छांगुर गैंग का गजवा एजेंडा : धर्म के जाल
में राष्ट्र के दुश्मन
छांगुर गैंग ने दिखा दिया कि धर्म के नाम पर कितनी गहरी साजिशें चल रही हैं। यह केवल आस्था पर हमला नहीं, भारत की सांस्कृतिक, सामाजिक और संवैधानिक संरचना को छिन्न-भिन्न करने की साजिश है। यह वह समय है, जब देश को आत्मिक पुनरावलोकन और निर्णायक एक्शन की ज़रूरत है। हमें तय करना होगा, छांगुर की सूफियाना माया के पीछे छिपे इस्लामीकरण के नाग को पहचानेंगे, या फिर एक दिन वह नाग हमारी सभ्यता को डस लेगा। यह घटना केवल बलरामपुर या उत्तर प्रदेश की नहीं, यह पूरे भारत की अस्मिता पर हमला है। जब तक ‘धर्मांतरण’ को मजहबी स्वतंत्रता का आवरण मिलता रहेगा, तब तक ग़ज़वा-ए-हिन्द जैसे सपने पनपते रहेंगे, ऐसे में बड़ा सवाल तो यही है क्या धर्मांतरण विरोधी कड़े कानून पूरे भारत में लागू हों? क्या सभी धर्मगुरुओं की निगरानी, उनके फंडिंग स्रोतों की जांच हो? क्या धर्मांतरण के बाद की सामाजिक और मानसिक स्थिति का गहन अध्ययन हो? क्या सरकारी योजनाओं में फर्जी लाभार्थियों की शिनाख्त की जाएं? क्या गांव स्तर तक जागरूकता अभियान चलाकर सच्चाई उजागर की जाएं? क्या धर्म की आड़ में इस्लामी साजिश का वाहक है छांगुर गैंग? क्या यह गरीबों, दलितों और आदिवासियों की आस्था पर हमला नहीं है? क्या धर्म की आड़ में यह गैंग राष्ट्रविरोधी प्रयोगशाला है? क्या भारत के संविधान, संस्कृति और चेतना पर संगठित प्रहार नहीं है? क्या यह संभव है कि एक बाबा अकेले इतने बड़े क्षेत्र में काम कर रहा था? क्या ऐसे नेटवर्क के खिलाफ फांसी योग्य कानून बने? क्या एनजीओं की विदेशी फंडिंग पूर्ण पारदर्शिता से संचालित होनी चाहिए? स्थानीय प्रशासन, एनजीओं लॉबी, राजनैतिक संरक्षण, क्या इनमें से कोई जिम्मेदार नहीं? क्या हम चुप रहेंगे, या भारत की आत्मा की रक्षा के लिए आवाज़ उठाएंगे? मतलब साफ है यदि जांच सिर्फ ‘छांगुर’ तक सीमित रही, तो सच अधूरा रहेगा। ये ऐसे सवाल है जिका जवाब अब पूरा भारत चाहता है
सुरेश गांधी
यूपी के बलरामपुर
से उठा धर्मांतरण का
एक संगठित और सुनियोजित षड्यंत्र
आज न सिर्फ पूरे
राष्ट्र की आत्मा को
झकझोर रहा है, बल्कि
भारत के सामाजिक ताने-बाने के विरुद्ध
छेड़ी गई एक सुनियोजित
लड़ाई का प्रतीक बनकर
उभरा है। यह सिर्फ
धर्मांतरण नहीं, एक वैचारिक हमला
है, जिसमें विदेशी धन, कट्टरपंथी सोच
और निरीह गरीबों की मजबूरी को
एक हथियार बनाया गया। नाम है,
‘छांगुर बाबा’, असली नाम जमालुद्दीन।
यह वही चेहरा है,
जिसने स्वयं को पहले हिंदू
संत के रूप में
प्रस्तुत किया, फिर “सूफी संत“,
और आखिरकार इस्लामिक एजेंट की तरह ‘ग़ज़वा-ए-हिन्द’ की
ज़हरीली बुनियाद डालने में जुट गया।
धर्मांतरण का यह रैकेट
न केवल सामाजिक ढांचे
को तोड़ रहा है,
बल्कि सीधे-सीधे राष्ट्रविरोधी
एजेंडे का भी हिस्सा
बन चुका है। छांगुर
बाबा का नेटवर्क यूपी,
बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, असम, दिल्ली, राजस्थान,
