बजट में गांव से लेकर हेल्थ व किसान की बल्ले-बल्ले

सुरेश गांधी
आर्थिक सुस्ती
और मौजूदा
वित्त वर्ष
में 5 फीसदी
विकास दर
की संभावना
के बीच
वित्त मंत्री
निर्मला सीतारमण
पहले दशक
का अपना
दूसरा बजट
(वित्तीय वर्ष
2020-2021) संसद में पेश किया। वे
लगातार दूसरी
बार बजट
पेश करने
वाली पहली
महिला वित्त
मंत्री हैं।
उनसे पहले
इंदिरा गांधी
ने एक
बार फरवरी
1970 में बजट
पेश किया
था। फिरहाल,
वित्तमंत्री ने इस बजट के
जरिए प्रधान
मंत्री नरेंद्र
मोदी के
ं 5 ट्रिलियन
अर्थव्यवस्था के दावे को पूरा
करने का
प्रयास किया
है। कहा
जा सकता
है अगर
सब कुछ
ठीक-ठाक
रहा तो
2024-25 तक इस लक्ष्य को पूरा
किया जा
सकता है।
इस बजट
में जहां
एक तरह
देश के
आम आदमी
को भारी
राहत देने
की कोशिश
की गई
है वहीं
दूसरी तरफ
इस बजट
की सबसे
बड़ी खासियत
ये रही
कि सरकार
ने इस
साल देश
के बड़े
पुरातात्विक स्थलों को पर्यटन स्थल
के रूप
में विकसित
करने का
भी ऐलान
किया है।
सरकार सबका
साथ, सबका
विकास और
सबका विश्वास
की नीति
पर आगे
बढ़ने की
योजना बनाई
है।
कृषि,
शिक्षा, स्वास्थ्य,
पानी, स्वच्छता
और कौशल
विकास के
लिए इस
बजट में
रणनीतिक आवंटन
किए गए
हैं। नई
तकनीकी अर्थव्यवस्था
में नीतिगत
हस्तक्षेप वास्तव में एक स्वागत
योग्य कदम
है। शिक्षा
के क्षेत्र
में एफडीआई
और बीमा
क्षेत्र में
एफडीआई भी
अहम कदम
है। बजट
में जहां
सर्विस क्लास
को इनकम
टैक्स में
बड़ी राहत
दी गई
है वहीं
किसानों, युवाओं
और महिलाओं
के लिए
भी कई
बड़े ऐलान
किए गए
हैं। सरकार
ने इनकम
टैक्स स्लैब
की में
बड़े बदलाव
करते हुए
5 लाख सालना
आय वाले
लोगों को
कर से
मुक्त कर
दिया है।
पहले यह
सीमा केवल
2.5 लाख सालना
आय वालों
के लिए
थी। हालांकि,
नए टैक्स
स्लैब के
साथ एक
पेच भी
जुड़ा हुआ
है। बजट
में लोगों
को पुरानी
टैक्स दरों
से भी
आयकर अदायगी
का विकल्प
भी दिया
गया है।
मतलब साफ
है अगर
कोई शख्स
अभी सवा
लाख रुपये
महीने कमाता
है तो
नई आयकर
व्यवस्था के
तहत टैक्स
देने पर
उसे 78 हजार
रुपये का
फायदा होगा।
इसी तरह
10-12.50 लाख वालों की इनकम टैक्स
स्लैब 30 फीसदी
से घटाकर
20 फीसदी कर
दी गई
है।


देश की
सीमाएं सुरक्षित
करने व
सेना को
मजबूत बनाने
के लिए
रक्षा बजट
में 6 फीसदी
की वृद्धि
स्वागत योग्य
कदम है।
अब रक्षा
बजट को
बढ़ाकर 3.37 लाख करोड़ कर दिया
गया है।
देश में
इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने के लिए सरकार
का निवेश
बढ़ाने का
फैसला बेहतर
है। इससे
कंपनियों को
स्टार्टअप में युवाओं को जोड़ने
की अवसर
मिलेंगे। यानी
देश को
मैन्युफेक्चरिंग हब बनाने पर ज़ोर
दिया जाएगा।
विदेशी निवेश
के लिए
इन्वेस्टमेंट क्लियरेंस सेल का गठन
व मोबाइल,
इलेक्ट्रॉनिक मैन्यूफैक्चरिंग इंडस्ट्री
को बढ़ावा,
हर जिले
में एक्सपोर्ट
हब बनाने,
5 साल में
100 लाख करोड़
रुपये के
निवेश का
