एयरपोर्ट से ताज तक गूंजा भारत : मॉरीशस मैत्री का स्वर
काशी में मॉरीशस के प्रधानमंत्री का भव्य एवं दिव्य स्वागत
एयरपोर्ट से
होटल
तक
गूंजे
हर
हर
महादेव
के
जयकारे,
गंगा
आरती
में
होंगे
सहभागी
गिरमिटिया जुड़ाव
से
कूटनीतिक
साझेदारी
तक,
काशी
ने
अपनाया
मॉरीशस
के
प्रधानमंत्री
को
तिरंगे और
पारंपरिक
नृत्य
से
सजी
काशी
की
सड़के,
विदेशी
मेहमान
पर
छाया
भारतीय
रंग
भारत : मॉरीशस
रिश्तों
को
नई
ऊंचाई
देगा
रामगुलाम
का
काशी
दौरा
सुरेश गांधी
वाराणसी. मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम बुधवार की शाम 6ः18 बजे अपने विशेष विमान से बाबतपुर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचे। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री व जनपद वाराणसी के प्रभारी मंत्री सुरेश खन्ना, मंडलायुक्त एस. राजलिंगम, पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल, जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार समेत वरिष्ठ जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों ने उनकी अगवानी की। पुष्पगुच्छ भेंट कर गरिमामय स्वागत किया गया। वहां से वे सड़क मार्ग से होटल ताज रवाना हुए।
इस दौरान एयरपोर्ट से ताज होटल तक के मार्ग पर पारंपरिक नृत्य, सांस्कृतिक प्रस्तुतियां और हाथों में तिरंगा लिए बच्चों का उत्साह देखने लायक रहा। एयरपोर्ट से होटल ताज तक के मार्ग पर काशीवासियों ने अपने विशिष्ट अतिथि का अभिनंदन किया। मंगारी चौराहा, जयपुरिया स्कूल के पास, गिलट बाजार, भोजूबीर, कचहरी स्थित डॉ. भीमराव आंबेडकर चौराहा और होटल ताज के समीप प्रधानमंत्री का स्वागत किया गया। भाजपा कार्यकर्ताओं, स्थानीय नागरिकों और स्कूली बच्चों ने हाथों में तिरंगा लिए पारंपरिक ढंग से उनका अभिनंदन किया।सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से सजी काशी
गंगा आरती व द्विपक्षीय वार्ता से और गहराएंगे रिश्ते
मॉरीशस के प्रधानमंत्री गुरुवार
की सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी और प्रधानमंत्री रामगुलाम
के बीच द्विपक्षीय वार्ता
होगी। इसमें शिक्षा, संस्कृति, पर्यटन और तकनीकी सहयोग
जैसे विषयों पर चर्चा होने
की संभावना है। इसके बाद
वे श्री काशी विश्वनाथ
धाम के दर्शन करेंगे
और बाबा विश्वनाथ से
आशीर्वाद लेंगे। सायंकाल वे दशाश्वमेध घाट
पर गंगा आरती के
दिव्य दृश्य के साक्षी बनेंगे।
प्रधानमंत्री रामगुलाम के दौरे से
भारत मॉरीशस के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक
और कूटनीतिक रिश्तों को और मजबूती
मिलने की उम्मीद है।
काशी ने एक बार
फिर यह संदेश दिया
है कि वह न
केवल धर्म और संस्कृति
की राजधानी है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय
स्तर पर भी भारत
की आत्मीयता और अतिथि देवो
भवः की परंपरा का
प्रतिनिधित्व करती है।
भारत : मॉरीशस संबंधों की ऐतिहासिक गहराई
भारत और
मॉरीशस के रिश्ते केवल
आज की कूटनीतिक जरूरतों
पर आधारित नहीं हैं, बल्कि
यह संबंध सदियों पुराने सांस्कृतिक और भावनात्मक जुड़ाव
पर खड़े हैं। 19वीं
सदी में हजारों भारतीय
मजदूर, जिन्हें गिरमिटिया मजदूर कहा जाता है,
मॉरीशस पहुंचे थे। उनमें से
अधिकांश उत्तर प्रदेश और बिहार से
थे। उन्होंने अपनी मेहनत और
संघर्ष से न केवल
मॉरीशस का निर्माण किया,
बल्कि भारतीय संस्कृति, भाषा और परंपराओं
को भी वहां जीवित
रखा . आज भी मॉरीशस
की जनसंख्या का लगभग दो-तिहाई हिस्सा भारतीय मूल का है।
हिंदी, भोजपुरी और अवधी वहां
बोली जाती है। दीपावली,
होली और महाशिवरात्रि जैसे
त्योहार उसी उत्साह से
मनाए जाते हैं जैसे
भारत में। यही कारण
है कि मॉरीशस और
भारत के संबंध केवल
सरकारों के बीच नहीं,
बल्कि जनता के दिलों
के बीच भी गहराई
से जुड़े हुए हैं।
प्रधानमंत्री रामगुलाम का काशी आगमन
इस ऐतिहासिक बंधन को और
मजबूत करता है। काशी,
जिसे विश्व की सबसे प्राचीन
नगरी कहा जाता है,
भारतीय संस्कृति की आत्मा है।
मॉरीशस के प्रधानमंत्री का
यहां आना, गंगा आरती
देखना और बाबा विश्वनाथ
का दर्शन करना उन सभी
गिरमिटिया पूर्वजों को भी नमन
है जिन्होंने सदियों पहले इस बंधन
की नींव रखी थी।
काशी ने दिखाया आत्मीय संबंध
काशी ने अपने
अतिथि का स्वागत केवल
परंपरा से नहीं, बल्कि
आत्मीयता से किया। सड़कों
पर जगह-जगह सजावट,
रंग-बिरंगी रोशनियां और गुलाब की
पंखुड़ियों से बिछे मार्ग
ने विदेशी मेहमानों पर गहरी छाप
छोड़ी। प्रधानमंत्री रामगुलाम के स्वागत ने
यह संदेश दिया कि भारत
और मॉरीशस के रिश्ते केवल
कूटनीतिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक स्तर
पर भी जुड़े हुए
हैं। काशी के घाटों
और गंगा आरती की
दिव्यता इस मित्रता को
और भी गहराई देगी।
No comments:
Post a Comment