Tuesday, 16 July 2024

उद्यमी रात के बजाय दिन में अधिक करें बिजली का उपयोग : अरविन्द कुमार

उद्यमी रात के बजाय दिन में अधिक करें बिजली का उपयोग : अरविन्द कुमार

विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष से किसानों, बनुकरों, उद्यमियों ने किया व्यवस्था में सुधार एवं राहत देने की अपील की

उद्यमियों ने कहा, टैरिफ की दरों को बढा़एं

बिजली दर हर हाल में कम होने के साथ ही गांव को 24 घण्टे बिजली देना सुनिश्चित किया जाएं, भ्रष्टाचार पर हो कठोर कार्यवाही : अवधेश वर्मा

सुरेश गांधी

वाराणसी। उप्र विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन सेवानिवृत्त आईएएस अरविंद कुमार मंगलवार को वाराणसी पहुंचे. इस दौरान पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम द्वारा कमिश्नरी सभागार में आयोजित जनसुनवाई कार्यक्रम में उन्होंने लोगों से सुझाव समस्याओं की जानकारी ली। इस दौरान 20 से ज्यादा लोगों ने अपनी समस्याएं अध्यक्ष के सामने रखते अपेक्षा की है कि बिजली निगम की कार्यशैली में सुधार लाया जाएं। सुनवाई में प्रबंध निदेशक से लेकर मुख्य अभियंता तक मौके पर मौजूद थे, लेकिन सबके सब कुछ बोलने के बजाए सुनने में ही अपनी भलाई समझी। यह अलग बात है कि आयोग चेयरमैन ने समस्याओं के समाधान का भरोसा दिलाया। साथ ही आयोग के फोरम में अपनी बात रखने को कहा। सभी ने अपनी समस्याओं का एक मांग पत्र भी आयोग के अध्यक्ष को सौंपा। इसकी कॉपी प्रबंध निदेशक शंभू कुमार को भी दी। 

सुनवाई के बाद आयोग के चेयरमैन ने कहा कि उद्यमी रात के बजाय दिन में बिजली का उपयोग अधिक करेंगे तो इसके कई फायदे होंगे। इससे सिर्फ बिजली की खपत घटेगी, बल्कि कटौती से भी निजात पाया जा सकता है। उन्होने कहा कि फिरहाल हाल में बिजली की दरें नहीं बढ़ेंगी। आयोग का काम है जो बिजली सप्लाई हो रही है और उसको लेकर जो कुल खर्च है उसके मुताबिक ही टैरिफ की दरें लागू हों. हालांकि, जो सर्विस प्रदाता कंपनियां हैं हमें उनकी बातों को भी सुनना होता है. उन्होंने कहा कि फिर भी आयोग यही चाहता है कि आमजन के ऊपर बिजली की टैरिफ संबंधी दरों का किसी तरह का अतिरिक्त बोझ पड़े. हम आमजन से लेकर उद्यमियों अन्य वर्गों के लोगों से सुझाव ले रहे हैं. इन सुझावों पर अमल करने के बाद ही आयोग किसी तरह का फैसला करेगा. उन्होंने कहा कि उपभोक्ता डिस्कॉम के टोल फ्री नंबर 1912 18001805025 (जिसकी क्षमता 120 लाइन की है), व्हाट्सएप नंबर- 8010968292 एवं ट्विटर हैंडल पर अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

सभागार में मौजूद उद्यमियों ने उप्र विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन से कहा कि सबसे अधिक राजस्व उद्यमियों व्यापारियों से ही सरकार को मिलता है, इसलिए व्यापारियों और उद्यमियों के लिए तो टैरिफ की दरें बिल्कुल नहीं बढ़ानी चाहिए. उन्होंने कहा कि आयोग प्रदेश में जल्द ही बिजली फिक्सेशन प्लान लागू करने वाला है। इसके लिए तैयारी तेज हो गई है। यहां पर आयोग की जन सुनवाई के दौरान बतौर मुख्य अतिथि अध्यक्ष ने पीएम सूर्य घर योजना को लेकर भी बड़ी घोषणा की। कहा कि नेट मीटरिंग का लाभ अब सभी सरकारी विभागों के साथ ही सरकारी गैर सरकारी शिक्षण संस्थानों को भी मिलेगा। अभी तक इसका लाभ सिर्फ घरेलू निजी नलकूप उपभोक्ताओं को ही मिलता था।

