Thursday, 5 December 2024

अद्भूत, अकल्पनीय व अविश्वसनीय है 7 मंजिला स्वर्वेद महामंदिर

अद्भूत, अकल्पनीय अविश्वसनीय है 7 मंजिला स्वर्वेद महामंदिर 

धर्म, आध्यात्म संस्कृति के साथ-साथ आस्था की नगरी काशी के उमरहां में निर्मित स्वर्वेद महामंदिर अपने आप में अनोखा है। यह मंदिर शिल्प और अत्याधुनिक तकनीक के अदभुत सामंजस्य का प्रतीक है। स्वर्वेद मंदिर का नाम स्वः और वेद से जुड़कर बना है. स्वः का एक अर्थ है आत्मा या परमात्मा, वेद का अर्थ है ज्ञान. आत्मा का ज्ञान जिसके जरिए हो वही स्वर्वेद कहा जाता है. इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता है कि यहां पर भगवान की नहीं, योग- साधना की पूजा होगी. इस वर्ष मंदिर में विहंगम योग संत समाज का दो दिपसीय शताब्दी समारोह 6 एवं 7 दिसंबर को होगा। इस दौरान 25 हजार कुंडीय स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ होगा. इसकी सुंदरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है, जो पर्यटक काशी आता है, वह स्वर्वेद मंदिर मत्था टेकने जरुर जाता है। 64 हजार वर्ग फीट में बने सात मंजिला महामंदिर के दीवारों पर 4000 स्वर्वेद के दोहे अंकित हैं। मंदिर का मुख्य गुंबद 125 पंखुड़ियों के विशालकाय कमल पुष्प की तरह है। स्वर्वेद महामंदिर को देश का सबसे बड़ा मेडिटेशन सेंटर भी माना जा रहा है। जहां एक साथ 20 हजार लोग बैठकर योग और ध्यान कर सकते हैं.  

सुरेश गांधी

विहंगम योग के प्रणेता सद्गुरु सदाफल देव महाराज द्वारा समाधिजन्य अवस्था में रचित स्वर्वेद की नींव पर खड़े स्वर्वेद महामंदिर धाम की ज्ञान गंगा में गोता लगाने श्रद्धालुओं का हर रोज जमघट हो रहा है। या यूं कहे यहां श्रद्धा अविरल प्रवाह दिखाई दे रहा है। वाराणसी, मिर्जापुर, चंदौली, जौनपुर सहित पूरे पूर्वांचल यूपी के साथ ही बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, राजस्थान, पश्चम बंगाल, असम, महाराष्ट्र समेत कई प्रांतों से श्रद्धालु रुपी पर्यटकों का जमावड़ा हो रहा हैं। बड़ी संख्या में जर्मनी, फ्रांस, अमेरिका, सिंगापुर, दुबई, दक्षिण अफ्रीका समेत कई देशों के विदेशी पर्यटक विहंगम योग साधकों का आना लगा रहता है। धीरे धीरे ही सही इस मंदिर की महत्ता भव्यता लोगों के आकर्षण का केन्द्र बनता जा रहा है। 

इसकी सुंदरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है, जो पर्यटक काशी आता है, वह स्वर्वेद मंदिर मत्था टेकने जरुर जाता है। 64 हजार वर्ग फीट में बने सात मंजिला महामंदिर के दीवारों पर 4000 स्वर्वेद के दोहे अंकित हैं। मंदिर का मुख्य गुंबद 125 पंखुड़ियों के विशालकाय कमल पुष्प की तरह है। स्वर्वेद महामंदिर को देश का सबसे बड़ा मेडिटेशन सेंटर भी माना जा रहा है। जहां एक साथ 20 हजार लोग बैठकर योग और ध्यान कर सकते हैं. महामंदिर परिसर में 100 फीट ऊंची सद्गुरुदेव की सैंड स्टोन की प्रतिमा भी स्थापित है। विहंगम योग के जरिये नशा मुक्ति की राह प्रशस्त करने वाले आध्यात्मिक अभियान में हर वर्ष लाखों लोग जुड़ रहे हैं। महामंदिर को खूबसूरत बनाने के साथ ही वास्तुशिल्प का भी पूरा ध्यान रखा गया है। पूर्व दिशा में प्रवाहित नहर जल राशि के रूप में स्थापित है.
इस वर्ष मंदिर में विहंगम योग संत समाज का दो दिपसीय शताब्दी समारोह 6 एवं 7 दिसंबर को होगा। इस दौरान 25 हजार कुंडीय स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ होगा। महायज्ञ में देश-विदेश से आए श्रद्धालु स्वर्वेद महामंत्रों के बीच संकल्पों संग आहुति देंगे। शुभारंभ 6 दिसंबर को सुबह आठ बजे सद्गुरु स्वतंत्र देव महाराज संत प्रवर विज्ञान देव महाराजअंकित श्वेत ध्वज फहरा कर करेंगे। अनुयायियों को अमृत वाणी का श्रवण कराएंगे तो लोक संस्कृति का मिलन भी होगा। विहंगम योग संत समाज के शताब्दी समारोह की तैयारियां जोरों पर हैं। शताब्दी समारोह में बतौर मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सात दिसंबर को आएंगे। मुख्यमंत्री इसी दिन संत प्रवर विज्ञान देव महाराज के निर्देशन में संचालित सद्गुरु सदाफल देव आप्त वैदिक गुरुकुलम के नवविस्तार का उद्घाटन भी करेंगे। इसमें 300 विद्यार्थियों के लिए निशुल्क आवासीय व्यवस्था है। यहां वैदिक और आध्यात्मिक शिक्षा के साथ आधुनिक तकनीक, खेलकूद, और मलखंभ जैसे विषयों का भी प्रशिक्षण दिया जाता है। मंदिर आयोजकों की मानें तो भक्तों को ठहरने के लिये 4 लाख स्क्वायर फीट में वाटर प्रूफ पंडाल की व्यवस्था की गई है। भंडारे के लिए सात बड़े भोजनालय तथा छह कैंटीन की व्यवस्था की गई है। संपूर्ण महामंदिर परिसर पर आकर्षक रूप से सजाया गया है। 