लक्ष्य, देश
में 5 नई
स्मार्ट सिटी
बनाने, मोबाइल
फोन बनाने
के लिए
नई स्कीम
लाने, 6 हजार
नए प्रोजेक्ट
पर काम
करने की
योजना स्वागतयोग्य
है। पानी
की कमी
को देखते
हुए 100 जिलों
में पानी
की व्यवस्था
के लिए
बड़ी योजनाएं
चलाने से
किसानों को
पानी की
दिक्कत नहीं
होगी।
पीएम कुसुम
स्कीम के
जरिए 20 लाख
किसानों के
पंप को
सोलर पंप
से जोड़े
जाने से
यह समस्या
दूर होगी।
देश में
मौजूद वेयरहाउस,
कोल्ड स्टोरेज
को नाबार्ड
से जोड़ने
व वेयरहाउस,
कोल्ड स्टोरेज
की संख्या
बढ़ाने से
किसानों को
लाभ होगा।
महिला किसानों
के लिए
धन्य लक्ष्मी
योजना लाभकारी
होगा। बागवानी
क्षेत्र में
सुधार के
लिए जिला
स्तर पर
योजना लाने
से उत्पादन
बढ़ेगा। बागवानी
क्षेत्र में
311 मिलियन मीट्रिक टन की वर्तमान
में पैदावार
है और
अब इसके
बेहतर विपणन
निर्यात के
लिए एक
उत्पाद एक
जिले की
व्यवस्था अच्छा
कदम है।
ब्लू इकॉनोमी
के जरिए
मछली पालन
को बढ़ावा
देने से
युवा और
मत्स्य परिवार
को लाभ्ज्ञ
होगा। पीएमसी
बैंक घोटाले
के सामने
आने के
बाद से
बैंकों में
ग्राहकों की
जमा राशि
के भविष्य
को लेकर
बहस छिड़ी
हुई है।
इस बहस
के बीच
बजट में
बैंक खातों
में जमा
रकम पर
इंश्योरेंस गारंटी की सीमा बढ़ाने
से उपभोक्ताओं
को राहत
मिलेगी। इसमें
अगर कोई
बैंक डूब
जाता है
तो उसके
जमाकर्ताओं को अधिकतम 1 लाख रुपये
की राशि
सरकार देती
है। लेकिन
अब ऐसा
नहीं होगा।
अब बैंकों
में जमा
रकम पर
5 लाख रुपये
की इंश्योरेंस
गारंटी मिलेगी।
जमाकर्ताओं के पैसे सुरक्षित हो,
इसके लिए
एक बेहतरीन
तंत्र बनाया
जा रहा
है। बैंकों
का विलय
इसी दिशा
में कदम
है।
रेल क्षेत्र
में भी
की गयी
घोषणाएं सराहनीय
है। देश
में तेजस
जैसी और
ट्रेनें चलाई
जाएंगी। तेजस
ट्रेनों के
जरिये पर्यटन
स्थलों से
जोड़ा जाएगा।
27 हजार किमी
ट्रैक का
इलेक्ट्रिफिकेशन किया जाएगा। सोलर पावर
ग्रिड रेल
पटरी के
किनारे बनाने
का प्लान
है। 148 किमी
बेंगलुरू ऊपनगरीय
ट्रेन सिस्टम
बनेगा। इस
पर कुल
18 हजार 600 करोड़ रुपये का खर्च
आएगा। जिसमें
25 फीसदी केंद्र
सरकार देगी।
जिन पांच
पुरातात्विक स्थलों के विकास का
ऐलान किया
गया है
उसमें हरियाणा
का राखीगढ़ी,
महाभारत काल
के हस्तिनापुर
(उत्तर प्रदेश),
शिवसागर (असम),
धोलावीरा (गुजरात) और आदिचनल्लूर (तमिलनाडु)
शामिल है।
इन्हें संग्रहालयों
के साथ
विकसित किया
जाएगा। यह
अलग बात
है कि
इनकम टैक्स
में बड़े
बदलाव के
बाद टैक्स
रियायतों के
जरिए बचत
प्रोत्साहित करने की नीति खत्म
हो जाएगी।
इससे बचत
में गिरावट
बढ़ेगी और
बीमा, मेडिक्लेम,
छोटी बचत
स्कीमों पर
भी इसका
असर होगा।
अगर होम
लोन पर
टैक्स छूट
भी नई
स्कीम का
हिस्सा होती
है तो
हाउसिंग भी
प्रभावित होगी।
छूट रियायत
की वापसी
के बदले
कर रियायत
के बाद
बीमा, यूलिप,
रियल एस्टेट
कारोबारों का बुरा हाल होगा।
हाल के
दिनों में
