Friday, 1 August 2025

गंगा ने पार किया चेतावनी बिंदु, वरुणा में पलट प्रवाह से दर्जनों बस्तियां जलमग्न

1978 की बाढ़ का रिकॉर्ड टूटने की आशंका गंगा हर घंटे बढ़ रही 4 सेमी, प्रशासन अलर्ट

गंगा ने पार किया चेतावनी बिंदु, वरुणा

में पलट प्रवाह से दर्जनों बस्तियां जलमग्न 

मंडलायुक्त एनडीआरएफ डीआईजी ने किया बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण

राजघाट पर जलस्तर 70.28 मीटर, खतरे के निशान से महज एक मीटर दूर

436 परिवार विस्थापित, 15 गांवों में फसलें तबाह

प्रशासन ने बढ़ाई राहत गतिविधियां, 46 में से 13 शिविर क्रियाशील

सुरेश गांधी

वाराणसी। गंगा के रौद्र रूप ने काशीवासियों की चिंता और बढ़ा दी है। शुक्रवार शाम 6 बजे तक राजघाट गेज पर गंगा का जलस्तर 70.36 मीटर दर्ज किया गया, जो चेतावनी बिंदु 70.26 मीटर से ऊपर है। गंगा अब खतरे के निशान 71.26 मीटर से केवल 90 सेंटीमीटर नीचे है, और हर घंटे औसतन 4 सेमी की दर से बढ़ रही है। केंद्रीय जल आयोग के अनुसार, यदि यही रफ्तार बनी रही तो अगले 24 से 36 घंटों में गंगा खतरे का स्तर 71.262 मीटर भी पार कर सकती है। 

प्रशासन के अनुसार, मध्य प्रदेश और राजस्थान में हो रही मूसलधार बारिश और बांधों से छोड़े गए 10 लाख क्यूसेक पानी का असर अगले 2-3 दिन में वाराणसी पहुंचेगा। विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि इस बार 1978 की ऐतिहासिक बाढ़ का जलस्तर रिकॉर्ड 73.90 मीटर भी टूट सकता है। गंगा का रौद्र रूप धीरे-धीरे 1978 की विभीषिका की ओर इशारा कर रहा है। प्रशासन सतर्क है, लेकिन चुनौतियां बड़ी हैं। ऐसे में ज़रूरत है जन-भागीदारी, संयम और सूचना के साथ सजगता की।

वरुणा नदी में पलट प्रवाह, शहर के मोहल्ले डूबे

गंगा के बढ़ते जलस्तर का सीधा प्रभाव वरुणा नदी पर पड़ा है। नदी में पलट प्रवाह शुरू हो गया है जिससे वरुणा किनारे की बस्तियां जलमग्न हो गई हैं। सलारपुर, सरैया, नक्खीघाट, दानियालपुर, कोनिया, रसूलगढ़, नगवां समेत 10 मोहल्लों में बाढ़ का पानी घुस चुका है। गरीब, बुनकर और मजदूर परिवार सबसे अधिक प्रभावित हैं। 

लोग खुद ही अपने घरों से पलायन करने को मजबूर हैं। ऊंचवा, शैलपुत्री, सिधवा घाट, मीणा घाट जैसे इलाकों में सैकड़ों घरों में पानी घुस चुका है। गरीब, बुनकर और मजदूर वर्ग के लोग सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं।

तहसील सदर की 15 ग्राम पंचायतें जलमग्न, 294 किसान प्रभावित

बाढ़ का ग्रामीण असर भी तेजी से सामने रहा है। तहसील सदर की 15 ग्राम पंचायतों में फसलें बर्बाद हो चुकी हैं। रामपुर ढाब, रामचंदीपुर, मुस्तफाबाद, छीतौना, लुठा, गोबरहा, कैथी सहित गांवों में कुल 53.65 हेक्टेयर कृषि भूमि प्रभावित है। 294 कृषक इस तबाही की चपेट में हैं।

