Thursday, 12 June 2025

आसमान में उड़ान हो, न कि अंतिम सफर!

आसमान में उड़ान हो, कि अंतिम सफर

अहमदाबाद से लंदन के लिए टेकऑफ के कुछ ही क्षणों बाद या यूं कहें उड़ान भरने के दो मिनट बाद एयर इंडिया का बोइंग 787 विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया. जमीन पर विमान पड़ते ही मलबा में तब्दील हो गया. मंजर इतना भयावह है कि हर किसी का दिल दहल गया. इस विमान में कुल 242 लोग सवार थे, सभी की मौत हो गयी. इनमें से 169 भारतीय नागरिक, 53 ब्रिटिश नागरिक, 1 कनाडाई नागरिक और 7 पुर्तगाली नागरिक हैं. यह दुर्घटना अहमदाबाद एयरपोर्ट के पास हुई. जैसे ही घटना की खबर फैली, पूरे देश में शोक और चिंता की लहर दौड़ गई। इस हादसे ने दर्जनों परिवारों को गहरे सदमे में डाल दिया है. सवाल खड़े हो गए : क्या यह तकनीकी चूक थी? या आतंकी साजिश? कहीं यह एयर ट्रैफिक कंट्रोल की लापरवाही तो नहीं? क्या हम हर उड़ान के साथ अपनी जान दांव पर लगा रहे हैं? क्या सरकार और एजेंसियां सिर्फ हादसे के बाद ही जागती हैं? अगर कनाडा में 1985 में हुआ आतंकी बमकांड अब तक नहीं भुलाया गया, तो क्या अहमदाबाद को भी हम सिर्फ आंकड़ों में गिनेंगे

सुरेश गांधी

गुजरात के अहमदाबाद में भीषण विमान हादसा हुआ है, जिसने पूरे देश को हिला कर रख दिया है. इस हादसे की खबर सुनकर हर कोई स्तब्ध रह गया है. विमान में सवार यात्रियों और चालक दल के सदस्यों के परिवारों के लिए यह खबर किसी बड़े झटके से कम नहीं है. देशभर के लोग इस हादसे के बारे में सुनकर दुख और चिंता में हैं. बता दें, लंदन जा रही एयर इंडिया की एक फ्लाइट क्रैश हो गई. इस विमान में 242 लोग सवार थे, जिनमें 2 पायलट और 10 केबिन क्रू सदस्य शामिल हैं. हादसा अहमदाबाद के मेघानीनगर में हुआ है. फिलहाल रेस्क्यू और बचाव का काम चल रहा है. देखा जाएं तो यह पहला मामला नहीं है जब बोइंग के विमान क्रैश हुए हों. इससे पहले कई बार बोइंग के विमान क्रैश हो चुके हैं. इससे ठीक पहले साल 2024 में साउथ कोरिया में बोइंग का विमान क्रैश हुआ था, जिसमें लगभग 180 लोगों की जान चली गई. इसमें बोइंग का 737-800 एयरक्राफ्ट शामिल था, जो 737 मैक्स का एक नया वर्जन है. वहीं पिछले साल जनवरी में एक अलग घटना में उड़ान के दौरान एक 737 मैक्स के दरवाजे का प्लग उड़ गया था. इसके अलावा, 2018 और 2019 में भी बोइंग 737 मैक्स का विमान क्रैश हुआ था, जिनमें लायन एयर फ्लाइट 610 और इथियोपियन एयरलाइंस फ्लाइट 302 शामिल थीं, जिसके कारण विमान को बोइंग के इस विमान को रोकना पड़ा था और कंपनी को 30 अरब डॉलर तक का नुकसान हुआ था. 2018 और 2019 की दुर्घटना के दौरान 189 और 157 लोगों की जान गई थी.  

