काशी लिखेगा देश में ‘2019‘ की पटकथा
दुनिया
के
प्रचीन
व
जीवंत
शहरों
में
शुमार
काशी
व
उससे
लगायत
विन्ध्य
क्षेत्र
में
विराजमान
मां
विन्ध्यवासिनी
धाम
न
सिर्फ
यूपी,
बल्कि
भारत
समेत
पूरी
दुनिया
में
आस्था
का
केन्द्र
हैं।
भारत
दौरे
पर
आएं
फ्रांस
के
राष्ट्रपति
इमैनुएल
मैक्रों
के
साथ
प्रधानमंत्री
नरेन्द्र
मोदी
ने
इन
दोनों
धार्मिक
स्थलों
के
धरातल
पर
भारत
एवं
फ्रांस
की
मित्रता
के
जो
नए
प्रतिमान
गढ़े
है
उसकी
गूंज
2019 के
लोकसभा
चुनाव
में
गूंजेगी।
दादर
कलां
मे
स्थापित
जिस
सौर
ऊर्जा
परियोजना
का
इमैन्युअल
मैक्रों
ने
उद्घाटन
किया
है,
वह
यूपी
की
सबसे
बड़ी
सौर
ऊर्जा
परियोजना
है।
75 मेगावाट
के
इस
सोलर
प्लांट
से
देश
के
तकरीबन
25 करोड़
घरों
में
सोलर
चूल्हा
जलेंगे।
आईआईटी
के
विद्यार्थियों
को
इनोवेशन
का
मौका
मिलेगा।
तो
दुसरी
तरफ
वाराणसी
से
प्रतिदिन
पटना
जाने
व
उसी
दिन
वापसी
के
लिए
ट्रेन
की
बहुप्रतीक्षित
मांग
को
ध्यान
में
रखकर
रेल
मंत्रालय
द्वारा
काशी-पटना
जंक्शन-काशी
स्वच्छता
जनसेवा
शताब्दी
एक्सप्रेस
के
परिचालन
को
स्वीकृति
प्रदान
की
गई।
मोदी
ने
खुद
हरी
झांडी
दिखाकर
इस
ट्रेन
को
रवाना
किया।
मतलब
साफ
है
भारत
और
फ्रांस
ने
आज
दुनिया
को
बता
दिया
है
कि
वो
एक
साथ
मिलकर
गणतंत्र
की
ताकत
से
आतंक
के
तंत्र
को
उखाड़
फेंकेगे
और
आपसी
सहयोग
से
विकास
के
तंत्र
को
मजबूत
बनाएंगे
सुरेश
गांधी
बेशक, मंडुआडीह का
नवनिर्मित रेलवे ओवरब्रिज हो
या गंगा पर
तैयार रामनगर-सामनेघाट
पुल, सभी प्रधानमंत्री
नरेन्द्र मोदी के
विकास की कड़ी
हैं। कहा जा
सकता है एक
के बाद एक
कॉलोनियों और मोहल्लों
को हृदय सहित
अन्य योजनाओं के
तहत संवारा जा
रहा है। मोदी
ने काशीवासियों को
792 करोड़ का विभिन्न
परियोजनाओं के क्रियान्वयन
के लिए जो
तोहफा दी है
वह आने वाले
दिनों में विकास
को और गहरा
करेंगे। वाराणसी से प्रतिदिन
पटना जाने व
उसी दिन वापसी
के लिए चलायी
गयी ट्रेन काशी-पटना जनसेवा
शताब्दी एक्सप्रेस से बिहारी
भी गदगद है।
इसकी बड़ी वजह
है कि प्रतिदिन
हजारों बिहारियों का बनारस
आना-जाना होता
है। यह गाड़ी
अपने यात्रा मार्ग
में वाराणसी, मुगलसराय,
बक्सर, आरा व
दिलदारनगर स्टेशनों पर रुकेगी।
इस गाड़ी के
परिचालन से यात्री
सुबह वाराणसी से
पटना जाकर उसी
दिन शाम को
वापस आ सकेंगे।
इसके अतिरिक्त पूर्वी
उत्तर प्रदेश का
मध्य बिहार से
सीधे संपर्क की
एक अतिरिक्त सुविधा
उपलब्ध हो गई
है। वाराणसी नगर
की घनी आबादी
वाले क्षेत्र में
सड़क यातायात की
सुविधा को ध्यान
में रखकर वाराणसी
जंक्शन-मंडुआडीह स्टेशन के
मध्य मंडुआडीह यार्ड
में समपार के
स्थान पर सड़क
उपरिगामी सेतु का
निर्माण करीब 42 करोड़ की
लागत से किया
गया है। इस
