वरूप
में बच्चे, बुजुर्ग
और युवा निकले।
बारातियों के गले
में मुंडों की
माला भी थी
और सांप भी।
बैलगाड़ियों पर अनूठी
झांकियां चल रही
थीं। बैलगाड़ी पर
सवार कलाकार ‘खेलें
मशाने में होरी
दिगंबरकृकी धुन पर
नाचते-गाते चल
रहे थे। तो
कुछ बाराती भांग
घोंट रहे थे।
कई रथों
पर विदेशी युवक-युवतियां शिव-पार्वती
के वेश में
सज-धज कर
सवार हुए। ट्रालियों
पर खड्ग लिए
काली, कटार लिए
दुर्गा, गदाधारी हनुमान तो
थे ही राम,
लक्ष्मण के वेश
में लाग भी
निकाले गए। रास्ते
भर गुलाब, गेंदा
के फूलों के
साथ जमकर अबीर,
गुलाल उड़ाकर माहौल
को होलियाना मस्ती
में रंग दिया
गया। शोभा यात्रा
में भूत-पिशाचों
के साथ ही
देवी देवताओं की
झांकियां शामिल थी। सुबह
से ही शहर
के तमाम चौक-चौराहों और सड़के
के दोनों किनारे
पर जुटे श्रद्धालुओं
के सामने से
जब शिव बरात
की एक से
एक मनोरम झांकी
गुजरने लगी तो
इसे देख श्रद्धालु
अभिभूत हो उठे।
शिव बरात की
झांकियों में भगवान
के अलग-अलग
स्वरूपों के दर्शन
हुए।
आकर्षक ढंग से
सजायी गयी इन
मनोहारी झांकियों में भगवान
शंकर के कई
रूप देखने को
मिले। इनमें भिक्षा
मांगते महादेव, भिक्षा देती
अन्नपूर्णा माता, तारकासूर का
वध और तांडव
करते भगवान शंकर
की झांकी शामिल
थी। झांकियों में
भगवान शिव के
भुजंगधारी स्वरूप को भी
शामिल किया गया
था। झांकियों में
भगवान श्रीकृष्ण के
रूपों का दर्शन
भी हुआ।
मां
यशोदा के साथ
कृष्ण की बाल
लीला, माखन चुराते,
गाय चराते, राधा
के संग झूला
झूलते कृष्ण को
देख श्रद्धालु मंत्र
मुग्ध हो उठे।
श्रीकृष्ण भगवान से जुड़ी
एक झांकी में
यशोदा मां लल्ला
के कान पकड़
रही थी तो
दूसरे में कृष्ण
को सुदामा का
पैड़ पखारते दिखाया
गया। सेवरी का
बेर खाते राम-लक्ष्मण भी थे
तो जंगल में
फंसा तारकासूर भी।
इसके साथ ही
तीन पिंडी के
साथ मां शेरावाली,
वीणा वादिनी मां
शारदे, कात्यायनी के रूप
में मां दुर्गे,
मां काल रात्रि,
मां काली, ग्राह
से गज की
रक्षा करते नारायण
समेत अन्य प्रकार
की झांकियां शामिल
थी।
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