Monday, 9 June 2025

11 साल मोदी, “जहां विकास केवल आंकड़े नहीं, जीवन का हिस्सा बने”

11 साल मोदी, “जहां विकास केवल आंकड़े नहीं, जीवन का हिस्सा बने” 

मोदी राज के 11 साल यानी विकास, विचार और विश्वास की सदी का आरंभ“. राष्ट्रवाद से नवाचार तक, 11 सालों में बदला भारत का रंग, रुख और रफ्तार. 11 साल बाद यह कहने में संकोच नहीं कि मोदी एक व्यक्ति नहीं, विचारधारा बन चुके हैं। उनकी राजनीति सिर्फ जीतने की नहीं, विचार गढ़ने की है।गरीब की उम्मीद, जवान की ताकत, महिला की गरिमा और देश का गौरवदृ इस चार स्तंभों पर खड़ा है यह शासन। अब जब भारत अमृतकाल में प्रवेश कर चुका है, सवाल यही है : क्या यह गति अगले दशक तक टिकेगी? क्या 2029 में भी यही चेहरा होगा या नया नेतृत्व आकार लेगा? पर इतना तय है : 2014 से 2025 तक का भारत, उस भारत से पूरी तरह अलग है जो पहले कभी था। 2014 में जब से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने, उन्होंने देश से मन की बात करना कभी बंद नहीं किया. वो देश के हर हिस्से के हर व्यक्ति से कनेक्ट होते हैं और सलाह-सुझाव भी देते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद को प्रधान सेवक कहते रहे और ऐसे निर्णय लेते रहे जो उनके अनुसार राष्ट्र सेवा के लिए अनिवार्य थे, चाहे इसके लिए उन्हें सियासी आलोचना झेलनी पड़े या वैश्विक दबाव. सौगंध मुझे इस मिट्टी की मैं देश नहीं झुकने दूंगा. इसे नियति कहें या विडंबना, पीएम मोदी को अपने तीनों कार्यकाल के दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा की बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा. लेकिन हर बार उनका पलटवार एक ऐसी अपरंपरागत परंपरा स्थापित कर गया जिसने दुश्मन का सर कुचल दिया. गरीब से लेकर ग्लोबल मंच तक, बदले भारत के चेहरे... एक नेता, एक संकल्प, एक युग. दिल्ली से देश तकः परिवर्तन की यह गाथा सिर्फ सत्ता की नहीं, सोच की है... 

सुरेश गांधी

जब 26 मई 2014 को नरेंद्र मोदी नेप्रधान सेवककी शपथ ली, तब देश सिर्फ एक नई सरकार नहीं चुन रहा था, बल्कि नई दिशा, नया दृष्टिकोण और नया विश्वास चुन रहा था। तब देश एक नए राजनीतिक अध्याय की ओर बढ़ रहा था। ये महज सत्ता परिवर्तन नहीं था, यह जन आकांक्षाओं की लहर थी जो उसआम आदमीको दिल्ली के सिंहासन तक ले आई जो कभी चाय बेचता था। आज 11 वर्ष पूरे हो चुके हैं। यह एक ऐसा कालखंड बन चुका है जिसे भविष्य के इतिहासकार भारत के नवयुग की शुरुआत कह सकते हैं। नरेंद्र मोदी केवल प्रधानमंत्री नहीं रहे : वे आशाओं, आकांक्षाओं और आत्मविश्वास का प्रतीक बन चुके हैं। उनकी कार्यशैली ने सरकार की परिभाषा बदली। कैबिनेट बैठकें समय पर और डिसिप्लिन में योजना से ज़्यादा रिजल्ट पर ज़ोर रहा।राष्ट्र प्रथमका दृष्टिकोण, हर नीति की नींव रही। 