और महाराष्ट्र तक फैला है।
उसके माध्यम से भोले-भाले
दलितों, आदिवासियों और निर्धन वर्ग
को चमत्कार, तंत्र-मंत्र और झूठे इलाज
के बहाने मजहबी जाल में फंसाया
गया। धर्म परिवर्तन के
बाद हिन्दू रीति-रिवाजों का
त्याग और नव इस्लामी
पहचान की कठोर सीख
दी गई। ये कार्य
अकेले नहीं, बल्कि एक संगठित टीम,
फंडिंग, और विचारधारा के
साथ हो रहे थे।
यह सब दर्शाता है
कि यह धर्म परिवर्तन
नहीं, भारत को विचारों
से बदलने का षड्यंत्र था।
मुस्लिम समुदाय की ओर से विदेशों से भारी फंडिंग होती रही, जिसका प्रयोग मस्जिदों, मदरसों, और कन्वर्ज़न केंद्रों को खड़ा करने में हुआ। इस कार्य में विदेशी एनजीओ, पाकिस्तानी फंडिंग नेटवर्क, और खाड़ी देशों से जुड़ी संस्थाओं की भूमिका जांच के घेरे में है। “ग़ज़वा-ए-हिन्द“ वह कट्टर इस्लामी अवधारणा है, जिसमें भारत को इस्लामी शासन के अधीन लाने का सपना पाले बैठे आतंकी गुट बार-बार इसे अपना लक्ष्य बताते रहे हैं। छांगुर गैंग इसी ज़हर को ‘धर्मगुरु’ की आड़ में बोता रहा. धर्मांतरण के बाद लोगों को भारत विरोधी विचारधारा से लैस किया गया। पाकिस्तान परस्त मौलानाओं से जुड़ी बैठकों के वीडियो, ऑडियो, और लेख प्राप्त हुए हैं, जो इस नेटवर्क के आतंकी कनेक्शन को इंगित करते हैं। स्थानीय मदरसों में कट्टरता, जिहाद और इस्लामी प्रभुत्व की शिक्षाएं बच्चों तक को दी जा रही थीं। जिन युवाओं ने झांसे में आकर मजहब बदला, उनमें से कई ‘स्लीपर सेल’ की भूमिका में आने लगे। हालिया इनपुट के मुताबिक : कई धर्मांतरित युवक नकली दस्तावेज़ों के साथ सरकारी योजनाओं का दुरुपयोग कर रहे थे। कुछ साइबर फ्रॉड, हवाला, और फेक आइडेंटिटी जैसे अपराधों से भी जुड़ चुके हैं।
आईबी और एटीएस
की जांच में कई
सबूतों से यह स्पष्ट
हुआ है कि यह
केवल धार्मिक नहीं, राजनैतिक और आतंकी उद्देश्यों
की पूर्ति का माध्यम है।
वर्षों से यह नेटवर्क
सक्रिय था, लेकिन स्थानीय
प्रशासन, खुफिया एजेंसियां और पुलिस आंख
मूंदे बैठे रहे। धर्म
की स्वतंत्रता के संवैधानिक अधिकार
की आड़ में इस्लामीकरण
की खेती होती रही।
कुछ नेताओं और स्वयंभू सेक्युलर
बुद्धिजीवियों की चुप्पी और
समर्थन, इस गैंग को
पनपने का खाद-पानी
देते रहे। जांच एजेंसियों
को शक है कि
छांगुर गैंग का प्रतिबंधित
इस्लामी संगठन पीएफआई (पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया) से
भी जुड़ाव था. मकसद : गरीबों
को लुभाना, धर्म बदलवाना और
उन्हें भारत विरोध की
शिक्षा देना। वॉट्सऐप ग्रुप्स और टेलीग्राम चैनल
के माध्यम से कट्टर मजहबी
संदेशों का प्रचार किया
जा रहा था। विदेशी
खाते, संदिग्ध हवाला ट्रांज़ैक्शन्स और ‘बाबा’ के
ठिकानों से बरामद दस्तावेज
इस कड़ी को और
पुख्ता करते हैं।
बता दें, 23 जून
को बाबा छांगुर द्वारा
हजारों लोगों के नामांतरण की
जानकारी मिली. 24 जून को उतरोला
थाना क्षेत्र के मधपुर गांव
में बाबा की विशाल
कोठी देखने के बाद इस
बड़े नेटवर्क का खुलासा हुआ.
