कबूलनामा के बाद आतंक को कंट्रोल कर पायेंगे इमरान?
पाकिस्तान ने अब
तक ऐसा कुछ
नहीं किया था
जिससे उन्हें आतंक
के खिलाफ लड़ना
वाला कहा जाता।
लेकिन अब इमरान
खान ने जो
कहा है वो
पूरी दुनिया की
आंखें खोलने वाला
है। इमरान ने
वो सच बताया
है जिसे भारत
बरसों से कहता
रहा है। इमरान
ने वो सच
बताया है जो
पाकिस्तान की पिछली
सरकारों ने कभी
नहीं माना। पहली
बार इमरान खान
ने कबूल किया
है कि पाकिस्तान
में 40 आतंकी संगठन काम
कर रहे थे।
लेकिन कभी अमेरिका
को ये सच्चाई
नहीं बताई गई।
लेकिन बड़ा सवाल
तो यही है
क्या कबूलनामें के
बाद आतंक को
कंट्रोल कर पायेंगे
इमरान? क्यों कि ये
सच उन्होंने तब
कबूल किया है
जब पाकिस्तान दाने
दाने को मोहताज
हो गया है।
पाकिस्तान आर्थिक रूप से
खस्ताहाल हो चुका
है। खजाना खाली
है, रुपये में
गिरावट आ रही
है और पेट्रोल-डीजल समेत
दाल रोटी जैसी
जरूरी चीजों की
कीमतें बढ़ती जा
रही है। मतलब
साफ है इमरान
खान का कबूलनाम
कहीं ट्रंप से
आर्थिक मदद लेने
की कहीं चाल
तो नहीं है?
सुरेश गांधी
फिरहाल, पाकिस्तान के
प्रधानमंत्री इमरान खान ने
देर से ही
सही लेकिन कबूल
किया है कि
पाकिस्तान में 40 आतंकी संगठन
चल रहे है।
इसकी जानकारी पूर्ववर्ती
सरकारों को भी
थी, लेकिन पिछले
15 वर्षों में अमेरिकी
इसकी जानकारी नहीं
दी गयी। हम
अमेरिका के साथ
आतंक के खिलाफ
लड़ाई लड़ रहे
हैं। लेकिन अगर
थोड़ी देर के
लिए इमरान के
इस कबूलनामे को
सच मान लिया
जाएं तो उनके
प्रधानमंत्री बनते ही
आतंक पर नकेल
कसी जानी चाहिए
थी, पर उन्हीं
के संरक्षण में
आतंक की पाठशालाओं
में चार चांद
लग गयी। भारत
के पुलवामा सहित
कई आतंकी हमलों
को उन्हीं के
संरक्षण में पल
बढ़ रहे आतंकियों
ने अंजाम दी।
भारत चीख चीख
कर अंतर्राष्ट्रीय मंचों
पर कार्रवाई की
दुहाई देती रही,
लेकिन इमरान है
कि उन्हें बचाते
रहे। यहां तक
कि चीन को
भी अपने बस
में कर उसे
भारत के खिलाफ
वीटों लगाने पर
मजबूर किया। आखिर
अब ऐसी कौन
सी विपदा आन
पड़ी है जो
पिछली सरकारों को
दोषी बताते हुए
पाकिस्तान में आतंक
फैक्ट्री होने की
बात खुद कबलू
कर रहे है।
लेकिन अफसोस है
कि उनके इस
कबूलनामें की दोगली
राजनीति का सच
हर कोई समझ
रहा है और
वो है पाकिस्तान
की बढ़ती कंगाली।
बता दें,
आर्थिक रूप से
खस्ताहाल होते जा
रहे पाकिस्तान की
बदहाली बढ़ती जा
रही है। पाकिस्तान
का खजाना खाली
है। जरूरी खर्चों
के लिए सरकार
के पास धन
नहीं है। महंगाई
पिछले पांच साल
के रिकॉर्ड स्तर
पर पहुंच गई
है। रुपये में
गिरावट और कच्चे
तेल की बढ़ती
कीमतों से पाकिस्तान
के केंद्रीय बैंक
ने ब्याज दरें
बढ़ा दी है।
ताजी सब्जियों, फलों
और मांस के
