ट्रंप के 26 फीसदी टैरिफ से कारपेट इंडस्ट्री में भूचाल
भारतीय हस्तनिर्मित
कालीन
उद्योग
पर
आयात
शुल्क
एक
गंभीर
संकट
: संजय
गुप्ता
ब्याज अनुदान
योजना
को
पुनः
बहाल
किया
जाए
अमेरिका में
इक्सपोर्ट
होने
वाले
कालीनों
पर
2.5 से
8 फीसदी
ड्यूटी
है,
जो
नाममात्र
का
है।
ऐसे
में
अगर
ड्यूटी
खत्म
कर
दिया
जाएं
इक्सपोर्ट
में
20 फीसदी
का
इजाफा
हो
सकता
है
: सीईपीसी
चेयरमैन
सुरेश गांधी
वाराणसी। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनिया के कई देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने का ऐलान किया है. अब अमेरिकी बाजारों में जाने वाले भारतीय सामान पर 26 फीसदी का रेसिप्रोकल टैरिफ या इंपोर्ट ड्यूटी लगाने की घोषणा की गई है. ट्रंप के इस फैसले से कारपेट इंडस्ट्री में निर्यातकों की नींद हराम हो गई है। हालांकि निर्यातकों का मानना है कि ये टैरिफ भारतीय कालीन निर्यातकों के लिए चुनौतियां पैदा करेंगे, लेकिन भारत की स्थिति अपने प्रतिस्पर्धी देशों की तुलना में फिर भी बेहतर बनी हुई है. भारत-अमेरिका के बीच प्रस्तावित व्यापार समझौता घरेलू उद्योग को इन टैरिफ के असर से उबरने में मदद करेगा. चीन पर 54 प्रतिशत, वियतनाम पर 46 प्रतिशत, बांग्लादेश पर 37 प्रतिशत और थाईलैंड पर 36 प्रतिशत टैरिफ लगाया गया है.
सीईपीसी के प्रशासनिक सदस्य
संजय गुप्ता का कहना है
कि भारतीय वस्त्रों, विशेष रूप से हस्तनिर्मित
कालीनों पर 26 फीसदी आयात शुल्क लगाए
जाने से भारतीय कालीन
उद्योग पर खास असर
पड़ेगा। उनके मुताबिक लगभग
50 फीसदी भारतीय हस्तनिर्मित कालीनों का निर्यात अमेरिका
में किया जाता है।
ऐसे में इस अतिरिक्त
शुल्क का सीधा असर
भारतीय कालीनों की अमेरिकी बाजार
में बिक्री पर पड़ेगा, जिससे
इस उद्योग से जुड़े लाखों
कारीगरों, बुनकरों और श्रमिकों की
आजीविका संकट में आ
सकती है। भारतीय हस्तनिर्मित
कालीन उद्योग वैश्विक स्तर पर अपनी
गुणवत्ता, डिज़ाइन और शिल्प कौशल
के लिए प्रसिद्ध है।
यह उद्योग न केवल देश
की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान
देता है, बल्कि इससे
जुड़े लगभग 20 लाख कारीगरों और
श्रमिकों की जीविका का
भी मुख्य साधन है।
अमेरिका द्वारा लगाए गए 26 फीसदी
आयात शुल्क के कारण भारतीय
कालीनों की कीमतें बढ़
जाएंगी, जिससे इनकी प्रतिस्पर्धात्मकता कम हो
जाएगी और अमेरिकी खरीदारों
के लिए ये कालीन
महंगे हो जाएंगे। इसका
सीधा प्रभाव निर्यात में गिरावट के
रूप में देखने को
मिलेगा, जिससे उद्योग पर गंभीर संकट
आ सकता है। संजय
गुप्ता ने बताया कि