अध्यक्ष अरविंद कुमार ने बताया कि अगर समय पर ट्रांसफार्मर नहीं बदला जाता है तो उपभोक्ताओं को मुआवजा देने का भी प्रविधान है। साथ ही उन्होंने बताया कि आयोग कनेक्शन को सरल बनाने पर कार्य कर रहा है। ताकि उपभोक्ताओं को परेशान नहीं होना पड़े। इस मौके पर आयोग की तरफ से डा. अमित भार्गव, डा. संजय कुमार सिंह, शैलेंद्र गौंड़ भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि उपभोक्ता व्यथा निवारण फोरम में समाधान होगा। 40 में से 25 का गठन हुआ है। कहा कि आयोग का काम बिजली दरों का निर्धारण करना है। यह हर साल अगले साल के लिए किया जाता है। सामान्य उपभोक्ताओं से लेकर उद्यमी सहित अन्य लोगों की सुविधा के लिए ही आयोग की ओर से उपभोक्ता व्यथा निवारण फोरम बनाया गया है। इस पर समस्या बताई जा सकती है। ट्रांसफॉर्मर जलने, बिजली कनेक्शन में देरी, बिल में गड़बड़ी सहित अन्य समस्याओं को उठाया जा सकता है। पूर्वांचल में 40 फोरम का गठन होना है, इसमें 25 का गठन हो चुका है।

खास यह है कि जनसुनवाई में आज सभी विद्युत निगम के एमडी सहित बड़ी संख्या में उपभोक्ता परिषद के पदाधिकारी और विद्युत कंपनियों के अधिकारी सहित आयोग के सदस्य संजय कुमार सिंह, निगम के मुख्य अभियंता अरविंद कुमार सिंघल मौजूद रहे। सबसे पहले बिजली कंपनियों ने आंकड़ों के साथ अपना पक्ष रखा और ऐसा माहौल बनाने की कोशिश की जिससे बिजली की कोई समस्या ही नहीं हैं। इस दौरान बिजली कंपनियों ने 2022-23 के लिए वार्षिक राजस्व आवश्यकता में 6,787 करोड़ रुपये दिखाए हैं. इसके अलावा स्लैब परिवर्तन की अपील की है. अगर स्लैब परिवर्तन को अनुमति मिलती है तो घरेलू बिजली उपभोक्ताओं पर हर महीने 25 से 200 रुपये तक का भार पड़ेगा. वहीं, कमर्शियल उपभोक्ताओं को 180 से 1090 रुपये महीने अतिरिक्त भुगतान करना पड़ेगा. इससे पहले दो बार नियामक आयोग से इस प्रस्ताव को हरी झंडी नहीं मिली लेकिन एक बार फिर बिजली कंपनिया ये प्रस्ताव ले आई हैं. पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड प्रबंध निदेशक शंभू कुमार ने कहा कि कैंपाकोला प्लांट का बिजली कनेक्शन बड़े भार का है। इसके तहत उन्हें उपकेंद्र भी बनाना है और लाइन भी खींचनी है। प्लांट तक लाइन ले जाने के रास्ते में रेलवे लाइन रही है। संबंधित कंपनी द्वारा रेलवे से एनओसी नहीं लाने के कारण कनेक्शन देने में देरी हो रही है।

जनसुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने उपभोक्ताओं की समस्या को लेकर अधिकारियों को अवगत कराया। साथ ही उपभोक्ताओं की समस्या पर विस्तार से अपनी बातो को रखा। उन्होंने कहा की बिजली कम्पनियां भ्रामक और फर्जी आंकड़े रख रही हैं. उन्होंने कहा की अभी तो पब्लिक का 22045 करोड़ बिजली कंपनियों के ऊपर बकाया है. इस हिसाब से बिजली की दरें कम होनी चाहिए. उपभोक्ता परिषद ने अगले 5 साल तक बिजली दरों में प्रतिवर्ष 7 फीसदी कमी की मांग उठाई है. उपभोक्ता परिषद् ने स्लैब परिवर्तन के प्रस्ताव को भी गलत बताया है. परिषद ने कहा की जनसुनवाई से पहले इसकी जानकारी सार्वजानिक कर चोर दरवाजे से अपील की गई है.

