भारत की सनातन चेतना ही विश्वगुरु बनने का आधार : डॉ. दयाशंकर मिश्र
सेंटर फॉर सनातन रिसर्च का संगठन विस्तार, नवनियुक्त पदाधिकारियों को सौंपे गए दायित्व
आयुष मंत्री
डॉ.
दयाशंकर
मिश्र
’दयालु’
सहित
अनेक
धर्माचार्य
और
प्रबुद्धजन
रहे
मौजूद
सनातन फॉर
रिसर्च
सेंटर,
उत्तर
प्रदेश
का
दायित्व
पद
ग्रहण
समारोह
सुरेश गांधी
वाराणसी। सेंटर फॉर सनातन रिसर्च, उत्तर प्रदेश के संगठन विस्तार कार्यक्रम का भव्य आयोजन वाराणसी के सिगरा स्थित एक होटल में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन से हुई. इस दौरान मुख्य अतिथि प्रदेश के आयुष, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन मंत्री डॉ. दयाशंकर मिश्र ’दयालु’, पूर्व सांसद डॉ. विजय सोनकर शास्त्री, मां विंध्यवासिनी धाम के प्रधान अर्चक अगस्त कुमार द्विवेदी, विशालाक्षी देवी के महंत राजनाथ तिवारी, राष्ट्रीय संयोजक डॉ. रमन त्रिपाठी व प्रदेश अध्यक्ष अभिषेक द्विवेदी ’गणेश’ सहित अन्य गणमान्यजनों ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इसके दौरान मुख्य अतिथि द्वारा संगठन के प्रदेश अध्यक्ष अभिषेक द्विवेदी ’गणेश’ सहित उत्तर प्रदेश स्तर के पदाधिकारियों को दायित्व प्रमाण पत्र सौंपा गया।
नवगठित टीम में प्रदेश उपाध्यक्ष अवधेश तिवारी, अग्नि त्रिपाठी, महामंत्री संगठन श्रीशरंजन त्रिपाठी, प्रदेश मंत्री अभिषेक मिश्रा, दिल मोहन तिवारी, मंजू देवी, कोषाध्यक्ष एकनाथ पांडे, प्रवक्ता मीनाक्षी, मीडिया प्रभारी संदीप त्रिपाठी, और सह पदाधिकारी सौरभ पांडे, प्रवक्ता श्रीराम द्विवेदी, प्रकाश मिश्रा, आशीष प्रमुख हैं। जबकि संरक्षण मंडल में श्रीकांत मिश्रा (अर्चक विश्वनाथ मंदिर), कमल किशोर(पुजारी दुर्गाकुंड), विशालाक्षी देवी के महंत राजनाथ तिवारी, रोशन गिरी (प्रधान पुजारी काल भैरव), अभय पांडे (विधि अधिकारी बीएचयू), राजेश पांडे (जिला अध्यक्ष), अरविंद शुक्ला, डॉ. किरण पांडे, नित्यानंद त्रिपाठी, एवं दिवाकर द्विवेदी को शामिल किया गया।समापन सत्र में वक्ताओं
ने सनातन संस्कृति, वैदिक परंपराओं तथा धार्मिक जागरूकता
के प्रचार-प्रसार पर जोर देते
हुए युवा पीढ़ी को
इससे जोड़ने का आह्वान किया।
अंत में काशी सहित
प्रदेश के जिलों से
आएं संगठन के पदाधिकारियों व
सनातनियों को संबोधित करते
हुए मुख्य अतिथि डॉ. दयाशंकर मिश्रा
’दयालु’, ने कहा कि
“सनातन धर्म कोई संकीर्ण
परिभाषा नहीं, बल्कि यह जीवन जीने
की वह शाश्वत शैली
है, जो हमें आत्मा,
शरीर और मन के
संतुलन का विज्ञान सिखाती
है। यही भारत की
आत्मा है, यही ऋषियों
की साधना है, और यही
वह मूल चेतना है
जिसने इस देश को
हजारों वर्षों तक विश्वगुरु बनाकर
रखा।“ डॉ. मिश्रा ने
कहा कि “योग केवल
व्यायाम नहीं है, यह
चेतना का जागरण है।
यह आत्मा, शरीर और मन
का समन्वय है। और यही