यह देश
का सबसे
बड़ा आईपीओ
(इनिशियल पब्लिक
ऑफर) हो
सकता है।
सरकार अगले
वित्त वर्ष
के आरंभ
में अप्रैल
में एलआईसी
को सूचीबद्ध
करेगी। एलआईसी
को स्टॉक
एक्सचेंज में
सूचीबद्ध करने
का यह
फैसला सरकार
का राजस्व
बढ़ाने की
दिशा में
एक बड़ा
कदम होगा।
चालू वित्त
वर्ष में
विनिवेश से
18,000 करोड़ रुपये से ज्यादा रकम
जुटाने की
उम्मीद नहीं
है। कंपनी
को सूचीबद्ध
करना कठिन
हो सकता
है, क्योंकि
इसका बड़ा
निवेश रियल
स्टेट, आर्ट
व इक्विटी
मार्केट में
है, जिसके
मूल्य निर्धारण
में समय
लग सकता
है। देश
की सबसे
बड़ी बीमा
कंपनी एलआईसी
का सरप्लस
2018-19 में 9.9 फीसदी बढ़कर 532.14 अरब रुपये
हो गया।
यह पहला
मौका था
जब एलआईसी
का सरप्लस
500 अरब रुपये
के स्तर
को पार
कर गया।
बजट से
सरकार को
जीडीपी 10 फीसदी बढ़ने का अनुमान
है। सरकार
ने 2020-21 के लिए महंगाई सहित
जीडीपी की
दस फीसदी
विकास दर
का आकलन
किया। यानी
सरकार को
भी जीडीपी
में छह
फीसदी से
ज्यादा की
बढ़ोत्तरी उम्मीद
नहीं है।
अगले वित्त
वर्ष के
बाद राज्यों
को क्षतिपूर्ति
का भुगतान
कंपनसेशन सेस
से मिलने
वाले फंड
से ही
किया जाएगा।
यानी राज्यों
को मिलने
वाली क्षतिपूर्ति
घट सकती
है। करपोरेट
बॉन्ड में
विदेशी निवेश
की सीमा
बढ़ी है।
इससे ब्रॉन्ड
मार्केट को
कुछ ताकत
मिलेगी लेकिन
ब्रॉन्ड बाजार
महंगाई और
सरकारी घाटे
को लेकर
बुरी तरह
हलकान है।
एनबीएफसी से
छोटे उद्योगों
को कर्ज
दिलाने के
लिए नई
स्कीमएक बीमार
दूसरे बीमार
की मदद
कैसे करेगा?
ज्यादातर एनबीएफसी
अगले दो
साल तक
जिंदा रह
पाएंगी यह
इस समय
सबसे बड़ा
सवाल है?
बैंक जमा
पर बीमा
एक लाख
रुपये से
बढ़ाकर 5 लाख
किया गया
है। पीएमसी
बैंक घोटाले
का असर.
बीमा की
लागत बैंकों
को ही
उठानी होगी।
सरकारी बैंकों
में औसत
प्रति अकाउंट
जमा एक
लाख रुपये
तक हैं।
निजी बैंकों
में प्रति
अकाउंट जमा
की राशि
एक लाख
रुपये से
ज्यादा है।
बुनियादी ढांचे
यानी सड़क,
एक्सप्रेसवे, हवाई अड्डों की परियोजनाओं
के लिए
नया लक्ष्य
अब 2024 होगा!
इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए
बजट से
पहले बड़ी
निवेश योजना
घोषित की
गई थी।
बुनियादी ढांचा
निवेश का
लक्ष्य पूरा
करने के
लिए सालाना
आवंटन 13 फीसदी
की दर
से बढ़ाना
होगा। बजट
की मौजूदा
हालत इसके
माफिक नहीं
है। निजी
इन्फ्रा परियोजनायें
कर्ज में
डूबी हैं।
बैंक कर्ज
देने से
हिचक रहे
हैं। महत्वाकांक्षी
हाइवे प्रोजेक्ट
भारतमाला का
जिक्र नहीं,
जिसका एलान
2018 में हुआ
था। सड़कों
के निर्माण
को फाइनेंस
करने का
नया मॉडल
जो 2015 आया
था वह
असफल रहा
है। निर्यात
के कर्ज
की मांग
घट रही
है। समस्या
प्रतिस्पर्धात्मकता की है।
रुपये की
कमजोरी के
बावजूद निर्यातों
का हाल
बुरा है।
सर्वेक्षण ने व्यापार के उदारीकरण
की सलाह
दी है।
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