हालांकि अभी यह बोइंग 737- 800 से परिचालन में है. अहमदाबाद की उड़ती मौत ने फिर दिखा दिया कि आसमान में उड़ान अब महज विकास की निशानी नहीं, बल्कि चुनौतीपूर्ण जोखिम बन चुकी है। तकनीक, सुरक्षा और जिम्मेदारी कृ इन तीनों के तालमेल के बिना कोई भी उड़ानउड़ता ताबूतबन सकती है। क्या हमारा आसमान अब सुरक्षित नहीं रहा? क्या हर उड़ान एक जुआ बन चुकी है? विमान दुर्घटना होने के बाद जाँच समिति तो बनती है, पर क्या उसके सुझाव लागू होते हैं? डीजीसीए (नागर विमानन महानिदेशालय) की निरीक्षण प्रणाली कितनी प्रभावशाली है? विमानन कंपनियां सुरक्षा की बजाय मुनाफे को तरजीह क्यों देती हैं? पायलटों की ट्रेनिंग और कार्य घंटे को लेकर क्या वाकई सख्ती है? अहमदाबाद की इसउड़ती मौतने एक बार फिर देश को सोचने पर मजबूर कर दिया है, क्या हम आधुनिकता की दौड़ में सुरक्षा को भूल चुके हैं? जब तक हादसे नहीं होते, तब तक सुधार क्यों नहीं होते? अब वक्त गया है कि भारत अपनी एविएशन सुरक्षा को सिर्फ कागजों में नहीं, रनवे और कॉकपिट तक गंभीरता से ले।

आखिर बोइंग के विमानों में क्या है खराबी?

जब बोइंग के विमान लगातार क्रैश हो रहे थे तो बोइंग 73.7 मैक्स की जांच की गई. जांच से मैन्युवरिंग कैरेक्टरिस्टिक्स ऑग्मेंटेशन सिस्टम (एमसीएएस) से जुड़ी एक समस्या सामने आई. इस सिस्टम ने मैनुअली लैंडिंग पर निर्भरता कम कर दी थी, लेकिन पायलटों को इसके बारे में ज्यादा ब्रीफिंग नहीं की गई थी. आलम ये हुआ कि 2018 और 2019 में 346 यात्री और क्रू मेंबर्स की जान चली गई. इस हादसे के बाद इस विमान का संचालन रोक दिया गया था. बाद में इसे अपडेट करके बोइंग 737-800 के नाम से परिचालन में लाया गया. खास यह है कि बोइंग का विमानय बम का गोला बनकर उड़ता है. अहमदाबाद में हुए प्लेन क्रैश में बोइंग का 787 ड्रीमलाइनर इसका ताजा उदाहरण है. जिसकी पहले कभी क्रैश होने की कहानी नहीं रही है. ब्लैक बॉक्स मिलने के बाद अहमदाबाद हादसे का खुलासा हो सकेगा. एक रिपोर्ट के मुताबिक, सरकारी आंकड़ों के अनुसार बोइंग विमान दुनिया भर में लगभग 6,000 दुर्घटनाओं और घटनाओं में शामिल रहे हैं, जिनमें से 415 घातक थीं और 9,000 से अधिक लोगों की मृत्यु हुई है. दुनियाभर में फ्लाइट वाले हजारों यात्री विमानों में से कम से कम 4000 से ज्यादा विमान बोइंग 737-800 हैं. एनवाईटी की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि एशिया, यूरोप और उत्तरी अमेरिका कुछ प्रमुख .महाद्वीप हैं, जहां बोइंग विमानों का इस्तेमाल किया जाता है. 2023 में भी एक उड़ान के दौरान 737 मैक्स विमान के दरवाजे का प्लग उड़ गया था. इस तरह की घटनाएं बताती हैं कि तकनीकी खामियां अभी भी बोइंग के विमानों में लगातार सामने रही हैं.

आतंकवादी एंगल पर भी जांच

जांच में यह संभावना जताई जा रही है कि विमान के इंजन मॉड्यूल में रिमोट एक्सेस डिवाइस लगाया गया हो सकता है। एक संदिग्ध एयरक्राफ्ट मैकेनिक पर नजर जांच एजेंसियों की नजर है। अहमदाबाद एयरपोर्ट के पिछले 48 घंटे के सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं। खुफिया एजेंसियों ने इस हादसे कोप्री-प्लांड सैबोटाजमानकर जांच शुरू की है.

क्या हम सबक नहीं ले रहे?