यह नेटवर्क पूरे भारत में
फैला हुआ है और
हजारों लोगों का धर्मांतरण करा
चुका है. हरियाणा में
12 और 13 जुलाई को छांगुर गैंग
के आमिर और उसकी
बहन नेहा को गिरफ्तार
किया गया है. पीड़ितों
को विदेशों से भी धमकियां
मिल रही हैं. खुफियां
एजेंसियो के मुताबिक धर्मांतरण
के इस देशव्यापी जाल
में छांगुर ने 5000 से ज्यादा लड़कियों
का धर्म परिवर्तन कराया
है. 1000 मुस्लिम युवकों की फौज खड़ा
कर लव जिहाद का
खेल खेल रहा था।
एटीएस और ईडी की
जांच जैसे-जैसे आगे
बढ़ रही है, छांगुर
बाबा की सच्चाई परत-दर-परत बेनकाब
होती जा रही है.
धर्मांतरण के एक संगठित
रैकेट से शुरू हुआ
खुलासा अब आईएसआई कनेक्शन
और राष्ट्रविरोधी साजिश तक पहुंच चुका
है. छांगुर बाबा सिर्फ धर्म
बदलवाने का खेल नहीं
खेल रहा था, बल्कि
हिंदुस्तान में सांप्रदायिकता का
जहर खोलकर तोड़ने की साजिश भी
रच रहा था. छांगुर
बाबा ने धर्मांतरण के
नाम पर जो नेटवर्क
खड़ा किया था, उसी
का इस्तेमाल कर वो पाकिस्तान
की खुफिया एजेंसी आईएसआई से सीधा संपर्क
साधने की कोशिश कर
रहा था.
खुफिया एजेंसियों के मुताबिक नेपाल
की राजधानी काठमांडू में पाकिस्तानी दूतावास
में आईएसआई एजेंटों की एक गोपनीय
बैठक हुई थी. इसमें
छांगुर के नेपाल कनेक्शन
के जरिए संपर्क की
कोशिश की गई. हिंदू
लड़कियों के धर्मांतरण के
बाद आईएसआई एजेंटों से निकाह की
साजिश छांगुर बाबा की योजना
थी कि आर्थिक रूप
से कमजोर हिंदू परिवारों की महिलाओं को
फंसाकर उनका धर्मांतरण कराया
जाए. फिर इनका निकाह
नेपाल में आईएसआई के
एजेंटो और स्लीपर सेल
से करवा दिया जाए.
ये महिलाएं बाद में जासूसी
के नेटवर्क का हिस्सा बन
सकें, इसके लिए बाकायदा
कोडवर्ड सिस्टम भी विकसित किया
गया था. छांगुर बाबा
का नेटवर्क सिर्फ उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं
था. छांगुर बाबा का जाल
महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, बिहार और पश्चिम बंगाल
तक फैला हुआ था.
इस पूरे नेटवर्क को
वो विदेशी फंडिंग के जरिए मजबूत
करता रहा. एटीएस की
पूछताछ में खुलासा हुआ
है कि उसने लव
जिहाद के लिए मुस्लिम
युवकों की फौज तैयार
की थी. बीते तीन
वर्षों में 1000 से ज्यादा मुस्लिमों
को इस काम के
लिए कैश पेमेंट दी
गई. नेपाल सीमा से सटे
सात जिलों को टारगेट किया
गया. बाबा
का नेटवर्क लड़कियों को फंसाता, ब्रेनवॉश
करता और फिर उनका
धर्मांतरण कर निकाह करवा
देता था. इसके लिए
विदेशों से भारी मात्रा
में फंड आता था.
एटीएस की जांच में
छांगुर बाबा द्वारा इस्तेमाल
किए गए कोडवर्ड भी
सामने आए हैं. जैसे
कि लड़कियों को ’प्रोजेक्ट’ कहा
जाता था. ब्रेनवॉश की
प्रक्रिया को ’काजल करना’
कहा जाता था. किसी
लड़की को बाबा से
मिलाने को ’दीदार कराना’
कहा जाता था.
इसी तरह धर्मारण
को ’मिट्टी पलटना’ कहा जाता था.
इन कोड्स के जरिए बाबा
और उसका गैंग आपस
में बात करता था
ताकि किसी को भनक
न लगे. ईडी और
एटीएस की पड़ताल में
यह बात भी सामने
आई है कि बाबा
के पास विदेशों से
करोड़ों की फंडिंग आई.
