Thursday, 14 March 2019

‘ड्रैगन’ पर कब चलेगा ‘आर्थिक स्ट्राइक’ का ‘ब्रह्मास्त्र’


‘ड्रैगन’ पर कब चलेगा ‘आर्थिक स्ट्राइक’ का ‘ब्रह्मास्त्र’ 

पुलवामा हमले के मास्टरमाइंड और आतंकी संगठन जैश--मोहम्मद का सरगना मसूद अज़हर को लेकर एक बार फिर चीन ने अपना दोगला चेहरा दिखाया है। ऐसा चौथी बार हुआ है जब चीन मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकी घोषित करने में रोड़ा बन गया है। चीन ने ग्लोबल आतंकी घोषित करने के प्रस्ताव पर वीटो लगा दिया। मतलब साफ है आतंकवाद के मसले पर चीन-पाकिस्तान में सिर्फ याराना है, बल्कि भाई-भाई है। ऐसे में बड़ा सवाल तो यही है क्या आतंकवादी अजहर मसूद की ढाल बने चीन पर आर्थिक स्ट्राइक रुपी ब्रह्मास्त्र चलाने की जरुरत है? 
सुरेश गांधी
जी हां, चीन की हेकड़ई पर नकेल तभी कसा जा सकेगा जब भारतीय बाजारों में उसका एकछत्र राज खत्म हो। उसे सबक सिखाने गुरुर को तोड़ने के लिए जरुरी है कि इस वक्त पाकिस्तान की तर्ज पर चीन से भी आयात-नियात बंद हो। चीन-भारत की बार्डर सीमाएं सील हो। आवाजाही पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया जाय। यह तभी संभव है जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एकबार फिर अपनी साहस का परिचय दे। खासकर तब और यह जरुरी हो जाता है जब कुछ आतंकपरस्तों को छोड़ पूरा भारत उनके साथ खड़ा है। बता दें, चीन का भारत में निर्यात पिछले वित्त वर्ष 58.33 बिलियन डॉलर था। 2015 के मुकाबले निर्यात में 0.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। दूसरी तरफ भारत का चीन में निर्यात सिर्फ 11.76 बिलियन डॉलर तक है। दो देशों के बीच आयात और निर्यात का अंतर ही व्यापार घाटा होता है। अगर चीनी माल का भारत में बहिष्कार हो जाता है तो उससे चीन की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ेगा। 
चीन 21वीं सदी की महाशक्ति में रूप में उभर रहा है। वह खुद को जिम्मेदार अर्थव्यवस्था दिखाने की कोशिश करता है। चीन यह नहीं चाहेगा कि भारत जैसी उभरती महाशक्ति को वह खो दे। चीन के महाशक्ति बनने के सपने कोवन बेल्ट वन रोडके जरिए समझा जा सकता है। इसके जरिए चीन आर्थिक तरीके से दुनिया पर राज करने का प्लान बना रहा है। तो दुसरी तरफ चीन को पाकिस्तान की बिगड़ी हालात को देखते हुए मदद के नाम पर उस पर कब्जा करने का स्वप्न देख रहा है। यही वजह है कि चीन इस बात पर अड़ा है कि आतंकी संगठन जैश--मोहम्मद और मसूद अजहर का आपस में कोई रिश्ता नहीं है और मसूद के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले हैं। जबकि पाकिस्तान की गोद में बैठा आतंकी मसूद अजहर भारत को ललकार रहा है कि जबतक चीन उसके साथ है पाकिस्तान का कुछ नहीं बिगडेगा। ऐअर स्ट्राइक के बाद बिल में घुसा अजहर चीन की कारस्तानी के बाद पाकिस्तानी सड़कों पर घूम-घूमकर कहता फिर रहा है कि मसूद पाकिस्तान में ही है और बीमार नहीं बिल्कुल फिट है। जबकि अमेरिकी न्यूज चैनल के इंटरव्यू में पाक विदेश मंत्री कुरैशी ने मसूद को बहुत बीमार बताया था और सेना ने कहा, वो पाक में है ही नहीं।
जिस तरह से हाफिज सईद के ग्लोबल आतंकी घोषित होने के बावजूद पाकिस्तान में उसे हर तरह की छूट मिली है। उससे ये सवाल भी उठने लगे हैं कि मसूद पर ग्लोबल आतंकी का टैग चस्पा हो भी जाए तो क्या होगा। हालांकि मौजूदा दौर को देखें तो पाकिस्तान पर मसूद को लेकर दबाव बहुत ज्यादा है और इसका सीधा असर चीन पर भी पड़ने वाला है। इसीलिए चीन पूरी दुनिया की नाराजगी मोल लेकर मसूद की ढाल बनकर खड़ा है। हालांकि चीन की इस हरकत के बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि जब तक आतंकियों के खिलाफ पाकिस्तान कार्रवाई नहीं करता है, तब तक कोई बातचीत नहीं होगी। उधर, पिछले सभी मामलों में चीन इस प्रस्ताव पर तकनीकी रोक लगा चुका है। इस बार बीसियों सबूत जुटाकर हिंदुस्तान ने यूएन से उसे ग्लोबल आतंकी घोषित करने की अपील की, लेकिन चीन का कहना है कि पहले भारत के दावे की पड़ताल की जानी चाहिए। जबकि मसूद अज़हर के संगठन यानी जैश--मोहम्मद को 15 मुल्कों वाली सुरक्षा परिषद पहले ही आतंकवादी संगठन करार दे चुकी है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखि़र चीन मसूद को लेकर क्यों आनाकानी में लगा हुआ है।
