अब हादसा नहीं छुपेगा, होगी डिजिटल रिपोर्टिंग
आईआरएडी एप
से
जुड़े
हेरिटेज
मेडिकल
कॉलेज
के
डॉक्टर,
घायलों
को
मिलेगा
1.5 लाख
रुपये
तक
का
कैशलेस
इलाज
हर दुर्घटना
की
होगी
लाइव
फीडिंग,
पुलिस-हॉस्पिटल-हाईवे
विभाग
एक
साथ
करेंगे
कार्रवाई
अब हर
सड़क
दुर्घटना
का
बनेगा
डिजिटल
रिकॉर्ड
सुरेश गांधी
वाराणसी। जनपद में सड़क
दुर्घटनाओं पर प्रभावी नियंत्रण
और पीड़ितों को तत्काल राहत
पहुंचाने के उद्देश्य से
केंद्र सरकार ने ठोस कदम
उठाए हैं। सड़क परिवहन
एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा इंटीग्रेटेड रोड एक्सीडेंट डेटाबेस
(आईआरएडी) एप को लागू
किया जा रहा है,
जिसमें स्वास्थ्य विभाग की भागीदारी भी
सुनिश्चित की गई है।
इसी क्रम में हेरिटेज
इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज,
जो 200 सीटों वाला एमबीबीएस और
56 से अधिक पीजी पाठ्यक्रमों
वाला प्रमुख मेडिकल कॉलेज है, को पत्।क्
में फीडिंग के लिए प्रशिक्षण
दिया गया।
सोमवार को हेरिटेज हॉस्पिटल
लिमिटेड के चिकित्सा अधीक्षक
डॉ. अवतार नारायण, जीएम ए.के.
पांडेय, डॉ. मनु उप्पल
(आयुष्मान भारत नोडल अधिकारी),
बिलिंग मैनेजर विकास चौबे, विशाल राय, वरुण वर्मा
और आईटी एक्सपर्ट सपना
को जिला रोल आउट
मैनेजर चंद्रकांत तिवारी ने प्रशिक्षण प्रदान
किया। प्रशिक्षण में बताया गया
कि आईआरडीए पोर्टल पर प्रत्येक सड़क
दुर्घटना का विस्तृत विवरण
दर्ज किया जाएगा, जिसमें
मौके की स्थिति, वाहन,
चालक, घायल, संभावित कारण, और उपचार की
जानकारी भी होगी।
कैशलेस इलाज की योजना बनी जीवन रक्षक
केंद्र सरकार ने सड़क दुर्घटना
पीड़ितों के लिए 1.5 लाख
रुपये तक के कैशलेस
इलाज की नई योजना
लागू की है। जनवरी
में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी द्वारा की गई घोषणा
के बाद अब यह
योजना ज़मीनी स्तर पर क्रियान्वित
हो रही है। किसी
भी सार्वजनिक या निजी मान्यता
प्राप्त अस्पताल में पीड़ित को
तत्काल उपचार मिलेगा और उसका खर्च
सरकार उठाएगी।
हर हादसे की अब होगी डिजिटल मॉनिटरिंग
एनआईसी व पुलिस विभाग
के सहयोग से जिले की
हर छोटी-बड़ी सड़क
दुर्घटना की बारीकी से
जानकारी पत्।क् पर दर्ज की
जा रही है। अब
तक के आंकड़ों के
मुताबिक, 70 फीसदी दुर्घटनाएं तेज गति से
वाहन चलाने के कारण हो
रही हैं। इस एप
के माध्यम से पुलिस, परिवहन,
स्वास्थ्य और पीडब्ल्यूडी विभाग
आपस में डेटा साझा
कर सकेंगे, जिससे भविष्य में दुर्घटनाओं को
रोकने की प्रभावी रणनीति
बनाई जा सकेगी। पुलिसकर्मी
मौके पर पहुंचकर मोबाइल
एप के माध्यम से
दुर्घटना की फोटो, वीडियो,
समय, स्थान, घायल व्यक्ति का
नाम, उम्र, पता और वाहन
का विवरण दर्ज करेंगे। यह
जानकारी तुरंत संबंधित विभागों तक पहुंचेगी। विभागों
को अब पूर्व-एकीकृत
डाटाबेस, जैसे वाहन रजिस्ट्रेशन,
ड्राइविंग लाइसेंस, स्वास्थ्य रिकॉर्ड, सड़क नेटवर्क आदि
के जरिए कार्रवाई करनी
होगी।
प्रभावी रोकथाम की दिशा में सार्थक पहल
यह व्यवस्था न
केवल दुर्घटना के पीछे के
कारणों को उजागर करेगी,
बल्कि दुर्घटना संभावित स्थानों की पहचान कर,
वहां सुरक्षा उपाय भी सुनिश्चित
किए जाएंगे। इस तकनीकी पहल
से स्वास्थ्य संस्थानों की जवाबदेही भी
तय होगी और हर
दुर्घटना का चिकित्सा, तकनीकी
व प्रशासनिक दृष्टि से विश्लेषण संभव
होगा।
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