मोदी के वारिस होंगे योगी या शाह!
माना
2024 अभी
काफी
दूर
है।
लेकिन
अगला
प्रधानमंत्री
कौन
होगा?
इसे
लेकर
संघ
में
माथापच्ची
अभी
से
तेज
हो
गयी
है।
खासकर
इस
अटकल
को
और
बल
तब
मिला
जब
संघ
प्रमुख
मोहन
भागवत
ने
खुद
अपने
ट्वीटर
हैंडिल
से
यूपी
सीएम
योगी
आदित्यनाथ
को
हिन्दू
हृदय
सम्राट
बताते
हुए
उन्हें
अगला
प्रधानमंत्री
होने
की
भविष्यवाणी
कर
दी
है
सुरेश गांधी
फिरहाल, राष्ट्रीय स्वयं
सेवक संघ (आरएसएस)
प्रमुख मोहन भागवत
ने शनिवार को
अलसुबह ट्वीट किया है
कि ‘जितना मोदी
जी के दुबारा
प्रधानमंत्री बनने से
इनको दर्द नहीं
हुआ होगा उतना
दुःख अमित शाह
जी के गृहमंत्री
बन जाने से
हुआ है, अच्छा
है। ठीक दस
मिनट बाद दुसरे
ट्वीट में मोहन
भागवत ने कहा,
‘नरेन्द्र मोदी जी के अगले राजनीतिक
वारिस हिन्दू हृदय
सम्रट योगी आदित्यनाथ
जी महराज होने
चाहिए‘। उनके
इस ट्वीट का
मकसद क्या है
ये तो वही
जाने लेकिन इस
सियासी गलियारे में इसके
कई मायने निकाले
जा रहे है।
पहला, मोहन भागवत
योगी आदित्यनाथ को
अगर मोदी का
वारिस बता रहे
है, तो वे
उन्हें अगला प्रधानमंत्री
बनाना चाहते है।
दुसरा, वे श्रीराम
मंदिर निर्माण का
विवाद जल्द से
जल्द निपटाना चाहते
है। हो सकता
है इसके लिए
वे अमित शाह
और योगी की
जोड़ी को उपयुक्त
समझ रहे हो।
उधर, अपने
वारिस को लेकर
प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी
भी खासा चिंतित
है। इसकी प्रमाणिकता
इस बात से
भी होती है
कि अगले साल
पश्चिम बंगाल सहित कई
राज्यों में चुनाव
होने है। चुनाव
जीतने के लिए
अमित शाह बेहद
अहम कड़ी है।
इसके बावजूद मोदी
ने राजनाथ सिंह
जैसे कद्वार व
सीनियर नेता से
गृह मंत्रालय छीनकर
अमित शाह को
सौंप दी। राजनाथ
सिंह को बुरा
न लगे इसीलिए
उन्हें शपथग्रहण समारोह से
लेकर हर जगह
नंबर दो का
ही मोदी बताने
व दिखाने का
प्रयास कर रहे
है। लेकिन हकीकत
यही है कि
गृहमंत्री जैसे बड़ा
पोर्टफोलियों अमित शाह
को सौंपकर मोदी
ने शाह को
अभी से मजबूत
करना चाहते है।
दुसरा ये भी
हो सकता है
कि घाटी में
370 को खत्म करने
व श्रीराम मंदिर
के लिए वे
शाह को उपयुक्त
समझ रहे हो।
हो जो भी
संकेत तो यही
मिल रहे है
कि संघ से
लेकर मोदी तक
अगले प्रधानमंत्री की
रुपरेखा अभी से
तैयार कर देना
चाहते है।
देखा जाए
तोयोगी आदित्यनाथ राम मंदिर,
धर्म और राजनीति
पर खुलकर हमेशा
बोलते रहे है।
उनका कहना है
कि राजनीति और
धर्म अलग-अलग
नहीं हो सकते
और लोकतंत्र की
कल्पना रामराज्य के बिना
नहीं की जा
सकती। वे कहते
है राम मंदिर
पर हमारी सोच
स्पष्ट है। राम
मंदिर बहुत जल्दी
बनेगा और हमारी
सरकार राम मंदिर
बनाएगी। उनकी यही
बाते और हिन्दू
धर्म को लेकर
किए जा रहे
कार्य संघ प्रमुख
के करीब ले
जाती है। इसके
अलावा सपा-बसपा
गठबंधन के बावजूद
उत्तर प्रदेश में
सहयोगियों समेत 64 सीट जीतने
के बाद जिस
तरह योगी उत्साहित
है। मोदी भी
इसका श्रेय योगी
को ही दे
रहे है। उससे
योगी का कद
तो बढ़ा ही
है। खासकर 11 विधानसभा
सीटों पर होने
वाले उप चुनाव
और प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी की जनप्रतिनिधियों
