काशी व तमिलनाडू के हुनरमंद हाथों की पूरी दुनिया दीवानी : रचना शाह
कहा, हस्तशिल्प
और
हथकरघा
का
समृद्ध
खजाना
सीइपीसी चेयरमैन
व
यूपीया
अध्यक्ष
सहित
निर्यातक
संगठनों
ने
अपने
इंडस्ट्री
की
विकास
गाथा
साझा
किया
सुरेश गांधी
वाराणसी। हस्तकला के बुधवार को
बड़ालालपुर स्थित दीनदयाल हस्तकला संकुल में आयोजित दो दिवसीय टेक्सटाइल
कॉन्क्लेव के पहले दिन
का उद्घाटन वस्त्र मंत्रालय सचिव श्रीमती रचना शाह ने किया। इस
दौरान उन्होंने राष्ट्रीय पुरस्कार विजेताओं से संवाद के
दौरान उनका अनुभव साझा किया और उन्हें स्मृति
चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
इस मौके पर
कालीन निर्यात संवर्धन परिषद सीइपीसी चेयरमैन उमर हामिद व कालीन निर्यातक
पियुष बरनवाल ने कालीन उद्योग
के विकास के बारे में
विस्तार से शिल्पी और
बुनकरों के समक्ष रखा।
जबकि यूपीया ने भी निर्यात
के क्षेत्र में काशी की सुप्रसिद्ध साड़ी
से लेकर अन्य निर्यात उत्पादों के बारे में
बताया। इस अवसर पर
उद्योग के ज्वाइंट मंडल
आयुक्त उमेश सिंह, प्रशासनिक सदस्य इम्तियाज अंसारी, अनिल सिंह, श्रीराम मौर्या व जगमोहन अग्रवाल
आदि मौजूद रहे।
इस दौरान मुख्य
अतिथि रचाना शाह ने बुनकरों व
शिल्पियों के प्रदर्शनी का
भी अवलोकन किया और उनके हूनर
की सराहना करते हुए कहा कि काशी, भदोही,
मिर्जापुर सहित तमिलनाडू के शिल्प और
काष्ठ कला का कोई सानी
नहीं है। इस सफलता का
सीधा श्रेय कारीगरों और बनुकरों के
हुनरमंद हाथों को ही जाता
है। उन्होंने कहा कि काशी और
तमिलनाडू हुनरमंद हाथों की जननी है।
हस्तशिल्प और हथकरघा के
समृद्ध खजाने को यहां के
शिल्पी और बुनकरों के
हुनरमंद हाथ न सिर्फ संवार
रहे हैं बल्कि मजबूती से आगे भी
बढ़ा रहे हैं।
आधुनिक जमाने के बदले परिवेश
में भी पारंपरिक विरासत
को सहेजे हस्तशिल्प और हथकरघा की
धमक आज भी कायम
है। उन्होंने कहा कि वाराणसी और
आस-पास के इलाक़ों के
हथकरघा उद्योग और हस्तशिल्पियों के
लिए एक नई उम्मीद
है। इसके जरिए बुनकरों का माल खरीदने
की व्यवस्था है, ताकि उनका माल सही समय पर सही जगह
पहुंच सके और उनकी आमदनी
बढ़े।
No comments:
Post a Comment