Sunday, 13 July 2025

श्रद्धा की ध्वनि बना संकट मोचन मंदिर का 1100 किलो वजनी घंटा

श्रद्धा की ध्वनि बना संकट मोचन मंदिर का 1100 किलो वजनी घंटा 

श्रावण के पावन दिन, तुलसीदास जी की पुण्यतिथि पर प्रतिष्ठित हुआ भक्तों के समर्पण से निर्मित पीतल का विराट घंटा

सुरेश गांधी

वाराणसी. श्रावण मास की भक्ति और संत तुलसीदास जी की स्मृति में आज काशी के संकट मोचन मंदिर में एक ऐसा अध्याय जुड़ा, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए आस्था की मिसाल बन जाएगा। संत शिरोमणि तुलसीदास जी की पुण्यतिथि पर यहां 1100 किलो वजनी पीतल का एक विराट घंटा प्रतिष्ठित किया गया। यह दिन केवल एक प्रतिष्ठा नहीं, बल्कि आस्था और समर्पण की पिघली हुई भावनाओं की प्रतिध्वनि है, जिसमें भक्तों के वर्षों के समर्पण का स्वर समाया है। 

हर भक्त की घंटी से बनी एक सामूहिक आस्था

कोरोना काल की चुनौती भरे दिनों में भक्तों ने संकट मोचन हनुमान जी के चरणों में छोटी-छोटी पीतल की घंटियाँ समर्पित की थीं। इन्हीं अर्पित घंटियों को पिघलाकर मंदिर प्रशासन ने एक अद्वितीय घंटा तैयार करवायाजो आज प्रतिष्ठित हुआ। यह घंटा केवल ध्वनि करता है, बल्कि हनुमान भक्तों की उस अटूट श्रद्धा को भी स्वर देता है जो आपदा में भी अवसर खोजती है।

घंटे की विशेषताएं:

वजन: 1100 किलोग्राम (1.1 टन)

धातु: शुद्ध पीतल

निर्माण: भक्तों की समर्पित घंटियों से

स्थान: संकट मोचन मंदिर, वाराणसी

अवसर: श्रावण मास, श्यामा तीज शनितुलसीदास जी की पुण्यतिथि

यह घंटा धातु नहीं, पिघली हुई भावना है : महंत विश्वंभरनाथ मिश्र  

मंदिर के महंत प्रो. विश्वंभरनाथ मिश्र ने कहा : “यह घंटा भक्तों की भावनाओं का समर्पण है। ये सिर्फ धातु नहीं, आस्था का पिघलता हुआ स्वरूप है। संकट मोचन हनुमान जी के चरणों में यह सामूहिक अर्पण निश्चित ही एक ऐतिहासिक परंपरा की शुरुआत करेगा।

तुलसीदास जी को सच्ची श्रद्धांजलि

जिन तुलसीदास जी ने "रामचरितमानस" और "हनुमान चालीसा" जैसी कालजयी कृतियाँ दीं, उनकी पुण्यतिथि पर संकट मोचन मंदिर में यह सामूहिक घंटा केवल काव्यात्मक श्रद्धांजलि है, बल्कि युगों तक गूंजने वाली भक्ति की अमिट ध्वनि है।

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