दाम खासकर शहरों
में लगातर बढ़े
हैं। पेट्रोल डीजल
सहित बिजली, गैस
की कीमतों में
भारी इजाफा हुआ
है। वहां की
जनता महंगाई से
त्राही त्राही कर रही
है। कहा जा
सकता है पाकिस्तान
अब तक के
अपने सबसे बुरे
दौर से गुजर
रहा है।
लोग
महंगाई की आग
में झुलस रहे
हैं। गेहूं और
आटे के दाम
आसमान छू रहे
हैं। आलम यह
है कि गेहूं
की रोटी की
कीमत 20 से 30 रुपये तक
पहुंच गई है।
अर्थव्यवस्था चलाने के लिए
सरकार को अंतरराष्ट्रीय
मुद्रा कोष से
कड़ी शर्तों पर
कर्ज लेना पड़
रहा है। इसे
देखते हुए सरकार
को नए-नए
टैक्स लगाने पड़
रहे हैं। चिंता
की बात यह
है कि पाकिस्तान
में खाद्यान्न संकट
दिनों-दिन बढ़ता
चला जा रहा
है। सरकार ने
गेहूं और आटा
दोनों के निर्यात
पर प्रतिबंध लगा
दिया है। साथ
ही सरकार जमाखोरी
के खिलाफ देशभर
में अभियान चला
रही है।
महंगाई त्रस्त लोग
अब आत्महत्या तक
करने पर आमादा
है। आर्थिक संकट
से जूझ रहे
पाकिस्तान ने अपने
इतिहास में पहली
बार एक साल
के भीतर 16 अरब
डॉलर का विदेशी
कर्ज लेकर एक
नया रिकॉर्ड कायम
कर दिया है।
डिफॉल्टर होने से
बचने और आयात
जारी रखने के
लिए पाकिस्तान लगातार
विदेशी कर्ज ले
रहा है। पाकिस्तान
पर इतना कर्ज
है कि उसके
बजट का बड़ा
हिस्सा यानी 42 फीसदी तो
कर्ज का ब्याज
चुकाने में खर्च
हो जाता है।
2018-19 के वित्तीय वर्ष के
दौरान, पाकिस्तान ने 16 अरब
डॉलर का विदेशी
कर्ज लिया है
जिसमें से 11 महीने इमरान
खान की तहरीक-ए-इंसाफ
सरकार के कार्यकाल
के ही शामिल
हैं। 16 अरब डॉलर
में से इमरान
खान की सरकार
ने विदेशों से
13.6 अरब डॉलर उधार
लिया, जो किसी
एक वर्ष में
किसी सरकार द्वारा
लिया गया अधिकतम
कर्ज है। बाकी
2.4 अरब डॉलर का
विदेशी कर्ज जुलाई
2018 में लिया गया।
कहा जा
रहा है कि
पाकिस्तान की बिगड़ती
हालात को देखते
हुए चीन ने
भी कर्ज देने
से मना कर
दिया है। इसीलिए
इमरान अब ट्रंप
की शरण में
हैं। इमरान का
आतंक पर कबूलनामा
सिर्फ और सिर्फ
अमेरिका से आर्थिक
मदद भर लेने
के लिए नया
ड्रामा है। यही
वजह है कि
इमरान खान कांग्रेस
की शीला जैकसन
ली द्वारा आयोजित
कैपिटल हिल रिसेप्शन
में कहा, ’पाकिस्तान
में 40 विभिन्न आतंकी संगठन
चलाए जा रहे
थे। इसलिए पाकिस्तान
ऐसे दौर से
गुजरा, जहां हम
जैसे लोग यह
सोच रहे थे
कि इससे निपटेंगे
कैसे। वहीं अमेरिका
हमसे और ज्यादा
की उम्मीद कर
जंग जीतने के
लिए मदद मांग
रहा था। तब
पाकिस्तान अपने ही
अस्तित्व की लड़ाई
लड़ रहा था।
खान ने कहा
कि अमेरिकी राष्ट्रपति
डोनाल्ड ट्रंप और अन्य
वरिष्ठ अमेरिकी नेताओं से
मिलना बेहद जरूरी
था। इमरान खान
ने यह भी
कहा कि पाकिस्तान
को अपनी धरती
पर आतंकी ओसामा