जांच में अब तक
18 बैंक खातों की जानकारी मिली
है. इनमें कुल 68 करोड़ रुपए जमा
हुए. केवल तीनमहीनों में
ही 3 करोड़ रुपए ट्रांसफर
किए गए. छांगुर बाबा
की सबसे बड़ी राजदारनीतू
वोहरा उर्फ नसरीन थी,
जो खुद भी धर्म
परिवर्तन कर इस साजिश
का हिस्सा बनी. उसके खाते
में अकेले चार महीनों में
14 करोड़ रुपए आए. उन्हें
तुरंत निकाल भी लिया गया.
वहीं, उसके पति नवीन
वोहरा के खातों में
भी 18 करोड़ रुपए की
एंट्री मिली है. बाबा
ने अपने नेटवर्क को
कानूनी रूप देने के
लिए चार अलग-अलग
संस्था बना रखी थीं.
इन्हीं संस्थाओं के जरिए फंडिंग
होती थी. इसकी आड़
में राष्ट्रविरोधी साजिश का खाका तैयार
किया जा रहा था.
इस पूरे मामले में
यूपी के मुख्यमंत्री योगी
आदित्यनाथ ने बेहद सख्त
रुख अपनाया है. उन्होंने स्पष्ट
कहा है कि विदेशों
से आ रहे पैसे
के जरिए भारत को
तोड़ने की साजिश हो
रही है. राज्य सरकार
किसी भी कीमत पर
इसे सफल नहीं होने
देगी. फिलहाल छांगुर बाबा यूपी एटीएस
की गिरफ्त में
है. उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण के
कई मामले सामने आए हैं, जिनमें
संगठित रैकेट के नेटवर्क को
ध्वस्त किया गया है.
छांगुर बाबा की गतिविधियां
सिर्फ धर्मांतरण तक सीमित नहीं
थीं, बल्कि वह क्षेत्रीय डेमोग्राफी
को बदलने के मंसूबे पाले
हुए थे. बीते कुछ
सालों से यूपी के
कई जिलों में संगठित रूप
से धर्मांतरण की घटनाएं चौंकाने
वाली हैं. यह गैंग
लगभग 15 वर्षों से कार्य कर
रहा था और इस
दौरान इसने बड़ी संख्या
में धर्मांतरण कराए हैं. जमालुद्दीन
उर्फ छांगुर बाबा, जो कभी भीख
मांगता था, ने न
सिर्फ अवैध धर्मांतरण का
एक बड़ा अंतरराष्ट्रीय रैकेट
चलाया, बल्कि 10 साल में अरबों
की अवैध संपत्ति खड़ी
कर ली. मुंबई से
दुबई और यूपी के
बलरामपुर से तुर्की तक
फैले इस नेटवर्क के
जरिए उसने 5000 से ज्यादा हिंदू
और सिख लड़के लड़कियों
का धर्मांतरण कराया. उसके 40 खातों में 100 करोड़ रुपये से
अधिक का लेनदेन हुआ
है और उसे पाकिस्तान,
तुर्की, यूएई और सऊदी
अरब जैसे देशों से
फंडिंग मिलती थी धर्मांधरण की
आड़ में धोखे और
फॉरेंन फंडिंग का धंधा चला
रहे छांगुर बाबा के नेटवर्क
को लेकर कई खुलासे
हो रहे हैं जो
उसके काले कारनामों की
पूरी कहानी बयां कर रहे
हैं,
“इस्लामिक इंडिया” का सपना : दस्तावेजी साक्ष्य
पकड़े गए मोबाइल,
लैपटॉप व डिवाइसों से
जो दस्तावेज मिले, उनमें उल्लेख है : “2030 तक भारत के
30 जिलों को मुस्लिम बहुल
बनाना”. “हर जिले में
धार्मिक सेंटर”. “महिलाओं को टारगेट करो”.
