वर्ल्ड लाफ्टर डे : जिंदादिली बरकरार रखनी है तो हंसते रहिए
वास्तव
में
एक
कहावत
है
कि
वही
व्यक्ति
हंसता
है
जो
जी
रहा
होता
है।
कहा
जा
सकता
है
‘जिंदगी
जिंदादिली
का
नाम
है,
मुर्दादिल
क्या
खाक
जिया
करते
हैं‘। इसलिए स्वस्थ
रहना
चाहते
है
तो
मुस्कराते
रहिए,
खिखिलाते
रहिए,
खुश
रहिए,
ठहाका
लगाते
रहिए।
अगर
जिस
किसी
के
भी
दिनचर्या
में
यह
सब
शामिल
हो
गया,
फिर
न
तो
उसे
डाक्टर
के
पास
जाने
की
न
जहमत
उठानी
पड़ेगी
और
न
ही
जिन्दगी
बोझ
लगेगी
सुरेश गांधी
‘हंसने में कैसी
कंजूसी, ‘बापू सेहत
के लिए हानिकारक
है‘ इस बोल
का मतलब तो
समझ में आता
है, लेकिन भागमभाग
की इस जिंदगी
में लोग अपने-अपने सपने
को पूरा करने
में इस कदर
तनाव में हैं
कि स्वाभाविक हंसी
भूल से गए
हैं। आपाधापी के
इस युग में
शायद ही कोई
बंदा हो, जिसके
चेहरे पर बचपन
की वो बिंदास
हंसी दिखती हो।
जिसे देखों सुबह
से शाम तक
अवसाद में ही
जीएं जा रहा
है। यही वजह
है कि लोग
शारीरिक - मानसिक बीमारियों से
ग्रसित होते चले
जा रहे हैं।
जबकि सच यह
है कि यदि
कोई काम बिना
बोझ के खुशी-खुशी कर
लिया जाएं तो
तनाव काफी हद
तक कम हो
जाता है। मुस्कान
के बेताज बादशाह
चार्ली चैपलिन का यह
कथन बिल्कुल सच
है कि ‘हंसी
के बिना बिताया
हुआ दिन, बर्बाद
किया हुआ दिन
है‘। केवल
इतना ही नहीं
हंसी सेहतमंद रहने
के लिए सबसे
अच्छा टॉनिक और
हमेसा सुन्दर दिखने
के लिए सबसे
बेहतर औषधि भी
है। बावजूद इसके
शायद ही किसी
को याद हो
कि वह आखिरी
बार दिल खोलकर
कब हंसा था।
या कोई ऐसी
बात जिसको सुनकर
लोटपोट हो गये
हों। क्योंकि आजकल
लाइफ में काम
ही इतने है
कि हंसने की
फुर्सत ही नहीं।
जबकि अत्यधिक गंभीरता
जीवन को जटिल
व असहज बना
देती है।
खास यह
है कि भौतिकता
के इस वर्तमान
युग में इसका
सबसे अधिक प्रतिकूल
असर बच्चों पर
पड़ा है। जबकि
यह सच है
कि हंसमुख लोग
जल्दी बीमार नहीं
पड़ते। उनका न
सिर्फ सामाजिक स्तर
अच्छा होता है,
बल्कि हजारों की
भीड़ में भी
उनके चेहरे पर
मुस्कान दमकती रहती है।
हंसने से व्यक्ति
का रोम-रोम
खुल जाता है।
उसका पूरा दिन
बहुत ही अच्छा
गुजरता है। अगर
मनुष्य गंभीरता के आवरण
को उतार कर
फेंक दे तो
कई समध्याए स्वतः
हल हो सकती
है। इसलिए जीवन
में हंसी और
सफलता का बहुत
अहम योगदान होता
है। हास-परिहास
की जरुरत का
इससे बड़ा और
क्या उदाहरण होगा
कि इसके लिए
बाकायदा रिश्ते गढ़े गए
हैं। देवर-भाभी,
जीजा-साली जैसे
चुहल भरे रिश्ते
इसलिए बनाएं गए
हैं ताकि रिश्तों
पर समस्याएं हावी
न हों और
उनमें एक सेंस
ऑफ ह्यूमर बना
रहें।
बेहतर व्यायाम है हंसी
चिकित्सक को छोड़िए
अब तो योग
गुरु भी कहते
फिर रहे हैं,
हर घंटे में
अगर इंसान कुछ
क्षण के लिए
हंस लेता है
तो शरीर का
व्यायाम हो जाता
है। इसके बावजूद
