समाज को सशक्त और स्वावलंबी बनना होगा : मनोज
क्लब की मजबूती के लिए युवाओं को जोड़ने का आह्वान : संतोषरिश्ते नहीं
है
तो
जीवन
व्यर्थ
है
: मनोज
जायसवाल
सुरेश गांधी
वाराणसी। जायसवाल क्लब के युवा इकाई के तत्वावधान में रविवार को मिर्जापुर के चुनार रेलवे स्टेशन के समीप गौरव पैलेस में युवा उद्घोष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस मौके पर मिर्जापुर, भदोही, वाराणसी, प्रयागराज, अंबेडकरनगर, बस्ती सहित पूर्वांचल के कई जनपदों से आएं स्वजातिय बंधुओं को न सिर्फ सम्मानित किया गया, बल्कि जायसवाल समाज को सशक्त और स्वालंबी बनने का आह्वान किया गया। सम्मानित होने वालों में देहरादून से मिस्टर इंडिया डीसी का खिताब जीतकर आएं प्रथम जायसवाल शामिल है। इसके पहले वह मिस्टर डीसी वाराणसी व मिस्टर डीसी लाइफस्टाइल का खिताब भी जीत चुके है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं जायसवाल क्लब के संस्थापक व राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज जायसवाल ने कहा कि युवा वर्ग अपने मन, बुद्धि, आचार-व्यवहार को निर्मल स्वच्छ रखकर समाज को सशक्त स्वावलंबी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है। लेकिन यह तभी संभव हो पायेगा ज बवह समय का सही सदुपयोग कर समाज निर्माण में अपना ईमानदारी व निष्ठा के साथ अपना योगदान दें। मनोज जायसवाल ने कहा कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। रिश्ते सामाजिक संबंधों का आधार है। रिश्तो में कड़वाहट मनुष्य में मानसिक अशांति पैदा करती है। इसलिए हमें अपने मतभेदों को भूलभालकर प्यार व समझदारी से विवादों को सुलझाकर रिश्तों को बनाएं रखना होगा। रिश्तो में प्यार स्थायीत्व जीवंतता लाने के लिए अपने निजी स्वार्थो को त्यागना होगा। क्योंकि किसी भी रिश्ते में लगाव का होना जरुरी नहीं, परमावश्यक है। रिश्ता चाहे दोस्ती का हो या सामाजिक हो या सात जंमो के बंधन का, ये समझ ही है जो रिश्तों में मिठास लाता है। समझ से रहित होकर रिश्ते सिर्फ एक बोझकर बनकर रह जाते है और फिर जिन्दगी भर उन्हें हम एक जानवर के भांति ढोते रहते है। ये हमारी रिश्तो का, लगाव का या जुडाव का ही असर है कि जहां कहीं भी समाज के लागों का उत्पीड़न या उनके सहयोग की जरुरत होती है लोग उनके साथ हो लेते है। ये आपसी संबंधों के जुड़ाव का ही असर है कि कई जोड़े टूटने से बच गए।
मनोज जायसवाल ने कहा कि
‘कभी खुशी कभी गम‘ यही जिंदगी जीने का नाम है
और रिश्ते वह आधार है
जो हर गम को
छोटा और हर खुशी
को बड़ा कर देते हैं।
रिश्ते ही हैं जो
जिन्दगी से हार चुके
व्यक्ति को फिर से
जीने की नई राह
दिखाते है। रिश्ते ही है जो
हर दुःख को झेलने की
ताकत और खुशी को
आनंदमयी बनाते हैं। इसलिए हमेशा ही हर पहलू
में अपने नजदीकी के और नजदीक
आए और उसे जीना
सिखाएं। क्योंकि रिश्तों के बिना जीवन
व्यर्थ है। रिश्तो को तभी निभाया
जा सकता है ज़ब हमें
रिश्तो की समझ होंगी।
रिश्तो में समझ है तो कभी
विखराव नहीं होगा। मतलब साफ है कभी भी
किसी रिश्ते को टूटने न
दें, मतभदों को भूलभालकर उन्हें
सजोकर रखें क्योंकि रिश्ते ही है जो
ज़िन्दगी जीने की वजह बतलाते
है।
मनोज जायसवाल ने कहा कि
समाज के प्रति आज
का हमारा त्याग, हमारे आदर्श कल आने वाली
पीड़ी के लिए वरदान
होगा। इसलिए खुद को लीडर बनने
के बजाय हम लीडर पैदा
करना होगा। क्योंकि राजनीतिक दलों में उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिलने के कारण ही
उनकी उपेक्षा हो रही है।
इसलिए समाज के लोगों को
अपनी राजनीतिक भागीदारी बढ़ानी होगी। परिवार के कम से
कम एक सदस्य को
राजनीति में आना पड़ेगा। मनोज जायसवाल ने कहा कि
बचपन और बुजुर्ग अवस्था
में हम समाज से
कुछ लेते ही हैं, लेकिन
समाज में कुछ योगदान युवावस्था में कर सकते हैं
और ऐसे में युवाओं को अशिक्षा और
गरीबी जैसी बुराईयों से लड़ कर
समाज में अपना योगदान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि बड़ा लक्ष्य
पाने के लिए हमें
दूर का सोचना होगा,
अपना दिल बढ़ा करना होगा, छोटी-मोटी गलतियों व विवादों को
त्यागन होगा। क्योंकि शांति से ही बड़े
से बड़े मसले हल होते है,
युद्ध जीते जाते है। उन्होंने नारी का सम्मान करने
की बात कहते हुए कहा कि जिस समाज
में नारी का सम्मान होता
है वो कभी पीछे
नहीं होता, निरंतर आगे ही बढ़ता है।
एक शेर का जिक्र करते
हुए उन्होंने कहा, किसकों ये फिक्र है
कबीले का क्या होगा?
आज सबकों फिक्र है कबिले का
सरदार कौन होगा।
Good work Jaiswal club
ReplyDeleteHam sab ko aise hi bich bich ek mitting rakhni chahiye tab jakar log ek jut honge
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