यह शुल्क न केवल निर्यातकों
और निर्माताओं के लिए नुकसानदायक
है, बल्कि इससे जुड़े कारीगरों
और बुनकरों के लिए भी
एक गंभीर समस्या उत्पन्न करेगा। पहले से ही
कई चुनौतियों का सामना कर
रहा यह उद्योग अब
एक नकदी संकट से
जूझ सकता है, जिससे
श्रमिकों को समय पर
भुगतान करना कठिन हो
जाएगा। इस संकट का
सबसे अधिक प्रभाव छोटे
और मध्यम उद्यमों पर पड़ेगा, जो
पहले से ही कई
प्रकार की वित्तीय कठिनाइयों
का सामना कर रहे हैं।
अगर इस समस्या का
समाधान शीघ्र नहीं निकाला गया,
तो इस उद्योग में
बड़े पैमाने पर नौकरियों पर
खतरा मंडराने लगेगा, जिससे लाखों परिवारों की आजीविका प्रभावित
होगी।
ऐसे सरकार से
मांग है कि कालीन
उद्योग को राहत देने
के लिए तत्काल कदम
उठाए। विशेष रूप से, ब्याज
अनुदान योजना को पुनः बहाल
किया जाए, ताकि निर्यातकों
और निर्माताओं को नकदी संकट
से बचाया जा सके। इसके
अलावा ब्याज अनुदान पुनः लागू करने
से छोटे और मध्यम
उद्यमों को किफायती दरों
पर ऋण मिल सकेगा,
जिससे वे अपनी उत्पादन
क्षमता बनाए रख सकें
और श्रमिकों को समय पर
भुगतान कर सकें। इसके
अलावा, सरकार को अमेरिका के
साथ राजनयिक स्तर पर बातचीत
कर इस शुल्क में
राहत दिलाने के प्रयास भी
करने चाहिए।
बता दें, यूपी,
दिल्ली, पानीपत, जम्मू-कश्मीर, जयपुर आदि शहरों से
लगभग 11000 करोड़ का कालीन
निर्यात होता है और
इसकी बुनाई में लगभग 10 लाख
से अधिक गरीब बुनकर
मजदूर लगे हैं। कारपेट
इक्सपोर्ट प्रमोशन कौंसिल के चेयरमैन कुलदीप
राज वट्ठल का कहना है
कि इस मामले में
उन्होंने वाणिज्य मंत्रालय को पत्र भेजकर
हस्तक्षेप की मांग की
है। उनका कहना है
कि अमेरिका में इक्सपोर्ट होने
वाले कालीनों पर 2.5 से 8 फीसदी ड्यूटी
है, जो नाममात्र का
है। ऐसे में अगर
ड्यूटी खत्म कर दिया
जाएं इक्सपोर्ट में 20 फीसदी का इजाफा हो
सकता है। हालांकी अमेरिका
गरीब हितैशी मुल्क है और ग्रामीण
अंचलों में बनने वाली
कारपेट बुनाई में भी गरीब
तबका ही जुड़ा है,
इसलिए हैंडनॉटेड कारपेट को रेसिप्रोकल टैरिफ
से मुक्त रखा जा सकता
है। लेकिन मशीनमेड कालीनों पर खतरा जरुर
है। उनका कहना है
कि अमेरिका में हैंडमेड कालीन
नहीं बनता है और
उनका पसंदीदा भारतीय हैंडमेड कारपेट ही है।
हर साल 11000 करोड़ का निर्यात होता है
भारत
के यूपी, महाराष्ट्र, दिल्ली, पानीपत, जम्मू-कश्मीर, जयपुर आदि शहरों से
अमेरिका को लगभग 11000 करोड़
का कालीन निर्यात होता है और
इसकी बुनाई में लगभग 10 लाख
से अधिक गरीब बुनकर
मजदूर लगे हैं। इन
इलाकों के करीब 1600 निर्यातक
हस्तशिल्प उत्पाद से जुड़े हैं.
