Monday, 9 December 2024

भव्य एवं दिव्य होगी श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर की तीसरी वर्षगांठ

भव्य एवं दिव्य होगी श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर की तीसरी वर्षगांठ 

10 से 13 दिसंबर तक होंगे विभिन्न आयोजन

महारूद्र पाठ सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति में नामी-गिरामी कलाकार करेंगे महादेव की आराधना 

सुरेश गांधी

वाराणसी। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के उद्घाटन के तीसरी वर्षगांठ को मंदिर प्रबंधन धूमधाम से मनाने की तैयारी की है। इस दौरान 10 से 13 दिसंबर तक महारूद्र पाठ सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति के जरिए नामी-गिरामी कलाकार महादेव की आराधना करेंगे। बता दें, मार्गशीर्ष माह की दशमी तिथि को मंदिर का भव्य उद्घाटन हुआ था।

मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्वभूषण मिश्रा ने बताया कि धाम में महा रुद्र पाठ के साथ ही देव विग्रहों के अभिषेक किए जाएंगे। सनातन विजय की कामना से वैदिक विधि से संपन्न कराया जाएगा। अनुष्ठान पूजापाठ का कार्यक्रम मंगलवार से शुरू होगा। उन्होंने कहा कि यह तीसरी वर्षगांठ है और भगवान शिव तीन पत्र वाला बेल पत्र भी अर्पित किया जाता है। भगवान को त्रिपुण्ड भी लगाया जाता है, वे तीनों लोगों के स्वामी भी हैं। परमशिव यानी ब्रह्मा, विष्णु और शिव के रूप में वे ही खुद को प्रकट करते हैं। इसके साथ ही पूर्व, वर्तमान और भूतकाल के जन्म के पापों से भी भगवान शिवि मुक्ति दिलाते हैं। 

सीईओ विश्वभूषण ने बताया कि 13 दिसंबर को श्री काशी विश्वनाथ धाम के नवीनीकृत कॉरिडोर परिसर के निर्माण का तीन वर्ष पूर्ण हो रहा है। विक्रम संवत के अनुसार स्थापना की तिथि मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को स्थापना की वर्षगांठ पूर्ण होती है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि दिनांक 10 दिसंबर को पड़ेगी। 

ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार 13 दिसंबर 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्री काशी विश्वनाथ विशिष्ट क्षेत्र विकास परिषद के नवीनीकृत परिसर का लोकार्पण किया था। कार्यक्रमों की शृंखला 10 दिसंबर से शुरू हो जाएगी। बता दें, 13 दिसंबर 2021 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने श्री काशी विश्वनाथ विशिष्ट क्षेत्र विकास परिषदके नवीनीकृत परिसर का लोकार्पण किया था। कारिडोर की इस बार तीसरी वर्षगांठ है। इसके उपलक्ष्य में कार्यक्रमों की श्रृंखला मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि यानी 10 दिसंबर से ही प्रारंभ हो जाएगी। पहले दिन 

पंचमुखी हनुमान जी मंदिर (ढुंढिराज गणेश के सन्निकट) में विशिष्ट शास्त्रीय पूजन के साथ ही सप्तचिरन्जीवियों का आह्वान पूजन संपन्न किया जाएगा। इस शास्त्रीय आयोजन में आचार्य विश्वेश्वर शास्त्री द्राविड़ होंगे। यजमान की भूमिका श्री कशी विश्वनाथ मंदिर न्यास की ओर से संपन्न की जाएगी। 12 दिसंबर से महा रूद्र पाठ का आयोजन किया जाएगा। 13 दिसंबर को श्री काशी विश्वनाथ धाम में स्थित समस्त देव विग्रह का अभिषेक प्रातः काल शास्त्रों में वर्णित विधि से संपन्न किया जाएगा। दोपहर 100 बजे वैदिक यज्ञजयादी होमका आयोजन सर्व सनातन विजय की कामना के साथ वैदिक विधि से संपन्न किया जाएगा, मंदिर प्रांगण में चतुर्वेद परायण भी प्रारम्भ होगा, जिसे सायंकाल तक संपन्न कर लिया जाएगा। 

