मोदी मंत्रिमंडल में यूपी का दबदबा
मोदी कैबिनेट में
भी
दिखा
सोशल
इंजीनियरिंग
का
फॉर्मूला
सुरेश गांधी
वाराणसी। प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी
ने सबसे
ज्यादा सीटें
जिताने वाले
उत्तर प्रदेश
को पूरी
तवज्जो देते
हुए अपने
मंत्रिमंडल में यहां के आठ
लोगों को
स्थान दिया
है। इनमें
दो महिलाएं
शामिल हैं।
तीन को
कैबिनेट, दो
को राज्यमंत्री
स्वतंत्र प्रभार और तीन
को राज्यमंत्री
का दर्जा
दिया है।
प्रधानमंत्री मोदी खुद भी उत्तर
प्रदेश के
वाराणसी से
ही सांसद
हैं। मेनका
गांधी को
मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली
है। पर,
माना जा
रहा है
कि उन्हें
कोई अन्य
महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी जा सकती
है। चर्चा
यह भी
है कि
उन्हें लोकसभा
अध्यक्ष बनाया
जाएगा। इसके
अलावा प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी
की मंत्रिपरिषद
पर सोशल
इंजीनियरिंग की छाप है। ऐसे
चेहरों को
मौका मिला
है, जो
अपने राज्यों
में राजनीतिक
लिहाज से
प्रभावी जाति
समूहों से
आते हैं।
लगातार दूसरी
बार वाराणसी
से चुनाव
लड़कर सांसद
बने मोदी
ने अपने
मंत्रिमंडल में उत्तर प्रदेश का
दबदबा बनाकर
यह संदेश
दे दिया
है कि
2014 में काशी
से चुनाव
लड़ने आए
मोदी खुद
को उत्तर
प्रदेश वाला
सिर्फ कहते
नहीं है
बल्कि वह
इस प्रदेश
के महत्व
को दिल
से स्वीकार
भी करते
हैं। इसीलिए
न सिर्फ
उन्होंने खुद
को उत्तर
प्रदेश का
सांसद बनाकर
इस प्रदेश
के खाते
में अटल
बिहारी वाजपेयी
के बाद
भाजपा का
दूसरा प्रधानमंत्री
देने का
रिकार्ड दर्ज
कराया बल्कि
अपने अलावा
8 मंत्री भी
बनाए। जिनमें
कैबिनेट मंत्री
के रूप
में राजनाथ
सिंह, स्मृति
ईरानी, डॉ.
महेंद्रनाथ पांडेय, राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार
के रूप
में संतोष
गंगवार, प्रदेश
से राज्यसभा
सदस्य हरदीप
पुरी और
राज्यमंत्री के रूप में वीके
सिंह, साध्वी
निरंजन ज्योति,
डॉ. संजीव
बालियान शामिल
हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी के
साथ शपथ
लेने वाले
57 मंत्रियों के नाम पर गौर
करने से
पता चलता
है कि
लिस्ट तैयार
करते वक्त
सोशल इंजीनियरिंग
का भी
ध्यान रखा
गया। राज्यों
में प्रभावी
जातीय समूहों
को साधने
की कोशिश
हुई है।
बीजेपी ने
यह कोशिश
है कि
उसका कोर
वोटर खुश
रहे। यही
वजह है
कि बीजेपी
ने उन
जातियों से
आने वाले
चेहरों को
ज्यादा मौका
दिया है,
जो उसके
कोर वोटर
माने जाते
हैं। ऐसा
भी नहीं
है कि
सभी मंत्रियों
के नाम
जातीय समीकरणों
की वजह
से ही
फाइनल हुए,
मगर इतना
जरूर है
कि अधिकांश
मंत्रियों को इस वजह से
ही मंत्रिपरिषद
में शामिल
होने का
मौका मिला।
उत्तर प्रदेश
में बीजेपी
के शानदार
प्रदर्शन पर
प्रदेश अध्यक्ष
और पार्टी
के ब्राह्मण
चेहरे महेंद्रनाथ
पांडेय को
इनाम के
साथ प्रमोशन
मिला है।
पिछली बार
राज्य मंत्री
थे, इस
बार कैबिनेट
मंत्री बने
हैं। जाटलैंड
में रालोद
मुखिया चौधरी
अजित सिंह
को हराने
वाले जाट
चेहरे संजीव
बालियान फिर
से मंत्री
बने हैं।
पिछली बार
यूपी के
जिन तीन
मंत्रियों को हटाया गया था,
उसमें बालियान
भी एक
थे. पश्चिमी
यूपी में
जाटों का
वर्चस्व है।
