Monday, 13 December 2021

पीएम मोदी ने किया काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का लोकार्पण

पीएम मोदी ने किया काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का लोकार्पण

कहा, ’औरंगजेब आता है तो शिवाजी भी उठ खड़े होते हैं

जिनके हाथों में डमरू है, उनकी सरकार है

सुरेश गांधी

वाराणसी। काशी विश्वानाथ कॉरिडोर के लोकार्पण के मौके पर शिव की नगरी दुल्हन की तरह सजी है। अगले एक महीने तक उत्सव जैसा माहौल रहेगा। काशी में आस्था के आकाश के नीचे धर्म का संसद लगा है। इसी बीच सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की सौगात दी। सबसे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने बाबा विश्वनाथ धाम के गर्भगृह में पूजा-अर्चना की। पीएम ललिता घाट से खुद जल लेकर बाबा विश्वनाथ मंदिर तक बने कॉरिडोर चल कर पहुंचे और जलाभिषेक किया। इसके बाद काशी विश्वनाथ धाम का वैदिक मंत्रोचार के बीच विधि विधान के साथ लोकार्पण किया। करीब 50 मिनट के संबोधन में उन्होंने इस कारिडोर को बनाने वाले श्रमिकों को भी धन्यवाद दिया। पीएम मोदी ने इस दौरान केन्द्र तथा राज्य सरकारों के काम के साथ ही साथ इतिहास की गर्त में समा चुके आतताइयों का भी जिक्र किया।

पूजन-अर्चन के बाद मंच पर पहुंचते ही पीएम ने जब संबोधन शुरू किया तो लोगों में जबर्दस्त उत्साह दिखा। खाटी बनारसी में नमस्कार और साहिब बंदगी से शुरुआत की तो मोदी-मोदी गूंज उठा। माहौल उत्साह से भर गया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि विश्वनाथ धाम का ये पूरा नया परिसर एक भव्य भवन भर नहीं है, ये प्रतीक है, हमारे भारत की सनातन संस्कृति का, ये प्रतीक है हमारी आध्यात्मिक आत्मा का, ये प्रतीक है भारत की प्राचीनता का, परम्पराओं का, भारत की ऊर्जा का, गतिशीलता का।उन्होंने कहा, ’’आप यहां जब आएंगे तो केवल आस्था के दर्शन नहीं करेंगे. आपको यहां अपने अतीत के गौरव का अहसास भी होगा. कैसे प्राचीनता और नवीनता एक साथ सजीव हो रही हैं. कैसे पुरातन की प्रेरणाएं भविष्य को दिशा दे रही हैं. इसके साक्षात दर्शन विश्वनाथ धाम परिसर में हम कर रहे हैं.’’

पीएम मोदी ने कहा, हमारी इस वाराणसी ने युगों को जिया है, इतिहास को बनते बिगड़ते देखा है. कितने ही कालखंड आए, कितनी ही सल्तनतें उठी और मिट्टी में मिल गईं. फिर भी बनारस बना हुआ है. आतातायियों ने इस नगरी पर आक्रमण किए, इसे ध्वस्त करने के प्रयास किए. औरंगजेब के अत्याचार, उसके आतंक का इतिहास साक्षी है. जिसने सभ्यता को तलवार के बल पर बदलने की कोशिश की, लेकिन इस देश की मिट्टी बाकी दुनिया से कुछ अलग है.’’700 करोड़ की लागत से 33 महीने में तैयार हुए श्री काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण रेवती नक्षत्र में हुआ। इसके साथ ही अब यह आम लोगों के लिए भी खोल दिया जाएगा।

