चंद्रयान-2 लॉन्च, अंतरिक्ष में पहुंचा भारत
भारत ने
22 जुलाई, 2019 को दोपहर 2ः43 मिनट
पर अंतरिक्ष
की दुनिया
में ऊंची
छलांग लगाई
है। मिशन
चंद्रयान-2 लॉन्च, अंतरिक्ष में भारत
ने लिखी
कामयाबी की
नई इबारत।
दुनियाभर में
हिंदुस्तान का डंका बज रहा
है। 48 दिनों
में चांद
पर पहुंचेगा
चंद्रयान-2।
सुरेश गांधी
अंतरिक्ष की
दुनिया में
हिंदुस्तान ने आज एक बार
फिर इतिहास
रच दिया
है। इंडियन
स्पेस रिसर्च
ऑर्गनाइजेशन यानी इसरो ने सोमवार
दोपहर 2.43 मिनट पर सफलतापूर्वक चंद्रयान-2
को लॉन्च
किया। चांद
पर कदम
रखने वाला
ये हिंदुस्तान
का दूसरा
सबसे बड़ा
मिशन है।
इससे पहले
2008 में चंद्रयान-1
को भेजा
गया था।
श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष
केंद्र से
जीएसएलवी-मार्क
तृतीय प्रक्षेपण
यान से
अंतरिक्ष यान
चंद्रयान-2 को लॉन्च कर भारत
ने दुनिया
को अपने
दमखम का
परिचय दिखाया
है। यह
लांचिंग पूरी
तरह से
कामयाब रही।
चांद और
पृथ्वी के
बीच में
3,84,000 ज्ञड. की दूरी है। इस
दूरी को
पूरा करने
में यान
को कुल
48 दिन लगेंगे।
उस दिन
वह चांद
के दक्षिणी
ध्रुव पर
उतरेगा। चंद्रयान-2
चांद की
कक्षा में
पहुंचकर दो
हिस्सों में
विभाजित होगा।
चंद्रयान-2 का एक हिस्सा कक्षा
में और
दूसरा हिस्सा
चांद पर
उतरेगा। चांद
पर पहुंचने
के बाद
विक्रम लैंडर
से लेकर
प्रज्ञान रोवर
चांद पर
14 दिन रहेंगे।
बता दें,
चंद्रयान-2 लॉन्च हुआ तो पूरे
देश की
धड़कनें मानो
थम-सी
गई थीं।
क्योंकि लॉन्चिंग
के बाद
कुछ मिनट
काफी अहम
होते हैं।
इसीलिए ना
सिर्फ स्पेस
सेंटर में
बैठे वैज्ञानिक
बल्कि टीवी
पर देख
रहे आम
आदमी की
भी धड़कनें
मानो बढ़
गई थीं।
चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग हमारी
उम्मीद से बेहतर
: डॉ सिवन
सफल प्रक्षेपण
के बाद
मीडिया को
संबोधित करते
हुए इसरो
चीफ डॉ
के सिवन
ने कहा
कि चंद्रयान-2
की लॉन्चिंग
हमारी सोच
से भी
बेहतर हुई
है। चंद्रयान-2
के जरिए
भारत ने
अंतरिक्ष की
दुनिया में
एक और
इतिहास रच
दिया है।
इस मिशन
में 978 करोड़
रुपये खर्च
हुए हैं।
इस मिशन
के जरिए
11 साल बाद
इसरो दोबारा
चांद पर
भारत का
झंडा लहराएगा।
उन्होंने बताया
कि चंद्रयान-2
की सफल
लॉन्चिंग देश
के लिए
ऐतिहासिक दिन
है। चंद्रयान-2
की लॉन्चिंग
हमारी उम्मीद
से ज्यादा
बेहतर रही
है। अब
चांद के
दक्षिणी ध्रुव
तक पहुंचने
के लिए
चंद्रयान-2 की 48 दिन की यात्रा
शुरू हो
गई है।
करीब 16.23 मिनट बाद चंद्रयान-2 पृथ्वी
से करीब
182 किमी की
ऊंचाई पर
जीएसएलवी-एमके3
रॉकेट से
अलग होकर
पृथ्वी की
कक्षा में
चक्कर लगाना
शुरू करेगा।
जीएसएलवी-एमके3
रॉकेट ने
तय समय
पर चंद्रयान-2
को उसकी
निर्धारित कक्षा में पहुंचा दिया
है। डॉ.
