काशी में भगवान जगन्नाथ हुए स्वस्थ, 15 दिन बाद भक्तों को मिला दर्शन
रथ खींचने
से
मिलता
है
मोक्ष
का
मार्ग
: श्रद्धालु
बोले:
350 वर्षों
से
चल
रही
काशी
की
परंपरा
रथयात्रा मेला
27 से
29 जून
तक,
तैयारियां
पूर्ण
सुरेश गांधी
वाराणसी. धर्म और आस्था
की नगरी काशी के
जगन्नाथ मंदिर में बुधवार को
उस समय श्रद्धा का
सैलाब उमड़ पड़ा, जब
15 दिनों के विश्राम के
बाद भगवान जगन्नाथ ने प्रातः 5 बजे
भक्तों को दर्शन दिए।
मंदिर के कपाट खुलते
ही “जय जगन्नाथ” के
उद्घोष गूंज उठे। पुजारियों
के अनुसार, ज्येष्ठ पूर्णिमा को अधिक जलाभिषेक
के कारण भगवान अस्वस्थ
हो गए थे, जिसके
बाद से 15 दिनों तक उन्हें काढ़े
का भोग अर्पित किया
गया। भगवान के स्वस्थ होने
की घोषणा के साथ मंदिर
में विशेष पूजा-अर्चना हुई।
मंदिर के मुख्य पुजारी पं. राधेश्याम पांडे
ने बताया, “भगवान
का आज पंचामृत स्नान
कराकर सफेद पुष्पों और
वस्त्रों से विशेष श्रृंगार
किया गया। भगवान को
परवल के जूस का
भोग लगाया गया, जिससे उन्हें
शीतलता मिलती है। आरती के
बाद पंचामृत का प्रसाद श्रद्धालुओं
को वितरित किया गया।” परंपरा
अनुसार भगवान को परवल के
जूस का भी भोग
लगाया गया। सैकड़ों वर्ष
पुराना लकड़ी का रथ भगवान
के लिए विशेष रूप
से सजाया गया है। रथ
खींचने के लिए श्रद्धालु
अभी से उत्साहित हैं।
मान्यता है कि रथ
खींचने मात्र से ही भगवान
की विशेष कृपा प्राप्त होती
है.
आज निकलेगी डोली, शुक्रवार से रथयात्रा का आगाज़
गुरुवार, 26 जून को भगवान
की पालकी निकलेगी, जो अस्सी स्थित
मंदिर से प्रस्थान कर
द्वारकाधीश मंदिर पहुंचेगी। 27 जून से तीन
दिवसीय रथयात्रा महोत्सव की शुरुआत होगी।
भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और
भाई बलभद्र रथ पर विराजमान
होकर नगर भ्रमण करेंगे
और भक्तों को दर्शन देंगे।
लक्सा निवासी श्रद्धालु सुरभि मिश्रा कहती हैं : “हर
साल रथ खींचती हूं।
मान्यता है कि रथ
खींचने से जीवन के
पाप कटते हैं और
भगवान का आशीर्वाद मिलता
है। पुरी नहीं जा
पाई तो क्या, काशी
में ही भगवान मिल
जाते हैं।”
350 वर्षों से जीवित परंपरा
कहा जाता है
कि काशी की यह
रथयात्रा परंपरा लगभग 350 वर्षों से जारी है।
पुरातन लकड़ी के रथ पर
भगवान सवार होकर भ्रमण
करते हैं। श्रद्धालुओं का
मानना है कि रथ
खींचने मात्र से पुण्य की
प्राप्ति होती है। मंदिर समिति
के सदस्य विनोद चतुर्वेदी ने बताया, “यह
केवल परंपरा नहीं, काशी की आत्मा
है। यहां भगवान पुरी
की ही तरह भक्तों
को दर्शन देते हैं। बाहर
से आने वाले श्रद्धालु
भी बड़ी संख्या में
शामिल होते हैं।” मान्यता
है कि जो भक्त
जगन्नाथ पुरी नहीं जा
पाते, वे काशी में
भगवान के रथयात्रा में
सम्मिलित होकर वही पुण्य
अर्जित करते हैं। काशीवासियों
को भगवान के रथ को