मोदी युग मेंसरकारका मतलब शासन नहीं, सेवा हो गया. मोदी सरकार ने सबसे पहले अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति की सुध ली. प्रधानमंत्री आवास योजना में अब तक 3 करोड़ से ज्यादा घर बने. उज्ज्वला योजना में 9 करोड़ महिलाओं को गैस कनेक्शन देकर चूल्हें के धुंए से मुक्ति दिलाई। जल जीवन मिशन में 13 करोड़ से ज्यादा घरों में नल से जल दिया गया। स्वच्छ भारत योजना के तहत 11 करोड़ से ज्यादा शौचालय निर्माण ने गरिमा लौटाई. आयुष्मान भारत के तहत 50 करोड़ लोगों को ₹5 लाख का स्वास्थ्य कवर किया गया। जनधन खातों से बैंकिंग को जन-जन तक पहुंचाया. ये योजनाएं सिर्फ सरकारी कागज़ नहीं, हर परिवार की कहानी बन गईं। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधिके तहत 12 करोड़ से अधिक किसानों को ₹6,000 वार्षिक सहायता। 

आज, 11 साल बाद, हम उस परिवर्तन को महसूस कर सकते हैं : सड़क से संसद तक, गांव से ग्लोबल मंच तक। यह समय है जब देश के नागरिक, नीतिगत विशेषज्ञ और आलोचक दृ सभी इस दौर की समीक्षा करने को मजबूर हैं। जीएसटी लागू कर देश कोएक राष्ट्र, एक टैक्सकी राह पर ले जाया गया। नोटबंदी (2016) ने काले धन के खिलाफ बड़ी कार्रवाई का संदेश दिया, भले ही इसके तत्काल प्रभावों पर मतभेद रहे। नरेंद्र मोदी का नेतृत्व केवल प्रशासनिक या राजनीतिक नहीं रहा। वे एक आंदोलनात्मक नेतृत्व के रूप में उभरे हैं, जो राष्ट्रवाद, सांस्कृतिक गौरव और विकास को जोड़ता है। 11 वर्षों की यह यात्रा भारत को एक नए आत्मविश्वास से भरती है : एक ऐसा भारत जो विश्व मंच पर सिर उठाकर खड़ा है। सीएए और एनआरसी पर विमर्श के अलावा नागरिकता से जुड़े कानूनों ने राष्ट्रीय विमर्श को नई दिशा दी।

डिजिटल क्रांतिः

यूपीआई और डिजिटल भुगतान ने सब्ज़ी वाले से लेकर सुपरमार्केट तक को स्मार्ट बनाया। डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, स्किल इंडिया जैसे अभियानों से युवा शक्ति को बल मिला। पहली बार सरकार सीधे मोबाइल और बैंक खाते तक पहुँची, बिचौलिए हटे और भ्रष्टाचार पर चोट हुई।

आत्मनिर्भर भारत : महामारी में अवसर

कोविड -19 ने पूरी दुनिया को हिला दिया, पर भारत ने इस संकट कोआत्मनिर्भरतामें बदला : देश में वैक्सिन किट और वेंटिलेटर निर्माण शुरू हुआ. कोविन पोर्टल से दुनिया ने डिजिटल टीकाकरण सीखा. वैक्सीन पूरी दुनिया को भेजी गई. पहली बार भारत दाता की भूमिका में आया।

आस्था और आत्मसम्मान की बहाली

राम मंदिर निर्माण : सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद अयोध्या में भव्य राम मंदिर का उद्घाटन। अनुच्छेद 370 हटाना कृ जम्मू-कश्मीर कीविशेष स्थितिको खत्म कर उसे पूर्ण भारत का हिस्सा बनाना. तीन तलाक पर रोक : मुस्लिम महिलाओं को संवैधानिक सुरक्षा. “सांस्कृतिक चेतनाअब केवल भाव नहीं, सरकारी नीति का हिस्सा बन चुकी है।

वैश्विक मंच पर भारत : अब सिर झुका नहीं, उठता है

जी-20 अध्यक्षता : भारत ने अफ्रीका यूनियन को सदस्य बनवा कर दक्षिणी गोलार्ध की आवाज़ बुलंद की. यानी जी-20 की अध्यक्षता ने भारत को वैश्विक नेतृत्व में ला खड़ा किया. इसरो की उड़ान : चंद्रयान-3 से भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचा. बाइडन, पुतिन, मोहम्मद बिन सलमान दृ सभी के साथ संवाद और संतुलन. सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइकः पाकिस्तान को दो टूक संदेश : “घर में घुसकर मारेंगे”. भारत अबमौननहीं, “मुखरहै. चीन के सामने सीना तान कर खड़ा भारत. खाड़ी देशों से संबंध मजबूत, अमेरिका और रूस से संतुलन. भारत अब सिर्फदुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्रनहीं, सबसे प्रभावशाली आवाज़ बन रहा है। 