जो अमेरिका, जापान, इंग्लैंड, टर्की समेत अन्य देशों
को हर साल 16000 से
करोड़ से अधिक के
हस्तशिल्प उत्पादों का निर्यात करते
है. इनमें सबसे ज्यादा निर्यात
अमेरिका को होता है.
निर्यातकों के अनुसार ट्रंप
की इस घोषणा के
तहत 25 प्रतिशत टैरिफ लग सकता है।
इससे हस्तशिल्प निर्यातकों को 1100 करोड़ से अधिक
का नुकसान होगा.
विदेशी खरीदार देंगे कम आर्डर
निर्यातकों ने बताया कि
यदि भारत से अमेरिका
निर्यात होने वाले हस्तशिल्प
उत्पाद पर टैरिफ लगता
है. तो विदेशी खरीदार
कम ऑर्डर देंगे और निर्यात घट
जाएगा. वहीं कुछ निर्यातकों
का कहना है कि
रूस-यूक्रेन युद्ध से निर्यात में
पहले से ही कमी
आई है. इसके साथ
ही जहाजों के घूमकर जाने
के कारण हस्तशिल्प उत्पाद
खरीदारों के पास समय
से नहीं पहुंच पाते
हैं. इसके कारण भी
हस्तशिल्प निर्यातकों को समस्या का
सामना करना पड़ रहा
है. सीईपीसी के पूर्व प्रशासनिक
सदस्य उमेश गुप्ता का
कहना है कि खरीदार
एक महीने से टैरिफ लगने
का इंतजार कर रहे थे,
जो भी ऑर्डर हुए
हैं, वह होल्ड पर
हैं. ट्रंप के टैरिफ बढ़ाने
के एलान से ऑर्डर
कम से कम मिलने
का अनुमान है.
अमेरिका में 20 खरीदारों के स्टोर हुए बंद
निर्यात से जुड़े कारोबारियों
का कहना है पिछले
पांच साल में मंदी
आने के कारण हस्तशिल्प
उत्पाद का आयात करने
वाले अमेरिका के 20 से अधिक स्टोर
बंद हो चुके हैं.
इससे निर्यातकों को काफी नुकसान
उठाना पड़ रहा है.
निर्यातकों के मुताबिक डोनाल्ड
ट्रंप द्वारा टैरिफ के ऐलान से हस्तशिल्प उत्पाद
के 20 से 30 प्रतिशत खरीदारों की घटने की
उम्मीद है. हस्तशिल्प उद्योग
का करीब 60 फीसदी निर्यात अमेरिका को होता है.
टैरिफ को लेकर अभी
असमंजस की स्थिति है.
ऐसे हालात में विदेशी ग्राहकों
ने ऑर्डर रोक दिए गए
हैं. उनकी ओर से
नए ऑर्डर नहीं आ रहे
हैं. इससे कारोबार प्रभावित
होगा.
इक्सपोर्ट पर पड़ेगा असर
अमेरिका में भारत से
सबसे ज्यादा मोबाइल फोंस, कट एंड पॉलिश्ड
जेमस्टोन, टेक्सटाइल और फार्मा प्रोडक्ट्स
का एक्सपोर्ट होता है. अगर
अमेरिका इन पर अतिरिक्त
आयात शुल्क लगता है तो
इसका असर एक्सपोर्ट पर
पड़ेगा. जानकारों का मानना है
कि यह संकट 2007-08 के
वित्तीय संकट और कोविड
महामारी के बाद सबसे
बड़ी उथल-पुथल साबित
हो सकती है।
बाजार में अनिश्चितता का माहौल
अमेरिका में ट्रंप टैरिफ
की वजह से बाजार
में अनिश्चितता बढ़ गई है,
जिससे निवेशकों की चिंता बढ़
रही है। मौजूदा हालात
में किसी भी नई
खबर या घटनाक्रम से
बाजार में भारी उतार-चढ़ाव देखने को
मिल सकता है।
No comments:
Post a Comment