शंकराचार्य श्रृंगेरी मठ श्रीश्री विधु शेखर भारती ने किया बाबा विश्वनाथ का दर्शन पूजन
श्री विश्वेश्वर
महादेव
को
शास्त्रोक्त
पूजन
सामग्री
अर्पित
कर
पूर्ण
विधि
विधान
से
भगवान
विश्वनाथ
का
पूजन-अर्चन
कर
सनातन
जगत
के
कल्याण
की
कामना
की
सुरेश गांधी
वाराणसी। श्रृंगेरी मठ के परम
पूज्य शंकराचार्य जगतगुरु श्री श्री विधु
शेखर भारती जी ने शुक्रवार
को प्रातः मंगला आरती के बाद
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन पूजन
किया। इस दौरान शंकराचार्य
जी ने श्री विश्वेश्वर
महादेव को शास्त्रोक्त पूजन
सामग्री अर्पित कर पूर्ण विधि
विधान से भगवान विश्वनाथ
का पूजन-अर्चन कर
सनातन जगत के कल्याण
की कामना की गई।
जगद्गुरु ने बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के श्री काशी विश्वनाथ धाम पहुंचने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि भक्तों को श्री विश्वनाथ महादेव के धाम में न्यास द्वारा समस्त संभव सुविधा एवं सुरक्षा के प्रयास किए जा रहे हैं और भविष्य में इसे और भी अच्छा किया जाएगा यह विश्वास है।
परम पूज्य शंकराचार्य जी ने श्री काशी विश्वनाथ धाम में अन्य विग्रहों पर भी दर्शन पूजन किया। परमपूज्य शंकराचार्य जी के धाम में आगमन के समय परिसर हर हर महादेव के उद्घोष से गूंजता रहा।मुख्यमंत्री के वर्तमान सलाहकार
(पूर्व आईएएस) अवनीश अवस्थी, नीति आयोग के
अध्यक्ष एन वेंकट रमण,
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर
न्यास के मुख्य कार्यपालक
अधिकारी विश्व भूषण मिश्र एवं
डिप्टी कलेक्टर शंभू शरण ने
जगद्गुरु शंकराचार्य जी का स्वागत
किया। बता दें, परमपूज्य
जगद्गुरु शंकराचार्य श्रृंगेरी मठ श्री काशी
विश्वनाथ मंदिर न्यास के पदेन स्थाई
सदस्य हैं। अतः श्री
काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास द्वारा जगद्गुरु के प्रति स्वाभाविक
सम्मान एवं आदर है।
इसी कारण आदरणीय जगद्गुरु
का भी स्वाभाविक अनुग्रह
न्यास को प्राप्त है।
मां अन्नपूर्णा मंदिर का कुंभाभिषेक
मां अन्नपूर्णा मंदिर
में नौ दिनों का
महानुष्ठान चल रहा है।
शुक्रवार को शुभ मुहूर्त
में कुंभाभिषेक संपन्न हुआ। इस दौरान
शृंगेरी मठ के शंकराचार्य
समेत कई वैदिक विद्वान
शामिल हुए। शुभ मुहूर्त
में शृंगेरी मठ के शंकराचार्य
विधुशेखर भारती ने रजत कलश
से कुंभाभिषेक किया। शंकराचार्य ने पहले मां
अन्नपूर्णा की पूजा- अर्चना
की। इसके बाद पूजन
सामग्री को मंदिर के
शिखर पर ले जाया
गया। जहां शंकराचार्य ने
विधि- विधान से कुंभाभिषेक किया।
काशी में पहली बार
ऐसा हो रहा है
जिसमें चार वेदों, 18 पुराणों
के पारायण के साथ पांच
अनुष्ठान हो रहे हैं।
नौ दिनों तक चलने वाले
इस महानुष्ठान में सात राज्यों
से 1100 से अधिक वैदिक
विद्वान शामिल हैं। खास ये
भी है कि आदि
शंकराचार्य के एक पीठ
के शंकराचार्य भी इसमें शामिल
हैं। मां अन्नपूर्णा को
प्रसन्न करने के लिए
कोटि कुमकुमार्चन, सहस्त्रचंडी यज्ञ, 25 सुहागिनों का पूजन हो
रहा है। इसके साथ
कोटि सहस्त्रार्चन और 10 महाविद्याओं का जप हो
रहा है। उधर, केदारघाट
स्थित शृंगेरी मठ के ही
शाखा में महारुद्र यज्ञ
भी चल रहा है।
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