Monday, 14 April 2025

भदोही महोत्सव में दिखा कला, संस्कृति और मनोरंजन का संगम

भदोही महोत्सव में दिखा कला, संस्कृति और मनोरंजन का संगम 

सपना अवस्थी और विपिन सचदेवा के गायिकी ने मचाया धमाल

महोत्सव से आपसी सौहार्द बढ़ता है : पूर्व राज्यपाल कलराज मिश्र

विभिन्न संस्कृतियों के कलाकारों को एक मंच पर लाकर, यह महोत्सव कला संस्कृति के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है : डॉ. एके गुप्ता

सुरेश गांधी

वाराणसी। भदोही महोत्सव के समापन पर दूर दराज से आएं कलाकारों की प्रस्तुतियों में कला संस्कृति की झलक से लेकर, मायानगरी का भी अनोखा संगम देखने को मिला। श्री इंद्र बहादुर सिंह नेशनल इंटर कॉलेज के मैदान में आयोजित इस कार्यक्रम में पूर्व राज्यपाल एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता कलराज मिश्र ने भी शिरकत की। इस दौरान उन्होंनें दीप प्रज्ज्वलन के साथ स्मारिका का विमोचन भी किया।

कार्यक्रम में मशहूर पार्श्व गायिका सपना अवस्थी और क्लासिक सिंगर विपिन सचदेवा ने एक के बाद एक कई अपनी प्रस्तुतियांं से लोगों का दिल बाग-बाग कर दिया। इस मौके पर इंडिया गेट टैलेंट के प्रथम रनर अप आकाश जायसवाल ने भी अपनी आवाज का जादू बिखेरा। इसके अलावा प्रसिद्ध कॉमेडियन सुनील पाल ने भी अपनी हास्य-व्यंग्य कविताओं से श्रोताओं को खूब हंसाया। कार्यक्रम में खेल, चिकित्सा, शिक्षा और समाजसेवा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले लोगों को कलराज मिश्र के हाथों सम्मानित किया गया।

अपने संबोधन के दौरान कलराज मिश्र ने कहा कि भदोही जैसे छोटे शहर में इतना बड़ा आयोजन सराहनीय है। उन्होंने कहा कि भदोही का नाम कालीन उद्योग के लिए विश्व प्रसिद्ध है। महोत्सव से आपसी सौहार्द बढ़ता है। तीन दिवसीय भव्य कार्यक्रम में प्रतिभावानों ने सिर्फ खेल प्रतियोगिताओं में अपना हूनर दिखाया, बल्कि क्रिकेट, बैडमिंटन, वॉलीबॉल, बॉक्सिंग, टेबल टेनिस, मैराथन, कबड्डी, एथलेटिक्स, हॉकी, कुश्ती और खो-खो आदि खेलों में लोगों ने अपना मदखम दिखाया।

सोसायटी के सचिव डॉ. एके गुप्ता ने कहा कि आयोजन का मकसद अंतरराष्ट्रीय सहभागिता और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना है. यह कलाकारों और विभिन्न संस्कृतियों को एक मंच पर लाकर उनके बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देता है. यह कार्यक्रम सद्भाव और एकता की भावना जगाने का प्रयास करता है. उन्होंने कहा कि भदोही महोत्सव अब सिर्फ़ भदोही ही नहीं बल्कि भारत के विभिन्न शहरों तक अपनी पहचान बना रहा है.

डॉ. एके गुप्ता ने संबंधों को मजबूत करने में कला और संस्कृति की भूमिका पर भी जोर दिया और कहा, “भारत की कला और संस्कृति वसुधैव कुटुम्बकम में विश्वास करती है.” विभिन्न संस्कृतियों के कलाकारों को एक मंच पर लाकर, यह महोत्सव कला संस्कृति के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. कार्यक्रम के अंत में सोशाइटी के अध्यक्ष कृष्णा मिश्रा ने लोगों का धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में सीनियर चार्टर्ड एकाउंटेंट आरसी त्रिपाठी केपी दुबे के अलावा हरीश सिंह का विशेष योगदान रहा। 