बिन लादेन की
मौजूदगी के बारे
में पता था।
उन्होंने कहा कि
पाकिस्तान की खुफिया
एजेंसी इंटर-सर्विसेज
इंटेलिजेंस (आईएसआई) ने ही
अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए
को जानकारी मुहैया
कराई, जिसकी मदद
से अमेरिका अल
कायदा चीफ ओसामा
बिन लादेन तक
पहुंचा था।
हालांकि उनकी यह
टिप्पणी पाकिस्तान के आधिकारिक
रुख के उलट
आई है। पाकिस्तान
ने आधिकारिक रूप
से यही कहा
कि दो मई
2011 को एबटाबाद में अमेरिकी
नेवी सील द्वारा
रात में लादेन
को मार डालने
तक उसे ओसामा
बिन लादेन के
ठिकाने की कोई
जानकारी नहीं थी।
बातों ही बातों
में इमरान खान
इतना कह गए
कि पाकिस्तान से
ऑपरेट हो रहे
आतंकी संगठनों पर
सरकारों का कोई
कंट्रोल नहीं था।
करप्शन के कारण
पाकिस्तान पिछड़ता जा रहा
था।
करप्शन के
आरोपी नवाज शरीफ
जेल में घर
से खाना चाहते
हैं, जेल में
एयर कंडीशनिंग चाहते
हैं, लेकिन जिस
देश में आधी
आबादी के पास
कोई एयर कंडीशनिंग
या टीवी नहीं
है, ऐसे में
इन्हें ये सुविधाएं
क्यों मिले। फिरहाल,
यह उनकी समस्या
है। लेकिन आतंक
पर दिया गया
बयान जरुर भारत
के पक्ष में
है। क्योंकि उन्होंने
अब कबूल किया
है कि पाकिस्तान
में अभी भी
30 से 40 हजार आतंकवादी
मौजूद हैं, जो
कश्मीर-अफगानिस्तान में सक्रिय
हैं। लेकिन हमने
दृढ़ निश्चय लिया
है कि पाकिस्तान
के अंदर आतंकवादियों
को पनपने नहीं
देंगे।
एक तरफ
पाकिस्तान में 40 आतंकियों से
सक्रिय होने की
बात इमरान खान
ने कबूली है
तो वहीं पाकिस्तान
के प्रधानमंत्री इमरान
खान ने पुलवामा
को लेकर सफेद
झूठ बोला है।
कहा, पुलवामा हमले
को कश्मीर के
स्थानीय लड़कों ने अंजाम
दिया था। इससे
पाकिस्तान का कोई
लेना देना नहीं
है। बता दें,
मसूद अजहर के
आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद
ने इस हमले
की जिम्मेदारी ली
थी लेकिन इमरान
ने इसको लेकर
भी गलत बयान
दिया है। जबकि
उसी आधार पर
एक बड़ी कूटनीतिक
जीत के तौर
पर अंतरराष्ट्रीय मोर्चे
पर भारतीय प्रयासों
को सफलता मिली,
जब पाकिस्तान स्थित
आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद
(जेएम) के प्रमुख
मसूद अजहर को
संयुक्त राष्ट्र परिषद द्वारा
वैश्विक आतंकवादी के रूप
में ब्लैक लिस्ट
किया गया था।
ये बात किसी
से छुपी नहीं
है कि आतंकी
संगठन जैश-ए-मोहम्मद पाकिस्तान में
सक्रिय है।
इमरान खान के
इस बयान से
कि ‘हम पाकिस्तान
में सभी आतंकी
संगठनों को खत्म
करेंगे’ से साफ
जाहिर होता है
कि इमरान खान
ने मान लिया
है कि पुलवामा
हमले के लिए
पाकिस्तान ही जिम्मेदार
है, लेकिन वह
इस बात को
खुलकर इसलिए नहीं
बोल रहे कि
कहीं पूरी दुनिया
के सामने पाकिस्तान