436 परिवारों का विस्थापन, राहत शिविरों में 953 लोग

प्रशासन की रिपोर्ट के अनुसार, अब तक 436 परिवारों को विस्थापित किया गया है। इनमें से 209 परिवार राहत शिविरों में, जबकि 227 परिवार अन्य सुरक्षित स्थानों पर रह रहे हैं। कुल 2019 लोग अब अपने घरों से बेघर हो चुके हैं। राहत के लिए बनाए गए 46 शिविरों में से 13 क्रियाशील हैं, जिनमें प्रमुख हैं : प्राथमिक विद्यालय, सलारपुर
, नवोदय स्कूल, दानियालपुर, सुभाष इंटर कॉलेज, कोनिया, जे.पी. मेहता इंटर कॉलेज, सिकरौल, गोपी राधा इंटर कॉलेज, रविंद्रपुरी, प्राथमिक विद्यालय, रामपुर ढाब आदि।

बाढ़ राहत सामग्री और चिकित्सा वितरण

1 अगस्त को अब तक राहत शिविरों में : 2677 लंच पैकेट, 192 फल, 135 दूध पैकेट, 21 मरीजों का इलाज, 55 ओआरएस, 125 क्लोरीन टैबलेट वितरित किए गए हैं। इसके अलावा, 22 नावों को विभिन्न जलमग्न क्षेत्रों में राहत कार्यों में लगाया गया है।

प्रशासन का नियंत्रण कक्ष सक्रिय

जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने नागरिकों से अपील की है कि वे बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से सतर्कता बरतें और प्रशासन के निर्देशों का पालन करें। कंट्रोल रूम पूरी तरह सक्रिय है। किसी भी आपात स्थिति में संपर्क करें :

📞 0542-2508550, 2504170, 9140037137

अधिकारियों का संयुक्त निरीक्षण

मंडलायुक्त एस. राजलिंगम और एनडीआरएफ डीआईजी मनोज शर्मा ने शुक्रवार को गंगा घाटों और वरुणा किनारे के इलाकों का स्थलीय निरीक्षण किया। उन्होंने कहा किस्थिति नियंत्रण में है, लेकिन गंभीर है। सभी विभागों को अलर्ट किया गया है और एनडीआरएफ की टीमें पूरी तैयारी के साथ मौके पर तैनात हैं।

एनडीआरएफ की टीमें तैयार, लेकिन नावों की कमी महसूस

एनडीआरएफ डीआईजी मनोज शर्मा ने बताया किटीमें पूरी तरह तैयार हैं और स्थानीय प्रशासन के साथ लगातार समन्वय में काम कर रही हैं। किसी भी स्थिति में राहत कार्य तत्काल शुरू कर दिए जाएंगे।हालांकि स्थानीय लोगों ने नावों की कमी की शिकायत की है, जिससे कई जगहों पर लोगों को बाहर निकालने में दिक्कत रही है।

1978 की बाढ़ का रिकॉर्ड टूट सकता है

वरिष्ठ अधिकारियों और गंगा विशेषज्ञों की मानें तो इस बार वाराणसी में 1978 की भयावह बाढ़ का रिकॉर्ड टूटने की संभावना प्रबल हो चुकी है। उस वर्ष गंगा का जलस्तर 73.901 मीटर तक पहुंचा था। इस बार भी जलग्रहण क्षेत्रों से रहे विशाल जल प्रवाह और लगातार बारिश को देखते हुए ऐसा दोहराव संभव माना जा रहा है।

प्रशासन ने जारी की अपील

जिला प्रशासन ने तटीय बस्तियों में रहने वाले लोगों से अपील की है कि वे सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट हो जाएं और अफवाहों पर ध्यान दें। सरकारी राहत शिविरों की तैयारी की जा रही है और प्रभावित इलाकों में राशन, पेयजल चिकित्सा सहायता पहुंचाने के प्रयास तेज किए जा रहे हैं। कमिश्नर के साथ मीटिंग में मकानों को खाली करने की अपील की गई है, क्योंकि बाढ़ का स्तर 1978 से भी ज्यादा हो सकता है और राहत शिविर भी डूबने की कगार पर है स्थिति भयावह होती जा रही है और प्रशासन को तत्काल कार्रवाई करनी

होगी.

अब तक का उच्चतम जलस्तर 73.901 मीटर

जानकारी के मुताबिक, वाराणसी में अब तक गंगा का सबसे उच्चतम जलस्तर 73.901 मीटर दर्ज किया गया है। वर्तमान में गंगा इससे करीब 3.6 मीटर नीचे बह रही है, लेकिन जलस्तर बढ़ने की रफ्तार को देखते हुए सतर्कता बेहद जरूरी है।

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