मां के आंगन में श्रद्धा की बारिश, झलक पा भक्त हुए निहाल
पंडालों की खूबसूरती कैद करने की दिखी हर किसी की ललक
बड़े हो बच्चे या महिलाएं सब ने खींची सेल्फी
ढाक की गूंज के बीच मां की धुनुची आरती का लोगों ने खूब लुत्फ उठाया
आज मनेगी विजयदशमी और विसर्जित होंगी दुर्गा प्रतिमाएं
सुरेश गांधी
वाराणसी।
नवरात्र के अंतिम
दिन यानी नवमी
(सोमवार) को शहर
हो या देहात
दुर्गापूजा का उत्साह
अपने चरम पर
था। मां विन्ध्यवासिनी
का दरबार विन्ध्याचल
से लेकर भदोही,
गाजीपुर, बलिया, चंदौली, सोनभद्र,
जौनपुर, आजमगढ़ व मउ
हर जगह बने
खूबसूरत पंडाल लोगों को
आकर्षित कर रहे
थे। सुबह विधि-विधान से पूजा
पाठ के बाद
श्रद्धालुओं का तांता
पंडालों में शुरू
हो गया था।
यह तांता रात
गहराते बढ़ता ही
गया। या यूं
कहें सूरज तो
ढल गया लेकिन
रात नहीं हुई। कहीं कोई
मां की भक्ति
में डूबा रहा
तो कहीं कोई
मौज-मस्ती के
मूड में नजर
आया। रंग-बिरंगे
बल्ब व झालरों
की रोशनी से
नहाई सड़कों और
पंडालों में आस्था
भक्ति का सैलाब
उमड़ता रहा।
उत्साह
व उल्लास का
आलम यह कि
शाम से लेकर
रात के तीसरे
पहर तक सड़कें
दिन का अहसास
कराती रहीं। काशी
की सड़कें मिनी
कोलकाता के रूप
में नजर आयी।
उत्सव के शोख
रंगों में डूबा
कण-कण और
श्रद्धा -भक्ति की उठती
हिलोरों ने बाबा
भोले शंकर की
नगरी को शक्ति
मय कर दिया।
मंगलवार को विजय
दशमी मनाई जाएगी।
बुराइयों के प्रतीक
रावण परिवार के
पुतलों का दहन
किया जाएगा। अगले
साल फिर आने
की मनुहार के
साथ दुर्गा प्रतिमाएं
भी विसर्जित की
जाएंगी।
हर किसी
की चाहत पंडालों
में विराजमान मां
की एक झलक
पाने को थी।
इसके लिए श्रद्धालु
घंटो लाइन में
लगकर अपनी बारी
का इंतजार करते
रहे। पंडालों में
मां की भक्ति
के साथ देशभक्ति
का भी नजारा
देखने को मिला।
पंडाल में भक्ति
गीत के साथ-साथ देशभक्ति
का गीत बजता
रहा। इससे भक्तों
के पांव बरबस
ही थिरकने को
विवश दिखे। हर
तरफ माता का
जयकारा और पंडालों
के साथ सेल्फी
की होड़ मची
रही। पंडालों की
मनोहर छटा से
भाव विभोर देवी
गीतों में स्वर
मिलाते, मातारानी को शीश
नवाते, प्रसाद जीमते और
अपने अंदाज में
सुख-समृद्धि की
कामना करते लोग
टहलान मारते रहे।
बच्चों के लिए
यह सब जगमग
तो निराली थी
ही खिलौने या
खानपान के सामान
पर उनका मचलना
भी मोहक रहा।
पंडालों के आसपास
मेला जैसा माहौल
रहा। मेला में
मिठाई, खिलौने, सौंदर्य प्रसाधन
व चाट-चाउमिन
की दुकानों पर
खूब भीड़ देखी
गयी। ऐसा लग
रहा था जैसे
पूरी बनारस सड़कों
पर है। लाखों
की भीड़ मां
दुर्गा की एक
झलक पाने के
लिए उमड़ पड़ी
थी। सड़कों पर
श्रद्धालुओं के आने
से सड़क से
लेकर गलियों तक
यातायात का प्रवाह
रुक गया। देर
रात तक यह
रेला बढता ही
गया और सड़क
पर सिर्फ देवी
भक्त हर तरफ
नजर आने लगे।
बीएचयू सारनाथ, शिवपुर, लहुराबीर,
मैदागिन, चैक, गोदौलिया,
भोजूबीर, अर्दली बाजार, डीएलडब्लू,
लहरतारा के साथ
साथ ग्रामीण अंचलों
में पंडालों में
श्रद्धालुओं का रेला
मां के दर्शन
को उमड़ा। शहर में
कहीं गुजरात का
सोमनाथ मंदिर तो कहीं
अक्षरधाम मंदिर देखने को
मिला। तो कहीं
राष्ट्रपति भवन में
भी मां ने
श्रद्धालुओं को अपना
दर्शन दिया और
महिषासुर का अंत
किया।
शहर के
बीचों बीच जहां
सनातनधर्म इंटर कालेज
के मैदान में
बने महिष्मति के
महल में महिषासुर
मर्दनी ने महिषासुर
का अंत किया
तो कही लोगों
ने पुलवामा शहीदों
को श्रद्धांजलि अर्पित
