आंवला नवमी : संतान की दीर्घायु के लिए रखा व्रत
गंगा में
डूबकी
लगाने
के
बाद
मंदिरों
में
दर्शन-पूजन
श्री काशी
विश्वनाथ
मंदिर
में
किया
गया
विशिष्ट
अनुष्ठान
कपाट बंद
होने
तक
लगभग
ढाई
2 लाख
श्रद्धालुओं
ने
मंदिर
में
दर्शन
किया
सुरेश गांधी
वाराणसी। कार्तिक मास के शुक्ल
पक्ष की नवमी रविवार
को आंवला नवमी के रुप
में मनाया गया। इस मौके
पर महिलाओ ने परिवार की
सुख-समृद्धि एवं संतान की
दीर्घायु के लिए व्रत
रखा व आंवले के
पेड़ सहित भगवान विष्णु
संग मां लक्ष्मी जी
की पूजा-अर्चना की।
महिलाओं ने आंवले के
पेड़ के तने को
जल व कच्चा दूध
चढ़कर हल्दी व रौली लगायी।
कच्चा सूत और मौली
बांधकर आठ परिक्रमा की
और कथा भी सुनी।
इस मौके पर
श्री काशी विश्वनाथ धाम
में भगवान महादेव की विशेष पूजा
आयोजित की गई। मध्यान्ह
भोग आरती में विशेष
रूप से आवला निर्मित
भोग अर्पित किया गया। साथ
ही श्री काशी विश्वनाथ
मंदिर न्यास के प्रबंधन में
संचालित बेनीपुर, सारनाथ स्थित श्री संकट हरण
हनुमान मंदिर में भी विशेष
आयोजन संपन्न हुए। श्री संकट
हरण मंदिर में मातृशक्ति स्वरूप
माताओं द्वारा आवला वृक्ष के
नीचे विधिवत पूजा-अर्चना कर
भोग तैयार किया गया। इस
अवसर पर बहुत बड़ी
संख्या में श्रद्धालुओं ने
श्री विश्वेश्वर महादेव के साथ ही
साथ धाम स्थित वैष्णव
विग्रह श्री सत्यनारायण जी,
बद्री नारायण भगवान, बैकुंठ जी और ललिता
घाट स्थित पद्मनाभ विष्णु भगवान के भी दर्शन
किए। प्रातः काल से ही
अभूतपूर्व संख्या में श्रद्धालुओं का
क्रम बना रहा। सायं
6 बजे तक लगभग 2 लाख
श्रद्धालुओं ने मंदिर में
दर्शन का पुण्यलाभ प्राप्त
किया है।
अक्षय नवमी का पर्व
विशेष रूप से ऊर्जा,
समृद्धि और सुख-शांति
के प्रतीक के रूप में
मनाया जाता है। यह
दिन विशेष रूप से भगवान
विष्णु और देवी लक्ष्मी
की पूजा का दिन
माना जाता है। सनातन
धर्म में अक्षय नवमी
पर्व का अत्यधिक महत्व
है, और इसे अत्यंत
श्रद्धा भाव से मनाया
जाता है। आवला, जिसे
आयुर्वेद में अमृत समान
माना जाता है, इस
दिन विशेष रूप से भगवान
के भोग के रूप
में अर्पित किया गया। आवला
स्वास्थ्य, समृद्धि, और ज्ञान का
प्रतीक है। श्री काशी
विश्वनाथ मंदिर न्यास ने इस अवसर
पर बाबा विश्वनाथ के
चरणों में आवला अर्पित
कर देशवासियों के सुख-समृद्धि
की कामना की। भगवान विश्वेश्वर
की भोग आरती में
आंवला भोग के अतिरिक्त
भगवान अविमुक्तेश्वर के महारुद्राभिषेक एवं
आंवला प्रसादम के साथ आरती
भी संपन्न की गई। महारुद्राभिषेक
में यजमान की भूमिका में
मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण सहित अन्य
श्रद्धालुजन एवं महानिर्वाणी अखाड़ा
से पधारे संतजन भी उपस्थित रहे।
न्यास द्वारा संकल्पित समस्त सनातन पर्व एवं समारोह
मनाने के अभियान के
अंतर्गत आज का आयोजन
भी एक नवाचार के
रूप में सम्मिलित किया
गया है। अक्षय नवमी
के पर्व पर आँवले
के वृक्ष के नीचे भोजन
करने का भी विधान
है।
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