उड़ीसा में विफल निजीकरण, यूपी में क्यों दोहराई जा रही गलती?
निजी कंपनियों
पर
उपभोक्ता
उत्पीड़न
का
आरोप,
यूपी
में
बिजलीकर्मी,
किसान
व
उपभोक्ता
एकजुट
सुरेश गांधी
वाराणसी. विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की है कि उड़ीसा में बिजली वितरण के निजीकरण की विफलता से सबक लेते हुए प्रदेश में पूर्वांचल व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण का निर्णय तत्काल वापस लिया जाए।
समिति ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने इस पर रोक नहीं लगाई तो सितंबर में पूरे प्रदेश में किसान, उपभोक्ता और बिजलीकर्मी एकजुट होकर आंदोलन करेंगे।
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि उड़ीसा विद्युत नियामक आयोग ने उपभोक्ता फोरमों की शिकायतों पर स्वतः संज्ञान लेते हुए टाटा पावर की चारों वितरण कंपनियों का लाइसेंस निरस्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है और 10 अक्टूबर को मामले की सुनवाई तय की गई है।
आरोप है कि
कंपनियाँ उपभोक्ताओं को बेहतर सेवा
देने में पूरी तरह
विफल रही हैं।
उपभोक्ताओं ने बिजली कटौती, गलत और बेतहाशा बिलिंग, प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाकर परेशान करने और बिना सूचना आपूर्ति रोक देने जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं।
वहीं, पूर्व बिजली कर्मचारियों को किनारे कर उनका भविष्य भी अधर में छोड़ दिया गया है।
संघर्ष समिति ने कहा कि उड़ीसा में निजीकरण का प्रयोग 1999 से लगातार असफल साबित हो रहा है।
पहले एईएस, फिर रिलायंस और अब टाटा पावरकृतीनों ही कंपनियाँ उपभोक्ता संतुष्टि देने में नाकाम रही हैं।
यूपी में
यदि यह प्रयोग थोपने
की कोशिश हुई तो सबसे
अधिक मार गरीब उपभोक्ताओं
और किसानों पर पड़ेगी।
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