शंकराचार्य श्रीश्री विधु शेखर ने अन्नपूर्णा मंदिर में ललिता सहस्त्रनाम द्वारा कुंकुमार्चन संकल्प लिया
पंचगंगा घाट
स्थित
बिंदु
माधव
मंदिर
में
अभिषेक
कर
व
तुलसी
दल
से
किया
लक्षार्चन
केदार घाट
पर
किया
गंगा
स्नान
व
केदारेश्वर
महादेव
की
पूजा
की
सुरेश गांधी
वाराणसी। दक्षिणाम्नाय श्री श्री श्रृंगेरी शारदा पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य श्री श्री विधुशेखर भारती महास्वामी जी ने काशी विजययात्रा के क्रम में शनिवार को प्रथम पूज्य भगवान ढुंढिराज गणपति का पूजन किया।
इस दौरान ढुंढिराज गणपति जयंती के शुभ अवसर पर गणेशअथर्वशीर्ष, सहस्रावर्तन ,अयुत मोदक हवन, दूर्वा, लावा, मोदक आदि से सहस्त्रनामार्चन पंडित तंगिराल सीताराम शर्मा के आचार्यत्व में सम्पन्न हुआ।
तत्पश्चात शंकराचार्य जी के श्री अन्नपूर्णा मठ मंदिर आगमन पर महंत शंकर पुरी महाराज एवं महंत सुभाष पुरी महाराज ने कुंभ देकर शंकराचार्य जी का स्वागत किया। प्रो. पतंजलि मिश्र जी के संयोजन में चारों वेदों के वैदिक विद्वानो ने वैदिक मंगलाचरण किया। अन्नपूर्णा मंदिर से गंगा जी तक शोभायात्रा निकाली गई। तत्पश्चात शंकराचार्य विधु शेखर भारती ने अन्नपूर्णा मठ मंदिर में लोक कल्याणार्थ ललिता सहस्त्रनाम द्वारा कोटि कुंकुमार्चन संकल्प किया। श्री अन्नपूर्णा मठ मंदिर की ओर से रजत स्वागताभिनंदन पत्र शंकराचार्य जी को समर्पित किया गया। जिसका वाचन केंद्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान, सारनाथ के संस्कृत विभाग अध्यक्ष प्रो धर्मदत्त चतुर्वेदी जी ने किया। कार्यक्रम का संचालन काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो रामनारायण द्विवेदी जी ने किया।
इस अवसर पर पी ए मुरली, यज्ञ सुब्रह्मण्यम, प्रो माधव जनार्दन रटाटे, प्रो कमलेश झा, प्रो प्रियव्रत मिश्र, प्रो नारायण भट्टराई, प्रो बृजभूषण ओझा, अनिल किंजवड़ेकर, षडानन पाठक कारखेड़कर, वी एस मणि, गजानन ज्योतकर, प्रदीप पाठक, शेखर द्रविड़, के रमण घनपाठी, शशांक पुराणिक, के वी रमण, अनुपम दीक्षित, मणि झा, ददन पाण्डेय, प तंगीराल शिवकुमार शर्मा तथा बड़ी संख्या में भक्त गण उपस्थित रहे।कार्यक्रम का संचालन चल्ला
अन्नपूर्णा प्रसाद, चल्ला चिंतामणि गणेश ने किया।
इस दौरान चल्ला
जगन्नाथ शास्त्री, चल्ला अभिराम, चल्ला अभिनव, चल्ला विद्याशंकर आदि ने सहयोग
किया। श्रृंगेरी शंकराचार्य श्री श्री विधु
शेखर भारती स्वामी जी का दीक्षा
दिवस भी है। आज
से दस वर्ष पूर्व
शंकराचार्य जी ने संन्यास
दीक्षा ग्रहण की थी। सायंकाल
म महमूरगंज स्थित श्रृंगेरी मठ में शंकराचार्य जी ने चंद्रमौलीश्वर
भगवान की पूजा की
व भक्तों को आशीर्वचन प्रदान
किया।
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