प्रातः काल 11 बजे से मंदिर चौक परिसर में मंदिर न्यास के अर्चकों एवं कार्मिकों इत्यादि के लिए निःशुल्क नेत्र परीक्षण एवं लघु उपचार शिविर का आयोजन शंकर नेत्रालय के सहयोग से किया जाएगा। 13 दिसंबर को प्रदोष तिथि भी है अतः नंदी अभिषेक भी संपन्न किया जाएगा। सायंकाल वेला में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शिवार्चनम संध्या का आयोजन मंदिर चौक में अत्यंत भव्यता के साथ किया जाएगा। सांस्कृतिक कार्यक्रमों में काशी के संगीत कलाकार नीरज सिंह, प्रख्यात सितार वादक देवव्रत मिश्र एवं प्रख्यात भजन गायक एवं बॉलीवुड सिंगर अभिजीत घोषाल अपनी प्रस्तुतियों के द्वारा भगवान विश्वनाथ की आराधना करेंगे। बता दें, शिव आराधना में तीन का विशिष्ट महत्व है। महादेव ही आदियोगी हैं। समस्त यौगिक साधनाओं में नाड़ी सिद्धि का विशिष्ट महत्व है। मानव नाड़ियों में अंततः तीन नाड़ियों इड़ा, पिंगला एवं सुषुम्ना की सिद्धि को महायोग कारक माना गया है। समस्त शैव प्रतीक त्रिविध रूपों में इन सिद्धियों के प्रति संकेत करते प्रतीत होते हैं। भगवान शिव के समस्त प्रतीक चिन्ह यथा त्रिशूल, त्रिपुंड, बिल्वदृत्रिपत्र, त्रिदृशिखर सहित त्रिपुरासुर विनाशक के स्वरूप में महादेव की अर्चना की जाती है। शैवागम के अनुसार परमशिव ही स्वयं को त्रिदेव स्वरूप में ब्रह्मा विष्णु महेश के स्वरूप में व्यक्त करते हैं। परमशिव ही तीन लोकों के स्वामी तथा मनुष्य की त्रिविध अवस्थाओं पूर्व जन्म, वर्तमान जन्म तथा भविष्य के जन्म की त्रिविधि मुक्ति कल्याण के देव हैं। तीनों लोकों के पुण्य फलीभूत भी महादेव की कृपा से ही होते हैं। अतः धाम की इस तृतीय वर्षगांठ का महत्व भी विशिष्ट है।

तीन साल में कितनी बदली बाबा विश्वनाथ की काशी

देखा जाएं तो इन तीन वर्षों में काशी विश्वनाथ धाम की भव्यता को दिनों दिन बढ़ते देखा गया है और श्रद्धालुओं की आस्था के साथ-साथ यह भी प्रमुख वजह है कि महीने में यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या करोड़ों में रहती है. साथ ही बाबा को चढ़ाए जाने वाले चढ़ावे में भी रिकॉर्ड बढ़ोतरी देखी जा रही है. सावन माह और महाशिवरात्रि सहित अन्य प्रमुख तिथियों पर काशी विश्वनाथ धाम में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या रोजाना 3 लाख से अधिक होती है. इसके अलावा सावन माह के दौरान तो करोड़ों की संख्या में शिव भक्त बाबा के दरबार में पहुंचते हैं. इसके अलावा बाबा के खज़ाने की बात कर ली जाए तो चढ़ावे में हर वित्तीय वर्ष के आंकड़े बीते वर्षों के आंकड़ों को पीछे छोड़ रहे हैं.

बाबा के धाम की बढ़ी है भव्यता

काशी विश्वनाथ धाम में अलग-अलग त्योहार और प्रमुख तिथियों पर भव्य सजावट सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होता है. इसके अलावा वर्तमान समय में श्रद्धालुओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए सुलभ दर्शन, चिकित्सा सुविधा, मंदिर से संबंधित जानकारी से जुड़ी व्यवस्थाओं को पहले से भी बेहतर बनाया गया है. निश्चित ही भगवान शंकर का सबसे बड़ा दरबार काशी विश्वनाथ मंदिर आज के दौर में आस्था के साथ-साथ धार्मिक पर्यटन का भी बहुत बड़ा केंद्र बन चुका है.

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