भारत में इससे पहले भी कई भयावह विमान हादसे हो चुके हैं, जो या तो तकनीकी लापरवाही के कारण हुए या सुरक्षा तंत्र की चूक का नतीजा रहे : 1985 एयर इंडिया कनिष्क (अटलांटिक) बम विस्फोट में 329 लोग मारे गए। 1988 इंडियन एयरलाइंस 113 (अहमदाबाद) में रनवे से पहले गिरे विमान में 133 लोग मारे गए। 2010 एयर इंडिया एक्सप्रेस (मंगलौर) रनवे से फिसलकर खाई में गिरे विमान से 158 लोग मारे गए। 2020 में कोझिकोड हादसा में रनवे पर क्रैश विमान में 21 लोग मारे गए। 2021 में सेना का एमआई-17 चॉपर, सीडीएस जनरल बिपिन रावत की मृत्यु सहित तमिलनाडु के 13 लोग मारे गए। 1978 मुंबई इंडियन एयरलाइंस 213 मृत रनवे से फिसला, 1996 चर्खी दादरी, हरियाणा सऊदी कज़ाख विमान हादसा 349 मृत हवा में टकराव, 2000 में पटना में इंडियन एयरलाइंस में 60 मृत, कारण खराब मौसम, पायलट त्रुटि, 2010 मैंगलोर एयर इंडिया एक्सप्रेस 158 मृत रनवे से फिसलना, पायलट की गलती, देखा जाएं तो भारत में हर साल औसतन 15 से अधिक

एविएशन घटनाएं होती हैं। 17 जुलाई 2000 को एलायंस एयर की फ्लाइट नंबर 7412 पटना में दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी. यह विमान कोलकाता से दिल्ली जा रहा था और पटना इसका स्टॉपेज था. जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरने के दौरान विमान पटना के गर्दनीबाग इलाके में गिर गया था. 2021 से 2024 के बीच 62 सुरक्षा संबंधित चेतावनियां जारी की गईं, लेकिन कार्रवाई नगण्य। अधिकांश निजी चार्टर्ड विमानों के मेंटेनेंस रिकॉर्ड अपूर्ण हैं। पायलट थकान, एयर ट्रैफिक ओवरलोड, और हवाई अड्डों की सीमित क्षमता दृ यह त्रिकोण हादसों की बड़ी वजहें हैं।

अब क्या होना चाहिए?

हर चार्टर्ड विमान की उड़ान से पहले स्पेशल सिक्योरिटी क्लियरेंस अनिवार्य किया जाए.

डीजीसीए को स्वतंत्र जांच अधिकार मिलें

हर हादसे के बादब्लैक बॉक्स डेटाको सार्वजनिक किया जाए

सभी एयरपोर्ट पर साइबर सुरक्षा इकाई सक्रिय हो

क्यों हो रहे हैं बार-बार हादसे?

पुराने विमानों का संचालन

तकनीकी रखरखाव में लापरवाही

एयर ट्रैफिक कंट्रोल की खामियां

प्रशिक्षण की कमी और अनुभवहीन पायलट

सुरक्षा मानकों की अनदेखी

क्या भारत तैयार है?

भारत में पिछले 5 वर्षों में 24 से अधिक छोटे-बड़े विमान हादसे हुए हैं। डीजीसीए (नागर विमानन महानिदेशालय) और एमओसीए (नागर विमानन मंत्रालय) की रिपोर्ट बार-बार सुरक्षा प्रणाली में सुधार की मांग करती रही है, लेकिन जमीनी हकीकत अभी भी चिंताजनक है।

आखिर कब तक? कब थमेंगे विमान हादसे!

हर विमान हादसे के बाद वही सवाल उठते हैं, “क्यों हुआ?”, “कौन जिम्मेदार?”, और सबसे बड़ा सवालआखिर कब तक?” तकनीकी प्रगति, अंतरराष्ट्रीय मानक, और सुरक्षा प्रणालियों के बावजूद भी भारत समेत दुनियाभर में विमान हादसे थम नहीं रहे। बीते वर्षों में हुई घटनाएं बताती हैं कि समस्या कहीं कहीं प्रणालीगत और मानवीय चूक से जुड़ी है। यह रिपोर्ट केवल भारत, बल्कि वैश्विक परिप्रेक्ष्य में भी विमान सुरक्षा की मौजूदा हालत को उजागर करती है।