“तिलक, पूजा, आरती, सब बंद कराओ”
और “कट्टरता के लिए धार्मिक
अध्ययन, विदेश ट्रेनिंग“ यह सब दर्शाता
है कि यह धर्म
परिवर्तन नहीं, भारत को विचारों
से बदलने का षड्यंत्र था।
बलरामपुर के महदेईया, तुलसीपुर,
नानपारा, चंदईपुर जैसे गांवों में
दर्जनों ऐसे परिवार मिले
हैं, जिन्होंने : दबाव में आकर
धर्म बदला, फिर भी आर्थिक
स्थिति नहीं सुधरी, और
जब उन्होंने विरोध किया तो धमकियां
मिलने लगीं। एक पीड़ित ने
बताया, “पहले बाबा ने
कहा हम गरीब हैं,
अल्लाह का रास्ता अपनाओ
तो सब मिलेगा। अब
ना पुराना धर्म बचा, ना
समाज। बोलने से डर लगता
है।“ कई परिवारों को
अब पुलिस सुरक्षा में रखा गया
है, क्योंकि च्छाँगुर के गुर्गों द्वारा
धमकी दी जा रही
है. “अगर बाबा के
खिलाफ बोले तो अंजाम
भुगतोगे।“
पीड़ितों की कहानी : “धर्म बदला, डर बढ़ा“
लेकिन अब खुद उसके
धर्मांतरण की शिकार बनी
कई महिलाएं सामने आईं हैं, जिन्होंने
अपनी आपबीती बताई, पीड़ित महिलाओं ने बताया कि
कैसे उन्हें छांगुर बाबा ने अपने
जाल में फंसाया और
फिर कैसे उनका धर्म
बदलवाया. धर्म परिवर्तन के
लिए उसने बाकायदा एक
रेट लिस्ट बना रखी थी.
छांगुर बाबा 3 तरीकों से धर्मांतरण करवाता
था. नीतू-जमालुद्दीन की
अमीरी दिखाता, लव जिहाद के
लिए मुस्लिम युवाओं को उकसाता. उसके
इन 3 तरीकों में एक तरीका
मुस्लिम युवाओं को हिंदू लड़की
से शादी करने और
फिर उसे इस्लाम कबूल
करवाने का था। छांगुर
के ’छलजाल’ में फंसीं युवतियों
की आपबीती सुनकर इस वक्त हर
कोई अचंभित है। पीड़िता ने
बताया कि मुझे मारपीट
कर बेहोशी की हालत में
उतरौला ले जाया गया.
कहा गया कि मेरा
रूहानी इलाज किया जाएगा.
छांगुर का गुर्गा फरमान
मुझे सहारनपुर ले गया. वहां
मुझे नकली नाम से
अस्पताल में भर्ती करवाया
गया. ये लोग सीधी
कॉल नहीं करते थे.
इंटरनेट कॉल के जरिए
संपर्क में रहते थे.
वे मुझे सऊदी लेकर
गए थे. मैं ब्यूटीशन
हूं, मुझसे कहा गया कि
वहां अच्छी कंपनी में नौकरी लगवा
दूंगा. वहां शादी कर
सेटल हो जाएंगे. वहां
जाकर पता चला कि
यह हिंदू नहीं, मुस्लिम हैं. देवबंद, मुरादाबाद,
मुजफ्फरनगर मिनी पाकिस्तान में
इनका रैकट है.
दूसरी महिला ने बताया कि
मेरे जो संपर्क में
आया, उसने मुझे अपना
नाम अमित बताया. उसका
असली नाम अबू अमीर
अंसारी था. उसने पूरी
फैमिली को हिंदू बताकर
मुझसे मिलवाया. छांगुर बाबा से मेरी
2019 में मेरी मुलाकात चांद
औलिया दरगाह पर हुई, जहां
का माहौल बड़ा अजीब था.
वहां सिर्फ महिलाएं थी और उनका
ब्रेनवॉश कराया जा रहा था.
जिन्होंने मुझे अपने जाल
में फंसाया, उसके पिता ने
ही 10 से ज्यादा का
धर्म परिवर्तन कराया है. उनको जब
तक पकड़ा नहीं जाएगा
तब तक खुलासे नहीं
होंगे. अभी तो इस
मामले में 50 फीसदी भी कार्रवाई नहीं
हुई है. इस गैंग
का अभी तो सरगना
गिरफ्तार हुआ है बाकि
जो इस गैंग को
चला रहे हैं वो
तो अभी तक खुले
घूम रहे हैं. सभी
को गिरफ्तार किया जाना चाहिए,
छांगुर बाबा की प्रोपर्टी
अपने नाम पर नहीं
है, उसने ज्यादातर प्रोपर्टी
दूसरों के नाम पर
ली है. वो दूसरों
के नाम से सारा
खेल खेल रहा है.
कोई भी सरगना अपने
आप से खेल नहीं
खेलता है. फंडिंग हुई
है, और रेट तय
किया गया है. फंडिंग
का पैसा किसी भी
पीड़िता को नहीं मिला.
ये पैसा हवाला के
जरिए आता है. नेपाल
से आता है, इसमें
नेपाल का बहुत बड़ा
सहयोग है. लखनऊ के
अंदर मैंने वो जगह बताई
है, किस जगह से
पैसा आता है कहां
से लिया जाता है.
