Friday, 14 October 2022

’शिवलिंग’ क्षति ना हो, इसलिए कार्बन डेटिंग की मांग खारिज

शिवलिंगक्षति ना हो, इसलिए कार्बन डेटिंग की मांग खारिज

जिला अदालत ने कहा कि कार्बन डेटिंग से सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन होगा

अब मामले की अगली सुनवाई 17 अक्तूबर को होगी

सुरेश गांधी

वाराणसी। ज्ञानवापी में मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग नहीं होगी. शुक्रवार को जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है. साथ ही अदालत ने स्पष्ट किया है कि अन्य किसी भी वैज्ञानिक तरीके के परीक्षण की मांग सुनने योग्य नहीं है। कोर्ट ने कहा है कि मांग खारिज करने की असल मकसद सुप्रीम कोर्ट द्वारा कहा गया है कि जहां कथित शिवलिंग पाया गया है, उसे सुरक्षित रखा जाए. ऐसे में अगर कार्बन डेटिंग के दौरान कथित शिवलिंग को क्षति पहुंचती है तो यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन होगा. ऐसा होने से आम जनता की धार्मिक भावनाओं को भी चोट पहुंच सकती है। अब मामले की अगली सुनवाई 17 अक्तूबर को होगी।

वाराणसी की सेशन कोर्ट के आदेश पर ज्ञानवापी का सर्वे कराया गया था. इस दौरान हिंदू पक्ष ने ज्ञानवापी में शिवलिंग मिलने का दावा किया था. जबकि मुस्लिम पक्ष ने इसे फव्वारा बताया था. हिंदू पक्ष ने अब इस कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग कराने की मांग की. हालांकि, कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया है. कोर्ट के इस फैसले को हिंदू पक्ष के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। यह अलग बात है कि कार्बन डेटिंग की मांग को लेकर खुद हिंदू पक्ष ही दो धड़ों में बंट गया था। मस्जिद परिसर में स्थित मां श्रृंगार गौरी की पूजा के अधिकार की दावेदारी करने वाली महिलाओं में एक ने यह कहकर कार्बन डेटिंग की मांग का विरोध किया था कि वैज्ञानिक परीक्षण लिएशिवलिंगसे कुछ अंश लिया जाएगा जिससे यह खंडित हो जाएगा। ऐसे में बड़ा सवाल तो यही है अब हिंदू पक्ष के पास अब कौन-कौन से विकल्प बचे हैं? क्या हिंदू पक्ष कार्बन डेटिंग की मांग के विकल्पों का उपयोग करेगा भी या नहीं? ऐसे में अब हिंदू पक्ष के पास फिर से हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का ही रास्ता बचा है।

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ यानी आरएसएस के वरिष्ठ नेता और मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के प्रमुख इंद्रेश कुमार ने भी कहा है कि आगे रास्ता निकाला जाएगा। उन्होंने वाराणसी जिला अदालत के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ’दुनिया में कभी रास्ता बंद नहीं होता है। राम मंदिर के रास्ते कई बार बंद हुए और फिर खुलते चले गए। इसका भी रास्ता आगे निकलेगा।बता दें, वाराणसी जिला अदालत ने इसी वर्ष 12 सितंबर को फैसला दिया था कि ज्ञानवापी मस्जिद-श्रृंगार गौरी का विवाद पर अदालत में सुनवाई हो सकती है। मुस्लिम पक्ष ने इस फैसले को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी थी जिसे हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी कहा था कि ज्ञानवापी मस्जिद विवाद पर पूजास्थल कानून 1991 (प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991) के अधीन नहीं आता है, इसलिए यह मामला अदालत की सुनवाई के लिए पोषणीय है। उधर, मुस्लिम पक्ष ने भी कार्बन डेटिंग की मांग का विरोध किया था।

जिला जज के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे : विष्णु शंकर जैन

हिंदू पक्ष के पांच में से चार वादियों की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि हमारी कार्बन डेटिंग की मांग को कोर्ट ने खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि शिवलिंग के साथ कोई छेड़छाड़ ना हो, अभी इसकी आवश्यकता नहीं है। जिला जज की अदालत के इस आदेश को हमलोग सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। अभी तारीख की घोषणा नहीं कर सकते लेकिन जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में इस आदेश को चैलेंज करेंगे। इस मामले में वादी पक्ष की चार महिलाओं ने सर्वे में मिले शिवलिंग की कार्बन डेटिंग या किसी अन्य आधुनिक विधि से जांच की मांग की थी।

अंजुमन इंतजामिया की दलील

इस मामले में अंजुमन की तरफ से विरोध करते हुए दलील में अधिवक्ता मुमताज अहमद और एखलाक अहमद ने कहा कि 16 मई को सर्वे के दौरान मिली आकृति के बाबत दी गई आपत्ति का निस्तारण नहीं किया गया और मुकदमा सिर्फ श्रृंगार गौरी के पूजा और दर्शन के लिए दाखिल किया गया है। 17 मई को सुप्रीम कोर्ट ने मिली आकृति को सुरक्षित संरक्षित करने का आदेश दिया है। वैज्ञानिक जांच में केमिकल के प्रयोग से आकृति का क्षरण सम्भव है कार्बन डेटिंग जीव जन्तु की होती है पत्थर की नहीं हो सकती। क्योंकि पत्थर कार्बन को एडाप्ट नहीं कर सकता। कहा कि कार्बन डेटिंग वाद की मजबूती साक्ष्य संकलित करने के लिए कराई जा रही है ऐसे में कार्बन डेटिंग का आवेदन खारिज होने योग्य है।

हिदू पक्ष की दलील

हिदू पक्ष के अधिवक्ता हरिशंकर जैन, विष्णु जैन, सुभाष नन्दन चतुर्वेदी सुधीर त्रिपाठी ने दलील में कहा कि वाद में दृश्य अदृश्य देवता की बात कही गई है सर्वे के दौरान वजू स्थल स्थित हौज से पानी हटाने पर अदृश्य आकृति दृश्य रूप में दिखी ऐसे में यह पार्ट ऑफ शूट है यानि दावे का हिस्सा है, बरामद आकृति शिवलिंग है या फव्वारा यह वैज्ञानिक जांच से ही स्पष्ट होगा। ऐसे में आकृति को बिना नुकसान पहुंचाए, हिदुओं की आस्था को चोट पहुंचाए बगैर वैज्ञानिक जांच भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण के विशेषज्ञ टीम से कराई जाए ताकि यह तय हो सके कि आकृति शिवलिंग है या फव्वारा।

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