स्वर्वेद महामंदिर का परिसर 200 एकड़ में फैला है. मंदिर को पूरी तरह कमल के फूल की तरह डिजाइन किया गया है. इस मंदिर का निर्माण विहंगम योग संत समाज ने किया है. पिछले वर्ष 17 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वर्वेद महामंदिर का उद्घाटन किया था। प्रधानमंत्री इसके पहले दिसंबर 2021 में यहां पहुंचे थे। विहंगम योग का वार्षिक समागम 19वीं सदी के रहस्यवादी कवि, द्रष्टा और आध्यात्मिक मार्गदर्शक सद्गुरु सदाफल देवजी महाराज द्वारा सौ साल पहले विहंगम योग संस्थान की स्थापना की याद में मनाया जाता है। महामंदिर में पूज्य द्रष्टा की मूर्ति है। सात मंजिला मंदिर में 20,000 बैठने की जगह है, जो 3,00,000 वर्ग फीट में फैला हुआ है, जो इसके शानदार 125 पंखुड़ियों वाले कमल के गुंबद के डिज़ाइन का हिस्सा है। वाराणसी शहर के केंद्र से लगभग 12 किमी दूर, उमराहा क्षेत्र में स्थित, यह मंदिर आध्यात्मिकता और आधुनिक वास्तुकला का एक मिश्रण है, जिसमें मकराना संगमरमर पर 3,137 स्वर्वेद छंद उकेरे गए हैं। मंदिर की दीवारें गुलाबी बलुआ पत्थर से सजी हैं, लेकिन इसमें औषधीय जड़ी-बूटियों वाला एक सुंदर बगीचा भी है। स्वर्वेद महामंदिर की वास्तुकला में 101 फव्वारे, जटिल नक्काशीदार दरवाजे और सागौन की लकड़ी की छतें शामिल हैं। 2004 में शुरू हुए इस मंदिर के निर्माण में 600 श्रमिकों और 15 इंजीनियरों के संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता थी। मंदिर की वेबसाइट के अनुसार, विहंगम योग के संस्थापक सदाफल देवजी महाराज ने स्वर्वेद की रचना की थी, जो एक ऐसा ग्रंथ है जिसे स्वर्वेद महामंदिर समर्पित करता है। वेबसाइट पर कहा गया है, “महामंदिर का उद्देश्य मानव जाति को अपनी शानदार आध्यात्मिक आभा से प्रकाशित करना और दुनिया को शांतिपूर्ण सतर्कता की स्थिति में ले जाना है।  

प्रधानमंत्री मोदी ने स्वर्वेद महामंदिर को भारत की सामाजिक और आध्यात्मिक क्षमताओं का आधुनिक प्रतीक बताया है। मोदी ने कहा है यह भारत की सामाजिक और आध्यात्मिक शक्ति का आधुनिक प्रतीक है। विश्व में विहंगम योग और ध्यान के सबसे बड़े केंद्रों में से एक माना जाने वाला स्वर्वेद महामंदिर एक 7-स्तरीय अधिरचना है, मंदिर में मकराना संगमरमर पर 3,137 स्वर्वेद छंद उत्कीर्ण हैं। यह मंदिर वाराणसी और गाजीपुर हाईवे के बीच उमरहा में स्थित है। जब वाराणसी से गाजीपुर की तरफ बस के जरिए जाते हैं तो बाएं हाथ की तरफ खुले इलाके में विशालकाय मंदिर दिखने लगता है। बता दें, विश्वभर में संत सदाफल महाराज के ऐसे दर्जनों आश्रम मौजूद हैं। लेकिन वाराणसी स्थित स्वर्वेद मंदिर सबसे बड़ा आश्रम है। करीब 20 वर्षों से इस आश्रम का निर्माण जारी है। मकराना मार्बल से बने इस मंदिर की चर्चा अब हर तरफ होने लगी है। यह मंदिर अपने आप में बेहद खास है। खास यह है कि इस मंदिर में किसी भी भगवान की मूर्ति या प्रतिमा स्थापित नहीं की गई है। यहां केवल ब्रह्म की प्राप्ति की शिक्षा दी जाती है।

