Sunday, 29 September 2019

कलश स्थापना के साथ मां की आराधना में लीन हुई भोले की नगरी


कलश स्थापना के साथ मां की आराधना में लीन हुई भोले की नगरी
मंदिरों में भक्तों की श्रद्धा का सैलाब उमड़ा
प्रथम दिन श्रद्धा से पूजी गयी मां शैलपुत्री, हर ओर गूंज रहा मां दुर्गा के जयकारे
सुरेश गांधी
वाराणसी। शारदीय नवरात्र पर्व का आगाज रविवार को धूमधाम से हुआ। पर्व के पहले दिन मठ-मंदिरों शक्ति केंद्रों और घरों में कलश स्थापना के साथ ही मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की गयी। मंदिरों में भक्तों की श्रद्धा का सैलाब उमड़ पड़ा। सुबह झमाझम बारिश के बीच भक्तों की आस्था का सैलाब देखते बन रहा था। सब मां भक्ति में लीन थे। मंदिरों में सुबह 5.30 बजे से ही देर रात तक श्रद्धालु मां के दर्शनों के लिए आते रहे। 
श्रद्धालुओं ने व्रत रखा। पूजा कर मंगल कामना की। मन्नतें मांगी। मंदिरों में शंखनाद और मां शक्ति के जयकारों से शहर गूंजायमान हो गया। जागरण कीर्तन हुआ। जगह-जगह भंडारे हुए। सुबह झमाझम बारिश के बीच भक्तों की आस्था का सैलाब देखते बन रहा था। सब मां की भक्ति में लीन थे। सभी को मां के आगमन का इंतजार था। नवरात्र के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग शक्ति स्वरूपों की पूजा की जाएगी। भक्तों में शारदीय नवरात्र को लेकर खूब उत्साह है।
शारदीय नवरात्र के पहले दिन से ही वातावरण आध्यात्मिक हो गया है। मंदिर हो घर या मठ सभी जगह सुबह शुभ मुहूर्त में नेम-नेमत और विधि-विधान के साथ श्रद्धालुओं ने कलश स्थापना कर मां का आह्वान किया। ज्योति प्रचंड के बाद भव्य महाआरती की गई। इसके बाद प्रसाद वितरित किया गया। शाम को आरती का भव्य आयोजन किया गया। पूरे दिन भजन-कीर्तन से मंदिर गुंजायमान रहा। शहर के कई मंदिरों में मां शक्ति के दर्शनों के लिए भक्तों की लंबी लाइनें लग रहीं।
मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए भक्तों ने दिन भर भजन एवं भेंट प्रस्तुत की। मंदिरों में भजन-कीर्तन और भंडारे का कार्यक्रम चलता रहता है। नवरात्र उत्सव का पहला दिन होने की वजह से शहर के मंदिरों में रौनक रही। चाहे दुर्गाकुड स्थित मां दुर्गा मंदिर हो या पचकोशी स्थित शैलपुत्री मंदिर हो अन्य शहर भर के सभी मंदिरों में श्रद्धालुओं ने मां भगवती की पूजा की और व्रत रखा। मंदिरों को रंग-बिरंगी लाइटिंग से आकर्षक ढंग से सजाया गया। रात होते ही मंदिर जगमगा गए। नवरात्र के दौरान 24 घंटे मंदिरों के कपाट खुले रहेंगे।
 कहते है नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की उपासना करने से व्यक्ति को धन-धान्य, ऐश्वर्य, सौभाग्य तथा आरोग्य की प्राप्ति होती है। मां की उपासना के लिए व्रत रखने वाले लोगों ने अराध्य का ध्यान लगाकर मां दुर्गा के पहले रूप शैलपुत्री की पूजा की। कहते है शैलराज हिमालय की पुत्री होने के कारण मां के इस रूप का नाम शैलपुत्री पड़ा। मां शैलपुत्री का वाहन बैल होने के कारण इन्हें वृषारूढ़ा भी कहा जाता है। मां शैलपुत्री के दो हाथों में से दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल सुशोभित है। ऐसा कहा जाता है कि नवरात्र के पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा करने और उनके मंत्र का जप करने से व्यक्ति का मूलाधार चक्र जाग्रत होता है। माता शैलपुत्री का मंत्र कम से कम 11 बार जप करने से धन-धान्य, ऐश्वर्य और सौभाग्य में वृद्धि होगी और साधक को आरोग्य तथा मोक्ष की प्राप्ति भी होगी।
माना जाता है कि मां शैलपुत्री महान उत्साह वाली देवी और भय का नाश करने वाली है। इनकी आराधना से यश, कीर्ति, धन और विद्या की प्राप्ति होती है और इनकी पूजा मात्र मोक्ष की भी प्राप्ति होती है। ग्रामीण इलाकों में भी सुबह ही घरों की साफ सफाई कर महिलाओं ने कलश स्थापना कर हवन पूजन किया। पूजा पंडालों में देवी का आवाहन और प्राण प्रतिष्ठा की गई। मां शीतला धाम चौकिया और मैहर मंदिर परिसर में मंगला आरती के बाद से दर्शन-पूजन का सिलसिला शुरू हुआ जो देर रात तक चलता रहा।
मां के दर्शन के लिए सुबह से लोग मंदिर परिसर में कतार में लग गए थे। इस दौरान घंटा घड़ियाल से आस पास का क्षेत्र का गूंजता रहा। भक्तों ने दर्शन-पूजन कर सुख और समृद्धि के लिए कामना की। भक्तों ने नारियल, चुनरी, रोरी, रक्षा, कपूर, अगरबत्ती, धूपबत्ती चढ़ा कर पूजा अर्चना की। शीतला धाम चौकिया में दर्शन करने के बाद विंध्यवासिनी देवी का दर्शन करने विंध्याचल रवाना हुए। जिले के अन्य देवी मंदिरों में दर्शन पूजन के लिए सुबह से भक्तों की भीड़ रही।

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