काल भैरव मंदिर में हाजिरी

पीएम मोदी पहले काल भैरव मंदिर पहुंचे। यहां पर उन्होंने पूजा-अर्चना की। पीएम मोदी ने कहा कि काशी आकर अभि  अभिभूत हूं. बाद में उन्होंने संबोधन के दौरान कहा, “अभी मैं नगर कोतवाल काल भैरव जी के दर्शन करके भी रहा हूं, देशवासियों के लिए उनका आशीर्वाद लेकर हा हूं. काशी में कुछ भी खास हो, कुछ भी नया हो, उनसे पूछना आवश्यक है. मैं काशी के कोतवाल के चरणों में भी प्रणाम करता हूं.“

गंगा में डुबकी लगाई

इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गंगा में डुबकी लगाई। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में प्रवेश से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गंगा स्नान किया. गंगा में डुबकी लगाने के बाद उन्हें गंगा जल के साथ देश की दूसरी नदियों का पानी दिया गया। ये जल लेकर प्रधाप्रधानमंत्री पैदल ही चौक होते हुए बाबा विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में पहुंचे। 11 वैदिक ब्राह्मण बाबा का जलाभिषेक और पूजा कराया। ये पूजा 20 मिनट चली। पीएम मोदी ने विधिवत पूजा-अर्चना के बाद काशी विश्वनाथ परिसर में एक पौधा लगाया. विशेष पूजा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोपहर 1 बजकर 57 मिनट पर बाबा के नया धाम का लोकार्पण किया। मंदिर में प्रधानमंत्री का अभिनंदन दयालु संस्कृतत महाविद्यालय के 51 बटुक ने किया। इस दौरान 151 डमरू वादकों का दल लगातार डमरू का वादन करता रहा। इस भव्य लोकार्पण कार्यक्रम के गवाह बीजेपी के 12 मुख्यमंत्री, 9 डिप्टी सीऔर बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा बने. 2500 से ज्यादा गणमान्य शख्सियत भी यहां मौजूद रही, जिनमें 500 से ज्यादा साधु-संत रहे.

भोजपुरी में बोले- सबको प्रणाम बा

पीएम मोदी ने अपने भाषण की शुरूआत हर-हर महादेव के उद्घोष के साथ की. इसके बाद भोजपुरी में सबको प्रणाम बा कहा. पीएम मोदी ने कहा कि पहले यहां जो मंदिर क्षेत्र केवल तीन हजार वर्ग फीट में था, वो अब करीब 5 लाख वर्ग फीट का हो गया है. पीएम ने कहा कि अब मंदिर और मंदिर परिसर में 50 से 75 हजार श्रद्धालु सकते हैं. यानी पहले मां गंगा का दर्शन-स्नान और वहां से सीधे विश्वनाथ धाम.

मजदूरों के साथ पीएम ने ली सेल्फी

विश्वनाथधाम के गर्भगृह में पूजा-अर्चना के बाद पीएम मोदी सीधे उन मजदूरों के बीच पहुंचे जिन्होंने दिन-रात मेहनत कर काशी विश्वनाथ कॉरिडोर तैयार किया. पीएम ने मजदूरों पर फूल बरसाए और उनके साथ बैठकर फोटो खिंचवाई. पीएम मोदी ने मजदूरों के साथ बैठकर फोटो खिंचवाई. पीएम ने मजदूरों से कुछ देर बात भी की.

परिसर में सकते हैं 75 हजार श्रद्धालु

पीएम मोदी ने कहा, ’’पहले यहां जो मंदिर क्षेत्र केवल तीन हजार वर्ग फीट में था, वो अब करीब 5 लाख वर्ग फीट का हो गया है. अब मंदिर और मंदिर परिसर में 50 से 75 हजार श्रद्धालु सकते हैं. यानी पहले मां गंगा का दर्शन-स्नान, और वहां से सीधे विश्वनाथ धाम.’’ उन्होंने कहा, ’’काशी तो काशी है! काशी तो अविनाशी है. काशी में एक ही सरकार है, जिनके हाथों में डमरू है, उनकी सरकार है. जहां गंगा अपनी धारा बदलकर बहती हों, उस काशी को भला कौन रोक सकता है?

