खादी से रोज़गार तकः स्वदेशी संकल्प की जीवंत तस्वीर बनी वाराणसी की खादी ग्रामोद्योग प्रदर्शनी
खादी ग्रामोद्योग प्रदर्शनी : दो दिनों में ही बढ़ा रुझान बिक्री 53 लाख पार
स्वदेशी उत्पादों
की
खरीद
से
आत्मनिर्भर
भारत
की
ओर
कदम,
ग्रामीण
अर्थव्यवस्था
को
मिल
रही
नई
ऊर्जा
सुरेश गांधी
वाराणसी. उत्तर प्रदेश खादी तथा ग्रामोद्योग
बोर्ड द्वारा आयोजित खादी ग्रामोद्योग प्रदर्शनी
केवल एक व्यापारिक आयोजन
नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत और ग्रामीण
सशक्तिकरण का सशक्त मंच
बनकर उभरी है। प्रदर्शनी
में ग्राहकों का अच्छा रुझान देखने
को मिल रहा है। सर्द मौसम के चलते सबसे अधिक मांग खादी के गर्म कपड़ों की रही है। 10
दिवसीय प्रदर्शनी के पहले दो दिनों में ही खादी व ग्रामोद्योग उत्पादों की बिक्री
53 लाख रुपये के पार पहुंच गई। प्रदर्शनी में
कुर्ता, शॉल, शर्ट, जैकेट व सदरी खासतौर पर ग्राहकों की पसंद बने हुए हैं। मंडल स्तरीय
खादी एवं ग्रामोद्योग प्रदर्शनी में प्रदेश और अन्य राज्यों से आई खादी से जुड़ी संस्थाओं
ने अपने उत्पाद प्रदर्शित किए हैं।
जिला उद्योग अधिकारी
ए.पी. सिंह ने
बताया कि सोमवार को
प्रदर्शनी में कुल 53 लाख
रुपये की बिक्री दर्ज
की गई, जो स्वदेशी
उत्पादों के प्रति बढ़ते
भरोसे का स्पष्ट प्रमाण
है। प्रदर्शनी में प्रतिदिन सांस्कृतिक
कार्यक्रमों का भी आयोजन
किया जा रहा है,
जिससे खरीदारी के साथ-साथ
परिवार सहित लोग कला
और संस्कृति का भी आनंद
उठा रहे हैं। खादी ग्रामोद्योग
प्रदर्शनी स्वदेशी, स्वरोज़गार और संस्कृति, तीनों
को एक सूत्र में
पिरोती हुई ग्रामीण भारत
के उज्ज्वल भविष्य की मजबूत नींव
रख रही है। प्रदर्शनी में
वाराणसी के साथ-साथ
उत्तराखंड एवं प्रदेश के
विभिन्न जनपदों प्रतापगढ़, मिर्जापुर, कुशीनगर, प्रयागराज आदि की पंजीकृत
इकाइयों ने अपने उत्पादों
के प्रचार-प्रसार और बिक्री के
लिए भागीदारी की है। कुल
125 स्टॉल लगाए गए हैं,
जिनमें 22 खादी स्टॉल और
103 ग्राम उद्योग स्टॉल शामिल हैं। हस्तनिर्मित वस्त्र,
अगरबत्ती, शहद, मसाले, मिट्टी
व लकड़ी से बने
उत्पाद लोगों को खासा आकर्षित
कर रहे हैं।
भारत सरकार और
राज्य सरकार द्वारा संचालित प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम तथा
मुख्यमंत्री ग्राम उद्योग रोजगार योजना के अंतर्गत आयोजित
यह प्रदर्शनी आमजन को स्वरोज़गार
के लिए प्रेरित करने
के साथ-साथ स्वदेशी
उत्पादों के प्रति विश्वास
को और गहरा कर
रही है। प्रदर्शनी का
मूल उद्देश्य यही है कि
लोग स्वदेशी उत्पादों को अपनाएं, स्वयं
रोज़गार के अवसर पैदा
करें और दूसरों को
भी रोज़गार देने में सहभागी
बनें, ताकि ग्रामीण अर्थव्यवस्था
को ठोस मजबूती मिल
सके। इसी भावना के
साथ प्रदर्शनी में खादी वस्त्रों
के साथ-साथ विभिन्न
ग्राम उद्योग उत्पादों की जमकर खरीदारी
हो रही है। उपभोक्ताओं
को खादी वस्त्रों पर
30 प्रतिशत तक की छूट
का लाभ मिल रहा
है, जिससे खरीदारी का उत्साह और
बढ़ गया है। महात्मा
गांधी का प्रसिद्ध कथन,
“खादी केवल वस्त्र नहीं,
एक विचार है”, इस प्रदर्शनी
में सजीव रूप में
दिखाई देता है। गांधी
जी ने खादी को
केवल पहनने का कपड़ा नहीं,
बल्कि स्वतंत्रता आंदोलन, ग्रामीण स्वावलंबन और राष्ट्रीय एकता
का प्रतीक माना था। आज
वही विचार वाराणसी की इस प्रदर्शनी
में नई ऊर्जा के
साथ जीवित नजर आ रहा
है।

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