बारिश है बीमारियों का खजाना, जानलेवा हो सकती है लापरवाही
इन
दिनों
चिलचिलाती
उमसभरी
गर्मी
के
बीच
थम-थम
कर
हो
बारिश
जहां
एक
तरफ
राहत
या
यूं
कहे
हरियाली
छा
जाती
है,
वहीं
दुसरी
तरफ
हमें
बीमारियों
का
खजाना
भी
सौंगात
के
रुप
में
भेट
करती
है।
इस
दौरान
काफी
सारी
बीमारियां
एक
साथ
हमला
बोलती
है
और
अधिकतर
लोग
बचाव
की
जानकारी
के
बगैर
इनकी
चपेट
में
आ
जाते
है।
इस
मौसम
में
वायरल
फीवर,
मलेरिया,
डेंगू,
पीलिया,
त्वचा
में
इंफेक्शन,
पेट
से
जुड़ी
समस्या,
दस्त
समेत
अन्य
शिकायतें
सामने
आती
है।
इसकी
वजह
से
अस्पतालों
की
ओपीडी
में
खासकर
मेडिसिन
विभाग
में
जुलाई
और
अगस्त
माह में
बाकी
महीनों
के
तुलना
में
डेढ़
गुना
तक
मरीज
बढ़
जाते
हैं।
इसका
कारण
बारिश
में
दूषित
पानी,
खाना,
बारिश
में
भीगने
की
वजह
प्रमुख
है।
मच्छर
जनित
बीमारियों
में
नाली
व
गड्ढों
में
पानी
भरे
होने
की
वजह
से
समस्या
आती
है।
तो
कई
तरह
के
कीटों
की
वजह
से
भी
अन्य
बीमारियों
होती
है।
ऐसे
में
हमें
स्वास्थ्य
का
विशेष
ध्यान
रखने
की
आवश्यकता
है।
आयुष्मान
आरोग्य
मंदिर,
सरसौली
-वाराणसी
के
मेडिकल
आफिसर
डॉ.
शशांक
शेखर
दुबे
व
आयुष्मान
आरोग्य
मंदिर,
नयी
बस्ती
की
मेडिकल
आफिसर
डॉ.
तांशु
ओझा
का
कहना
है
कि
बीमारियों
से
बचना
ही
उसका
सटीक
इलाज
है
सुरेश गांधी
कभी तेज बारिश
तो कभी धीमी तो
फुहार के बीच जगह-जगह जलभराव उमसभरी
चिपचिपी गरमी में संचारी
रोगों के फैलने का
खतरा रहता है। इस
मौसम में जरा सी
लापरवाही लोगों को बीमार कर
सकती है। इसलिए लोगों
को सावधानी बरतने की जरूरत है,
क्योंकि बचाव ही इसका
सर्वोत्तम इलाज है। वैसे
भी बरसात के मौसम में,
मौसम में अक्सर उतार-चढ़ाव होता है
और नमी अधिक होती
है, जो सभी प्रकार
के कीटाणुओं के पनपने का
एक अच्छा कारण है। बारिश
की फुहारों से बीमार होने
का खतरा बढ़ जाता
है, खासकर श्वसन संक्रमण के साथ। इसलिए,
हमें उन्हें अपने वायुमार्ग से
निपटने और रोकने के
लिए तैयार रहना चाहिए। अक्सर
देखा गया है कि
गर्मी से परेशान लोग
बरसात का मौसम आते
ही खुश हो जाते
हैं। बारिश में भीगने का
अपना आनंद है इसलिए
कई लोगों के लिए मानसून
किसी उत्सव या किसी त्योहार
से कम नहीं है।
इन दिनों मानसूनी बारिश का दौर चल
रहा है। मानसून में
आसमान से बरसते पानी
से गर्मी से राहत भले
मिलती हो लेकिन इसी
खूबसूरत मानसून का एक पहलू
और भी है जो
थोड़ा बहुत डराने वाला
है। मानसून अपने साथ कई
तरह की बीमारियां भी
लेकर आता है इसलिए
बरसात का बेसब्री से
इंतजार करने वाले लोगों
को थोड़ा बहुत सावधान
रहने की भी जरुरत
है। थोडी सी भी
लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है।
इन बीमारियों में मलेरिया, हैजा,
टाइफाइड, चिकनगुनिया और सर्दी-जुकाम
बुखार। देखा जाएं तो
बारिश के मौसम में
संचारी रोग मलेरिया, डेंगू,
दिमागी बुखार, स्वाइन फ्लू, कालाजार, फाइलेरिया आदि होने का
खतरा रहता है। हालांकि
अभी तक कालाजार व
फाइलेरिया का पूर्व में
भी कोई केस सामने
नहीं आया है। इस
मौसम में लोगों को
सफाई रखनी चाहिए और
घर के आसपास जलभराव
व मच्छर पनपने से रोकने व
काटने से बचाव के
इंतजाम करने चाहिए। खासकर
बारिश के मौसम में
लोगों को सतर्क रहना
चाहिए।
संचारी रोग फैलने के कारण, लक्षण
और बचाव : डॉ शशांक शेखर दुबे
आयुष्मान आरोग्य मंदिर, सरसौली-वाराणसी के मेडिकल आफिसर
डॉ. शशांक शेखर दुबे ने
बताया कि संचारी रोगों
से लड़ने के लिए
स्वास्थ्य विभाग ने ‘संचारी रोग
नियंत्रण अभियान’ की शुरुआत की
है. यह अभियान 31 जुलाई
तक चलाया जाएगा. इसके तहत लोगों
को जागरूक भी किया जाएगा.
उन्होंने बताया कि संचारी रोग
एक ऐसा रोग है
जो संक्रमण से एक व्यक्ति
से दूसरे में फैलता है.
इनमें मलेरिया, टायफाइड, चेचक, इन्फ्लूएंजा, डेंगू और डायरिया को
शामिल किया गया है.
बरसात के उमस भरे
मौसम में ये बीमारियां
सबसे ज्यादा होती हैं. इसके
लक्षण तेज बुखार होना.
नाक से पीला श्राव
आना और सांस लेने
में तकलीफ होना है. संचारी
रोगों के प्रसार को
रोकने का सबसे अच्छा
तरीका प्रसार की श्रृंखला को
तोड़ना है. जिन मरीजों
में यह संक्रमण के
लक्षण हैं, उन्हें घर
में एक अलग कमरे
में रखा जाना चाहिए
ताकि अन्य लोग संक्रमित
बीमारी के संपर्क में
न आएं. मरीज को
जल्दी ही डॉक्टर की
सलाह लेकर उपचार शुरू
कर देना चाहिए.
आस-पास मच्छरों को पनपने
से रोकें : डॉ. तांशु ओझा
आयुष्मान आरोग्य मंदिर, नयी बस्ती की
मेडिकल आफिसर डॉ. तांशु ओझा
ने बताया कि इस मौसम
में थोडी सी भी
लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है।
इस मौसम में मलेरिया,
हैजा, टाइफाइड, चिकनगुनिया और सर्दी-जुकाम
बुखार जैसी बीमारियां ज्यादा
होने की संभावना रहती
है। जुलाई और अगस्त के
ये दो महीने बीमारियों
के ही होते हैं.
इस मौसम में संक्रमण
से फैलने वाली बीमारियां जोर
पकड़ती हैं. इसलिए सफाई
पर विशेष जोर देने के
साथ मच्छरों के निस्तारण के
भी प्रयास कराए जाएंगे. हफ्ते
में अगर एक बार
अपने कूलर, फ्रीज और जहां भी
पानी इखट्टा होता है, उसे
साफ कर दें. जिससे
की काफी हद तक
इस रोग को फैलने
से रोका जा सकता
है. मच्छरों को अपने आस-
पास पनपने ना दें. अपने
आस-पास सफाई रखें.