खींचने का सौभाग्य प्राप्त
होता है।
प्रशासन ने की व्यापक तैयारी
जिला प्रशासन ने
रथयात्रा और डोली यात्रा
को लेकर सुरक्षा, ट्रैफिक,
साफ-सफाई और चिकित्सा
व्यवस्था को सशक्त किया
है। हर मार्ग पर
पुलिस बल की तैनाती
की गई है और
CCTV से निगरानी भी की जाएगी।
ADCP काशी जोन शैलेश पांडे
ने बताया “श्रद्धालुओं की भीड़ को
देखते हुए अलग-अलग
मार्ग चिन्हित किए गए हैं।
महिला पुलिस बल भी तैनात
रहेगी। स्वास्थ्य विभाग की टीमें भी
मौके पर रहेंगी।”
चढ़ता है भगवान जगन्नाथ को परवल का जूस
भगवान जगन्नाथ को उनके बीमारी
काल में विशेष रूप
से परवल (पटल) का जूस
अर्पित किया जाता है।
आयुर्वेद के अनुसार, परवल
का जूस शरीर को
ठंडक प्रदान करता है और
पाचन को ठीक रखता
है। मान्यता है कि 15 दिनों
के विश्राम के दौरान भगवान
का पाचन कमजोर हो
जाता है, इसलिए स्वास्थ्य
लाभ के लिए परवल
का शीतल और ताजगी
देने वाला जूस उन्हें
भोग स्वरूप अर्पित किया जाता है।
पं. राधेश्याम पांडे बताते हैं : “भगवान
जगन्नाथ को परवल का
जूस चढ़ाना हमारी सदियों पुरानी परंपरा है। यह भगवान
को शारीरिक और आध्यात्मिक शीतलता
प्रदान करता है” पुरी
और काशी दोनों जगह
यह परंपरा अक्षुण्ण रूप से निभाई
जाती है। परवल के
जूस का भोग केवल
इस विशेष अवसर पर ही
भगवान को लगाया जाता
है।
रथ यात्रा मार्ग
रथ यात्रा की
शुरुआत : जगन्नाथ मंदिर, अस्सी घाट से सोनारपुरा भदैनी दशाश्वमेध रोड गोदौलिया ठाकुर जी मंदिर (गुडौलिया
द्वारकाधीश मंदिर) लौटते समय वही मार्ग
वापस. प्रशासन ने मार्ग पर
बैरिकेडिंग और मार्गदर्शन के
लिए वालंटियर व पुलिस कर्मियों
की तैनाती की है। प्रशासन ने
सभी श्रद्धालुओं से अनुरोध है
कि प्रशासन द्वारा निर्धारित मार्गों का पालन करें।
विशेष सहायता कक्ष गोदौलिया, अस्सी
और दशाश्वमेध पर कार्यरत रहेंगे।
स्वास्थ्य एम्बुलेंस
और पेयजल की व्यवस्था की
गई है।
तीन दिन का रथयात्रा शेड्यूल
26 जून (गुरुवार) शुभ प्रभात पालकी यात्रा सुबह 9:00 बजे अस्सी मंदिर से प्रस्थान दोपहर 12:00 बजे भगवान द्वारकाधीश मंदिर पहुंचेंगे. श्रद्धालुओं द्वारा पुष्पवर्षा और स्वागत किया जायेगा. 27 जून (शुक्रवार) : रथ यात्रा महोत्सव का पहला दिन प्रातः 10:00 बजे भगवान रथ पर आरूढ़ दोपहर 12:00 बजे से रथ खींचना आरंभ. प्रमुख झांकी : नीलकंठ शिव, काशी नगरी की जीवंत झलक देखने को मिलेगी. 28 जून (शनिवार) : द्वितीय दिवस झांकी दर्शन झांकी : कृष्ण रासलीला, गोवर्धनधारी भगवान संगीतमय भजन संध्या – संध्या 6:00 बजे स्थान: दशाश्वमेध संगम स्थल. 29 जून (रविवार) : रथ यात्रा समापन दिवस झांकी : श्रीराम राज्याभिषेक और सुभद्रा विवाह रथ वापसी यात्रा दोपहर 2:00 बजे से भगवान पुनः अस्सी मंदिर में विराजमान होंगे.
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