दुनिया का सबसे बड़ा मेडीटेशन सेंटर है ’स्वर्वेद महामंदिर’
स्वर्वेद
मंदिर
का
नाम
स्वः
और
वेद
से
बना
है.
स्वः
का
एक
अर्थ
है
आत्मा,
वेद
का
अर्थ
है
आत्मा,
वेद
का
अर्थ
है
ज्ञान.
जिसके
द्वारा
आत्मा
का
ज्ञान
प्राप्त
किया
जाता
है,
जिसके
द्वारा
स्वयं
का
ज्ञान
प्राप्त
किया
जाता
है,
उसे
ही
स्वर्वेद
कहते
हैं.
इस
मंदिर
की
दीवारों
पर
4000 वेदों
से
जुड़े
दोहे
भी
लिखे
गए
हैं.
साथ
ही
मंदिर
की
बाहरी
दीवारों
पर उपनिषद, महाभारत,
रामायण,
गीता
आदि
से
जुड़े
चितचित्र
बनाए
गए
हैं
जिससे
लोग
कुछ
प्रेरणा
लें
सकें.
जबकि
मंदिर
की
आकृति
कमल
के
फूल
जैसा
है।
इसके
शिखर
पर
125 पंखुड़ियों
वाला
कमल
की
आकृति
बनी
है।
दावा
है
कि
यह
दुनिया
का
सबसे
बड़ा
मेडीटेशन
सेंटर
है,
जिसकी
नक्काशी
कुछ
इस
कदर
है,
देखने
वालों
की
निगाहे
ठहर
सी
जाती
है।
देखने
में
यह
बेहद
खूबसूरत
है.
खास
है
कि
इसमें
ध्यान
के
लिए
एक
समय
में
20,000 लोग बैठ सकते
हैं.
सात
मंजिला
इस
गुंबद
की
दीवारों
पर
स्वर्वेद
के
छंद
उकेरे
गए
हैं
सुरेश गांधी
मंदिर का नाम स्वर्वेद
से लिया गया है, जो शाश्वत योगी
और विहंगम योग के संस्थापक सद्गुरु
श्री सदाफल देवजी महाराज द्वारा लिखित एक आध्यात्मिक ग्रंथ
है। संत सदाफल महाराज ने 17 वर्षों तक हिमालय में
स्थित आश्रम में गहन साधना की। वहां से उन्हें जो
ज्ञान प्राप्त हुआ उसे ही ग्रंथ के
रूप में पिरोया। उसी ग्रंथ का नाम स्वर्वेद
है। यह महामंदिर वाराणसी
के चौबेपुर स्थित उमरहा में है। स्वर्वेद महामंदिर की सबसे बड़ी
विशेषता है कि यहां
पर भगवान की नहीं, योग-
साधना की पूजा होती
है। जहां स्व में आत्मा और परमात्मा से
सीधा जुड़ाव है। स्वर्वेद महामंदिर का उद्देश्य मानव
जाति को अपनी शानदार
आध्यात्मिक आभा से रोशन करना
है, जिससे दुनिया को शांतिपूर्ण सतर्कता
की स्थिति में आच्छादित किया जा सके।
बता दें, संत सदाफल महाराज के विश्व के
दर्जनों देशों में आश्रम हैं। वाराणसी का यह आश्रम
सबसे बड़ा है। करीब 20 वर्षों से इस आश्रम
के निर्माण की योजना पर
काम किया जा रहा है।
मकराना मार्बल से बने इस
मंदिर की खासियत की
चर्चा हर तरफ है।
इसे स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना
करार दिया जा रहा है।
सात मंजिला यह मंदिर दुनिया
का सबसे बड़ा मेडिटेशन सेंटर कहा जा रहा है।
इस मंदिर में 20 हजार लोग एक साथ योग
और ध्यान कर सकते हैं।
यह मंदिर 64 हजार वर्गफीट में बना हुआ है। इसकी ऊंचाई 180 फीट है। स्वर्वेद महामंदिर के निर्माण कार्य
की शुरु.आत साल 2004 में
हुई थी. सात मंजिला स्वर्वेद महामंदिर 68,000 वर्ग फुट में फैला हुआ है और यह
शिल्प और अत्याधुनिक तकनीक
के अद्भुत सामंजस्य का प्रतीक है.