कारपेट इंडस्ट्री के साथ सरकार, विकास में देगा भरपूर साथ : गिरिराज सिंह

उद्योग के विकास के लिए उनका पूरा समर्थन है और वे हमेशा निर्यातकों के साथ खड़े रहेंगे : गिरिराज सिंह 

उद्घाटनोपरांत गिरिराज सिंह ने एक्सपो में विभिन्न कालीन स्टालों का अवलोकन किया और विभिन्न प्रकार के रंग बिरंगी कालीनों को देखकर निर्यातकों का उत्साहवर्धन भी किया

पहले दिन 34 देशों के 125 विदेशी आयातक एवं 75 उनके प्रतिनिधियों ने प्रतिभाग किया

सुरेश गांधी

वाराणसी। कारपेट इंडस्ट्री के विकास के लिए सरकार हरसंभव मदद सहयोगी करेगी। वे हमेशा निर्यातकों के साथ खड़े रहेंगे। यह बातें केन्द्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह ने कहीं। वे सोमवार को कालीन निर्यात संवर्धन परिषद द्वारा भारत मंडप्पम के हाल नंबर 1 में आयोजित चार दिवसीय इंडिया कारपेट एक्स्पों के शुभारम्भ के दौरान मुख्य अतिथि के रुप में निर्यातकों को संबोधित कर रहे थे। इससे पहले गिरिराज ने हस्तशिल्प विकाश आयुक्त एवं आईएएस श्रीमती अमृत राज तथा सीईपीसी चेयरमैन कुलदीप राज वट्टल की उपस्थिति में दीप जलाकर किया।

उद्घाटनोपरांत गिरिराज सिंह ने एक्सपो में विभिन्न कालीन स्टालों का दौरा किया। इस दौरान विभिन्न प्रकार के रंग बिरंगी कालीनों को देखकर निर्यातकों का उत्साहवर्धन भी किया। उन्होंने कहा कि उद्योग के विकाश हेतु उनका पूरा समर्थन है। वे हमेशा निर्यातकों के साथ खड़े है। इस दौरान उन्होंने निर्यातकों को उद्योग की विकाश हेतु सरकार का पूरा सहयोग कराने का आश्वाशन भी दिया। उन्होंने कहा कि इंडिया कार्पेट एक्सपो एशिया के सबसे बड़े हस्तनिर्मित कालीन मेलों में से एक है, जहां खरीदारों को एक ही छत के नीचे बेहतरीन हस्तनिर्मित कालीन, गलीचे और अन्य फ़्लोर कवरिंग खरीदने का अनूठा मंच मिलता है। 160 प्रदर्शकों की भागीदारी के साथ, यह हस्तनिर्मित कालीनों के लिए दुनिया भर में एक लोकप्रिय गंतव्य बन गया है।

सीईपीसी के चेयरमैन कुलदीप राज वाटल ने कहा, पहले दिन लगभग 34 देशों से रिकॉर्ड संख्या में 125 विदेशी आयातक, मुख्य रूप से अर्जेंटीना, आस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, फ्रांस, कनाडा, इसराइल, टर्की, जापान, रुस, इटली, स्वीडेन, जर्मनी, नीदरलैंड, पोलैंड और 75 आयातकों के प्रतिनिधियों ने एक्स्पों में भाग लेकर निर्यातकों से पूछताछ एवं आर्डर दिए। उन्होंने कहा कि इंडिया कार्पेट एक्सपो अंतर्राष्ट्रीय कालीन खरीदारों एवं उनके प्रतिनिधियों, आर्किटेक्ट्स और भारतीय कालीन निर्माताओं और निर्यातकों के लिए एक आदर्श मंच है, जहां वे एक-दूसरे से मिलकर दीर्घकालिक व्यापारिक संबंध स्थापित कर सकते हैं। यह प्रदर्शनी हस्तनिर्मित कालीन के भारतीय निर्यात को और अधिक नई ऊंचाइयों पर ले जाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। श्री वट्टल ने कहा कि एक्स्पों में भाग लेने वाले निर्माताओं और निर्यातकों के लिए यह जबरदस्त व्यावसायिक अवसर हैं, क्योंकि दुनिया भर से हस्तनिर्मित कालीनों के कई प्रमुख खरीदार इस शो में भाग ले रहे है। इनसे निकट भविष्य में हज़ारों करोड़ से अधिक के ऑर्डर निष्पादित होने की उम्मीद है। कालीन एक्सपो में नए डिज़ाइन प्रदर्शित किए जा रहे हैं।