सिवन ने
बताया कि
हमारे चंद्रयान-2
में ज्यादा
ईंधन है।
उसकी लाइफलाइन
भी ज्यादा
है। क्योंकि
हमने ऑर्बिट
में उसे
बेहतर तरीके
से स्थापित
कर दिया
है। 15 जुलाई
को हुई
तकनीकी खामी
को लेकर
इसरो चीफ
डॉ. के.
सिवन ने
बताया कि
इसरो वैज्ञानिकों
ने 24 घंटे
के अंदर
ही तकनीकी
खामी को
ठीक कर
लिया था।
पिछले एक
हफ्ते से
हमारे वैज्ञानिक
दिन रात
जगते रहे,
ताकि चंद्रयान-2
की लॉन्चिंग
सफल हो।
इसबार जीएसएलवी-एमके3 रॉकेट
की क्षमता
में भी
15 फीसदी का
इजाफा किया
है। ये
अब तक
का हमारा
सबसे ताकतवर
रॉकेट है।
डॉ. के.
सिवन ने
बताया कि
अब चंद्रयान-2
सैटेलाइट मिशन
से जुड़े
वैज्ञानिक अगले 48 दिनों में अंतरिक्ष
यात्रा के
दौरान चंद्रयान-2
की 15 बार
स्थिति बदलेंगे।
अभी हमारा
काम पूरा
नहीं हुआ
है। अभी
हमें और
हमारी टीम
को लगातार
काम करना
है। इसरो
यहीं नहीं
रुकेगा। इस
साल के
अंत तक
एक और
महत्वपूर्ण सैटेलाइट कार्टोसैट-3 की लॉन्चिंग
करेगा।
’बाहुबली रॉकेट’ अंतरिक्ष में लेकर गया चंद्रयान-2
चंद्रयान-2
परियोजना 978 करोड़ रुपये की है।
चंद्रयान-2 के साथ जीएसएलवी-एमके
तृतीय को
पहले 15 जुलाई
को तड़के
2.51 बजे प्रक्षेपित
किया जाना
था। हालांकि
प्रक्षेपण से एक घंटा पहले
एक तकनीकी
खामी के
पाए जाने
के बाद
प्रक्षेपक्ष स्थगित कर दिया गया
था। इसरो
ने बाद
में 44 मीटर
लंबे और
लगभग 640 टन
वजनी जियोसिंक्रोनाइज
सैटेलाइट लांच
व्हीकल- मार्क
तृतीय (जीएसएलवी-एमके तृतीय)
की खामी
को दूर
कर दिया।
जीएसएलवी-मार्क
तृतीय का
उपनाम ’बाहुबली’ फिल्म के इसी
नाम के
सुपर हीरो
के नाम
पर बाहुबली
रखा गया
है। ’बाहुबली’ फिल्म जैसे नायक
विशाल भारी-भरकम शिवलिंग
को उठाता
है, उसी
तरह रॉकेट
भी 3.8 टन
वजनी चंद्रयान-2
अंतरिक्ष यान
को उठाकर
अंतरिक्ष में
ले जाएगा।
उड़ान के
लगभग 16वें
मिनट में
375 करोड़ रुपये
का जीएसएलवी-मार्क तृतीय
रॉकेट 603 करोड़ रुपये के चंद्रयान-2
विमान को
अपनी 170Û39, 120 किलोमीटर लंबी
कक्षा में
उतार देगा।
इसरो अब
तक तीन
जीएसएलवी-एमके
तृतीय भेज
चुका है।
जीएसएलवी-एमके
तृतीय का
उपयोग 2022 में भारत के मानव
अंतरिक्ष मिशन
में भी
किया जाएगा।
3.8 टन वजनी
है चंद्रयान-2। भारत
की ओर
से चंद्रयान-2
का कुल
वजन 3.8 टन
(3,850 किग्रा) है। इस चंद्रयान-2 तहत
एक ऑर्बिटर,
एक लैंडर
और एक
रोवर भी
चांद पर
जा रहे
हैं। इनका
नाम चंद्रयान-2
ऑर्बिटर, विक्रम
लैंडर और
प्रज्ञान रोवर
है। चांद
की सतह
पर लैंडर
विक्रम 7 सितंबर,
2019 को लैंड
करेगा।
कुछ ऐसा है चंद्रयान-2 ऑर्बिटर
चंद्रयान-2 ऑर्बिटर
का वजन
2,379 किलोग्राम है। यह 3.2’5.8’2.1 मीटर बड़ा
है. इसकी
मिशन लाइफ
1 साल की
है। पूरे
चंद्रयान-2 मिशन में यही ऑर्बिटर
अहम भूमिका
निभाएगा। इसी
के जरिये
चांद की
सतह पर
उतरने वाले
विक्रम लैंडर
और धरती