समन्वय हमें अपने कर्तव्यों
की ओर प्रेरित करता
है।“ उन्होंने कहा कि 21 जून
को विश्व योग दिवस ने
पुनः सिद्ध किया है कि
दुनिया आज भारत की
ओर देख रही है,
उस संस्कृति की ओर, जिसने
न केवल शरीर को
बल्कि आत्मा को भी पोषित
किया है।
सनातन का गौरवशाली अतीत
मंत्री ने भारत के
गौरवशाली अतीत का उल्लेख
करते हुए कहा कि
“नालंदा और तक्षशिला केवल
विश्वविद्यालय नहीं थे, वे
ज्ञान के तीर्थ थे।
जहां दुनिया भर से विद्वान
शिक्षा ग्रहण करने आते थे।
भारत वह देश है
जहां की लाइब्रेरी को
जलाने में 90 दिन लगे। यह
भारत का वैभव था!“
उन्होंने याद दिलाया कि
अंकोरवाट मंदिर कंबोडिया में है, जो
दुनिया का सबसे बड़ा
धार्मिक स्थल है और
वह हिंदू मंदिर है। उन्होंने बताया
कि संयुक्त अरब अमीरात, जैसे
मुस्लिम देशों में भी आज
भारत की संस्कृति को
सम्मान मिल रहा है,
और अक्षरधाम मंदिर जैसे प्रतीक उभर
रहे हैं।
आयुष और आत्मबल
“आज जब हम
’आयुष’ की बात करते
हैं, तो यह केवल
वैकल्पिक चिकित्सा नहीं है, बल्कि
यह भारत की हजारों
वर्षों पुरानी वैज्ञानिक जीवन शैली का
नाम है। आयुर्वेद, योग,
यूनानी, होम्योपैथी और सोवा-रिग्पा,
ये सभी भारतीय परंपरा
की अमूल्य धरोहर हैं। उन्होंने कहा
कि “आयुष भारत की
मिट्टी से उपजा दर्शन
है, जो शरीर के
साथ आत्मा को भी आरोग्य
करता है।“
नया भारत, सनातन भारत
मंत्री ने अपने संबोधन
में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व
में भारत के सांस्कृतिक
जागरण की सराहना की
और कहा कि “आज
भारत फिर से अपने
अतीत को पहचान रहा
है, सहेज रहा है
और विश्व को सिखा रहा
है। ’विकास’ और ’संस्कार’, दोनों
को साथ लेकर चलना
ही इस युग का
सनातन पथ है।“ मंत्री
ने कहा कि “हम
सबका यह कर्तव्य है
कि हम सनातन परंपरा,
शोध और सेवा को
अपने जीवन का संकल्प
बनाएं। ’सनातन फॉर रिसर्च सेंटर’
जैसी संस्थाएं आज की आवश्यकता
हैं, जो ज्ञान, साधना
और संस्कृति को जोड़ती हैं।
मैं सभी नव-नियुक्त
पदाधिकारियों को हार्दिक बधाई
देता हूँ और विश्वास
करता हूँ कि यह
केंद्र एक विचार-क्रांति
का आधार बनेगा।“ राष्ट्रीय
संरक्षक एवं
अध्यक्ष डॉ. रमन त्रिपाठी
ने बताया कि इसका उद्देश्य
न केवल धर्मस्थलों के
बीच एकता स्थापित करना
है, बल्कि सनातन धर्म के प्रचार
और संरक्षण को भी बढ़ावा
देना है। ’युवाओं को
उनकी जड़ों से जोड़ने
का अभियान चलाया जायेगा. विभिन्न
देशों और राज्यों से
आए संत-महंत और
प्रतिनिधि सनातन धर्म की मजबूती
और सामूहिकता पर जोर देंगे।
जो पूरे सनातन समाज
के लिए एक मील
का पत्थर साबित होगा। विशालाक्षी देवी के महंत
राजनाथ तिवारी ने कहा, “काशी
में शिव और शक्ति
दोनों हैं, लेकिन उनके
बीच सामंजस्य का अभाव है।
यह सनातन धर्म को एकसूत्र
में पिरोने का प्रयास है।
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