आलोचना और चुनौतियाँ भी सामने रहीं

बेरोजगारी : युवाओं के बीच स्थायी रोजगार की कमी एक बड़ा प्रश्न. महंगाई : पेट्रोल-डीजल, खाद्य वस्तुएं महंगी हुई. लोकतांत्रिक संस्थाएं : विपक्ष का आरोप : “स्वतंत्र संस्थाओं पर सरकार का दबाव”.

मीडिया की निष्पक्षता पर सवाल

कृषि कानून विवाद : किसानों की नाराजगी खुलकर सामने आई. आलोचकों का कहना है किभाषण से शासन नहीं होता”, पर समर्थकों का कहना है : “एक मजबूत नेता ही बदलाव लाता है

राजनीतिक मोर्चा : भाजपा एक आंदोलन बन गई

लगातार तीन लोकसभा चुनावों में एनडीए को बहुमत. कई राज्यों में सरकार, संगठनात्मक ताकत और मोदी फैक्टर के बल पर विपक्ष के पास एकजुटता का अभाव : “मोदी बनाम शेषकी राजनीति हावी.

इंफ्रास्ट्रक्चरः नई रफ्तार, नया आत्मविश्वास

वंदे भारत ट्रेन, एक्सप्रेसवे का जाल, सेमी हाई-स्पीड रेल, नए एयरपोर्ट और स्मार्ट शहर, भारत अब सिर्फ गति से नहीं, गरिमा से आगे बढ़ रहा है। भारत में हर दिन 30 किलोमीटर से अधिक हाईवे बन रहे हैं, नए एयरपोर्ट, बंदरगाह और सेमी-हाई स्पीड रेलें देश की रफ्तार को दर्शा रही हैं।

ऑपरेशन सिंदूर ने उजाड़े आतंक के हेडक्वार्टर

हमने आतंकवादियों को मिट्टी में मिलाने के लिए भारत की सेनाओं को सरकार से पूरी छूट मिलते देखी. आतंकियों ने हमारी बहनों का सिंदूर उजाड़ा, इसलिए भारत ने आतंक के हेडक्वार्टर उजाड़ दिए. भारत के इन हमलों में 100 से अधिक खूंखार आतंकवादियों की मौत हुई. पहलगाम में पाकिस्तान समर्थित आतंकियों ने 26 महिलाओं का सुहाग उजाड़ा था. प्रधानमंत्री मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए उन सूनी मांगों को ऐसा न्याय दिलाया कि पाकिस्तान की रूह कांप गई. दुनिया में कोई ऐसा देश नहीजो एक परमाणु संपन्न मुल्क पर ऐसा हमला करने की हिम्मत रखता हो. आतंकवादियों के खिलाफ भारत की कार्रवाई अब तक पीओके तक सीमित रहती थी, लेकिन इस बार पीओके सहित पाकिस्तान के 100 किलोमीटर अंदर तक आतंकवादियों और उनके ठिकानों को ध्वस्त कर दिया गया. ये फैसला कड़ा भी था और अप्रत्याशित भी. ये नेतृत्व का ही हौसला था, जिसने पाकिस्तान के पलटवार के जवाब में भारतीय वायु सेना कोउसके 11 एयरबेस तबाह करने की आजादी दी. ध्यान देने वाली बात ये है कि युद्ध की परिस्थितियों में ये सामान्य माना जा सकता है. पर आतंक के खिलाफ कार्रवाई मेंऐसी आक्रामकता बेमिसाल थी. पीएम मोदी ने सख्त लहजे में स्पष्ट संदेश दे दिया कि हमने पाकिस्तान के आतंकी और सैन्य ठिकानों पर अपनी जवाबी कार्रवाई को अभी सिर्फ स्थगित किया है. आने वाले दिनों में हम पाकिस्तान के हर कदम को इस कसौटी पर मापेंगे कि वो क्या रवैया अपनाता है.