की। जैतपुरा थानाक्षेत्र
में बने चंद्रयान-3
को देखने भारी
भीड़ उमड़ी थी।
सभी इस चंद्रयान
और इसके एस्ट्रोनॉट
के साथ सेल्फी
लेते दिखे। अर्दली
बाजार में बने
चंद्रयान-2 में लोगों
को चंद्रयान का
लुत्फ मिल रहा
है।
पूजा पंडालों
में या देवी
सर्व भूतेषू के
लगातार मंत्रोच्चारण से वातावरण
भक्तिमय हो गया
है। सनातन धर्म
इंटर कालेज के
पूजा पंडाल में
रंग बिरंगे प्रकाश
के साथ ध्यान
मंत्र गूंजने रहे।
दर्जनों मोबाइल फोन के
कैमरे ऑन रहे।
कोई वीडियो बना
रहा तो कोई
लाइव हो गया।
संवादों के अनुसार
प्रतिमा में हरकत
हो रही है।
पद्मासन में बैठी
देवी दुर्गा की
प्रतिमा खड़ी होने
लगी है। बादलों
की गर्जना और
चकाचैंध कर देने
वाले रंगबिरंगे प्रकाश
के बीच जैसे
जैसे देवी खड़ी
हो रही हैं,
उनका जयकारा भी
तेज होता जा
रहा है। नौ
फीट की दुर्गा
16 फीट की काली
में तब्दील हो
गईं और रक्तबीज
का संहार कर
डाला।
हथुआ मार्केट
में सोमनाथ मंदिर
की अनुकृति देखने
वालों की भी
जबरदस्त भीड़ रही।
सिगरा स्थित भारत
सेवाश्रम संघ परिसर
में देश भर
से जुटे संन्यासियों
और साधकों की
उपस्थिति में देवी
महात्म्य पर विमर्श
हो रहा था।
सायंकाल संन्यासियों ने एकचाल
वाली प्रतिमा की
आराधना की। रात
गहराने के साथ
शहर की सड़कों
पर लोगों का
हुजूम भी बढ़ता
गया। बीएचयू परिसर
में मनाए जा
रहे दुर्गा पूजा
उत्सव में अष्टमी
के दिन देर
रात तक श्रद्धालुओं
की भीड़ लगी
रही। मधुबन परिसर में
स्थापित मां की
प्रतिमा के दर्शन
पूजन के बाद
जहां श्रद्धालु ढाक
की थाप पर
थिरकते रहे वहीं
प्रसाद ग्रहण करने वालों
की लंबी कतारें
लगी रही। शहर
के कई कोनों
में इस वर्ष
मां दुर्गा इकोफ्रेंडली
रूप हैं। गिरजाघर
चैराहे पर एमजे
स्पोर्टिंग क्लब की
मां इस वर्ष
हवन सामग्री से
बनायीं गयी हैं
तो जैतपुरा के
चंद्रयान-3 में मां
दुर्गा बालू और
कंकड़ पत्थर से
बनायीं गयी हैं।
इसके अलावा मां
की मूर्ति तिल
और दाल की
भी बनायीं गयी
है। इसके साथ
ही हवन के
धुएं से शिव
नगरी की सड़कें-गलियां महक उठीं।
कानों में गूंजते
सस्वर मंत्रों की
ध्वनि से माहौल
शक्तिमय तो मां
दुर्गा के साथ
ही मां लक्ष्मी,
देवी सरस्वती, भगवान
गणेश व कार्तिकेय
की प्रतिमाओं का
पूजन अभिषेक किया
गया। ढाक के
डंकों से गूंजते
पंडालों में धुनूचि
नृत्य संग मां
की आरती की
गई। कुमारी पूजन
के साथ खिचड़ी
महाभोग अर्पित कर प्रसाद
वितरण किया गया।
भारत सेवाश्रम संघ
सिगरा व अन्य
पंडालों में 108 दीपों व
कमल पुष्प के
साथ महानिशा पूजा
की गई। अष्टमी-नवमी तिथियों
की संधि बेला
में संधि पूजा
की गई। पंडालों
में अल्पना व
रंगोली सजाई गई।
भदोही के
मेनरोड से
लेकर मर्यादपट्टी
तक विभिन्न
पूजा पंडाल
दिव्य प्रकाश
से जगमग
हैं। श्री
दुर्गापूजा समिति, साई चैक, पुराना
बाटा गली, मेनरोड
पर सीईपीसी
के प्रशासनिक
सदस्य उमेश
गुप्ता, चेयरमैन
अशोक जायसवाल,
सभासद गिरधारी
उर्फ लोलों
जायसवाल, राजीव
गुप्ता, विनय
गुप्ता, संजय
गुप्ता आदि
ने आरती
की। गोलामंडी,
रजपूरा, चैरी
रोड, अयोध्यापूरी,
मुल्ला तालाब,
मिडिल स्कूल,
भदोही रेलवे
स्टेशन, मर्यादपट्टी,
आनंद नगर,
ज्ञानपुर रोड,
रेवड़ापरसपुर, दरोपुर, मदारीपुर आदि पंडालों
में श्रद्धालुओं
का रेला
देखने को
मिला। इस
दौरान ध्वनि
विस्तारक यंत्रों
पर बज
रहे देवी
गीतों से
वातावरण देवीमय
हो चुका
है।
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