से सेवा की
अपेक्षा ने भी
उन्हें प्रेरित किया है।
इस कड़ी में
उन्होंने मुख्यमंत्री आवास पर
प्रदेश के नवनिर्वाचित
सांसदों को भोज
पर बुलाया और
सम्मानित किया है।
भाजपा की इस
प्रचंड जीत से
उत्साहित संघ प्रमुख
मोहन भागवत ने
भी बोला है-
अब राम का
काम हो कर
रहेगा। संघ प्रमुख
ने कहा कि
हमेशा चर्चा होती
है कि भारत
विश्वशक्ति बनेगा लेकिन उससे
पहले हमारे पास
एक डर का
एक डंडा अवश्य
होना चाहिए, तभी
दुनिया मानेगी। ’राम का
काम करना है
तो राम का
काम हो कर
रहेगा।’ आरएसएस शुरू से
अयोध्या में राम
मंदिर निर्माण की
पैरोकार रही है।
इसके लिए अखिल
भारतीय स्तर पर
कई आंदोलन भी
चलाए गए हैं।
यह संस्था मौजूदा
बीजेपी सरकार पर दबाव
भी बनाती रही
है ताकि किसी
उचित फैसले के
तहत राम मंदिर
का निर्माण हो
सके। हालांकि केंद्र
की मोदी सरकार
यह मसला अदालती
फैसले के जरिये
निबटाना चाहती है। अयोध्या
की विवादित जमीन
पर मंदिर बने
या नहीं, फिलहाल
यह मामला सुप्रीम
कोर्ट में लंबित
है। उधर, प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी के
सबसे भरोसेमंद और
करीबी अमित शाह
भारत सरकार का
हिस्सा बन गए
हैं। यूपी में
2014 के लोकसभा और 2017 के
विधानसभा चुनाव में अमित
शाह ने जो
चमत्कार किया, उसके बाद
उन्हें राजनीति का चाणक्य
कहा जाने लगा।
बचपन से ही
शाह आरएसएस से
जुड़े है। वहीं
से मोदी और
शाह की जोड़ी
एक के बाद
एक हीट होती
रही। लेकिन अब
उनके सामने जम्मू
कश्मीर में सुरक्षाबलों
को और मजबूत
करने व कश्मीर
से धारा 370 हटाने
की चुनौती है।
इसके लिए संघ
और मोदी दोनों
उपयुक्त मान रहे
है।
बता दें,
वर्ष 1987 में मोदी
एवं शाह की
जो दोस्ती प्रारंभ
हुई वह आज
तक जारी है।
राजनीतिक क्षेत्र में उपरोक्त
दोनों वरिष्ठ करिश्माई
नेताओं को एक
दूसरे का पूरक
माना जाता है।
वर्ष 2009 में लालकृष्ण
आडवाणी के राजनैतिक
अवसान के प्रारंभ
होने के उपरांत
यह जोड़ी धीरे-धीरे भाजपा
के शीर्ष पर
काबिज होने के
लिए आगे बढऩे
लगी। देखते ही
देखते आज अटल
आडवाणी मुरली मनोहर की
भाजपा पर नरेंद्र
मोदी एवं अमित
शाह की जोड़ी
का राज हो
गया। कहा तो
यहां तक जाता
है मोदी सरकार
में राजनाथ सिंह
भले ही देश
के गृह मंत्री
रहे हो लेकिन
सिवाय कड़ी निंदा
बोलने के उनकी
कोई हैसियत नहीं
थी। उन्हें खुलकर
अपने हाथ खोलने
के मौके कम
ही मिले? मोदी
को विषम परिस्थितियों
में काम करना
पड़ रहा था।
अब प्रधानमंत्री मोदी
के बाद अमित
शाह सरकार के
कर्ताधर्ता होंगे! जब भी
श्री मोदी विदेश
दौरे पर रहेंगे
तब देश की
कमान शाह के
हाथों में होगी।
क्योंकि पूरी भाजपा
में अब नरेंद्र
मोदी और अमित
शाह का युग
चल रहा है।
लोग कहते है
इस जोड़ी ने
भाजपा के कई
बड़े नेताओं का
निपटा कर मार्गदर्शक
मंडल में शामिल
कर दिया है।
अब इस जोड़ी
के सामने केवल
राजनाथ ही एक
ऐसी चुनौती हैं
जो उनके लिए
भविष्य में कभी
भी बड़ी चुनौती
साबित हो सकते
हैं। यही वजह
है कि राजनाथ
के कद को
बड़ी खूबसूरती से
कम किया गया।
ऐसे में राजनाथ
को इन दोनों
से समन्वय बनाकर
चलना ही होगा।
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