कश्यप, निषाद
और बिंद
जातियों में
खास पैठ
रखने वालीं
साध्वी निरंजन
ज्योति को
फिर से
मंत्री बनने
का मौका
मिला है।
राजस्थान में
जाट कैलाश
चौधरी, राजपूत
गजेंद्र सिंह
शेखावत और
दलित चेहरे
अर्जुन राम
मेघवाल को
मोदी सरकार
में मंत्री
बनने का
मौका मिला
है। जाटों
को प्रतिनिधित्व
देने के
लिहाज से
कैलाश चौधरी
को पहली
बार मोदी
ने मंत्रिपरिषद
में शामिल
किया है।
महाराष्ट्र से बने पांच मंत्रियों
में दलित
चेहरे रामदास
अठावले को
फिर मौका
मिला है।
बिहार में
लालू यादव
की राजनीति
को लंबे
समय से
चुनौती देते
आए बिहार
बीजेपी अध्यक्ष
नित्यानंद राय को पहली बार
पीएम मोदी
ने अपने
मंत्रिपरिषद में शामिल किया है।
बिहार में
वह बीजेपी
के यादव
चेहरा माने
जाते हैं।
तादाद अधिक
होने से
बिहार में
यादव वर्ग
की गिनती
एक प्रभावी
जाति समूह
के रूप
में होती
है। नित्यानंद
के जरिए
बीजेपी ने
यहां पिछड़ों
की नुमाइंदिगी
सुनिश्चित करने की कोशिश की
है। वहीं
बिहार से
राम विलास
पासवान को
मंत्री बनाकर
दलितों को
भागीदारी दी
गई है।
हालांकि बिहार
में एक
बड़ी तादाद
में मौजूद
गैर यादव
पिछड़ा वर्ग से कोई मंत्री
नहीं बना
है। माना
जा रहा
है कि
इसमें से
एक या
दो नाम
नीतीश के
कोटे से
आने थे,
मगर जेडीयू
के सरकार
में न
शामिल होने
से इस
वर्ग को
प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाया। वहीं
मंत्री बने
रविशंकर प्रसाद,
गिरिराज सिंह,
अश्विनी चौबे,
आरके सिंह
अगड़ी जातियों
से हैं।
कर्नाटक में
पिछली बार
जब कांग्रेस
की सिद्धारमैया
सरकार थी
तो बीजेपी
लिंगायतों, वोक्कालिगा और ब्राह्मणों की
उपेक्षा का
आरोप लगाती
रही। इस
बार मोदी
के मंत्रिमंडल
में ब्राह्मण
चेहरे प्रह्लाद
जोशी, वोक्कालिगा
वर्ग के
सदानंद गौड़ा
और लिंगायत
चेहरे सुरेश
अंगाड़ी को
मंत्री बनाया
गया है।
कर्नाटक में
लिंगायत वर्ग
बीजेपी का
वफादार माना
जाता है।
गुजरात से
बीजेपी अध्यक्ष
अमित शाह,
मनसुख मंदाविया
और पुरुषोत्तम
रुपाला मंत्री
बने हैं।
राज्य के
तीन बड़े
पटेल नेताओ
में पुरुषोत्तम
रूपाला की
गिनती होती
है। माना
जाता है
कि राज्य
में प्रभावशाली
जाति समूह
पटेलों को
साधने के
लिए बीजेपी
ने राज्यसभा
सदस्य पुरुषोत्तम
रूपाला को
फिर से
मंत्री बनाया
है। हरियाणा
में दस
सांसदों पर
तीन केंद्रीय
मंत्री बने
हैं। भले
ही हरियाणा
में जाटों
की तादाद
25 फीसद हो,
मगर बीजेपी
ने मंत्री
बनाने में
गैर जाट
कार्ड खेला
है। तीन
में से
एक भी
जाट मंत्री
नहीं है।
जिन तीन
नेताओं को
मोदी ने
मंत्री बनाया
है, उनमें
अंबाला सुरक्षित
सीट से
तीसरी बार
जीते रतनलाल
कटारिया जहां
दलित चेहरे
हैं, वहीं
फरीदाबाद से
जीते कृष्णपाल,
गुर्जर हैं
और राव
इंद्रजीत राव
अहीर चेहरे
हैं। बीजेपी
की झोली
में इस
बार पांचों
लोकसभा सीटें
गईं. पीएम
नरेंद्र मोदी
ने ब्राह्मण
चेहरे और
पूर्व मुख्यमंत्री
रमेश पोखरियाल
निशंक को
मंत्रिपरिषद में शामिल कर कई
संतुलन स्थापित
किए. राजपूत
टीएस रावत
मुख्यमंत्री हैं, ऐसे में ब्राह्मण
चेहरे निशंक
को केंद्र
सरकार में
मौका देकर
बीजेपी ने
अपने दोनों
कोर वोटबैंक
को साधने
की कोशिश
की है.
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