श्रद्धा, सेवा और शिवत्व से गूंजती काशी
श्रावण सोमवार पर बाबा दरबार में उमड़ा जनसैलाब, कांवड़ियों और श्रद्धालुओं के स्वागत में पग-पग पर सेवा. शिवालयों में रुद्राभिषेक, चहुंओर “हर-हर महादेव” के स्वर ने एक बार फिर यह प्रमाणित कर दिया कि जब बात श्रद्धा की हो, तो आस्था की धाराएं हर बाधा को बहा ले जाती हैं। “श्रद्धा जब सेवा से जुड़ती है, तो वह केवल भक्ति नहीं रह जाती, एक युगचेतना बन जाती है।” प्रातः श्री काशी विश्वनाथ धाम में मंगला आरती के साथ श्रावण की शुरुआत ऐसी भक्ति और उल्लास के संग हुई, जिसकी अनुभूति शब्दों में नहीं, केवल मन में संभव है। सुबह से ही बाबा दरबार में दर्शन को उमड़ी अपार भीड़ ने हर एक मोड़ पर बता दिया कि काशी शिव की है, और शिव के नाम पर देश जुड़ता है। उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक से श्रद्धालु काशी पहुंचे। शिवभक्त कांवड़िये हरिद्वार, गंगोत्री व अन्य तीर्थों से जल लेकर बाबा के दर पर पहुंचे। शिवरात्रि की भांति शिवालयों में गंगा जलाभिषेक दौर शुरु हुआ तो बगैर कतार टूटे अनवरत जारी रहा
सुरेश गांधी
श्रावण मास के पहले सोमवार को शिव की नगरी काशी में आस्था का ऐसा प्रवाह दिखा, जिसने यह सिद्ध कर दिया कि श्रद्धा के सामने कोई मौसम, कोई दूरी मायने नहीं रखती। प्रातः श्री काशी विश्वनाथ धाम में मंगला आरती के साथ मास का श्रीगणेश हुआ। इसके पश्चात गोदौलिया व मैदागिन की ओर से आने वाले श्रद्धालुओं पर पुष्पवर्षा कर उनका भव्य स्वागत किया गया। कड़ाके की बारिश और उमस भरे वातावरण में भी श्रद्धालुओं की आस्था टस से मस नहीं हुई। घंटों इंतजार के बाद भी चेहरों पर थकान नहीं, ‘हर हर महादेव’ के जयकारे थे। घाटों पर रुद्राभिषेक, मंदिरों में भजन कीर्तन और गलियों में गूंजते हर हर महादेव के स्वर वातावरण को भक्तिमय बना रहे हैं। हैं। खास यह है कि 1932 से चली आ रही इस परंपरा के तहत इस वर्ष भी 50,000 से अधिक यादवबंधुओं ने बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक किया. इनमें से 21 चुनिंदा यादव प्रतिनिधियों को गर्भगृह तक जाकर जल चढ़ाने की अनुमति दी गई. यह एक बड़ा सम्मान है और इससे समाज की वर्षों पुरानी आस्था और समर्पण का पता चलता है। तो दुसरी तरफ दुकानों पर रुद्राक्ष, बेलपत्र, शिव-पार्वती चित्र और माला की खरीदारी जोरों पर है।
वैसे भी इस
वर्ष कांवड़ यात्रा और काशी दर्शन
का दुर्लभ संयोग बना है। हज़ारों
कांवड़िये गंगाजल लेकर बाबा विश्वनाथ
का अभिषेक करने पहुंचे। जिनके
कंधों पर कांवड़, माथे
पर चंदन और मन
में “बोल बम” के
उद्घोष थे, उन्होंने पूरे
मार्ग को शिवमय कर
दिया। इन जलधारियों के
स्वागत में रास्ते भर
सेवा शिविर, चाय-पानी, आराम
स्थल और चिकित्सा केंद्र
प्रशासन व स्वयंसेवी संस्थाओं
द्वारा सुसज्जित किए गए। राष्ट्रीय
राजमार्ग से लेकर मंदिर
परिसर तक हर बिंदु
पर कांवड़ियों के लिए विशेष
ट्रैफिक व्यवस्था और सुरक्षा प्रबंध
किए गए हैं। बता
दें, काशी केवल बाबा
विश्वनाथ का धाम ही
नहीं, बल्कि 84 कोटि शिवलिंगों की
पावन भूमि है।
श्रावण सोमवार को महामृत्युंजय महादेव, संकटमोचन, केदारेश्वर, ओंकारेश्वर, रत्नेश्वर महादेव, भीमशंकर, तेजोमहालाय (विश्वेश्वर लिंग) आदि प्राचीन शिवालयों में रुद्राभिषेक के लिए श्रद्धालुओं की लंबी कतारें देखी गईं। महामृत्युंजय मंदिर में विशेष जड़ी-बूटी युक्त जलाभिषेक किया गया। संकटमोचन मंदिर में भक्तों ने हनुमानजी के समक्ष शिव नाम का जाप करते हुए जल चढ़ाया।