बहुत से लोग
हंसने से शर्माते
हैं। लेकिन उसको
अपनी शर्म हटाकर
हर समय न
सही, मजे के
पलों पर खुलकर
हंस लेना चाहिए।
इससे जहां रक्त
संचालन तेजी से
होता है, वहीं
ऐसे हार्मोंस की
उत्पत्ति होती है,
जो इंसान को
तनाव मुक्त होने
के साथ ही
खुद को तरोताजा
महसूस कराता हैं।
हमारे सभी इंद्रियों
को सक्रिय करता
हैं। हंसने से
न सिर्फ थकावट
दूर होती है
बल्कि ब्लड प्रेसर
ठीक रहता है
और नींद भी
अच्छी आती है।
यह अलग बात
है चिकित्सकों व
योग गुरुओं की
अपील कुछ लोगों
पर जरुर पड़ी
है। इसके ताजा
उदाहरण ‘द कपिल
शर्मा शो और
ऐसे ही कुछ
और हास्य से
ओत-प्रोत कार्यक्रम
टीवी चैनलों पर
होने वाले प्रसारण
की बढ़ती लोकप्रियता
है। लेकिन यह
भी सच है
कि इन हास्य
धारावाहिकों के चंद
मिनटों के प्रसारण
से कुछ लोगों
के चेहरा मुस्कुराता
जरूर है, परंतु
दिल खोलकर हंसने
का मन इसलिये
नहीं करता है,
क्योंकि थकान आपको
हंसने का मौका
ही नहीं देती।
इसलिए अपनी जवानी
और जिंदादिली बरकरार
रखनी है तो
हंसते रहिए। स्वस्थ्य
रहना है तो
हंसते रहिए और
जिंदगी का पूरा
मजा लेना है
तो हंसते रहिए।
कहा जा सकता
है हंसी जीवन
का प्रभात है।
यह शीतकाल की
मधुर धूप है
तो ग्रीष्म की
तपती दुपहरी में
सघन छाया। हंसने
से आत्मा खिल
उठती है। इससे
आप तो आनंद
पाते ही हैं
दूसरों को भी
आनंदित करते हैं।
न दवा और न दुआ, बस हंसो
हंसने के लिए
लोग क्या-क्या
नहीं करते। कोई
अपनी पसंद के
चुटकुले सुनता, सुनाता है
तो कोई दुसरों
से तरह-तरह
की गप्प करके
हंसाता है। जो
नहीं कर पाते
वे आजकल लाफ्टर
क्लबों का सहारा
लेते हैं ताकि
ठहाकों से तनाव
को छूमंतर किया
जा सके। यही
वजह है कि
आज के दौर
में कॉमेडी वाले
कार्यक्रमों को सबसे
ज्यादा पसंद किया
जा रहा है।
लतीफे कोई भी
हो उन्हें हर
कोई पसंद करता
ही है और
हंसी भी आती
है यानी किसी
न किसी तरह
खुशी मिलती ही
है। चिकित्सकों की
मानें तो लाइफ
में बहुत सी
बिमारियों का इलाज
ठहाका ही है।
उनका दावा है
कि हंसी से
कोई बड़ी दवा
नहीं है। लोग
कितना ही मानसिक
तनाव में हो,
यदि थोड़ा सा
दिल से हंस
लिया जाये तो
थकान और तनाव
चंद मिनट में
दूर हो जायेंगे।
इसकी प्रासंगिता को
देखते हुए ही
अब कुछ शहरों
में ‘लाफ्टर योगा
क्लब‘ भी खुल
गया है जहां
ढेर सारे लोग
दिल खोलकर हंसते
है। आप भी
ऐसे क्लब, गार्डन्स
में जाकर कुछ
समय के लिए
सारी चिंता परेशानियों
को भूलकर दिल
खोलकर हंस सकते
है।
फिक्र से रहे बेफिक्र
दुख की
रात चाहे जितनी
लंबी हो, गुजर
ही जाती है।
कहते है दर्द
जब हद से
गुजर जाता है
तो दवा बन
जाता है। कई
बार तो छोटी-छोटी तकलीफें
इंसान को परेशान
करती है जबकि
बड़ी मुश्किलों में
वह सब्र कर
लेता है। दुखों-समस्याओं को स्वीकार
करते हुए उनमें
