केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह आज करेंगे 48वें इंडिया कार्पेट एक्सपो का आगाज
68 देशों से लगभग 510 विदेशी
खरीददारों
सहित
लगभग
400 विदेशी
खरीददारों
के प्रतिनिधियों ने
अपना
पंजीकरण
कराया
है
14-17 अप्रैल तक
भारत
मंडपम
(प्रगति
मैदान)
में
होगा
आयोजन
कारपेट फेयर
ग्रांउंड
में
160 निर्यातक
से
अधिक
भारतीय
निर्यातक
लगायेंगे
रंग-बिरंगी
कालीनों
की
प्रदर्शनी
कालीन निर्यातकों
के
लिए
वरदान
होगा
‘इंडिया
कारपेट
एक्स्पों’
: चेयरमैन
कुलदीप
राज
वट्टल
सुरेश गांधी
वाराणसी। कारपेट इक्सपोर्ट प्रमोशन कौंसिल (सीईपीसी) के तत्वावधान में 14-17 अप्रैल तक भारत मंडपम (प्रगति मैदान), नई दिल्ली के हाल नं. 01 में इंडिया कार्पेट एक्सपो के 48वें संस्करण का आयोजन होगा। इसके लिए स्पेस की बुकिंग हो गयी है। एक्सपो का उद्घाटन 14 अप्रैल को दोपहर 2 बजे केन्द्रीय वस्त्र मंत्री, भारत सरकार गिरिराज सिंह द्वारा किया जाएगा।
इस अवसर पर टैक्सटाइल सेक्रेटरी श्रीमती नीलम शमी राव एवं हस्तशिल्प विकाश आयुक्त श्रीमती अमृत राज मौजूद रहेंगी। इस अंतर्राष्ट्रीय कालीन मेले में 68 देशों से लगभग 510 विदेशी खरीददारों के साथ लगभग 400 विदेशी खरीददारों के प्रतिनिधियों ने अपना पंजीकरण कराया है। इस एक्सपो में निर्यातकों द्वारा जबरदस्त प्रक्रिया मिली, जिसमे 160 निर्यातकों ने इस एक्सपो में प्रतिभाग किया है।मकसद : एक ही छत के नीचे हैंडमेड कारपेट सहित अन्य हस्तनिर्मित कालीनों की प्रदर्शनी के जरिए सात समुंदर विदेशी ग्राहको को लुभाना। कालीन निर्यात संबर्धन परिषद् अध्यक्ष कुलदीप राज वट्टल ने बताया कि इस फेयर में अमेरिका यूरोप सहित 68 देशों के लगभग 500 विदेशी खरीदार एवं उनके प्रतिनिधि भाग लेंगे।
जबकि देश के
कश्मीर, जयपुर, पानीपत, बीकानेर, आगरा, भदोही, मिर्जापुर और वाराणसी सहित
अन्य कालीन परिक्षेत्रों के 160 से अधिक कालीन
निर्यातक अपने स्टालों पर
रंग-बिरंगी हस्तनिर्मित कालीनों को प्रदर्शनी लगायेंगे।
सीईपीसी द्वारा कुछ चुनिन्दा देशों
में से कुल 210 चुनिंदा
विदेशी खरीदारों को 700.00 और अन्य दूसरे
देशों के खरीदारों के
लिए 500.00 की हवाई यात्रा
प्रतिपूर्ति तथा दिल्ली में
स्थित 5 स्टार होटल में 2 रातों
तक होटल में ठहरने
की सुविधा एवं होटल से
मेला स्थल तक और
मेला स्थल से होटल
तक शटल सेवा की
सुविधा उपलब्ध कराया जायेगा।
इन देशों की होगी भागीदारी
इंडिया कार्पेट एक्सपो से कारपेट इंडस्ट्री को मिलेगी ऊंचाइयां : उमेश गुप्ता
अंतर्राष्ट्रीय
मेला
कालीन
उद्योग
के
लिए
संजीवनी
साबित
होगी
: वासिफ
अंसारी
जर्मनी फ्रंकफर्ट
डोमोटेक्स
कैंसिल
होने
का
मिलेगा
पूरा
फायदा
: रोहित
गुप्ता