देश में बुनियादी ढांचे का तेजी से विकास

2004 में जो हाईवे 65,500 किलोमीटर थे वो 2014 में 91,287 किलोमीटर हुए और अब 2024 तक 1,46,145 किलोमीटर तक उनकाविस्तार हो चुका है. 2014 में 74 एयरपोर्ट थे, 2024 तक 157 एयरपोर्ट हो चुके हैं. 2014 तक प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत 4,19,358 किलोमीटर सड़कें बन चुकी हैं. 2014 में जब मोदी प्रधानमंत्री बने तब देश में सात एम्स अस्पताल थे, जिनमें से छह अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने मंजूर किए थे. अब देश में 23 एम्स हैं. मेडिकल कॉलेज 387 से बढ़कर 766 हो चुके हैं. देश बाहर से भी मजबूत हुआ. देश अंदर से भी मजबूत हुआ और दिलचस्प ये है कि प्रधानमंत्री ने अपने 11 साल के अब तक के कार्यकाल में एक भी छुट्टी नहीं ली है. इंफ्रास्ट्रक्चर पर जोर संपूर्ण भारत में है तो जम्मू-कश्मीर में भी है, पर विकास के एक्सेलरेटर परपांव रखने से पहले. पीएम मोदी का अनुच्छेद 370 रद्द करने का फैसला ऐतिहासिक था. कश्मीर को बाकी मुल्क के साथ जोड़ने का ख्वाब अंग्रेजों ने भी देखा था, लेकिन पूरा कर नहीं पाए. लेकिन जो अंग्रेज पूरा नहीं कर पाए वह काम पीएम मोदी ने पूरा करके दिखाया. अब कश्मीर घाटी देश के बाकी हिस्सों से रेल मार्ग से जुड़ गई है. कट्टर राजनीतिक विरोधी भी जब प्रशंसा के दो शब्द बोलें तो कहीं कुछ अच्छा हुआ है. चिनाब रेल ब्रिज ने जम्मू और कश्मीर को दिल्ली से जोड़ दिया.  सोनमर्ग टनल, जेड मोड़ टनल, अंजी ब्रिज, चेनानी टनल, दो एम्स, आईआईटी जम्मू और आईआईएम जम्मू, 51 नए डिग्री कॉलेज, सात नए मेडिकल कॉलेज जम्मू और कश्मीर मेंखुले. जैसे जम्मू-कश्मीर में धारा 370 एक मुद्दा था, जो दशकों तक राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी के चलते लंबित रहा, वैसे ही मुस्लिम समाज के बीच कई ऐसे मु्द्दे थे जिन्हें रिफॉर्म की दरकार थी. लेकिन राजनीतिक लाभ हानि के चलते कोई उन्हें अपने एजेंडा में शामिल नहीं करता था. पर पीएम मोदी उन मुद्दों पर फैसला लेने में जरा भी नहीं हिचकिचाते. वक्फ बोर्ड अधिनियम 1995 में संशोधन के खिलाफ मुस्लिम समाज के बड़े तबके की ओर से घोर आपत्ति दर्ज की गई. देशभर में धरने प्रदर्शन चले, लेकिन पीएम मोदी पीछे नहीं हटे. राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद वक्फ बिल अब देश का कानून बन चुका है.