की पोल न
खुल जाए। जहां
तक मोदी की
आड़ में कश्मीर
विवाद को हल
करने के लिए
पाकिस्तान और भारत
को बातचीत की
मेज पर लाने
के लिए ट्रंप
की मध्यस्थता की
पेशकश को लेकर
इमरान भी हैरान
है। क्योंकि वो
अच्छी तरह समझ
रहे है कि
मोदी मध्यस्ता की
बात दूर ऐसा
सोच भी नहीं
सकते। दरअसल, डोनाल्ड
ट्रंप ने इमरान
खान के साथ
प्रेस कांफ्रेंस करते
हुए कहा कि
वे कश्मीर मुद्दे
पर मध्यस्थता के
लिए तैयार हैं।
यही नहीं
ट्रंप ने प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी का
जिक्र करते हुए
कहा कि भारत
के प्रधानमंत्री ने
उनसे कश्मीर मुद्दे
पर मदद मांगी
थी। जबकि हकीकत
तो यह है
कि कश्मीर मुद्दे
पर भारत किसी
भी हालत में
किसी तीसरे पक्ष
का हस्तक्षेप नहीं
चाहता हैं। इस
मुद्दे को लेकर
विपक्षी दलों के
हमलावर रुख के
बीच विदेश मंत्री
एस जयशंकर ने
राज्यसभा में ट्रंप
के दावे को
सिरे से खारिज
किया। उन्होंने कहा
कि पाकिस्तान के
साथ कोई भी
बातचीत सीमा पार
से जारी आतंकवाद
बंद होने के
बाद हो पायेगी
और यह लाहौर
घोषणापत्र और शिमला
समझौते के अंतर्गत
ही होगी। उन्होंने
यह भी कहा
कि अमेरिकी राष्ट्रपति
से इस तरह
का कोई अनुरोध
नहीं किया गया
है। जहां तक
ट्रंप का सवाल
है वो झूठ
की फैक्ट्री है।
एक दिन में
वे 12 झूठ और
पिछले साल तो
उन्होंने सारे रिकॉर्ड
तोड़ दिए। एक
दिन में औसतन
17 झूठ बोले। ये झूठ
किसी एक मुद्दे
तक सीमित नहीं
हैं बल्कि इनमें
सबकुछ है। इमिग्रेशन
से लेकर विदेश
नीति तक। यानी
आप ये कह
सकते हैं कि
डॉनल्ड ट्रंप के मुंह
में जो आता
है वो बोलते
हैं।
यह अलग
बात है कि
अमेरिका जान चुका
है कि जिस
आंतकवाद से लड़ाई
के लिए पाकिस्तान
आर्थिक मदद मांगता
रहा है, वही
आतंक का पनाहगाह
भी है। अब
आतंकवाद के खिलाफ
जंग के नाम
पर बरसों से
चल रहा उसका
खेल खत्म हो
चुका है तो
पाकिस्तान हाफिज सईद के
आतंकी अड्डों पर
शिकंजा करने की
तैयारी में जुट
गया है। लेकिन सारी दुनिया जानती
है कि कहीं
हर बार की
तरह इस बार
भी ये सिर्फ
एक्शन के नाम
पर दिखावा न
कर रहा हो।
हर किसी को
मालूम है कि
पाकिस्तान की पनाह
में है भारत
के दुश्मन जैश-ए-मोहम्म्द,
लश्कर-ए-तैयबा,
हिजबुल मुजाहिदीन, इंडियन मुजाहिदीन,
अल कायदा, तहरीक-ए-तालिबान,
तहरीक-ए-फुरकान,
अल बद्र, जमात-उल-मुजाहिदीन,
हरकत-उल-मुजाहिदीन,
हरकत-उल-अंसार,
हरकत उल जिहाद
ए इस्लामी, अल
उम्र मुजाहिदीन, जम्मू
कश्मीर इस्लामिक फ्रंट, स्टूडेंटस
इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया
(सिमी), दीनदार अंजुमन, दुख्तरान-ए-मिल्लत,
जुनदुल्लाह, लश्कर-ए-झांगवी।
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