भदोही। कालीन निर्यातक संवर्धन परिषद (सीईपीसी) की ओर से आयोजित चार दिवसीय इंडिया कार्पेट एक्सपो की पूर्व संध्या पर निर्यातकों ने कहा, इस मेले से कालीन उद्योग को नयी ऊंचाइयां मिलेगी। डोमोटेक्स निरस्त होने का भी फायदा इस मेले में स्टॉल लगाने वाले निर्यातकों को मिलेगा। इसकी बड़ी वजह है कि बड़ी संख्या में विदेशी आयात भारत पहुंच चुके है। दावा है कि इस चार दिनों में 500 करोड़ से ज्यादा कारोबार होने की उम्मीद है। इससे सीईपीसी के प्रशासनिक समिति के सदस्य भी काफी उत्साहित थे। उनका कहना है कि इस बार बीते साल की अपेक्षा ज्यादा आयातकों ने पंजीकरण कराया है। हालांकि सीईपीसी के अनुसार फेयर में आने वाले आयातक यहां से जाने के बाद तमाम आर्डर देते हैं। लेकिन फिर भी आने वाले चार से पांच महीने में फेयर से 400 से 500 करोड़ का कारोबार में परिवर्तित होगा। प्रशासनिक समिति के सदस्य मो. वासिफ अंसारी, अनिल कुमार सिंह, असलम महबूब, रोहित गुप्ता, व दीपक खन्ना ने बताया कि मेला इस बार अच्छा होगा। पूरे देश से भदोही परीक्षेत्र में सबसे अधिक कालीन का निर्यात होता है.
इस मेले में
भारत में आने वाले
विदेशी कालीन खरीदारों के बीच भारतीय
हस्तनिर्मित कालीनों और अन्य फर्श
कवरिंग की सांस्कृतिक विरासत
और बुनाई कौशल को बढ़ावा
देने के उद्देश्य से
इंडिया कार्पेट एक्सपो द्वारा किया जाता है।
इस आयोजन से कारपेट एक्सपोर्ट
और तेज गति पकड़ेगा.
भदोही खुद को दुनिया
भर के कालीन खरीदारों
के लिए एक महान
सोर्सिंग प्लेटफॉर्म के रूप में
स्थापित किया है. इस
एक्पो के माध्यम से
भारतीय कालीन की मांग बढ़ेगी।
सीईपीसी के पूर्व सीनियर
प्रशासनिक सदस्य उमेश गुप्ता ने
बताया की इस फेयर
से निर्यातकों एवं बुनकरों को
बेहद लाभ मिलेगा. फेयर
में महिला निर्यातकों ने भी स्टाल
लगाए हैं। इसके अलावा
इस बार परंपरागत डिजाइनों
से हटकर नई डिजाइनों
की कालीनें निर्यातकों ने र्प्रदर्शनी में
लगायी हैं. उनका कहना
है कि भारत से
लगभग 16 हजार करोड़ के
कालीन निर्यात होते हैं. इस
बिजनेस का 60 फीसदी हिस्सा अकेले भदोही, मिर्जापुर और वाराणसी का
है. भदोही को भारत का
कार्पेट शहर भी कहा
जाता है.
मेले की तैयारिंयां पूरी, 160 स्टॉल लगे
इस बार के फेयर में जूट कालीनों, दरियों के साथ परंपरागत हैंड नाटेड कालीनों का बोलबाला रहेगा। जूट कालीन न केवल सस्ते होते हैं बल्कि जमीन पर बिछने के बाद पैर में अलग फील देते हैं। इसके अलावा लोगों को हैंडलूम कालीनों और दरियों पर भी निर्यातकों का भरोसा बना हुआ है। निर्यातकों का कहना है कि उनके पास हर प्रकार के कालीनों की बड़ी रेंज है।
खासकर जूट की वैश्विक
मांग को देखते हुए
इस पर अधिक फोकस
किया गया है। इसके
अलावा हर प्रकार के
कालीनों के सेंपुलों पर
महीनों काम किया गया
है। इससे आयातकों की
मांग अनुसार ऑर्डर तैयार करने में आसानी
होती है। वैसे इस
बार विभिन्न स्टॉलों पर परंपरागत कालीनों
का भी प्रदर्शन रहेगा।
कुछ स्टॉलों पर महंगे हैंड
नाटेड कालीनों को लोगों ने
प्रदर्शन के लिए रखा
है। इनमें बहुत महंगे से
लेकर सस्ते क्वालिटी के हैंड नाटेड
कालीन लोग बनाकर लाए
हैं।
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