नाम आंखों से बप्पा को किया विदा
गणपति बप्पा मोरया... के जयघोष से गूंजा शहर
सुरेश गांधी
वाराणसी. जिस श्रद्धा भक्ति से भगवान गणेश की स्थापना भक्तों ने की थी, उसी तरह बप्पा को विदा भी किया. अनंत चतुर्दशी पर 10 दिनी गणेशोत्सव का समापन हुआ. शहर में हर जगह गणपति बप्पा मोरिया, अगले बरस तू जल्दी आ...जल्दी आ तू जल्दी आ, अगले बरस तू जल्दी आ..गणपति बप्पा मोरया....का जयघोष गूंजते रहे. चाहे वो घर हो या फिर प्राइवेट संस्थान, कॉलेज हो या फिर यूनिवर्सिटी चारों तरफ गणपति बप्पा के जयकारे लगे. भगवान गणेश को भोग लगाने और आरती के बाद उन्हें श्रद्धा पूर्वक विसर्जित किया गया.
10 दिन तक सुबह शाम भगवान गणेश की आराधना हर गली-मोहल्ले में हुई. महा आरती, 56 भोग और सांस्कृतिक आयोजन भी हुए. ऐसे में आखिरी दिन लोगों ने नाम आंखों से बप्पा को विदाई दी. शहर में सुबह से ही ढोल, डीजे की धुन सुनाई देने लगी. वाहनों और हाथ में गजानन को विदा करते हुए लोगों की आवाजाही होती रही. पंडालो में हवन के बाद धूमधाम से चल समारोह के साथ गणपति को विदा किया गया.. रास्ते भर युवक या रास्ते भर युवाओं की टोली ढोलक की थाप पर नाचते गाते चल रहे थे इस दौरान रंग गुलाल भी उड़ाया गया.
बप्पा की विदाई का दृश्य बड़ा मनमोहक होता है. गणेश विसर्जन पर भक्त नाचते गाते गणपति को विदा करते हैं और उनकी प्रतिमा को पवित्र नदियों में विसर्जित कर देते हैं. जाते-जाते गणेश भगवान अपने भक्तों की सारी मुरादें भी पूरी कर जाते हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, श्रीवेद व्यास ने गणेश चतुर्थी से श्रीगणेश को महाभारत कथा लगातार दस दिन तक सुनाई थी. दस दिन बाद जब वेद व्यास जी ने आंखें खोलीं तो पाया कि दस दिन की मेहनत के बाद गणेश जी का तापमान बहुत बढ़ गया है. ऐसे में वेद व्यास जी ने तुरंत गणेश जी को निकट के सरोवर में ले जाकर ठंडे पानी से स्नान कराया था. कहते हैं कि इसीलिए गणेश स्थापना कर चतुर्दशी को उनको शीतल किया जाता है.
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