यह एक आध्यात्मिक
मंदिर है जो स्वर्वेद
को समर्पित है, एक आध्यात्मिक पाठ
जिसमें सात मंजिलें हैं जो मूल रूप
से 7 चक्रों को समर्पित हैं।
स्वर्वेद महामंदिरको कमल के फूल जैसा
स्वरूप दिया गया है. स्वर्वेद मंदिर को ’विहंगम योग’ यानि
कि योग साधकों के लिए बनाया
गया है. इस मंदिर में
3000 लोगों के एक साथ
बैठ कर प्राणायाम, ध्यान
और योग करने की सुविधा है।
साथ ही इस महामंदिर
में 125 पंखुड़ी वाला कमल गुंबद तैयार किया गया है. इस महामंदिर में
सामाजिक कुरीतियों और सामाजिक बुराइयों
का उन्मूलन शामिल है. इसको ग्रामीण भारत की भलाई के
लिए अनेक सामाजिक-सांस्कृतिक परियोजनाओं का केंद्र भी
बनाया गया है. मंदिर की नक्काशी में
भारतीय विरासत की झलक दर्शाती
जटिल नक्काशीदार बलुआ पत्थर की संरचनाएं हैं.
मंदिर की दीवारों के
चारों ओर गुलाबी बलुआ
पत्थर की सजावट भी
हैं. मोदी इसके लोकार्पण मौके पर कहा कि
स्वर्वेद महामंदिर के उद्घाटन का
अर्थ वाराणसी में आध्यात्मिकता, सांस्कृतिक समृद्धि और आधुनिक प्रौद्योगिकी
के एकीकरण को बढ़ावा देने
की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम
है। यह केंद्र शांति
के प्रतीक के रूप में
खड़ा है, जो भक्तों को
अपनी शानदार दीवारों के भीतर शांति
का अनुभव करने के लिए आमंत्रित
करता है। सरकार, समाज और संतगण, सब
साथ मिलकर काशी के कायाकल्प के
लिए कार्य कर रहे हैं.
आज स्वर्वेद मंदिर का बनकर तैयार
होना इसी ईश्वरीय प्रेरणा का उदाहरण है.
उन्होंने कहा, ‘‘ये महामंदिर, महर्षि
सदाफल देव जी की शिक्षाओं,
उनके उपदेशों का प्रतीक है.
इस मंदिर की
दिव्यता जितनी आकर्षित करती है, इसकी भव्यता हमें उतना ही अचंभित भी
करती है. इसलिए मंदिर का भ्रमण करते
हुए मैं खुद भी मंत्र-मुग्ध
हो गया था.’’ ‘‘स्वर्वेद महामंदिर भारत के सामाजिक और
आध्यात्मिक सामर्थ्य का एक आधुनिक
प्रतीक है. ये महामंदिर एक
योग तीर्थ भी है और
साथ-साथ ये ज्ञानतीर्थ भी
है.’’ पीएम मोदी इससे पहल मंदिर में वर्ष 2021 में भी आए थे।
इसी दौरान उन्होंने इस मंदिर के
लोकार्पण का निमंत्रण स्वीकार
किया था। स्वर्वेद महामंदिर के लोकार्पण के
साथ ही संत सदाफल
महाराज की 135 फीट ऊंची प्रतिमा का शिलान्यास भी
पीएम ने किया। पीएम
नरेंद्र मोदी का स्वर्वेद से
जुड़ाव रहा है। उनकी मां हीराबेन अंतिम समय तक स्वर्वेद धाम
से जुड़ी रही थीं।
पीएम मोदी के भाई भ
स्वर्वेद से जुड़े हुए
हैं। सात मंजिला अधिरचना में स्वर्वेद के श्लोक हैं,
जो इसकी दीवारों पर जटिल रूप
से उकेरे गए हैं। यह
आध्यात्मिक पाठ पहले से ही विस्मयकारी
महामंदिर में पवित्रता की एक अतिरिक्त
परत जोड़ता है। स्वर्वेद महामंदिर की दीवारें गुलाबी
बलुआ पत्थर से सजी हैं,
जो संरचना की भव्यता को
बढ़ाती हैं। इसके अतिरिक्त, औषधीय जड़ी-बूटियों वाला एक सुंदर उद्यान
समग्र सौंदर्य आकर्षण को बढ़ाता है।
35 करोड़ की लागत से
करीब 20 साल से बन रहा
है। काशी में बना स्वर्वेद मंदिर 180 फीट ऊंचा है. यह ऐसा मंदिर
है जो सिर्फ वाराणसी
में है दुनिया में
और कहीं नहीं। पीएम मोदी के स्वर्वेद मंदिर
के उद्घाटन के बाद स्वर्वेद
महामंदिर लगातार सुर्खियों में बना हुआ है। हर कोई यह
जानना चाहता है कि स्वर्वेद
महामंदिर में ऐसा क्या है।
Very good.
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