अध्यक्ष कुलदीप राज  वट्टल ने कहा कि परिषद का प्रयास कालीन आयातकों के साथ-साथ निर्माता-निर्यातकों को विशेष व्यावसायिक वातावरण प्रदान करना है, जिससे अंततः इस अत्यधिक श्रम गहन ग्रामीण आधारित एमएसएमई कुटीर उद्योग में कार्यरत लगभग 2 मिलियन बुनकरों और कारीगरों को लाभ होगा। कार्यवाहक कार्यकारी निदेशक डाक्टर स्मिता नागरकोटी ने प्रसन्नता व्यक्त की और आशा व्यक्त की कि यह एक्सपो नए मील का पत्थर स्थापित करेगा और इसका अंतिम लाभ बुनकरों और उनके परिवारों को मिलेगा। उद्घाटन समारोह में प्रशानिक समिति के सदस्य अनिल कुमार सिंह, असलम महबूब, महाबीर प्रताप, बोधराज मल्होत्रा, वासीफ़ अंसारी, दीपक खन्ना,  हुसैन जफर हुसैनी, इम्तियाज अहमद, मेहराज यासीन जैन, पीयूष कुमार बरनवाल, रोहित गुप्ता, संजय गुप्ता, शौकत खान और शेख आशिक अहमद के साथ अन्य निर्यातक सदस्य के अलावा कार्यकारी निदेशक सह-सचिव डाक्टर स्मिता नागरकोटी भी मौजूद रही।

Sunday, 13 April 2025

केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह आज करेंगे 48वें इंडिया कार्पेट एक्सपो का आगाज

केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह आज करेंगे 48वें इंडिया कार्पेट एक्सपो का आगाज 

68 देशों से लगभग 510 विदेशी खरीददारों सहित लगभग 400 विदेशी खरीददारों के  प्रतिनिधियों ने अपना पंजीकरण कराया है

14-17 अप्रैल तक भारत मंडपम (प्रगति मैदान) में होगा आयोजन

कारपेट फेयर ग्रांउंड में 160 निर्यातक से अधिक भारतीय निर्यातक लगायेंगे रंग-बिरंगी कालीनों की प्रदर्शनी

कालीन निर्यातकों के लिए वरदान होगाइंडिया कारपेट एक्स्पों’ : चेयरमैन कुलदीप राज वट्टल

सुरेश गांधी

वाराणसी। कारपेट इक्सपोर्ट प्रमोशन कौंसिल (सीईपीसी) के तत्वावधान में 14-17 अप्रैल तक भारत मंडपम (प्रगति मैदान), नई दिल्ली के हाल नं. 01 में इंडिया कार्पेट एक्सपो के 48वें संस्करण का आयोजन होगा। इसके लिए स्पेस की बुकिंग हो गयी है। एक्सपो का उद्घाटन 14 अप्रैल को दोपहर 2 बजे केन्द्रीय वस्त्र मंत्री, भारत सरकार गिरिराज सिंह द्वारा किया जाएगा। 

इस अवसर पर टैक्सटाइल सेक्रेटरी श्रीमती नीलम शमी राव एवं हस्तशिल्प विकाश आयुक्त श्रीमती अमृत राज मौजूद रहेंगी। इस अंतर्राष्ट्रीय कालीन मेले में 68 देशों से लगभग 510 विदेशी खरीददारों के साथ लगभग 400 विदेशी खरीददारों के प्रतिनिधियों ने अपना पंजीकरण कराया है। इस एक्सपो में  निर्यातकों द्वारा जबरदस्त प्रक्रिया मिली, जिसमे 160 निर्यातकों ने इस एक्सपो में प्रतिभाग किया है।