पर मौजूद
इसरो के
वैज्ञानिकों के बीच संपर्क हो
पाएगा। यह
चांद की
कक्षा पर
मौजूद रहेगा।
यह चांद
की सतह
पर मौजूद
लैंडर विक्रम
और रोवर
प्रज्ञान से
मिली जानकारियों
को धरती
पर वैज्ञानिकों
के पास
भेजेगा।
8 उपकरणों से शोध करेगा ऑर्बिटर
1. चंद्रयान-2
ऑर्बिटर के
पास चांद
की कक्षा
से चांद
पर शोध
करने के
लिए 8 उपकरण
रहेंगे। इनमें
चांद का
डिजिटल मॉडल
तैयार करने
के लिए
टेरेन मैपिंग
कैमरा-2 है।
2. चांद
की सतह
पर मौजूद
तत्वों की
जांच के
लिए इसमें
चंद्रययान-2 लार्ज एरिया सॉफ्ट एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर
(क्लास) है।
3. क्लास
को सोलर
एक्स-रे
स्पेक्ट्रम इनपुट मुहैया कराने के
लिए सोलर
एक्स-रे
मॉनीटर है।
4. चांद
पर पानी
की मौजूदगी
का पता
लगाने और
वहां मौजूद
मिनरल्स पर
शोध के
लिए इसमें
इमेजिंग आईआर
स्पेक्ट्रोमीटर है।
5. चांद
के ध्रुवों
की मैपिंग
करने और
सतह व
सतह के
नीचे जमी
बर्फ का
पता लगाने
के लिए
इसमें डुअल
फ्रीक्वेंसी सिंथेटिक अपर्चर रडार है।
6. चांद
की ऊपरी
सतह पर
शोध के
लिए इसमें
चंद्र एटमॉसफेयरिक
कंपोजिशन एक्सप्लोरर-2
है।
7. ऑर्बिटर
हाई रेजॉल्यूशन
कैमरा के
जरिये यह
हाई रेस्टोपोग्राफी
मैपिंग की
जाएगी।
8. चांद
के वातावरण
की निचली
परत की
जांच करने
के लिए
डुअल फ्रीक्वेंसी
रेडियो उपकरण
है।
चांद पर 2
बड़े गड्ढों के बीच उतरेगा विक्रम
चंद्रयान-2 मिशन
के तहत
चांद की
सतह पर
लैंडर विक्रम
और रोवर
प्रज्ञान उतरेंगे।
लैंडर विक्रम
का वजन
1,471 किग्रा है। इसका नामकरण भारतीय
अंतरिक्ष कार्यक्रम
के जनक
वैज्ञानिक डॉ. विक्रम साराभाई के
नाम पर
हुआ है।
इसे 650 वॉट
की ऊर्जा
से ताकत
मिलेगी। यह
2.54’2’1.2 मीटर लंबा है। चांद पर
उतरने के
दौरान यह
चांद के
1 दिन लगातार
काम करेगा।
चांद का
1 दिन पृथ्वी
के 14 दिनों
के बराबर
होता है।
यह चांद
के दो
बड़े गड्ढों
मैजिनस सी
और सिंपेलियस
एन के
बीच उतरेगा।
विक्रम के पास रहेंगे 4 इंस्ट्रूमेंट :
लैंडर विक्रम
के साथ
तीन अहम
इंस्ट्रूमेंट चांद पर शोध के
लिए भेजे
गए हैं।
चांद पर
होने वाली
भूकंपीय गतिविधियों
को मापने
और उसपर
शोध करने
के लिए
एक खास
इंस्ट्रूमेंट लगाया गया है। इसके
अलावा इसमें
चांद पर
बदलने वाले
तापमान की
बारीक जांच
करने के
लिए भी
खास उपकरण
है। इसमें
तीसरा उपकरण
है लैंगमूर
प्रोब। यह
चांद के
वातावरण की
ऊपरी परत
और चांद
की सतह
पर शोध
करेगा। विक्रम
अपने चौथे
उपकरण लेजर
रेट्रोरिफ्लेक्टर के जरिये
वहां मैपिंग
और दूरी
संबंधी शोध
करेगा।
6 टायरों वाला प्रज्ञान रोवर भी है खास
चंद्रयान-2 के
तहत चांद
पर उतरने
वाले लैंडर
विक्रम के
साथ ही
वहां प्रज्ञान
रोवर भी
उतरेगा। प्रज्ञान
रोवर एक
तरह का
रोबोटिक यान
है। जो
चांद की
सतह पर
चलकर वहां
शोध करेगा।
इसका वजन