खाने-पीने का विशेष
ध्यान रखें. इस अभियान में
विभागीय अधिकारी तो कार्य कर
रहे हैं इसके साथ
ही लोगों के सहयोग की
भी जरूरत है. दूषित जल
और अस्वच्छता की बरसात के
मौसम में कोई कमी
नहीं होती और इनकी
वजह से फैलने वाला
रोग जिंदगी का सबसे बड़ा
खतरा बन सकता है।
आस-पास की गंदगी
हैजा फैलने का सबसे बड़ा
कारण है। इस रोग
के होने पर दस्त
और उल्टियां आती हैं, पेट
में तेज दर्द होता
है, बेचैनी और प्यास की
अधिकता हो जाती है।
इससे बचने के लिए
आसपास की सफाई के
अलावा पानी उबालकर पीना
चाहिए। इस रोग से
बचाव का सबसे अच्छा
उपाय टीकाकरण है। यह सुलभ
भी है और सबसे
ज्यादा विश्वसनीय भी। समय रहते
रोगी का उपचार जरुरी
है क्योंकि हैजा जानलेवा भी
हो सकती है।
श्वसन संबंधी बीमारियों के प्रकार
तीव्र
राइनोफेरीन्जाइटिस
: सामान्य
सर्दी
: - तीव्र राइनोफेरीन्जाइटिस या जिसे सामान्य
सर्दी के रूप में
जाना जाता है, श्वसन
संक्रमण के सबसे आम
प्रकारों में से एक
है। वायरस के कई प्रकार
सामान्य सर्दी में योगदान कर
सकते हैं, खासकर बरसात
के मौसम, सर्दियों या जब मौसम
बदलता है। कोई भी
व्यक्ति संक्रमित हो सकता है।
छोटे बच्चे साल भर में
कई बार संक्रमित हो
सकते हैं। वयस्कों को
कम संक्रमण होगा क्योंकि उनमें
प्रतिरक्षा विकसित हो चुकी होगी।
औसतन, बच्चे प्रति वर्ष 6 - 12 बार संक्रमित हो
सकते हैं, जबकि वयस्कों
को प्रति वर्ष 2 - 4 बार सामान्य सर्दी
हो सकती है। यह
बहुत गंभीर नहीं है और
वायरल संक्रमण के कारण कुछ
दिनों में अपने आप
ठीक हो सकता है।
इसलिए, उपचार का उद्देश्य लक्षणों
से राहत देना है।
कैसे फैलता है?
100 से ज़्यादा अलग-अलग वायरस हैं
जो आम सर्दी का
कारण बन सकते हैं,
इनमें से ज़्यादातर कोरिज़ा
वायरस परिवार से संबंधित हैं,
जैसे कि राइनोवायरस और
दूसरे वायरस जो बहती नाक,
लार और थूक के
ज़रिए फैल सकते हैं।
छींकने या खांसने से,
एक संक्रमित व्यक्ति बूंदों या एरोसोल को
दूसरे व्यक्ति में फैला सकता
है जो नज़दीक है
या दूषित सतहों को छूता है
और फिर अपनी आँखें
या नाक रगड़ता है।
संक्रमण लक्षण दिखने के 1 - 2 दिन के भीतर
एक स्पर्शोन्मुख व्यक्ति से फैल सकता
है।
बार-बार होने वाले लक्षण
जब वायरस नाक
के मार्ग में प्रवेश करता
है, तो यह अस्तर
में एक कोशिका से
चिपक जाता है और
उसमें प्रवेश कर जाता है
और गुणा करना शुरू
कर देता है। एक
बार जब वह होस्ट
सेल नष्ट हो जाता
है, तो नाक के
मार्ग में सूजन शुरू
हो जाती है और
सूजन और लालिमा के
रूप में प्रकट होती
है। इसके बाद जल्द
ही नाक बहने लगती
है। लक्षण दिखने से पहले ऊष्मायन
समय 1 - 3 दिन (औसतन 10 - 12 घंटे)
लगता है।
सामान्य सर्दी के लक्षणों में शामिल हैंः
बंद नाक
बहती नाक साफ़
करें
खाँसना
छींक आना
गला खराब होना
स्वर बैठना
कम श्रेणी बुखार
हल्का सिरदर्द
वयस्कों में बहुत कम
लक्षण दिखाई दे सकते हैं,
जैसे कि नाक बंद
होना और नाक बहना
(पहले से ही सांस
की समस्या वाले लोगों को
छोड़कर)। लक्षण आमतौर
पर 2 - 5 दिनों तक रहते हैं,
सिवाय बहती नाक के
जो 10 - 14 दिनों तक बनी रह
सकती है।
सामान्य सर्दी के संक्रमण के दौरान स्व-देखभाल
चूंकि आम सर्दी वायरल
संक्रमण के कारण होती
है, इसलिए ज़्यादातर लोग अपने लक्षणों
को ठीक करने के
लिए एंटीहिस्टामाइन या बुखार निवारक
दवाएँ लेते हैं, जब
तक कि वे ठीक
न हो जाएँ। एंटीबायोटिक्स
ज़रूरी नहीं हैं क्योंकि
इससे दवा प्रतिरोध हो
सकता है।
सावधानियां
पर्याप्त आराम करें.