मकसद : एक ही छत के नीचे हैंडमेड कारपेट सहित अन्य हस्तनिर्मित कालीनों की प्रदर्शनी के जरिए सात समुंदर विदेशी ग्राहको को लुभाना। कालीन निर्यात संबर्धन परिषद् अध्यक्ष कुलदीप राज वट्टल ने बताया कि इस फेयर में अमेरिका यूरोप सहित 68 देशों के लगभग 500 विदेशी खरीदार एवं उनके प्रतिनिधि भाग लेंगे। 

जबकि देश के कश्मीर, जयपुर, पानीपत, बीकानेर, आगरा, भदोही, मिर्जापुर और वाराणसी सहित अन्य कालीन परिक्षेत्रों के 160 से अधिक कालीन निर्यातक अपने स्टालों पर रंग-बिरंगी हस्तनिर्मित कालीनों को प्रदर्शनी लगायेंगे। सीईपीसी द्वारा कुछ चुनिन्दा देशों में से कुल 210 चुनिंदा विदेशी खरीदारों को 700.00 और अन्य दूसरे देशों के खरीदारों के लिए 500.00 की हवाई यात्रा प्रतिपूर्ति तथा दिल्ली में स्थित 5 स्टार होटल में 2 रातों तक होटल में ठहरने की सुविधा एवं होटल से मेला स्थल तक और मेला स्थल से होटल तक शटल सेवा की सुविधा उपलब्ध कराया जायेगा। 

उन्होंने कहा कि देशभर के कालीन निर्यातकों के लिए यह कारपेट फेयर वरदान साबित होगा। उनका कहना है कि इस फेयर में भारतीय निर्यातकों को एक ही छत के नीचे कालीन से जुड़े हर तरह के हस्तशिल्प उत्पादों को बेचने का मौका मिलेगा। 
इसके अलावा मेले में उभरते हुए उद्यमियों एवं स्टार्टअप उद्यमियों को खास अवसर दिया गया है। ताकि उनके उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय मंच मिल सके। 
उनका कहना है कि हस्तनिर्मित कालीनों अन्य फर्श कवरिंग को बढ़ावा देने के लिए यह आयोजन हर साल किया जाता है। यह कार्पेट एक्सपो एशिया उपमहाद्वीप में सबसे बड़े हस्तनिर्मित कालीन मेलों में से एक है जहां विदेशी खरीदारों को एक छत के नीचे देश में बने हस्तनिर्मित कालीनों का संग्रह मिलता है। इंडिया कार्पेट एक्सपो ने दुनिया भर के खरीदारों से अपने बढ़ते संरक्षण के साथ खुद को एशिया के सबसे बड़े हस्तनिर्मित कालीन शो के रूप में स्थापित किया है। यह एक्स्पों निर्यातकों के लिए जबरदस्त व्यावसायिक अवसर प्रदान करता है, क्योंकि दुनिया भर से विभिन्न प्रमुख विदेशी हस्तनिर्मित कालीन खरीदार इस एक्सपो में भाग लेते हैं. 

इन देशों की होगी भागीदारी

मेले में कुल 68 देशों के खरीदार पहुंच रहे हैं। उनमे अमेरीका, फ्रांस, जर्मनी, इंग्लैंड, तुर्किये, चीन, ऑस्ट्रेलिया, जापान, ब्राजील, बेल्जियम, इरान, डेनमार्क, कोलंबिया, अफगानिस्तान, अल्जीरिया, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रिया, बांग्लादेश, बुल्गारिया, चिली, फिनलैंड, घाना, हंगरी, जापान, जॉर्डन, मैक्सिको, नॉर्वे, दक्षिण अफ्रीका, स्पेन, ताइवान, ट्यूनीशिया आदि देशों के आयातक शामिल हैं।