गरीबों के लिए खुले बैंक के द्वार

इसका मतलब था, ना बचत, ना संस्थागत कर्ज. शुरुआत से अब तक 51,00,00,000 से ज्यादा जनधन खाते खुल चुके हैं और सरकार की योजनाओं के पैसे अब सीधे लोगों के खाते में जाते हैं. प्रधानमंत्री मोदी के कई आइडिया ऐसे रहे हैं जो शुरू में अव्यावहारिक लगे, लेकिन जब लागू हुए तो बड़ी क्रांति साबित हुए. ऐसा ही एक निर्णय था डिजिटल पेमेंट का. आपके पास जो मोबाइल फोन है वह चलता फिरता बैंक है. एक भी रुपये कैश हो तो भी आज का विज्ञान ऐसा है, टेक्नोलॉजी ऐसी है अगर आपके पैसे बैंक में जमा पड़े हैं तो आपमोबाइल फोन से बाजार में खरीदारी कर सकते हैं. मोबाइल फोन से पेमेंट कर सकते हैं. आप खुद महसूस करते होंगे कि आज छोटे से बड़े दुकानों में आप कैशलेस ट्रांसक्शन कर पाते हैं. बाकी तो छोड़िये दुनिया के कई देश भारत से यह तकनीक सीख रहे हैं. इसके अलावा 2017 में जब प्रधानमंत्री ने जीएसटी का ऐलान किया तो इसे क्रांतिकारी कदम माना गया. जीएसटी की सफलता ये किसी सरकार की सफलता नहीं है. जीएसटी की सफलता किसी दल की सफलता नहीं है. जीएसटी की सफलता संसद में बैठे लोगो.की इच्छा शक्ति का परिणाम है. इसका श्रेय सभी दलों और सभी राज्यों को जाता है. देश के सामान्य व्यापारी को जाता है. एक देश एक टैक्स प्रणाली से टैक्स चोरीमें कमी हुई. 2023-24 में मासिक जीएसटी का औसत कलेक्शन 1.70,00,000 करोड़ था. अप्रैल 2024 में यह रिकॉर्ड टूट गया और 2.1,00,000 करोड़ रुपये जीएसटी कलेक्शन.से आए. अप्रैल 2025 में कलेक्शन 2.37,00,000 करोड़ के सर्वाधिक रिकॉर्ड से भी ऊपर पहुंच गया. देश का राजकोष भरने लगा.

इनकम टैक्स में बड़ी छूट

                मध्यम वर्ग यानी मिडिल क्लास को बीजेपी का सबसे बड़ा सपोर्टर माना जाता है. और इसलिए साल दर साल इन्कम टैक्स को लेकर विपक्ष कटाक्ष करता रहा कि मोदी मिडिल .क्लास की परवाह नहीं करते. पर 2025 के बजट में पीएम मोदी ने मध्यम वर्ग को लेकर बड़ा फैसला किया और ₹12,00,000 प्रति वर्ष की आय तक पर टैक्स लगाने का बड़ा ऐलान कर डाला. हम आपको सरकारी स्कीमों में मोदी का पर्सनल टॅच भी अब दिखाते हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने अपने राजनीतिक फैसलों के पीछे अपने जीवन के निजीअनुभवों को आधार बनाया और जब पीएम बनकर मौका मिला तो जननीति में बदला. गरीब माँ लकड़ी के चूल्हे पर खाना पकाती है तो एकदिवस में उसके शरीर में 400 सिगरेट का धुआं चला जाता है. पीएम मोदी ने इसे ध्यान में रखकर उज्ज्वला योजना शुरू की. कहने को तो ये सरकारी स्कीम है, लेकिन 2016 में जब मोदी ने देश के गरीब महिओं को उज्जवला स्कीम के तहत गैस सिलिंडर का मुफ्त कनेक्शन देने का फैसला किया तो असर गांव-गांव तक दिखा. मई 2024 तक 10.35,00,00,000 गरीब महिलाओं को ये सुसुविधा प्राप्त हो चुकी है और इनमें 80þ ग्रामीण महिलाएं हैं. आयुष्मान योजना भी उनकी एक ऐसी ही योजना रही, जिसे कड़ा फैसला मानेंगे. ये दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना है. इसके तहत प्रत्येक परिवार को ₹5,00,000 तक का स्वास्थ्य बीमा कवरेज मिलता है. मैंने आपसे वादा किया था कि देश में 70 वर्ष से ऊपर के जीतने भी बुजुर्ग हैं. सबको ₹5,00,000 का मुफ्त इलाज मिलेगा, एक गारंटी भी पूरी हो गई. अब मॉडल सास के बेटे बेटियों को अपने माँ बाप के इलाज की चिंतता नहीं करनी पड़ेगी. मोदी कहते हैं कि उनका गरीबी का परिवेश उनकी संवेदना का कारण है. तभी कोरोना काल में लोगों की इस बुनियादी समस्या को समझते हुए कि अगरकाम ही नहीं होगा तो खाना कैसे मिलेगा? मोदी ने मुफ्त अनाज की स्कीम शुरू की. यकीनन फायदे सियासी भी रहे, लेकिन गरीब जनता इस मदद से मंत्रमुग्ध है. 

 

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