काशी में अगर औरंगजेब आता है तो शिवाजी भी उठ खड़े होते हैं

प्रधानमंत्री ने कहा, ’’काशी में अगर औरंगजेब आता है तो शिवाजी भी उठ खड़े होते हैं. अगर कोई सालार मसूद इधर बढ़ता है तो राजा सुहेलदेव जैसे वीर योद्धा उसे हमारी एकता की ताकत का अहसास करा देते हैं. अंग्रेजों के दौर में भी, हेस्टिंग का क्या हश्र काशी के लोगों ने किया था, ये तो काशी के लोग जानते ही हैं. पीएम ने कहा, यहां की धरती सारनाथ में भगवान बुद्ध का बोध संसार के लिए प्रकट हुआ. समाजसुधार के लिए कबीरदास जैसे मनीषी यहां प्रकट हुए. समाज को जोड़ने की जरूरत थी तो संत रैदास की भक्ति की शक्ति का केंद्र भी ये काशी बनी.महारानी अहिल्याबाई होल्कर के बाद काशी के लिए इतना काम अब हुआ है. महाराजा रंजीत सिंह जी ने मंदिर के शिखर पर स्वर्ण जड़वाया था.’’

नया भारत बना रहा मेडिकल कॉलेज

आज भगवान शिव का प्रिय दिन सोमवार है। आज विक्रम संवत 2078 मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष दशमी तिथि, एक नया इतिहास रच रही है। हमारा सौभाग्य है कि हम इस तिथि के साक्षी बन रहे हैं। पीएम मोदी ने कहा कि मुझे पता था कि ये जड़ता बनारस की नहीं थी। हो भी नहीं सकती थी। इसमें थोड़ा बहुत राजनीति और थोड़ा निजी स्वार्थ था। बनारस पर आरोप लगाए जा रहे थे लेकिन काशी तो काशी है। काशी तो अविनाशी है। काशी में एक ही सरकार है, जिनके हाथों में डमरू है। यहां महादेव की सरकार है।

मांगे तीन संकल्प

श्रीकाशी विश्वनाथ धाम का नव्य भव्य स्वरूप देश को समर्पित करने आए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि मैं आपसे अपने लिए नहीं, हमारे देश के लिए तीन संकल्प चाहता हूं- स्वच्छता, सृजन और आत्मनिर्भर भारत के लिए निरंतर प्रयास। गुलामी के लंबे कालखंड ने हम भारतीयों का आत्मविश्वास ऐसा तोड़ा कि हम अपने ही सृजन पर विश्वास खो बैठे। आज हजारों वर्ष पुरानी इस काशी से, मैं हर देशवासी का आह्वान करता हूं- पूरे आत्मविश्वास से सृजन करिए, इनोवेट करिए, इनोवेटिव तरीके से करिए। तीसरा एक संकल्प जो आज हमें लेना है, वो है आत्मनिर्भर भारत के लिए अपने प्रयास बढ़ाने का। ये आजादी का अमृतकाल है। हम आजादी के 75वें साल में हैं। जब भारत सौ साल की आजादी का समारोह बनाएगा, तब का भारत कैसा होगा, इसके लिए हमें अभी से काम करना होगा।

मां गंगा का आशीर्वाद सबके लिए

उन्होंने कहा कि प्राचीनता नवीनता सजीव हो रही है। जो मां गंगा उत्तरवाहिनी होकर बाबा के पांव पखारने काशी आती हैं। वह मां गंगा भी आज बहुत प्रसन्न हुई हैं। अब हम जब बाबा के चरणों में प्रणाम करेंगे तो मां गंगा को स्पर्श करती हवा स्नेह देगी। गंग तरंगों की कल-कल का दैवीय अनुभव भी कर सकेंगे। बाबा विश्वनाथ सबके हैं। मां गंगा सबकी हैं। उनका आशीर्वाद सबके लिए है, लेकिन समय परिस्थितियों के चलते बाबा मां गंगा की यह सेवा मुश्किल हो चली थी। रास्ता जगह की कमी हो चली थी। बुजुर्गों दिव्यांगों को आने में दिक्कत होती थी। विश्वनाथ धाम परियोजना से यह सुलभ हो गया है। अब दिव्यांग भाई-बहन, बुजुर्गजन बोट से जेटी तक आएंगे। स्वचालित सीढ़ी से मंदिर तक पाएंगे। संकरे रास्तों से परेशानी होती थी जो कम होगी।

