काशी के संकट मोचन हनुमत दरबार में ठुमके लगायेंगी माधुरी दीक्षित
उनके साथ
वाॅलीवुड
के
महान
गायक
सोनू
निगम
भी
होंगे
सोनल मानसिंह
के
ओडिसी
से
होगी
संगीत
समारोह
की
शुरुआत
कुल 48 कलाकार
अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे। इनमें 23 कलाकार पद्म अलंकरणों से विभूषित हैं।
सुरेश
गांधी
वाराणसी।
डांस से दर्शको
का दिल जीत
लेने वाली खूबसूरत
अभिनेत्री एवं धक-धक गर्ल
माधुरी दीक्षित धर्म एवं
आस्था की नगरी
काशी के हनुमत
दरबार में कथक
नृत्य पेश करेंगी।
सालों साल से
हनुमत दरबार में
आयोजित होने वाले
विश्व प्रसिद्ध संकटमोचन
संगीत समारोह में
इस वर्ष माधुरी
दीक्षित के अलावा
कुल 48 कलाकार
अपनी उपस्थिति
दर्ज कराएंगे। इनमें
23 कलाकार पद्म अलंकरणों
से विभूषित हैं।
13 कलाकार पहली बार
संकटमोचन के दरबार
में हाजिरी लगाएंगे।
समारोह में आने
वाले कलाकारों में
पं. बिरजू महाराज,
पं. जसराज, सोनलमान
सिंह, अनूप जलोटा
प्रमुख हैं।
दरअसल, माधुरी दीक्षित
अपने खूबसूरत डांस
और चेहरे पर
दिखने वाले भाव
भंगिमाओं के लिए
जानी जाती है।
इसीलिए इस विश्व
प्रसिद्ध संगीत समारोह में
माधुरी को बुलाया
गया हैं। वैसे
भी यूपी का
यह चर्चित संगीत
समारोह देश-विदेश
में काफी लोकप्रिय
है। नौ दशकों
से प्रतिवर्ष होने
वाला संगीत समारोह
अब सौहार्द के
अनुष्ठान में तब्दील
हो चुका है।
संकटमोचन दरबार में संगीत
को समर्पित छह
दिवसीय यह एक
ऐसा आयोजन है
जो न सिर्फ
दिग्गज कलाकारों को प्रस्तुति
के लिए व्याकुल
करता है बल्कि
देश-दुनिया के
श्रोताओं को भी
अपने मोहपाश में
बांधे रहता है।
यही वजह है
कि इस कार्यक्रम
में फिल्मी सितारों
के आने का
तांता लगा रहता
है। बड़े से
बड़ा कलाकार यहां
प्रस्तुति देने के
लिए याचक की
भूमिका में नजर
आता है। वह
प्रस्तुति नहीं देता,
हनुमत प्रभु के
चरणों में हाजिरी
लगाता है। श्रोता
भी वैसे ही
आले -निराले, छह
दिवसीय समारोह में शाम
से सुबह तक
हनुमतधाम में ठिकाना
और सुर-राग
की गंगा में
गोता लगाता है।
इसी क्रम में
माधुरी दीक्षित आठ अप्रैल
को कथक नृत्य
पेश करेंगी।
दो
चरणों
में
होंगी
प्रस्तुतियां:
प्रो.
विश्वंभर
नाथ
मिश्र
संकट मोचन
मंदिर के महंत
डा. विश्वम्भरनाथ मिश्र
के मुताबिक 31 मार्च
को हनुमान जयंती
के दिन से
शुरू होने वाले
संगीत समारोह को
दो चरणों में
विभक्त किया गया
है। प्रथम चरण
में 31 मार्च से तीन
अप्रैल तक धार्मिक
अनुष्ठान और भक्ति
संगीत होंगे। चार
अप्रैल से नौ
अप्रैल तक का
दूसरा चरण शास्त्रीय
एवं सुगम संगीत
को समर्पित होगा।
दूसरे चरण की
प्रथम प्रस्तुति के
रूप में सोनल
मान सिंह का
ओडिसी नृत्य होगा।
प्रथम संध्या में
ही अनूप जलोटा
का भजन होगा।
पांच अप्रैल को
बिरजू महाराज के
कथक से संध्या
का शुभारंभ होगा।
तीसरी संध्या में
पं. हरिप्रसाद चैरसिया
का बांसुरीवादन मुख्य
आकर्षण होगा तो
चैथी संध्या में
मालिनी अवस्थी उपशास्त्रीय गायन
करेंगी। समापन संध्या की
शुरुआत नौ अप्रैल
को रतिकांत महापात्र
के ओडिसी नृत्य
से होगा। कार्यक्रम
प्रतिदिन शाम सात
से सुबह के
छह-सात बजे
तक होंगी। हर
दिन सात से
आठ कलाकारों या
समूह को प्रस्तुति
का मौका मिलेगा।
श्री मिश्र ने
बताया कि 4 अप्रैल
को माधुरी के