इंडिया कार्पेट एक्सपो से कारपेट इंडस्ट्री को मिलेगी ऊंचाइयां : उमेश गुप्ता

अंतर्राष्ट्रीय मेला कालीन उद्योग के लिए संजीवनी साबित होगी : वासिफ अंसारी

जर्मनी फ्रंकफर्ट डोमोटेक्स कैंसिल होने का मिलेगा पूरा फायदा : रोहित गुप्ता

भदोही। कालीन निर्यातक संवर्धन परिषद (सीईपीसी) की ओर से आयोजित चार दिवसीय इंडिया कार्पेट एक्सपो की पूर्व संध्या पर निर्यातकों ने कहा, इस मेले से कालीन उद्योग को नयी ऊंचाइयां मिलेगी। डोमोटेक्स निरस्त होने का भी फायदा इस मेले में स्टॉल लगाने वाले निर्यातकों को मिलेगा। इसकी बड़ी वजह है कि बड़ी संख्या में विदेशी आयात भारत पहुंच चुके है। दावा है कि इस चार दिनों में 500 करोड़ से ज्यादा कारोबार होने की उम्मीद है। इससे सीईपीसी के प्रशासनिक समिति के सदस्य भी काफी उत्साहित थे। उनका कहना है कि इस बार बीते साल की अपेक्षा ज्यादा आयातकों ने पंजीकरण कराया है। हालांकि सीईपीसी के अनुसार फेयर में आने वाले आयातक यहां से जाने के बाद तमाम आर्डर देते हैं। लेकिन फिर भी आने वाले चार से पांच महीने में फेयर से 400 से 500 करोड़ का कारोबार में परिवर्तित होगा। प्रशासनिक समिति के सदस्य मो. वासिफ अंसारी, अनिल कुमार सिंह, असलम महबूब, रोहित गुप्ता, दीपक खन्ना ने बताया कि मेला इस बार अच्छा होगा। पूरे देश से भदोही परीक्षेत्र में सबसे अधिक कालीन का निर्यात होता है

इस मेले में भारत में आने वाले विदेशी कालीन खरीदारों के बीच भारतीय हस्तनिर्मित कालीनों और अन्य फर्श कवरिंग की सांस्कृतिक विरासत और बुनाई कौशल को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इंडिया कार्पेट एक्सपो द्वारा किया जाता है। इस आयोजन से कारपेट एक्सपोर्ट और तेज गति पकड़ेगा. भदोही खुद को दुनिया भर के कालीन खरीदारों के लिए एक महान सोर्सिंग प्लेटफॉर्म के रूप में स्थापित किया है. इस एक्पो के माध्यम से भारतीय कालीन की मांग बढ़ेगी। सीईपीसी के पूर्व सीनियर प्रशासनिक सदस्य उमेश गुप्ता ने बताया की इस फेयर से निर्यातकों एवं बुनकरों को बेहद लाभ मिलेगा. फेयर में महिला निर्यातकों ने भी स्टाल लगाए हैं। इसके अलावा इस बार परंपरागत डिजाइनों से हटकर नई डिजाइनों की कालीनें निर्यातकों ने र्प्रदर्शनी में लगायी हैं. उनका कहना है कि भारत से लगभग 16 हजार करोड़ के कालीन निर्यात होते हैं. इस बिजनेस का 60 फीसदी हिस्सा अकेले भदोही, मिर्जापुर और वाराणसी का है. भदोही को भारत का कार्पेट शहर भी कहा जाता है.

मेले की तैयारिंयां पूरी, 160 स्टॉल लगे

इस बार के फेयर में जूट कालीनों, दरियों के साथ परंपरागत हैंड नाटेड कालीनों का बोलबाला रहेगा। जूट कालीन केवल सस्ते होते हैं बल्कि जमीन पर बिछने के बाद पैर में अलग फील देते हैं। इसके अलावा लोगों को हैंडलूम कालीनों और दरियों पर भी निर्यातकों का भरोसा बना हुआ है। निर्यातकों का कहना है कि उनके पास हर प्रकार के कालीनों की बड़ी रेंज है। 

खासकर जूट की वैश्विक मांग को देखते हुए इस पर अधिक फोकस किया गया है। इसके अलावा हर प्रकार के कालीनों के सेंपुलों पर महीनों काम किया गया है। इससे आयातकों की मांग अनुसार ऑर्डर तैयार करने में आसानी होती है। वैसे इस बार विभिन्न स्टॉलों पर परंपरागत कालीनों का भी प्रदर्शन रहेगा। कुछ स्टॉलों पर महंगे हैंड नाटेड कालीनों को लोगों ने प्रदर्शन के लिए रखा है। इनमें बहुत महंगे से लेकर सस्ते क्वालिटी के हैंड नाटेड कालीन लोग बनाकर लाए हैं।