वर्मा ने आयोग के अध्यक्ष से बताया कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में उपभोक्ताओं के हितों की अनदेखी ठीक नहीं है। निगम में केवल सितंबर में 470 मेगावाट और मार्च में 892 मेगावाट विद्युत उपभोक्ताओं का भार बिना नोटिस के बढ़ाया गया है, जो नियमों के विपरीत है। संविदा कर्मियों को समान काम-समान वेतन नहीं मिल रहा है। मीटर रीडरों का 13 करोड़ रुपया बकाया है, ईपीएफ भी नहीं मिल रहा है। ठोस कार्रवाई होनी चाहिए। पूर्वांचल में साल में 1220 करोड़ की बिजली चोरी होती है। साल दर साल ट्रांसफॉर्मर जल रहे हैं। विद्युत वितरण निगमों में लगभग 33,122 करोड़ रुपये का बकाया ( सर प्लस) है। इसे उपभोक्ताओं को लौटाया जाए। निगम एक साथ 40 फीसदी बिजली दर में कमी करे या पांच वर्ष तक कुछ दरें कम कर बकाया लौटाए।

उन्होंने कहा कि अगर बिजली उपभोक्ता किसी सेवा या उपकरण के लिए कीमत चुकाते हैं और उन्हें तय समय पर सेवा नहीं मिलती तो मुआवजे के हकदार हैं। इसके साथ ही विद्युत समस्या दूर होने पर भी उपभोक्ता बिजली कंपनियों से मुआवजा ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग के निर्देश पर पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन ने प्रदेश में बीते वर्ष मुआवजा संबंधी कानून लागू किया है। विद्युत मुआवजा संबंधी कानून के मुताबिक अगर घर की बिजली घंटों गायब रहती है और तय समय में नहीं आती है, तो उपभोक्ता मुआवजा ले सकते हैं। मुआवजा तभी मिलेगा जब उपभोक्ता विद्युत समस्या के लिए कस्टमर केयर सेंटर के टोल फ्री नंबर 1912 पर शिकायत दर्ज कराएगा। समय से समस्या दूर नहीं होने पर उपभोक्ता को टोल फ्री नंबर के जरिए मुआवजे की मांग भी करनी होगी। इसके लिए केस्को में सर्किल लेवल पर कन्ज्यूमर र्ग्रीवांस एंड रिड्रेसल फोरम (सीजीआरएफ) गठित की गई है। इसमें उपभोक्ता प्रशासनिक अधिकारी शामिल किए गए हैं।

पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में पूर्वांचल के उपभोक्ताओं की उत्पीड़न अक्षम्य है। प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते मैं वाराणसी इसीलिए आया था कि प्रदेश की जनता के साथ जो अन्याय हो रहा है वह नहीं होना चाहिए। प्रदेश की जनता का बिजली कंपनियों पर लागू 25133 करोड रुपए सरप्लस निकल रहा है। ऐसे में बिजली दर में बढ़ोतरी की बात नही होना चाहिए, बल्कि घटोतरी की बात होनी चाहिए। जहां तक प्रदेश की जनता का हिसाब बराबर करने का सवाल है तो बिजली दर कम करके बिजली कंपनिया आगे कार्यवाही करे। तब जाकर प्रदेश की जनता का हिसाब बराबर होगा और पूर्वांचल विद्युत वितरण में लगभग करोड़ों की चोरी प्रत्येक माह हो रही है, इस पर रोक लगाना चाहिए। स्मार्ट मीटर में जिस तरह से गोलमाल हो रहा है उस पर प्रतिबंध लगना चाहिए। प्रदेश की जनता के साथ बिजली विभाग को न्याय करना चाहिए। ऐसे में विद्युत नियामक आयोग निवेदन किया गया है कि जनता की बिजली दरों में कमी करके एक अच्छा बिजली टैरिफ पेश करें।

अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि बिजली दरों में किसी भी कीमत पर बढ़ोतरी नहीं होने दी जाएगी। बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं का 33,122 करोड़ रुपये बकाया है। इसलिए नियमानुसार बिजली की दरों में बढ़ोतरी नहीं की जा सकती है। उन्होंने कहा कि 2024- 25 में 11,203 करोड रुपये का घाटा बिजली कंपनियों को हुआ है। इसी वजह से कंपनियां बिजली की दरों में बढ़ोतरी करने की कोशिश में हैं। बिजली कंपनियों के पास उपभोक्ताओं की बकाया राशि के चलते बिजली की दरों में बढ़ोतरी रेगुलेटरी फ्रेमवर्क का उल्लंघन है। अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि बिजली अभियंताओं को ऐसा लग रह है कि अगर किसी विद्युत उपभोक्ता के घर में एयर कंडीशन लगा है तो वह वाई-फाई से बिजली खींच लेगा? ऐसे तकनीकी अभियंताओं के भरोसे अगर बिजली विभाग रहेगा तो उपभोक्ता उत्पीड़न का शिकार होते रहेंगे. वास्तव में मीटर रीडर गड़बड़ कर रहे हैं तो उन पर कार्रवाई होनी चाहिए. बिजली चोरी पकड़ने के लिए विजिलेंस विंग सहित भारी फौज है, वह उपभोक्ताओं के परिसर पर कोई भी कार्रवाई करें किसी का कोई विरोध नहीं. लेकिन इस प्रकार की कार्रवाई का विरोध होना स्वाभाविक है. क्योंकि इस प्रकार की कार्रवाई से प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का शोषण होना तय है.