सेतु के बन
जाने से गोदौलिया,
लक्सा एवं महमूरगंज
का मंडुआडीह बाजार
व चांदपुर औद्योगिक
क्षेत्र से सीधा
जुड़ाव होगा। साथ
ही समपार के
दोनों ओर लगने
वाले सड़क जाम
से छुटकारा मिलेगा।
खासकर मोदी की
निगाह श्रीकाशी विश्वनाथ
मंदिर का विस्तार
व सुंदरीकरण पर
है। उन्हें पता
है दुनियाभर में
काशी की पहचान
मंदिर से ही
है। हर भारतीय
की मंशा होती
है कि वह
अपने जीवनकाल में
बाबा विश्नाथ के
दरबार में मत्था
टेके। ऐसे में
अगर मंदिर परिक्षेत्र
का विकास सोमनाथ
मंदिर की तरह
किया जाएं तो
लाखों-करोड़ों आस्थावनों
का दिल जिता
सकता है। बनारस
में पर्यटकों की
संख्या बढ़ेगी तो काशीवासियोकं
की आमदनी भी
बढ़ेगी। और जब
आमदनी बढ़ेगी तो
आर्शीवाद उन्हें ही मिलेगा।
यही वजह है
कि बनारस दौरे
के दौरान मोदी
ने अधिकारियों संग
मिटिंग कर सख्त
हिदायत दी है
कि मुश्किलें चाहे
जितनी आएं बाबा
विश्वनाथ परिसर समेत आसपास
के इलाकों का
विकास होना ही
चाहिए। उन्हें निर्देश है
कि इसका स्वरूप
कुछ इस तरह
बनाया जाए कि
बाबा दरबार में
पूरी दुनिया के
लोग आकर समय
बिताना चाहें। यहां तक
कि दिव्यांग श्रद्धालु
भी बिना किसी
दिक्कत बाबा का
दर्शन कर सकें।
बाबा दरबार परिक्षेत्र
के प्राचीन मंदिरों
को संरक्षित करने
के लिए हर
स्तर पर प्रयास
किए जाएं। मंदिर
के विकास का
प्रारूप तय करने
में सोमनाथ मंदिर
से भी आइडिया
लिया जा सकता
है। उन्होंने गंगा
पाथवे और मंदिरों
को बचाने की
योजनाओं की समयसीमा
तय करते हुए
जल्द से जल्द
कार्य पूर्ण करने
का निर्देश दिया
है। वैसे भी
प्रदेश में भाजपा
सरकार बनने के
बाद से ही
काशी सीएम योगी
की प्राथमिकता में
रहा है। पीएम
मोदी ने पिछली
बार लोकसभा चुनाव
का आगाज भी
बाबा का दर्शन
करने के बाद
किया था। कुछ
माह पहले बनारस
आए भाजपा राष्ट्रीय
अध्यक्ष अमित शाह
ने भी श्रीकाशी
विश्वनाथ मंदिर के विकास
को लेकर तत्परता
व सजगता के
निर्देश दिए थे।
कहा जा
सकता है अगले
लोकसभा चुनाव में देश
के बड़े बदलावों
के साथ-साथ
काशी को भी
गुजरात माॅडल के रुप
में पेश किया
जा सकता है।
फ्रांस के राष्ट्रपति
इमैनुएल मैक्रों को तीन
घंटे तक काशी
घुमाने के बाद
उत्साह से लबरेज
प्रधानमंत्री ने डीरेका
मैदान में आयोजित
जनसभा में कहा
भी है कि
कुछ ही दिनों
में ‘बदल गया
बनारस’ की गूंज
पूरे देश में
सुनाई पड़ने वाली
है। मोदी समझ
रहे हैं कि
बनारस का जितना
विकास होगा, देश
पर उसका असर
भी उतना ही
ज्यादा पड़ने वाला
है। पिछले चार
साल में बनारस
को कई हजार
करोड़ की योजनाएं
मिली हैं। दर्जनों
पूरी हो गई
हैं, कई पूरी
होने को हैं
और सात सौ
करोड़ रुपये से
ज्यादा की नई
परियोजनाएं और मिल
गईं। दीनदयाल संकुल
में वाराणसी के