अन्नपूर्णा मंदिर में महादेव व
अन्नपूर्णेश्वरी का सामूहिक पूजन
विशेष आकर्षण रहा। मतलब साफ
है यह केवल दर्शन
नहीं, काशी की शिवमयी
चेतना का उत्सव था।
श्रावण मास केवल एक
धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि भारत की आस्थाओं,
परंपराओं और जन-समूह
की आत्मा का उत्सव है।
यह वह समय होता
है जब गाँव-शहर
से लेकर तीर्थधामों तक
शिवभक्ति का अजस्र प्रवाह
बहता है।
काशी जैसे नगरों में यह केवल एक मासिक उत्सव नहीं, लोकजीवन की गहराइयों में पैठा एक संस्कार है, जहां श्रद्धा, सेवा और संकल्प तीनों एक ही छाया में मिलते हैं। यह वह महीना है जब प्रकृति, पुरुष और परमात्मा का त्रिवेणी संगम होता है। काशी में श्रावण, शिव और सेवा, तीनों एक साथ मिलकर वह वातावरण रचते हैं, जिसे केवल देखा नहीं, अनुभव किया जाता है.
कांवड़ियों
के स्वागत में राष्ट्रीय राजमार्ग
से धाम तक कई
सेवा शिविर, स्वास्थ्य सहायता बूथ, शीतल पेय
केंद्र, मोबाइल टॉयलेट्स आदि की व्यवस्था
की गई थी। बोल
बम के नारों से
संपूर्ण नगर शिवमय हो
उठा। काशी पहुंचे श्रद्धालु
अपने अनुभव साझा करते हुए
भावविभोर दिखे।
प्रयागराज से आए शिवाकांत बोले, “हर साल बाबा का जलाभिषेक करता हूं, लेकिन इस बार की व्यवस्था अद्भुत रही। प्रशासन से लेकर स्थानीय लोगों तक, सभी ने हमें सेवा दी।” वहीं कानपुर से आई रेखा देवी ने कहा, “सड़क से लेकर मंदिर तक हर जगह फूल, भक्ति और भव्यता है। शिव की नगरी में शिवत्व की अनुभूति होती है।” बारिश में भी भीगते हुए हर कदम पर बोल बम की ताकत थी।” प्रतापगढ़ के रजनीश ने कहा, “हम पहली बार काशी आए हैं, लेकिन लगता है जैसे वर्षों से यहीं हैं।
बाबा का आशीर्वाद और काशीवासियों की सेवा दोनों अतुल्य हैं।” पंजाब से आए 70 वर्षीय दर्शन सिंह ने कहा, “पिछले वर्ष स्वास्थ्य ठीक नहीं था, लेकिन बाबा ने इस बार बुलाया है। जब काशी आता हूं, तो लगता है जीवन सफल हो गया।“ वहीं महाराष्ट्र से आई रेखा बाई ने कहा, “धूप हो या बारिश, हम तो शिव जी के लिए आए हैं। बाबा के दर्शन से सारी थकावट खत्म हो जाती है।“श्रद्धालुओं की विशाल उपस्थिति को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने पहले से ही अपनी तैयारी पुख्ता कर ली थी। धाम क्षेत्र में 24 घंटे पेयजल केंद्र, चिकित्सा सहायता हेल्प डेस्क, खोया-पाया केंद्र, पुलिस सहायता बूथ एवं क्यू मैनेजमेंट सिस्टम जैसी व्यवस्थाएं श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए क्रियाशील रहीं।
नगर निगम, स्वास्थ्य विभाग, स्मार्ट सिटी टीम और स्वयंसेवी संस्थाओं की मदद से पूरे धाम क्षेत्र को साफ-सुथरा और व्यवस्थित रखा गया। गंगा घाटों पर साफ-सफाई के साथ स्नान को सुरक्षित और संयमित बनाया गया। खास यह है कि मंगला आरती के उपरांत गोदौलिया और मैदागिन की ओर से आने वाले श्रद्धालुओं पर भव्य पुष्पवर्षा की गई। इस स्वागत समारोह में पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल, जिलाधिकारी सत्येन्द्र कुमार, मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण, विशेष कार्याधिकारी पवन प्रकाश पाठक, नायब तहसीलदार मिनी एल शेखर समेत कई अधिकारी स्वयं मौजूद रहे और व्यवस्थाओं की निगरानी की।
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