साथ वाॅलीवुड के
महान गायक सोनू
निगम भी होंगे।
वे मंदिर में
मत्था टेकेंगे।
सौहार्द्र का
अनुष्ठान
है
संकटमोचन
संगीत
समारोह
बात जब
श्रद्धा भक्ति की आती
है तो सीमाएं
खुद टूट जाती
हैं और भेद-भाव को
भेदते हुए पार
निकल जाती है।
कुछ ऐसा ही
है संकट मोचन
महाराज के दरबार
में जहां पाकिस्तान,
अफगानिस्तान समेत देश-विदेश के कलाकार
हाजिरी लगाते हैं। यहां
ख्यात गजल गायक
गुलाम अली, डागर
बंधु, विचित्र वीणा
वादक उस्ताद असद
अली खान, उस्ताद
अकरम खान, उस्ताद
निशात खान, उस्ताद
बड़े रईस खान,
शहनाई वादक भारत
रत्न बिस्मिल्लाह खां
के पुत्र मुमताज
हुसैन खान, उस्ताद
अजीम कुरैशी आदि
प्रस्तुतियां दे चुके
हैं।
सोशल मीडिया
में
होगा
सीधा
प्रसारण
समारोह में तकनीक
को विस्तार देते
हुए इसका प्रसारण
फेसबुक, ट्विटर पर किया
जाएगा। इसे इंस्टाग्राम
पर भी देखा
जा सकेगा। ख्यात
न्यूरोलाजिस्ट डा. वीएन
मिश्र ने बताया
कि टोरंटो (कनाडा)
व न्यूयार्क (अमेरिका)
के लक्ष्मी नारायण
मंदिर में इसका
सीधा प्रसारण दिखाने
की व्यवस्था भी
की गई है।
कलादीर्घा होगा
आकर्षण
का
केन्द्र
मंदिर परिसर में
सजने वाली दो
अलग कला दीर्घा
में से एक
में रामायण के
ऐसे प्रसंगों को
चित्रण होगा जो
हनुमानजी महाराज के सामाजिक
दायित्वांे से जुड़े
होंगे। इसके अलावा
एक दीर्घा काशी
के संगीत सितारों
की चित्रकला प्रदर्शनी
को समर्पित होगी।
इसके काशी की
विभूतियों को सहेजने
वाले दरबार में
फोटो पत्रकार स्व.
मंसूर आलम की
स्मृति में भी
कला दीर्घा होगी।
इसमें ख्यात संगीतकारों
की फोटो प्रदर्शनी
आकर्षण का केंद्र
होगी। इसके लिए
20 मीटर लंबा कैनवास
भी लगाया जाएगा।
कार्यक्रम
चार
अप्रैल
सोनल मान सिंह
(ओडिसी), धीरेंद्र तिवारी (कथक),
गणोश प्रसाद मिश्र
(गायन), डा. एल
सुब्रमणियम (वायलिन), अनूप जलोटा
(गायन), रोनू मजूमदार
(बांसुरी), रतन मोहन
शर्मा (गायन), संजू सहाय
(तबला)।
पांच
अप्रैल
पं. बिरजू महाराज
(कथक), विजय पाटिल
(गायन), सुगतो नाग (सितार),
तृप्ति मुखर्जी (गायन), शिराज
अली (सरोद), विवेक
सोनार (बांसुरी), पं. जसराज
(गायन)।
छह
अप्रैल
सुरभि सिंह (कथक),
महुआ शंकर (कथक),
पं. हरिप्रसाद चैरसिया
(बांसुरी), हमसर हयात
निजामी (कव्वाली), नवनीता चैधरी
(गायन), उस्ताद मोइनुद्दीन खां
(सारंगी), शुभ्रा गुहा (गायन),
नरेंद्रनाथ धर (सरोद)।
सात
अप्रैल
नलिनी-कमलिनी (कथक),
प्रशांत समधार (गायन), अनिंदो
चटर्जी (तबला) व मोइनुद्दीन
खां (सारंगी), मालिनी
अवस्थी (गायन), निलाद्री कुमार
(सितार), पियू मुखर्जी
(गायन), तरुण भट्टाचार्य
(संतूर), विजय घाटे
(वाद्यवृदं), अश्विनी महेश दलवी
(सुर बहार)।
आठ
अप्रैल
वनजा उदय (कुचिपुड़ी),
माधुरी दीक्षित नेने (कथक),
उल्लास कसालकर (गायन), यू
राजेश (मैंडोलिन) व शिवमणि
(ड्रम), पं. विश्वनाथ
(गायन), कदरी गोपाल
नाथ (सैक्सोफोन), सुरेश
तलवलकर (तालकीर्तन), रीतेश-रजनीश
मिश्र (गायन)।
नौ
अप्रैल
रतिकांत महापात्र व सुजाता
महापात्र (ओडिसी), राशिद खां
(गायन), प्रवीण गोडखिंडी (बांसुरी),
डा. येल्ला वेंकटेश्वर
राव (मृदंगम), गुलाम
मुस्तफा खां (गायन),
प्रतीक चैधुरी (सितार) व
रफीउद्दीन साबरी (तबला), कंकणा
बनर्जी (गायन)।
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