सपना अब साकार हो गया

अगर सोच लिया जाए, ठान लिया जाए, तो असंभव कुछ भी नहीं। हर भारतवासी की भुजाओं में वो बल है, जो अकल्पनीय को साकार कर देता है। हम तप जानते हैं, तपस्या जानते हैं, देश के लिए दिन रात खपना जानते हैं। चुनौती कितनी ही बड़ी क्यों ना हो, हम भारतीय मिलकर उसे परास्त कर सकते हैं। आज का भारत अपनी खोई हुई विरासत को फिर से संजो रहा है। यहां काशी में तो माता अन्नपूर्णा खुद विराजती हैं। मुझे खुशी है कि काशी से चुराई गई मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा, एक शताब्दी के इंतजार के बाद अब फिर से काशी में स्थापित की जा चुकी है। मेरे लिए जनता जनार्दन ईश्वर का ही रूप है, हर भारतवासी ईश्वर का ही अंश है, इसलिए मैं कुछ मांगना चाहता हूं।

देश को एकता के सूत्र में बांधने का संकल्प

काशी शब्दों का विषय नहीं है, संवेदनाओं की सृष्टि है। काशी वो है- जहां जागृति ही जीवन है। काशी वो है-जहां मृत्यु भी मंगल है। काशी वो है- जहां सत्य ही संस्कार है। काशी वो है-जहां प्रेम ही परंपरा है। बनारस वो नगर है जहां से जगद्गुरु शंकराचार्य को श्रीडोम राजा की पवित्रता से प्रेरणा मिली, उन्होंने देश को एकता के सूत्र में बांधने का संकल्प लिया। ये वो जगह है जहां भगवान शंकर की प्रेरणा से गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस जैसी अलौकिक रचना की। यहीं की धरती सारनाथ में भगवान बुद्ध का बोध संसार के लिए प्रकट हुआ। समाज सुधार के लिए कबीरदास जैसे मनीषी यहां प्रकट हुए। पीएम ने कहा कि समाज को जोडऩे की जरूरत थी तो संत रैदास जी की भक्ति की शक्ति का केंद्र भी ये काशी बनी। काशी अहिंसा, तप की प्रतिमूर्ति चार जैन तीर्थंकरों की धरती है। राजा हरिश्चंद्र की सत्यनिष्ठा से लेकर वल्लभाचार्य, रमानन्द जी के ज्ञान तक। चैतन्य महाप्रभु, समर्थगुरु रामदास से लेकर स्वामी विवेकानंद, मदनमोहन मालवीय तक। छत्रपति शिवाजी महाराज के चरण यहां पड़े थे। रानी लक्ष्मी बाई से लेकर चंद्रशेखर आज़ाद तक, कितने ही सेनानियों की कर्मभूमि-जन्मभूमि काशी रही है। भारतेंदु हरिश्चंद्र, जयशंकर प्रसाद, मुंशी प्रेमचंद, पंडित रविशंकर और बिस्मिल्लाह खान जैसी प्रतिभाएं। इस स्मरण को कहाँ तक ले जाया जाए। कितने ही ऋषियों,आचार्यों का संबंध काशी की पवित्र धरती से रहा है। काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण, भारत को एक निर्णायक दिशा देगा, एक उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएगा। ये परिसर, साक्षी है हमारे सामर्थ्य का, हमारे कर्तव्य का।

 

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