हस्तशिल्प से रूबरू
होकर उसे पेरिस
तक नई पहचान
दिलाने का संकेत
भी दिया। मैक्रों
ने मीरजापुर में
75 मेगावाट के सोलर
प्लांट का उद्घाटन
करने के साथ
फ्रांस को जता
दिया कि जिस
इंटरनेशनल सोलर एलाइंस
(आइएसए) के सृजक
प्रधानमंत्री मोदी हैं,
उससे ऊर्जा की
धारा अब और
बहेगी और विकास
को नया मुकाम
मिलेगा। डीरेका में मंच
से मोदी ने
कहा भी मेरा
दूसरा घर काशी
में डीरेका ही
है। देश और
दुनिया में बनारस
दो चीजों के
लिए ही जाना
जाता है, एक
तो धार्मिक पहलू
हर-हर महादेव
और दूसरा यहां
की औद्योगिक पहचान
डीजल रेल इंजन
कारखाना है। यही
वजह है कि
केंद्र सरकार डीरेका की
बेहतरी के लिए
काफी कुछ कर
रही है, ताकि
यहां औद्योगिक विकास
के साथ ही
रोजगार भी बढ़े।
बनारस वासियों की
बात करें, तो
उनको इस बात
की उम्मीद है
कि उनके सांसद
और फ्रांस के
राष्ट्रपति की दोस्ती
और उनका वाराणसी
दौरा बनारस के
विकास को नया
आयाम देगा।
इतना ही
आयुष्मान भारत योजना
के जरिए मोदी
ने उन गरीबों
का भी दिल
जीतने की कोशिश
की जो बीमारी
के दौरान अपना
इलाज नहीं करा
पाते। मोदी ने
कहा है कि
अब गरीबों को
अपनी बीमारी को
लेकर चिंता करने
की जरूरत नहीं
है। रुपयों के
अभाव में इलाज
कराने के लिए
झेलना नहीं पड़ेगा।
अब भारत सरकार
बीमा कंपनियों के
साथ मिल कर
इसकी जिम्मेदारी उठाएगी।
एक साल में
पांच लाख तक
के इलाज का
खर्चा सरकार बीमा
कंपनियों के साथ
मिल कर उठाएगी।
इसके लिए ही
केंद्र सरकार आयुष्मान भारत
योजना लेकर आ
रही है। इससे
देश में निजी
अस्पतालों की संख्या
बढ़ेगी और स्वास्थ्य
के क्षेत्र में
रोजगार भी बढ़ेगा।
करीब 10 करोड़ परिवारों
की चिंता खत्म
होगी। मीरजापुर में
सोलर प्लांट के
बाबत पीएम ने
कहा कि हमे
उस लक्ष्य को
प्राप्त करना है
जब छतों पर
सौर ऊर्जा के
पैनल हों और
रसोई में खाना
उसी ऊर्जा से
संचालित चूल्हे पर बने।
न गैस की
जरूरत होगी न
पर्यावरण को नुकसान
पहुंचेगा। जहां तक
गंगा को निर्मल
व अविरल बनाने
की बात है
उसके लिए सरकार
सतत प्रयास कर
रही है। इस
कड़ी में काशी
में मार्च अंत
तक 600 करोड़ की
सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट मिलने
की पूरी उम्मीद
है। डीरेका में
आयोजित नारी सशक्तिकरण
समारोह में पीएम
ने मंच से
600 करोड़ के ट्रीटमेंट
प्लांट की सौगात
की बात भी
कही।
जहां तक
मोदी और मैक्रों
की दोस्ती का
सवाल है तो
मोदी ने जता
दिया है कि
भारत और फ्रांस
के बीच दूरी
बहुत है, लेकिन
दिल एक है।
फ्रांस भारत का
बहुत पुराना दोस्त
है। पोखरण में
हुए परमाणु समझौते
के बाद जब
यूरोपियन यूनियन भारत पर
प्रतिबंध लगाना चाहता था,
तब फ्रांस भारत
के पक्ष में
खड़ा हुआ था।
केंद्र में अटल
बिहारी वाजपेयी की सरकार