धैर्य बनाएं रखने
का हुनर तभी
आता है जब
मुश्कराने की आदत
हों। वैसे इंसानी
फितरत यही है
कि वह अपनी
तकलीफों, मुर्खताओं और विफलताओं
पर भी हंस
लेता है। यह
एक तरह का
डिफेंस मैकेनिज्म भी है।
मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि
सक्रिय व व्यस्त
रहने वाले लोग
सुखी रहते हैं।
हंसने के लिए
बेफिक्री, फाकामस्ती और जिंदगी
को समग्रता में
देखने का साहस
जरुरी है। हर
पल को कैसे
बिताना हैं, यह
इंसान स्वयं ही
तय कर सकता
हैं। ‘यूज इट
ऑर लूज इट‘ - यानी इसे जीएं
या गवां दें,
यह अपने ही
हाथ में हैं।
खुश रहने वाले
जानते है कि
हंसने से जीवन
में कुछ साल
और जोड़े जा
सकते है और
हां, उन सालों
में जिंदगी का
जज्बा बनाएं रखा
जा सकता है।
मात्र 6 मिनट का हंसना बेहद लाभकारी
एक रिसर्च
के अनुसार पहले
लोग रोजाना करीब
18 मिनट हंसते थे और
अब 6 मिनट ही
हंसते हैं जबकि
हंसना बेहद फायदेमंद
है। दिल खोलकर
हंसनेवाले लोग बीमारी
से दूर रहते
हैं और जो
बीमार हैं वे
जल्दी ठीक होते
हैं। हंसी न
सिर्फ हंसने वाले
बल्कि उसके आसपास
के लोगों पर
भी पॉजिटिव असर
डालती है। इसलिए
रोजाना हंसें खूब हंसें
जोरदार हंसें दिल खोलकर
हंसें। तनाव व
व्यस्तता से परिपूर्ण
जीवन में हंसना
जरूरी है। कुछ
लोगों ने तो
पार्कों में योग
के दौरान हंसना
अपनी दिनचर्या का
हिस्सा बना लिएं
हैं। क्योंकि हास्य
सकारात्मक और शक्तिशाली
भावना है, जिसमें
व्यक्ति को ऊर्जावान
और शांतिपूर्ण बनाने
के सभी तत्व
उपस्थित रहते हैं।
हंसने से बीमारियां
भी दूर भागती
हैं। हंसना सभी
के शारीरिक व
मानसिक विकास में अत्यंत
सहायक है। जापान
के लोग अपने
बच्चों को प्रारंभ
से ही हंसते
रहने की शिक्षा
देते हैं।
हास्य योग
पार्को व सार्वजनिक
स्थानों के अलावा
जो लोग घरों
पर नियमित योगाभ्यास
करते हैं, वे
भी बाद में
हास्य योग करते
हैं। इस योग
में हाथ ऊपर
करके हंसा जाता
है। कुछ लोग
बहुत ही खुलकर
हंसते हैं तो
काफी संख्या में
लोग एक दूसरे
को देखते हुए
मौन भी हंसते
हैं। ऐसे लोगों
ने हंसने को
अपनी दिनचर्या में
शामिल कर लिया
है। इसके अलावा
हास्य कवि सम्मेलनों
में भी काफी
भीड़ जुटती है।
दूरदर्शन पर भी
लोग हास्य धारावाहिक
देखना पसंद कर
रहे हैं। ग्रामीण
क्षेत्र में आज
भी बहुरूपियाओं को
काफी महत्व दिया
जाता है, क्योंकि
वे हंसाने वाले
संवाद ही प्रयोग
करते हैं।
जब आए गुस्सा
जब हमें
किसी से नाराजगी
होती है तो
उस गुस्से का
असर 4 घंटे, 8 घंटे
या 12 घंटे हो
सकता है। इस
दौरान हमारे शरीर
की काफी सारी
ऊर्जा नष्ट होती
है। यदि आप
इस ऊर्जा को
बचाना चाहते हैं
तो हास्य योग
की मदद लें।
इसके लिए दिनभर
में कम से
कम एक वक्त
दिल खोलकर हंसना
चाहिए। वैसे भी
हंसते चेहरे सभी
को अच्छे लगते
हैं। ऐसे ही