तीसरी पीड़ित ने बताया कि
उन्हें जान से मारने
की धमकी दी जा
रही है. औरैया की
रहने वाली युवती ने
बताया कि वो रूद्र
बनकर मेरी मम्मी को
2019 में पापा की शराब
छुड़वाने के लिए मिला
था. इसके बाद हम
छांगुर बाबा से मिले.
छांगुर ने एक ताबीज
दिया और दुआ पढ़ी.
रूद्र की बहन मेरे
घर पर नाम बदलकर
आती जाती थीं. 2024 में
उसने कहा कि बाबा
कानपुर आए हैं, उनसे
मिल लो. हम उसके
साथ चले गए. वह
मुझे फतेहपुर मस्जिद में ले गया.
मेरे साथ जबरन निकाह
किया गया. तब मुझे
पता चला कि उसका
नाम मेराज अंसारी है. वीडियो कॉल
पर छांगुर बाबा भी था.
उन्होंने मेरा नाम जैनब
रखा. सबा नाम की
औरत को मेरी नकली
मां बनाया था. तीन महीने
तक मुझे बंधक रखा
गया. वह फोन पर
2047 तक भारत को इस्लामिक
मुल्क बनाने की बात करता
था. उसके बड़े पापा
पाकिस्तान में रहते हैं.
मुझे वहां भेजने की
बात भी करते थे.
कानून, संवैधानिकता
भारत का संविधान
स्वतंत्रता देता है, भ्रमित
करने का अधिकार नहीं।
धर्मांतरण तब वैध हो
सकता है जब वह
स्वेच्छा और समझ के
साथ हो। परंतु लालच,
भय, मानसिक दबाव और संगठित
नेटवर्क से कराया गया
धर्म परिवर्तन संवैधानिक अपराध है।
जरूरी कदम
धर्मांतरण विरोधी कानून को ’’केंद्रीय स्तर
पर मजबूत बनाया जाए। हर राज्य
में “धार्मिक स्वतंत्रता निगरानी आयोग“ बने। विदेशी फंडिंग
पर डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम लागू हो। पीड़ितों
के लिए पुनर्वास और
मानसिक परामर्श तंत्र बने। क्योंकि “धार्मिक
स्वतंत्रता भारत की आत्मा
है, लेकिन संगठित धर्मांतरण उसकी हत्या।” छांगुर
गैंग’ जैसी घटनाएं कोई
अपवाद नहीं, प्रायोजित प्रयोग हैं। यदि आज
हम इनका पर्दाफाश नहीं
करेंगे, तो कल बेटियों,
संस्कारों और समाज की
नींव छिन जाएगी। यह
समय है, देश को
चेताने का। धर्म की
रक्षा नहीं, भारत की चेतना
की रक्षा करें। भारत के नागरिकों,
विशेषकर युवाओं को यह समझना
होगा कि धर्मांतरण कभी
भी ’स्वतंत्रता’ नहीं, बल्कि ’संवेदनशीलता’ और ’सामूहिक चेतना’
का विषय है।
राज्य संभावित गतिविधियां
यूपी बलरामपुर, श्रावस्ती,
बहराइच, गोंडा जेसे संवेदनशील ज़ोन
बिहार सीमांचल क्षेत्र
कट्टरता के लिए जाना
जाता है
पश्चिम
बंगाल बांग्लादेशी
घुसपैठ से जुड़े लिंक
केरल फंडिंग व
विचारधारा प्रशिक्षण का केंद्र
दिल्ली संपर्क बिंदु,
पीएफआई लॉबी सक्रिय
विदेशी फंडिंग और स्लीपर मॉड्यूल का शक
रिपोर्ट्स के अनुसार, कुछ
“मानव सेवा“ के नाम पर
रजिस्टर्ड एनजीओ इस नेटवर्क का
वित्त पोषण कर रहे
थे। यूएई, मलेशिया, और कतर जैसे
देशों से हवाला मार्ग
से पैसा भारत लाया
गया, जिसे सामाजिक कार्यों
की आड़ में इस्तेमाल
किया गया। अब खुफिया
एजेंसियां यह पता लगाने
में जुटी हैं कि
कहीं यह नेटवर्क ‘स्लीपर
सेल’ या ‘कट्टरपंथी वैचारिक
प्रशिक्षण’ का अड्डा तो
नहीं।
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