थी। परीक्षण के
बाद भारत पर
कई आर्थिक प्रतिबंध
लगा दिए गए।
तब ब्रिटेन के
प्रधानमंत्री थे टोनी
ब्लेयर. ब्रिटेन यूरोपियन यूनियन
का सदस्य था।
इस मुश्किल घड़ी
में फ्रांस भारत
के साथ खड़ा
हुआ। उसने कहा
कि अगर भारत
पर प्रतिबंध लगाएगा,
तो वो (फ्रांस)
अपने वीटो पावर
का इस्तेमाल करके
इसे खारिज कर
देगा। उसकी झलक
उस वक्त देखने
को मिला जब
भारत और फ्रांस
की कंपनियों के
बीच 10.4 लाख करोड़
(16 बिलियन डॉलर) के समझौतों
पर मोदी-मैक्रों
ने हस्ताक्षर किए।
जिन समझौतों पर
हस्ताक्षर हुए उसमें
हाई स्पीड और
सेमी हाई स्पीड
रेल में सहयोग,
स्थायी शहरी विकास,
स्मार्ट सिटी परियोजनाओं
के वित्तपोषण के
लिए 10 करोड़ की
ऋण सुविधा, पर्यावरण
और जलवायु परिवर्तन
के क्षेत्र में
दोनों देशों की
सरकारों और तकनीकी
विशेषज्ञों के बीच
सूचना का आदान
प्रदान और फ्रांस
और भारत के
हित के क्षेत्रों
में जहाजों की
पहचान और निगरानी
के लिए क्रमानुसार
समाधान का प्रावधान,
फ्रांस की सेफरन
कंपनी के साथ
इंजन के साथ
एयरलाइन स्पाइसजेट का करार,
देवनगरी के दक्षिणी
इलाको में सूज
कंपनी से वॉटर
मॉडर्नाइजेशन का करार,
इंडस्ट्रीयल गैस कंपनी
एयर लिक्विड और
स्टरलाइट के बीच
समझौते शामिल है।
मैक्रों के कार्यालय
की सूचना के
मुताबिक फ्रांस भारत में
करीब 200 मिलियन यूरोज का
निवेश करेगा। फ्रांस
की राष्ट्रीय रेलवे
कंपनी का नाम
एसएनसीएफ है। ये
कंपनी अंबाला और
लुधियाना रेलवे स्टेशन को
अपग्रेड करने में
मदद करेगी। एसएनसीएफ
दिल्ली-चंडीगढ़ रेलवे रूट
को अपग्रेड करने
में भी मदद
करेगी। जिससे इस रूट
को 200 किलोमीटर प्रति घंटा
की रफ्तार झेलने
की क्षमता मिल
जाएगी। फ्रांस की रेल
ट्रांसपोर्ट कंपनी (एल्स्टॉम) बिहार
के मधेपुरा में
इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव फैक्टरी प्रोजेक्ट
में निवेश करेगी,
ये प्रोजेक्ट वर्ष
2006 से लटका हुआ
है। मेक इन
इंडिया के तहत
मधेपुरा में 800 इलेक्ट्रिक इंजन
बनाएगी, जो भारतीय
रेलवे को सप्लाई
किए जाएंगे। जहां
तक राफेल डील
का सवाल है
तो यह भारत
के लिए बेहद
जरुरी है। क्योंकि
भारतीय वायुसेना के पास
इस समय लड़ाकू
विमानों की कमी
है। भारत के
पास ज्यादातर मिग-21
विमान हैं, जो
40 वर्ष पुराने हैं। जगुआर
विमान भी 1970 के
दशक के आखिर
में खरीदे गए
थे। बसे नया
लड़ाकू विमान सुखोई
है, जो 1996 में
खरीदा गया था।
सुखोई भी अब
एक जेनेरेशन पीछे
का लड़ाकू विमान
हो चुका है।
भारत वर्ष 2002 से
लड़ाकू विमान खरीदने
की कोशिश कर
रहा है। भारतीय
वायुसेना को 126 मल्टी रोल
लड़ाकू विमानों की
जरूरत है।
पिछले
वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी फ्रांस गए
थे, तो ये