हादसों के सामान्य कारण

तकनीकी खराबी : इंजन फेल, रडार सिस्टम की विफलता

मानव त्रुटि : पायलट की गलत निर्णय क्षमता, एटीसी से संवाद की चूक

खराब मौसम : दृश्यता की कमी, रनवे पर पानी

एयर ट्रैफिक कंजेशन : उड़ानों की अत्यधिक संख्या

अनियमित निरीक्षण एवं रखरखाव : समय पर जाँच नहीं होना

आंकड़े बताते हैं चिंता की हकीकत

आइसीएओं (अंतरराष्ट्रीय नागर विमानन संगठन) के मुताबिक, भारत में 2023 में 43 गंभीर विमानन घटनाएं हुईं। एयर इंडिया, इंडिगो, और स्पाइसजेट जैसी प्रमुख एयरलाइनों के खिलाफ सुरक्षा मानकों को लेकर 32 बार नोटिस जारी हुए। डीजीसीए की रिपोर्ट (2024) 73 फीसदी घटनाओं में पायलट या तकनीकी स्टाफ की त्रुटि प्रमुख कारण। सुरक्षा विशेषज्ञों की मानें तोहमारे पास आधुनिक तकनीक है लेकिन उसे चलाने वाले लोग या तो अंडरट्रेंड हैं या अत्यधिक दबाव मेंकई बार कंपनियां पायलट से लगातार ड्यूटी करवा कर सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करती हैं।लोकसभा में 2023 में दिए गए बयान में सरकार ने माना किभारत के छोटे हवाईअड्डों पर सुरक्षा मानकों में लगातार सुधार की जरूरत है।

हमें क्या करना चाहिए?

1. डीजीसीए को अधिक स्वतंत्रता और शक्तियां देना

2. पायलटों और टेक्निकल स्टाफ की नियमित मानसिक और तकनीकी जाँच

3. टायर, इंजन, रनवे ट्रैकिंग सिस्टम का आधुनिकरण

4. अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण मानकों को लागू करना अनिवार्य

5. प्रत्येक विमान हादसे की रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए

6. हेल्पलाइन और शिकायत प्रणाली को अधिक प्रभावी बनाना 

क्या होती है मेडे कॉल?

किसी भी फ्लाइट मेंमेडे कॉलएक इमरजेंसी मैसेज होता है, जो पायलट उस वक्त देता है जब विमान किसी गंभीर संकट में हो और यात्रियों या क्रू की जान को खतरा हो. जैसे कि विमान का इंजन फेल होना, विमान में आग लगना, हवा में टकराव का खतरा, या हाईजैक जैसी स्थिति बन जाए.इस कॉल के ज़रिए कोई भी पायलट एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) और नज़दीकी विमानों को अलर्ट करता है कि प्लेन को तुरंत मदद की ज़रूरत है.इसे प्लेन के रेडियो पर तीन बार बोला जाता है : मेडे, मेडे, मेडेताकि साफ हो जाए कि यह मज़ाक नहीं बल्कि असली संकट है. जानकारी के मुताबिक, जैसे ही मेडे कॉल दिया जाता है कंट्रोल रूम उस विमान को प्राथमिकता देता है और सभी संसाधनों को उसकी मदद में लगा देता है, जैसे इमरजेंसी लैंडिंग की इजाजत, रनवे खाली कराना, एम्बुलेंस और फायर ब्रिगेड तैयार रखना. ‘मेडेशब्द फ्रेंच केएम आइदरसे आया है, जिसका मतलब होता है मेरी मदद करो. ध्यान देने वाली बात ये है कि यदि हालात बहुत ज्यादा गंभीर हो लेकिन चिंता की हो, तब पायलट पैन-पैन कॉल करता है, जोमेडेसे कम गंभीर मानी जाती है

जब आसमान टूटा ज़मीन पर…"

एक हादसा जो सिर्फ़ शरीर नहीं, सपनों और भविष्य को भी जला गया

सुरेश गांधी

12 जून की सुबह भारत के इतिहास में एक और काली तारीख बनकर दर्ज हो गई, जब अहमदाबाद से लंदन जा रही इंटरनेशनल फ्लाइट UK-781 टेक ऑफ के कुछ ही मिनटों बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस विमान में 232 यात्री और 10 क्रू मेंबर सवार थे। लेकिन इस त्रासदी की गहराई केवल यहां तक सीमित नहीं थी। जहां विमान गिरा, वह कोई सुनसान ज़मीन नहीं थी। वह स्थान था S.G. मेडिकल यूनिवर्सिटी के MBBS स्टूडेंट्स हॉस्टल का परिसरएक ऐसी जगह, जहाँ भारत का भविष्य किताबों और उम्मीदों के पन्नों में रचा जा रहा था।