संसद भवन से लेकर पठानकोट और उरी से लेकर पुलवामा तक पर हमला करने वाले जैश के सरगना मौलाना मसूद अजहर की पिछले 18 सालों से भारतीय कानून को तलाश है, लेकिन चीन बार-बार भारत के मिशन मसूद पर पानी फेर देता है। जबकि अगर मसूद अजहर ग्लोबल आतंकवादी घोषित हो जाता तो उस पर 6 तरह के प्रतिबंध लग जाते। इसके साथ ही पाकिस्तान में उसकी ब्लैक लिस्ट में शामिल होने की संभावना बहुत ज्यादा हो जाती। दुनियाभर के देशों में मसूद अजहर की एंट्री पर बैन लग जाता। किसी भी देश में वह आर्थिक गतिविधियां नहीं चला पाता। संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों को मसूद के बैंक अकाउंट्स और प्रॉपर्टी को फ्रीज करना पड़ता। मसूद अजहर से संबंधित व्यक्तियों या उसकी संस्थाओं को कोई मदद नहीं मिलती। इसके अलावा पाकिस्तान को भी मसूद अजहर के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंध लगाने पड़ते। बैन के बाद पाकिस्तान को मसूद अजहर के टेरर कैंप और उसके मदरसों को भी बंद करना पड़ता। कहा जा रहा है कि अगर मसूद अजहर का नाम ग्लोबल आतंकवादियों वाली लिस्ट में शामिल हो जाता तो पाकिस्तान पर आर्थिक प्रतिबंध लग जाएंगे, इससे चीन का पाकिस्तान में अरबों डॉलर का निवेश डूब सकता है। यही वजह है कि चीन पूरी दुनिया से झगड़ा मोल लेकर मसूद अजहर जैसे आतंकी को बार बार बचा रहा है।
जहां तक भारत का सवाल है तो चुनाव को देखते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इस मामले में मोदी के सामने बड़ा रोड़ा बनकर खड़े है। वे मोदी को कोई श्रेय लेने नहीं देना चाहते। इसीलिए उन्होंने ट्वीट के जरिए मोदी की विफलता बताई तो पलटवार करते हुए बीजेपी ने लिखा है कि देश अभी तक गांधी परिवार की गलतियों को ही भुगत रहा है। आज चीन यूएन का हिस्सा ही नहीं होता अगर आपके ग्रेट ग्रैंडफादर उसे ये सीट तोहफे में ना देते। ये सब आप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर छोड़ दीजिए। से ये सब चीनी समकक्षों से चोरी-छुपे मिलते रहने का प्रतिफल है। बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर लिखा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से डर गए हैं और चीन जब भी भारत के खिलाफ कुछ गलत कदम उठाता है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुप्पी साध लेते हैं। राहुल गांधी ने लिखा कि प्रधानमंत्री मोदी ने जिनपिंग के साथ गुजरात में झूला झूला, दिल्ली में गले मिले और चीन में जाकर उनके सामने सिर झुका दिया। जबकि भाजपा के रविशंकर प्रसाद ने कहा कि आतंकवादी मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकी घोषित करने पर आज चीन को छोड़कर पूरी दुनिया भारत के साथ खड़ी है। ये एक तरह से भारत की कूटनीतिक जीत है। क्या मसूद अजहर जैसे नृशंस हत्यारे के मामले में कांग्रेस का स्वर दूसरा होगा? राहुल गांधी के ट्वीट से ऐसा लगता है कि उन्हें इस बात से खुशी है। भारत को जब भी पीड़ा होती है तो राहुल खुश क्यों होते हैं? ये अब हर कोई जानना चाहता है। 1953 में भारत को यूएन में स्थायी सदस्य बनने का ऑफर मिला था, लेकिन नेहरू जी ने मना करते हुए इसे चीन को देने को कहा। राहुल गांधी जी आज आपकी विरासत के कारण ही चीन सुरक्षा परिषद का सदस्य है।

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