तय हुआ था
कि ‘क्रिटिकल ऑपरेशनल
नेशेसिटी‘ के तहत
फिलहाल 36 रफाल विमान
जल्द ही खरीदे
जाएंगे। आज 36 रफाल विमानों
को फ्लाइंग कंडीशन
में खरीदने पर
एक तरह से
मुहर लग गई
है। सिर्फ इस
खरीद की कीमत
से जुड़े कुछ
मुद्दों पर बातचीत
बाकी रह गई
है। एक रफाल
लड़ाकू विमान की
अनुमानित कीमत करीब
750 करोड़ रुपये है। लेकिन
अफसोस की बात
है कि जरूरत
होते हुए भी
भारत ने 36 से
ज्यादा राफेल विमानों की
मांग नहीं की।
हो सकता है
कि ऐसा कांग्रेस
अध्यक्ष राहुल गांधी के
आरोपों की वजह
से हुआ हो,
जिसमें उन्होंने मोदी पर
मैक्रों से ‘गुप्त‘ सौदा करने का
आरोप लगाया है।
गांधी को याद
दिलाया जाना चाहिए
कि उनके दिवंगत
पिता ने भी
1986 में तत्कालीन स्वीडिश प्रधानमंत्री
ओलोफ पाल्मे को
कीमत कम करने
और सबसे ज्यादा
अनुकूल शर्तों पर राजी
करने के बाद
बोफोर्स समझौता किया था।
नतीजतन सबसे अच्छी
बंदूक सबसे अच्छी
कीमत पर खरीदी
गई। विपक्ष ने
उसमें रिश्वत का
आरोप लगाया, जो
कभी साबित नहीं
हुआ। भाजपा ने
नरसिंह राव सरकार
पर रूस से
सुखोई विमान एमके3
की खरीद में
रिश्वत देने का
आरोप लगाया, पर
वह भी निराधार
साबित हुआ।
हो जो
भी मोदी की
अगुवाई में भारत
और फ्रांस के
आपसी रिश्तों में
गरमाहट घोलने की ताजा
कोशिशों के तहत
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की
अगुवाई वाली केन्द्र
की हुकूमत ने
कूटनीतिक मोर्चे पर तो
अपना अभियान तेज
कर ही रखा
है, कला व
संस्कृति के माध्यम
से भी दोनों
देशों के बीच
मैत्री को प्रगाढ़
बनाने की कवायद
तेज हो गयी
है। इसी कड़ी
में दुनिया के
प्राचीन व जीवंत
शहरों में शुमार
काशी और उससे
सटे विंध्य क्षेत्र
के सांस्कृतिक धरातल
पर भारत एवं
फ्रांस की मित्रता
के नये प्रतिमान
गढ़े गए। क्योंकि
फ्रांस एक अग्रणी
यूरोपीय राष्ट्र है और
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद
का स्थायी सदस्य
है, जो जर्मनी
के साथ भारत
के लिए रक्षात्मक
दीवार बन सकता
है, भले ब्रिटेन
अनिश्चय में हो
और रूस के
साथ हमारे रिश्ते
बदल गए हों।
फ्रांस ने पाकिस्तान
को हथियार बेचने
का अपना अधिकार
त्याग दिया है,
जैसा रूस ने
लंबे समय तक
किया था। यह
फ्रांस को एक
सुरक्षित साझेदार बनाता है,
जैसा कि मैक्रों
ने कहा, फ्रांस
भारत को अपना
पहला रणनीतिक साझेदार
बनाना चाहता था
और स्वयं भारत
का पहला रणनीतिक
साझेदार बनना चाहता
था। अगर कभी
अमेरिका से हमारी
सामरिक सौदेबाजी में बाधा
आती है, तो
फ्रांस एक सुरक्षित
साझेदार है। भारत
पहले से ही
इस्राइल, दक्षिण अफ्रीका और
अब जापान के
साथ सौदा कर
रहा है और
इसने अपने दरवाजे
और विकल्प खुले
रखे हैं।
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