दो उड़ानें थमींएक आकाश की, एक जीवन की

एक ओर वे यात्री थे, जो सपनों के साथ लंदन रवाना हुए थेनौकरी, पढ़ाई, या अपनों से मिलने की आस लेकर। दूसरी ओर वे छात्र थे, जो डॉक्टर बनने का सपना लिए MBBS के पहले, दूसरे और तीसरे वर्ष की पढ़ाई में डूबे थे। एक ही क्षण ने दोनों दिशाओं को उजाड़ दिया। करीब 180 से अधिक लोगों की तत्काल मृत्यु की पुष्टि की जा चुकी है, जिनमें हॉस्टल में रह रहे 41 मेडिकल छात्र भी शामिल हैं। कई अब भी मलबे में दबे हैं।

 "अब लौटेगा तो सिर्फ़ सामानबेटा नहीं"

घटनास्थल पर मौजूद रहे 60 वर्षीय रामस्वरूप सिंह, जो अपने बेटे से मिलने आए थे, टूटे शब्दों में कहते हैं – “मैंने तो कहा था बेटा आज छुट्टी ले लोलेकिन उसने कहापापा, आज लैब क्लास है, मिस नहीं कर सकताअब कभी मिस नहीं करेगा, क्योंकि अब वोहै ही नहीं। मौके पर राहत बचाव, लेकिन बहुत देर हो चुकी थी. दमकल और एनडीआरएफ की टीम ने 20 मिनट के भीतर पहुंचकर बचाव अभियान शुरू किया। हालांकि जिस गति से विमान हॉस्टल भवन से टकराया, वह किसी को भी पल भर में लीलने के लिए काफ़ी थी।अब तक 198 शव बरामद किए जा चुके हैं, जिनमें कई की शिनाख़्त तक संभव नहीं हो पा रही है।

एयरलाइन कंपनी और प्रशासन पर सवाल

हादसे की तकनीकी जांच शुरू हो चुकी है। विमान के ब्लैक बॉक्स को बरामद कर लिया गया है और DGCA (डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन) ने जांच के आदेश दे दिए हैं।/प्रश्न उठता हैआखिर टेक-ऑफ के चंद मिनटों में इतनी बड़ी तकनीकी विफलता कैसे हुई? क्या विमान में पहले से कोई यांत्रिक गड़बड़ी थी? और अगर हॉस्टल के ऊपर उड़ान भरना प्रतिबंधित था, तो ATC ने अनुमति कैसे दी?

पूरे देश में शोक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने इस दुर्घटना पर गहरा दुख प्रकट किया है। सरकार ने मृतकों के परिजनों को ₹25 लाख की सहायता राशि और घायलों को ₹5 लाख की घोषणा की है।

 "आज किताबें नहीं खुलेंगी…"

S.G. मेडिकल यूनिवर्सिटी ने तीन दिन के शोक की घोषणा की है। हॉस्टल के बचे छात्र अभी भी सदमे में हैं। कॉरिडोर में बिखरे किताबों के पन्ने, जली हुई मेडिकल किट्स, और दीवार पर टंगी तस्वीरेंयह सब गवाही दे रही हैं कि मौत सिर्फ़ शरीर नहीं ले गई, सपने भी जलाकर चली गई। अंत में बस यही सोच कर रुक जाती है कलम  उन माओं की क्या गलती थी, जिन्होंने बच्चों को डॉक्टर बनते देखने का सपना देखा था?” “उन बेटियों की क्या कसूर था, जो पहली बार फ्लाइट में बैठी थीं?” शायद जवाब कभी मिलेलेकिन सवाल हमेशा रहेंगे।bईश्वर सभी दिवंगत आत्माओं को शांति प्रदान करे। और हम सभी को ये सीख देकि जीवन कभी स्थायी नहीं होता, इसलिए हर दिन को आखिरी की तरह जियोऔर अपनों को गले लगाओ, जब तक वो हैं।

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