मंदिर में संत सदाफल महाराज की 135 फीट ऊंची प्रतिमा भी स्थापित की गई है। स्वर्वेद मंदिर अपनी खास भव्यता को लेकर चर्चा में है, क्योंकि इस मंदिर का भव्य निर्माण किया गया है. इस मंदिर का नाम है स्वर्वेद. स्वर्वेद दो शब्दों से मिलकर बना है स्वः और वेद. स्वः का एक अर्थ है आत्मा, वेद का अर्थ है ज्ञान. स्वः का दूसरा अर्थ है परमात्मा, वेद का अर्थ है ज्ञान. जिसके द्वारा आत्मा का ज्ञान प्राप्त किया जाता है, जिसके द्वारा स्वयं का ज्ञान प्राप्त किया जाता है, उसे ही स्वर्वेद कहते हैं. इस मंदिर में किसी विशेष भगवान की पूजा के बजाय मेडिटेशन किया जाता है और यह एक मेडिटेशन स्थल है

स्वर्वेद महामंदिर आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. यहां के अनुयायी भारत के करीब सभी राज्यों एवं विदेशों में भी हैं. विहंगम योग का वार्षिक समागम 19वीं सदी के आध्यात्मिक नेता, रहस्यवादी कवि और द्रष्टा सद्गुरु सदाफल देवजी महाराज द्वारा विहंगम योग संस्थान की स्थापना की 100वीं वर्षगांठ का प्रतीक है। महामंदिर में पूज्य द्रष्टा की मूर्ति है। सद्गुरु आचार्य स्वतंत्र देव और संत प्रवर विज्ञान देव ने 2004 में इस विशाल ध्यान केंद्र की नींव रखी थी। इसके निर्माण में 15 इंजीनियरों और 600 श्रमिकों ने काम किया है। महामंदिर का नाम स्वर्वेद के नाम पर रखा गया है, जो सद्गुरु श्री सदाफल देवजी महाराज द्वारा लिखित एक आध्यात्मिक ग्रंथ है, जो एक शाश्वत योगी और विहंगम योग के संस्थापक हैं। इस महामंदिर में सामाजिक कुरीतियों और सामाजिक बुराइयों का उन्मूलन शामिल है। इसको ग्रामीण भारत की भलाई के लिए अनेक सामाजिक-सांस्कृतिक परियोजनाओं का केंद्र भी बनाया गया है। यज्ञ व्यवस्था को सुव्यवस्थित करने के लिए यज्ञ के दौरान ढाई हजार कार्यकर्ता अपनी सेवा प्रदान करेंगे. महायज्ञ में आश्रम द्वारा संचालित वैदिक गुरुकुल से प्रशिक्षित कुल 108 पुरोहित मंत्रोच्चार करेंगे. अस्थायी नगरों के नाम गंगा, यमुना, सरस्वती, नर्मदा, गोदावरी, ब्रह्मपुत्रा के साथ ही काशी के सप्तऋषियों के नाम पर रखे जाएंगे.

20 लाख स्क्वायर फीट में फैले हुए 25 हजार कुंडीय स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ में 108 ब्लॉक बनाए जा रहे हैं. इन ब्लॉक का नाम प्राचीनतम मंत्र द्रष्टा ऋषियों और ऋषिकाओं के नाम पर होंगे. इसमें हर ब्लॉक में 232 कुंड होंगे. महायज्ञ में आने वाले भक्तों को भारत की विभिन्न संस्कृतियों के अनुसार सात्विक भोजन उपलब्ध होगा. सुगमता से भोजन प्रसाद के इंतजाम के लिए 12 भोजनालय बनाए जा रहे हैं. इसमें प्रत्येक में बीस-बीस काउंटर होंगे. साथ ही छह सांस्कृतिक भोजनालय भी बनाए जा रहे हैं जिसमें अलग-अलग राज्यों के अनुसार व्यंजन तैयार किए जाएंगे. पुलिस प्रशासन के साथ ही साथ विहंगम सुरक्षा बल के भी पांच सौ पुरुष और दो सौ महिलाएं सेवा प्रदान करेंगी. जन सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए कुल 45 सौ शौचालयों की व्यवस्था की गई है. पांच किलोमीटर में विस्तृत संपूर्ण परिसर में अशक्त एवं वृद्धजनों की सुगमता के लिए कुल 50 रिक्शा निशुल्क संचालित रहेंगे.

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