27 किग्रा है। यह 0.9’0.75’0.85 मीटर बड़ा
है। इसमें
छह टायर
लगे हैं
जो चांद
की उबड़खाबड़
सतह पर
आराम से
चलकर विभिन्न
शोध कर
सकेंगे। यह
चांद की
सतह पर
500 मीटर तक
1 सेंमी प्रति
सेकंड कर
रफ्तार से
सफर कर
सकता है।
यह अपनी
ऊर्जा सूर्य
से प्राप्त
करेगा। साथ
ही यह
लैंडर विक्रम
से संपर्क
में रहेगा।
दो विशेष
उपकरण हैं प्रज्ञान के पास
रोबोटिक शोध
यान (रोवर)
प्रज्ञान के
पास दो
विशेष उपकरण
रहेंगे। रोवर
प्रज्ञान अल्फा
पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्टोमीटर
के जरिये
लैंडिंग साइट
के पास
में चांद
की सतह
पर मौजूद
वातावरणीय तत्वों के निर्माण संबंधी
जानकारी प्राप्त
करने के
लिए शोध
करेगा। इसके
अलावा लेजर
इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप
के जरिये
भी प्रज्ञान
सतह पर
मौजूद तत्वों
पर शोध
करेगा।
यात्रा के विभिन्न पड़ाव
चंद्रयान-2 अंतरिक्ष
यान 22 जुलाई
से लेकर
13 अगस्त तक
पृथ्वी के
चारों तरफ
चक्कर लगाएगा.
इसके बाद
13 अगस्त से
19 अगस्त तक
चांद की
तरफ जाने
वाली लंबी
कक्षा में
यात्रा करेगा.
19 अगस्त को
ही यह
चांद की
कक्षा में
पहुंचेगा. इसके बाद 13 दिन यानी
31 अगस्त तक
वह चांद
के चारों
तरफ चक्कर
लगाएगा. फिर
1 सितंबर को
विक्रम लैंडर
ऑर्बिटर से
अलग हो
जाएगा और
चांद के
दक्षिणी ध्रुव
की तरफ
यात्रा शुरू
करेगा. 5 दिन
की यात्रा
के बाद
6 सितंबर को
विक्रम लैंडर
चांद के
दक्षिणी ध्रुव
पर लैंड
करेगा. लैंडिंग
के करीब
4 घंटे बाद
रोवर प्रज्ञान
लैंडर से
निकलकर चांद
की सतह
पर विभिन्न
प्रयोग करने
के लिए
उतरेगा.
पीएम मोदी
ने वैज्ञानिकों दी बधाई
चंद्रयान-2 की
सफल लॉन्चिंग
पर प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी
ने वैज्ञानिकों
को दी
बधाई है।
कहा, चांद
पर जाने
वाले हिंदुस्तान
के चंद्रयान-2
की लॉन्चिंग
सफल हुई
है। चंद्रयान
2 की सफल
लॉन्चिंग पर
पूरे देश
को गर्व
है। भारत
के लिए
यह एक
ऐतिहासिक क्षण
है। चंद्रयान-2
के सफल
प्रक्षेपण से आज पूरा देश
गौरवान्वित है। ये पल 130 करोड़
लोगों के
लिए गर्व
करने वाला
है। चंद्रयान-2
की सफल
लॉन्चिंग भारत
के महान
वैज्ञानिकों की सफल गाथा को
बताती है।
मोदी ने
कहा है
कि चंद्रयान
2 की सफल
लॉन्चिंग से
बड़ा सभी
हिंदुस्तानियों के लिए गर्व का
पल क्या
हो सकता
है। ये
इसलिए भी
खास है
क्योंकि ये
चंद्रयान-2 चांद के उस हिस्से
पर उतरेगा,
जहां अब
तक कोई
नहीं गया
है। इससे
चांद के
बारे में
हमें नई
जानकारी मिलेगी।
चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग के लिए
वैज्ञानिकों ने जो मेहनत की
है, उससे
युवाओं को
काफी प्रेरणा
मिलेगी। उपराष्ट्रपति
वेंकैया नायडू
ने सदन
में वैज्ञानिकों
को बधाई
देने वाला
प्रस्ताव पेश
किया।
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