उपभोक्ताओं ने रखी समस्याओं का पुलिंदा

मिर्जापुर से आए एक उपभोक्ता ने घर बंद रहने के बाद भी हर महीने तीन हजार रुपये के बिल को भेजने की बात कही। कहा कि अधिकारियों से गुहार के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई। आदमपुर निवासी उपभोक्ता ने कहा कि बिल की गड़बड़ी सुधारने के लिए उपकेंद्र के चक्कर लगा चुका हूं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। बुनकर नेता इदरीस अंसारी ने बुनकरों को बिजली मिलने, समस्याओं की अनदेखी सहित अन्य बातें प्रमुखता से रखीं। किसान अश्विनी सिंह ने हर माह बिजली के बिल में अंतर की बात कही।  रामनगर इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के अध्यक्ष दयाशंकर मिश्र ने बताया कि विद्युत दर बढ़ाने से पहले आयोग को उद्यमियों की समस्याओं का निस्तारण करने की जरूरत है। नया कनेक्शन लेने से लेकर लोड बढ़वाने, घटवाने के लिए चक्कर काटना मजबूरी है। ऑनलाइन प्रक्रिया भी जटिल है, इसे सरल बनाने की जरूरत है। विद्युत का अधिक उपभोग करने वाले उपभोक्ताओं की दरों को कम रखने पर विचार करना होगा। करखियांव एग्रो पार्क में प्रोजेक्ट लगाने वाले उद्यमी राजेश अग्रवाल ने कहा कि 300 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट लगाने के लिए दिसंबर 2023 में 2950 केवीए के कनेक्शन के लिए आवेदन किया। दो करोड़ रुपये भी विभाग में नियमानुसार जमा किए। पोल लगा और तार भी खींचा गया, लेकिन अब तक बिजली का कनेक्शन नहीं मिल सका। इस वजह से उद्योग को चालू नहीं कर पा रहे हैं। इन सब मांगों की एक प्रति भी आयोग के अध्यक्ष को दी है। स्मॉल इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के महासचिव नीरज पारिख ने बताया कि एक सदस्य ने बिजली कनेक्शन 2020 में कटवा दिया है। 288000 रुपये सिक्योरिटी भी जमा थी लेकिन चार साल का समय होने पर पैसे नहीं मिले। एक दो बार नहीं बल्कि कई बार आवाज उठाया गया। इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के डिवीजनल चेयरमैन अनुपम देवा ने भी उद्योगों को चलाने के लिए विद्युत आपूर्ति की व्यवस्था में सुधार लाने, कनेक्शन कटवाने के की व्यवस्था में बदलाव, सोलर पैनल लगवाने वालों को लाभ दिलाने सहित अन्य मांगों को रखा।

नहीं मिल रहा कनेक्शन, निवेश से पीछे हटी कंपनी

आयोग के समक्ष प्रमुख उद्यमी बीडी वेंचर के प्रबंध निदेशक राजेश अग्रवाल ने बिजली विभाग के रवैये को लेकर कड़ा विरोध जताया। कहा, बिजली अधिकारियों ने काशी ही नहीं, पूरे प्रदेश की छवि को नुकसान पहुंचाया है। यही कारण है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज वाराणसी में 1000 करोड़ रुपये के निवेश से पीछे हट गया है। राजेश अग्रवाल ने बताया कि उन्होंने मुकेश अंबानी के साथ मिलकर करखियांव में लगभग 250 करोड़ रुपये की लागत से कैंपाकोला का प्लांट स्थापित किया है। करीब एक करोड़ रुपये बिजली विभाग को बिल का भुगतान होता। लेकिन बिजली कनेक्शन नहीं मिल पाने से प्लांट शुरू नहीं हो सका। प्लांट पर हमने बैंक से लोन लिया है, जिसका ब्याज दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि रिलायंस इंडस्ट्रीज की काशी में 1000 करोड़ रुपये से अधिक निवेश की योजना थी। लेकिन अब उन्होंने निवेश के इस फैसले को रद कर दिया है।

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