खूब सारा पानी
पियें (पानी गरम होना
चाहिए)।
अपने शरीर का
मुख्य तापमान गर्म रखें।
गरम खाना खाएँ.
छींकने या नाक को
बहुत जोर से साफ
करने से बचें, क्योंकि
इससे कीटाणु साइनस में प्रवेश कर
सकते हैं और आगे
संक्रमण का कारण बन
सकते हैं।
छींकते या खांसते समय
नाक और मुंह को
ढकने के लिए रूमाल
का उपयोग करें।
सामान्य सर्दी से कैसे बचें?
संक्रमित व्यक्ति के साथ निकट
संपर्क में आने से
बचें। व्यक्तिगत वस्तुओं को साझा न
करके संपर्क कम करें। यदि
अपरिहार्य हो, तो संपर्क
के बाद हाथों को
अच्छी तरह से धोएँ
और आँखें और नाक न
रगड़ें।
पर्याप्त आराम करें और
नियमित व्यायाम करें।
संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में
आने से बचें।
प्रकोप के दौरान भीड़-भाड़ वाले इलाके
में जाने से बचें।
फ्लू शॉट से
सामान्य सर्दी से बचाव नहीं
हो सकता, क्योंकि यह वायरस के
एक अलग प्रकार के
कारण होता है।
चिकित्सा सहायता कब लें
जब बलगम का
स्राव (नाक या थूक)
हरा या पीला हो
कान में दर्द
या कानों में बजना
भयंकर सरदर्द
तेज़ बुखार
घरघराहट
अगर आपको लगातार
तेज बुखार और शरीर में
दर्द हो रहा है
तो कृपया संभावित जटिलताओं का पता लगाने
के लिए अपने डॉक्टर
से मिलें। यह सामान्य सर्दी
के बजाय फ्लू हो
सकता है।
जटिलताओं में जिन लोगों
को सामान्य सर्दी होती है, उनमें
बैक्टीरिया के कारण भी
संक्रमण हो सकता है,
जिसके कारण नाक और
कफ का स्राव गाढ़ा
और पीला या हरा
हो सकता है। साइनसाइटिस,
टॉन्सिलाइटिस और कान का
संक्रमण भी जीवाणु संक्रमण
से हो सकता है।
आँख आना
ब्रोंकाइटिस या फुफ्फुसीय संक्रमण
अस्थमा या सीओपीडी के
मरीजों को सांस लेने
में अत्यधिक कठिनाई हो सकती है।
संचारी रोगों के इस प्रकार
करें बचाव
- जरूरत होने पर ही
घर से निकलें।
- अधिक से अधिक
स्वच्छ पानी का सेवन
करें।
- धूप से बचने
की कोशिश करें।
- साफ-सफाई का
अधिक से अधिक ध्यान
रखें।
- तरल पदार्थों का
सेवन अधिक करें।
- सोते समय मच्छरदानी
का उपयोग करें।
- भीड़भाड़ वाले स्थानों पर
जाने से बचें।
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