चेहरों को हम
याद भी रखते
हैं क्यों हमें
उनकी मुस्कान लुभाती
है। हंसते रहने
वालों लोगों का
सामाजिक जीवन दिलचस्प
होता है और
लोग उनके करीब
रहना पसंद करते
हैं। एक फिल्मी
गीत की पंक्ति
हैं, लोगों का
दिल, अगर हां
जीतना तुमकों हो
तो बस मीठा-मीठा बोलों‘। मुंह से
मीठे बोल भी
तभी निकलेंगे जब
मन प्रसंन होगा।
बढ़ती है एकाग्रता
पिट्यूटरी ग्लेंड्स, एड्रीनल
ग्लेंड्स प्रभावित होती हैं
जिससे भय, तनाव
और अवसाद दूर
होता है। समूह
में हंसने से
अधिक लाभ होता
है। जब मनुष्य
हंसता है तो
वह कुछ पलों
के लिए सबसे
अलग हो जाता
है। उसके विचारों
की श्रृंखला टूट
जाती है। एकाग्रता
आती है। मन-मस्तिष्क खाली व
हल्के होने लगते
हैं।
बुद्धिमान होते हैं बच्चे
मनोवैज्ञानिक प्रयोगों से यह
स्पष्ट हुआ है
कि अधिक हंसने
वाले बच्चे अधिक
बुद्धिमान होते हैं।
हंसना सभी के
शारीरिक व मानसिक
विकास में अत्यंत
सहायक है। जापान
के लोग अपने
बच्चों को प्रारंभ
से ही हंसते
रहने की शिक्षा
देते हैं। चिकित्सकों
की मानें तो
मानव शरीर में
पेट और छाती
के बीच में
एक डायफ्राम होता
है, जो हंसते
समय धुकधुकी का
कार्य करता है।
फलस्वरूप पेट, फेफड़े
और यकृत की
मालिश हो जाती
है। नियमित रूप
से खुलकर हंसना
शरीर के सभी
अवयवों को ताकतवर
और पुष्ट करता
है व शरीर
में रक्त संचार
की गति बढ़
जाती है तथा
पाचन तंत्र अधिक
कुशलता से कार्य
करता है। जोर
से कहकहे लगाने
से पूरे शरीर
में प्रत्येक अंग
को गति मिलती
है, फलस्वरूप शरीर
में मौजूद एंडोफ्राइन
ग्रंथि (हारमोन दाता प्रणाली)
सुचारु रूप से
चलने लगती है,
जो कि कई
रोगों से छुटकारा
दिलाने में सहायक
है।
हास्य दिवस का उद्देश्य
हास्य दिवस विश्व
भर में मई
महीने के पहले
रविवार को मनाया
जाता है। इसका
प्रथम आयोजन 11 जनवरी,
1988 को मुंबई में किया
गया था। विश्व
हास्य योग आंदोलन
की स्थापना का
श्रेय डॉ मदन
कटारिया को जाता
है। इसके पीछे
उनका एकमात्र उद्देश्य
संसार में शांति
की स्थापना और
मानवमात्र में भाईचारे
और सदभाव लाना
था। आज विश्व
हास्य दिवस की
लोकप्रियता हास्य योग आंदोलन
के माध्यम से
पूरी दुनिया में
फैल गई। आज
पूरे विश्व में
छह हजार से
भी अधिक हास्य
क्लब हैं। इस
मौके पर विश्व
के बहुत से
शहरों में रैलियां,
गोष्ठियां एवं सम्मेलन
आयोजित किये जाते
हैं।
एकजुटता का माध्यम है हास्य
हास्य एक सार्वभौमिक
भाषा है। इसमें
जाति, धर्म, रंग,
लिंग से परे
रहकर मानवता को
समन्वय करने की
क्षमता है। हंसी
विभिन्न समुदायों को जोड़कर
नए विश्व का
निर्माण कर सकते
हैं। यह विचार
भले ही काल्पनिक
लगता हो, लेकिन
लोगों में गहरा
विश्वास है कि
हंसी ही दुनिया
को एकजुट कर
सकती है। कहा
जा सकता है
स्वस्थ हास्य समाज को
जगाने का भी
काम करता है।
