Saturday, 9 August 2025

श्रावण मास की पूर्णिमा पर बाबा विश्वनाथ का भव्य झूलनोत्सव श्रृंगार

श्रावण मास की पूर्णिमा पर बाबा विश्वनाथ का भव्य झूलनोत्सव श्रृंगार 

सोने-चांदी के गहनों, रंग-बिरंगे फूलों और सुगंधित चंदन से सजे बाबा को हरियाली झूले पर झुलाया गया

मंदिर में विशेष पूजन-अर्चन और हरिहर मिलन के गीतों की गूंज रही

सुरेश गांधी

वाराणसी. सावन मास की पवित्र पूर्णिमा तिथि पर शनिवार को श्री काशी विश्वनाथ धाम में आस्था और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिला। मंदिर परिसर में बाबा विश्वनाथ का झूलनोत्सव श्रृंगार सम्पन्न हुआ, जिसमें महादेव को भव्य स्वर्ण सिंहासन पर सुशोभित कर हरियाली झूले में विराजमान कराया गया।  

सुबह से ही श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगनी शुरू हो गई थीं। काशी के परंपरागत रुद्राभिषेक और वेदघोष के बीच बाबा का विशेष श्रृंगार किया गया। सोने-चांदी के गहनों, रंग-बिरंगे फूलों और सुगंधित चंदन से सजे बाबा को हरियाली झूले पर झुलाया गया। इस अवसर पर मंदिर में विशेष पूजन-अर्चन और हरिहर मिलन के गीतों की गूंज रही।

मंदिर प्रशासन के अनुसार सावन पूर्णिमा पर होने वाला यह झूलनोत्सव बाबा विश्वनाथ और माता पार्वती के प्रेम, सौंदर्य और सृष्टि के संतुलन का प्रतीक है। मान्यता है कि इस दिन महादेव और माता गौरी को झूला झुलाने से दांपत्य सुख, वैवाहिक जीवन में सौहार्द और घर-परिवार में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।

पौराणिक मान्यता के अनुसार, श्रावण मास शिवभक्ति का श्रेष्ठ काल माना गया है। पुराणों में वर्णित है कि इसी मास में माता पार्वती ने कठोर तप कर महादेव को पति रूप में प्राप्त किया था। सावन की पूर्णिमा को हरियाली तीज और झूलनोत्सव के रूप में मनाने की परंपरा भगवान और भगवती के मिलन के आनंदोत्सव का प्रतीक है।

काशी की गलियों से लेकर घाटों तक इस अवसर पर भक्ति का माहौल छाया रहा, जबकि स्थानीय कलाकारों ने भी मंदिर के बाहर हरियाली झूले और कांवड़ सजावट से अद्भुत दृश्य रचा। श्रद्धालु "हर हर महादेव" और "बोल बम" के जयघोष करते हुए बाबा के दर्शन कर अपने को धन्य मानते रहे।

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