Monday, 10 June 2019

कठुआ रेप-मर्डर में 6 दोषियों में से तीन को उम्रकैद


कठुआ रेप-मर्डर में 6 दोषियों में से तीन को उम्रकैद
8 साल की बच्ची के साथ रेप करने वाले कुल सात में से 6 आरोपी दोषी पाएं गए
पठानकोट की अदालत ने किया फैसला, सातवें आरोपी विशाल बरी
सुरेश गांधी
पिछले साल की शुरुआत में पूरे देश को झकझोर देने वाली जम्मू-कश्मीर के कठुआ में हुई रेप और मर्डर की घटना पर सोमवार को फैसला सुनाया गया। पठानकोट की अदालत ने 8 साल की बच्ची के साथ रेप करने वाले कुल सात में से 6 आरोपियों को दोषी करार दिया है। इनमें से तीन को उम्रकैद और अन्य तीन को 5-5 साल की सजा सुनाई गई है। जिन दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है, उनमें सांझी राम, दीपक खजुरिया और परवेश शामिल हैं। जबकि तिलक राज, आनंद दत्ता और सुरेंद्र कुमार को 5-5 साल कैद की सजा सुनाई गई है। जबकि सातवें आरोपी विशाल को बरी कर दिया गया है।
बता दें कि शुरुआत में इस मसले को जम्मू कोर्ट में सुना गया लेकिन बाद में पीड़िता के पिता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर केस को जम्मू-कश्मीर से बाहर ट्रांसफर करने की मांग की थी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला लेते हुए मामले की सुनवाई पंजाब में पठानकोट कोर्ट को ट्रांसफर किया था। जहां इसकी सुनवाई हुई और फैसला सुनाया गया। 
इसमें ग्राम प्रधान सांजी राम मुख्य आरोपी है। जबकि स्पेशल पुलिस ऑफिसर दीपक खजुरिया, रसाना गांव परवेश, असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर तिलक राज, असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर आनंद दत्ता, पुलिस ऑफिसर सुरेंद्र कुमार दोषी पाएं गए है। जबकि सांजी राम का बेटे विशाल को बरी कर दिया है। कठुआ मामला जब सामने आया था तो देश ही नहीं दुनिया में इसने सुर्खियां बटोरी थीं। आम आदमी से लेकर बॉलीवुड के सेलेब्रिटी भी इंसाफ की गुहार लगा रहे थे। इस मामले में पुलिस ने कुल 8 लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें से एक को नाबालिग बताया गया। हालांकि, मेडिकल परीक्षण से यह भी सामने आया कि नाबालिग आरोपी 19 साल का है। पूरी वारदात के मुख्य आरोपी ने खुद ही सरेंडर कर दिया था। इस फैसले को देखते हुए पठानकोट कोर्ट परिसर को छावनी में तब्दील कर दिया गया था। एक हज़ार से अधिक पुलिसकर्मियों को मुस्तैद किया गया, साथ ही बम निरोधक दस्ता, दंगा नियंत्रक दस्ता भी तैनात रहे।
हैवानियत को पार करने वाली थी घटना
कठुआ रेप की घटना 10 जनवरी, 2018 को हुई थी। परिवार के मुताबिक, बच्ची 10 जनवरी को दोपहर में घर से घोड़ों को चराने के लिए निकली थी और उसके बाद वो घर वापस नहीं लौटी थी। करीब एक हफ्ते बाद 17 जनवरी को जंगल में उस बच्ची की लाश मिली थी। मेडिकल रिपोर्ट में पता चला था कि बच्ची के साथ कई बार कई दिनों तक सामूहिक बलात्कार हुआ है और पत्थरों से मारकर उसकी हत्या की गई है। उसके बाद बच्ची के साथ गैंगरेप कर उसकी हत्या पर देशभर में काफी बवाल मचा था। घटना का वाकया सुनकर हर किसी के रौंगटे खड़े हो गए थे। 
ये घटना ऐसी थी कि जिसने सुना वो कांप गया। इस घटना ने देवभूमि समेत पूरे देश को रुलाया, आम आदमी से लेकर बॉलीवुड का सुपरस्टार बच्ची को इंसाफ दिलाने सामने आया। लेकिन इस घटना के साथ कुछ ऐसा भी जुड़ा है जो आजतक कभी नहीं हुआ। इस मामले में जिन लोगों का नाम सामने आया था, उनके समर्थन में स्थानीय लोगों ने एक तिरंगा यात्रा निकाली थी। जिसमें लोग तिरंगा हाथ में लेकर सामने आए थे, समर्थन में रैली भी हुई थी। जिसमें भारतीय जनता पार्टी के नेता और तत्कालीन पीडीपी-बीजेपी सरकार में मंत्री भी शामिल हुए थे। लाल सिंह (वन मंत्री) और चंद्र प्रकाश (वाणिज्य मंत्री) ने आरोपियों के समर्थन में बयान दिया तो बवाल हो गया। राजनीतिक बवाल बढ़ा तो मंत्रियों को इस्तीफा तक देना पड़ा। 