हंसना और हंसाना एक कला
कामिक, कार्टून भी
हमें हंसाती है।
कुछ ऐसे कामिक
कैरेक्टर हैं जिनका
नाम सुनकर ही
होठों पर मुस्कान
आ जाती है
तो पर्दे पर
देखकर क्या होता
है। पर्दे पर
देखकर तो खिलखिलाकर
हंसेंगे। हम इन्हें
देखकर हंसते हैं
लेकिन क्या हमने
कभी सोचा है
कि इनकी नीजी
जिंदगी कैसी थी।
हमें हंसाने वालों
को क्या अपनी
जिंदगी में हंसने
का मौका मिला।
दुख तो इनकी
जिंदगी में भी
था। फिर भी
वह ऐसे कैरेक्टर
के रूप में
लोकप्रिय हुए जिनका
नाम ही हंसने
के लिए काफी
होता है। यह
सिर्फ अपने समय
में ही प्रसिद्ध
नहीं थे बल्कि
आज भी हैं
शायद पहले से
कहीं ज्यादा। लेकिन
इस मुकाम तक
पहुंचने के लिए
उन्होने भी संघर्ष
किया है। ’मेडला‘ मेडिटेशन व हास्य
योग का सम्मिलित
रूप है। इसके
अन्तर्गत व्यक्ति अपने अन्दर
संचित उर्जा को
ध्यान के माध्यम
से अपने प्राण
उर्जा के रूप
में परिवर्तित करने
के गुर सीख
सकता है।
खुद के लिए जीना शुरु करें
यदि आप
सच में खुश
रहना चाहते हैं
तो खुद के
लिए वक्त निकालिएं।
सुबह-सुबह वॉक
पर जाएं। पंछियों
की चहचहाहट, ठंडी
हवा, पार्क में
ठहाके लगाते लोगों
के चेहरों को
देखिएं, महसूस कीजिए। अपनी
हॉबी के लिए
वक्त निकालिए। अपने
दोस्तों-रिश्तेदारों को भी
भरपूर वक्त दें।
जो आपके मन
को अच्छा लगता
है वह कीजिए।
यानी कभी अपनी
खुशी के लिए
जीना तो शुरु
कीजिए, फिर देखिएं
आपके मन को
प्रसंनता मिलेगी। अतंः यह
कहा जाएं कि
मनुष्य के लिए
हंसना भोजन, पानी,
नींद की तरह
जरुरी है तो
अतिश्योक्ति नहीं होगी।
हंसकर तरोताजा होइए
और फिर दुगुनी
शक्ति से अपने
काम पर लगिए,
यही जीवन का
क्रम हैं।
फायदे
हंसने
से आंतरिक भागों
की चेहरे की
मांसपेशियों को बहुत
लाभ होता है।
इससे
लेक्टिव एसिड (दूषित पदार्थ)
बाहर जाता है।
मस्तिष्क
की अल्फा वेन
एक्टिव होती है
तथा बीटा वेन
डाउन होती है,
जिससे आनंद की
अनुभूति होती है।
हंसी
से टेंशन और
डिप्रेशन कम होता
है।
यह
नेचुरल पेनकिलर का काम
करती है।
हंसी
शरीर में ऑक्सीजन
की मात्रा बढ़ाती
है।
दूषित
वायु बाहर निकलती
है।
हंसी
ब्लड सर्कुलेशन को
कंट्रोल करती है।
दिल
खोलकर जोरदार हंसी
कसरत का भी
काम करती है।
इससे
काम करने की
क्षमता बढ़ती है।
यह
आत्मविश्वास और पॉजिटिव
नजरिए में इजाफा
करती है।
इसे
नेचरल कॉस्मेटिक भी
कह सकते हैं
क्योंकि इससे चेहरा
निखरता है खूबसूरत
बनता है।
दिन
में कम से
कम 8 घंटे हंसकर
बीताना चाहिए।
यदि
आप वाकई ऐसा
करते हैं तो
न केवल गंभीर
रोगों से बल्कि
मानसिक रोगों से भी
छुटकारा पा सकते
हैं।
हंसने
से शरीर की
रोग प्रतिरोधक क्षमता
बढ़ती है।
कई
बीमारियों के पनपने
से पहले ही
हास्य योग के
जरिए उन्हें खत्म
किया जा सकता
है।
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