एक तरफ बॉलीवुड समेत पूरा देश इंसाफ की गुहार लगा रहा था, तो वहीं राज्य सरकार के मंत्री आरोपियों को बचाने की वकालत कर रहे थे। इसलिए मामले ने राजनीतिक तूल भी पकड़ा। ना सिर्फ राजनीतिक बल्कि इस मसले ने धार्मिक रंग भी लिया। क्योंकि मुस्लिम बच्ची के साथ रेप हुआ था और वो भी मंदिर में उसे 3 दिन तक बंधक बनाकर रखा। इस मामले की साजिश रचने वाला सांझी राम था, उसका साथ पुलिसवालों ने भी दिया था। फोरेंसिक लैब की रिपोर्ट के मुताबिक, इस दौरान पीड़ित बच्ची को भांग और नशीली दवाओं का ओवरडोज देकर अचेत रखा गया था। अब करीब 18 महीने बाद इस मामले पर फैसला आया है, अदालत ने इंसाफ के लिए फैसला सुनाया है। मामले की जो चार्जशीट सामने आई थी उसके मुताबिक, पीड़िता की 13 जनवरी को गला घोंटकर हत्या कर दी गई थी। 16 जनवरी को पीड़िता का शव इलाके में ही फेंक दिया गया था। पुलिस ने बताया था कि 7 दिनों तक लगातार अत्याचार सहने के बावजूद पीड़िता इसलिए मदद के लिए चीख पुकार नहीं मचा सकी, क्योंकि किडनैप किए जाने के थोड़ी ही देर बाद आरोपियों ने बच्ची को भांग खिला दी थी।
विशाल को फर्जी फसाने का मामला उजागर
कठुआ गैंगरेप एवं मर्डर केस में पठानकोट अदालत ने अहम फैसला सुनाते हुए 6 आरोपियो को तो दोषी करार दिया है, लेकिन आरोपी विशाल जंगोत्रा को बरी कर दिया है। विशाल ने इस मामले में कोर्ट के सामने कहा था कि वो घटना के दिन वहां मौजूद ही नहीं था। अपनी बात को साबित करने के लिए विशाल ने अदालत में सबूत और गवाह भी पेश किए थे। उसी का फायदा उसे मिला है। हालांकि जब इस मामले में छानबीन शुरू की गई थी तो विशाल पर जांचकर्ताओं को गुमराह करने का शक भी था। जांच टीम को पता चला था कि मेरठ में एग्जाम अटेंडेंस रजिस्टर में विशाल के फर्जी हस्ताक्षर थे। जम्मू कश्मीर पुलिस की क्राइम ब्रांच के मुताबिक पहले फॉरेंसिक रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि आरोपी ने मेरठ में जिस एग्जाम में शामिल होने का दावा किया है, वहां अटेंडेंस रजिस्टर में किए गए हस्ताक्षर आरोपी के हस्ताक्षर से मेल नहीं खा रहे थे। दरअसल, आरोपी विशाल जंगोत्रा ने दावा किया था कि जिस दिन जम्मू के कठुआ में बच्ची के साथ गैंगरेप की घटना हुई, उस दिन वह मेरठ में एग्जाम दे रहा था। हालांकि क्राइम ब्रांच का कहना था कि जंगोत्रा मेरठ में 15 जनवरी को परीक्षा में देने नहीं गया था। आरोप-पत्र के मुताबिक घटना के दिन वह कठुआ के रासना गांव में मौजूद था। बाद में इस मामले में आरोपी विशाल के तीन दोस्तों को जम्मू में जांचकर्ताओं के समक्ष बुलाया गया था। जांचकर्ताओं ने यह भी शक था कि आरोपी जानबूझकर एटीएम गया था और अपनी उपस्थिति दिखाने के लिए कैमरे की तरफ देख रहा था। बताते चलें कि कठुआ दुष्कर्म मामले में सात लोगों को आरोपी बनाया गया था। जिनमें विशाल जंगोत्रा के अलावा चचेरा भाई, विशाल का एक स्थानीय मित्र, दो विशेष पुलिस अधिकारी, एक हेड कांस्टेबल और जम्मू एवं कश्मीर पुलिस का एक उपनिरीक्षक शामिल था। लेकिन कोर्ट ने ज़ी न्यूज़ की रिपोर्टिंग में दिखाए गए सीसीटीवी फुटेज को आधार बनाते हुए विशाल जंगोत्रा को बरी कर दिया। कोर्ट ने जी न्यूज की रिपोर्ट और फुटेज को सबूत के तौर पर माना। अदालत ने ज़ी न्यूज़ के एडिटर-इन-चीफ सुधीर चौधरी की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने सच्चाई को सामने लाना का भरसक प्रयास किया। कोर्ट ने जी न्यूज के जम्मू-कश्मीर के ब्यूरो चीफ राजू केरनी की भी तारीफ की। बता दें कि राजू केरनी ने सीडी और पेन ड्राइव में सबूत कोर्ट में पेश किए थे। जिसमें विशाल जंगोत्रा की सीसीटीवी फुटेज भी दिखाई थी। इसके मुताबिक ये सामने आया था कि विशाल घटना के समस मौके पर मौजूद नहीं था। यह सीसीटीवी फुटेज 15 जनवरी, 2018 दोपहर करीब 3 बजे की थी। इसमें विशाल उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के मीरापुर के एटीएम से पैसे निकालते दिख रहा था।

No comments:

Post a Comment

निजीकरण के विरोध में वाराणसी के हजारों कर्मी लखनऊ बिजली पंचायत में होंगे शामिल

निजीकरण के विरोध में वाराणसी के हजारों कर्मी लखनऊ बिजली पंचायत में होंगे शामिल  आज होगा संघर्ष के कार्यक्रमों का ऐलान ...