सीईपीसी चुनाव : क्रॉस वोटिंग ने फोड़ा गुटों की गुटबाजी का गुब्बारा!
दावा
तो
यह
है
कारपेट
इंडस्ट्री
की
सिर्फ
एक
जाति
है,
वह
है
निर्यातक।
लेकिन
हकीकत
इसके
उलट
है।
1344 निर्यातको
की
यह
इंडस्ट्री
जाति
और
मजहब
के
घनचक्कर
में
ऐसी
उलझी
है
कि
उसे
अपना
रहनुमा
चुनने
के
लिए
क्रास
वोटिंग
के
साथ
जाति
व
मजहब
का
सहारा
लेना
पड़
रहा
है।
यही
वजह
है
जो
कल
तक
अपनी
जीत
तय
मानकर
चल
रहे
थे
अब
उनके
सपनों
पर
क्रास
वोटिंग
ने
ऐसा
पानी
फेरा
है
कि
उनके
जीत
के
सारे
समीकरण
तहस-नहस
हो
गए
है।
फिरहाल,
सीईपीसी
का
चुनाव
राज्यसभा
व
लोकसभा
की
तर्ज
पर
काफी
दिलचस्प
हो
गया
है
और
प्रत्याशी
अपनी
जीत
तय
करने
के
लिए
दिन-रात
एक
कर
दिए
है
सुरेश गांधी
बता दें, कालीन निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसी) प्रशासनिक समिति के चुनाव के
लिए देश भर में 2 सितम्बर
से ऑनलाइन वोटिंग शुरु हो गयी है।
वोटिंग 9 सितंबर को सायं 5 बजे
तक चलेगा। चुनाव में देशभर से कुल 1344 निर्यातक
सायं पांच बजे तक अपने मताधिकार
का प्रयोग कर सकेंगे। परिषद
के कुल 17 प्रशासनिक समिति के सदस्य पद
के लिए यह चुनाव हो
रहा है। परिणाम 10 सितंबर को घोषित होगा।
17 सीटों में यूपी से 10, कश्मीर से 3 और शेष भारत
से 4 सीटों पर चुनाव हो
रहा है। मतदाताओं में यूपी से 987, कश्मीर से 44 और शेष भारत
से 313 मत है। चुनाव
में उतरे दो गुटों ने
पैनल बनाकर कुल 29 प्रत्याशी चुनाव में उतारा है। कालीन निर्यातक कैप्टन मुकेश की टीम से
यूपी से कालीन निर्यातक
सूर्यमणि तिवारी (भदोही), वासिफ अंसारी (भदोही), अनिल कुमार सिंह (मिर्जापुर), फिरोज वजीरी (भदोही), श्रीराम मौर्य (भदोही), असलम महबूब अंसारी (भदोही), रोहित गुप्ता पुत्र उमेश कुमार गुप्ता मुन्ना (भदोही), इम्तियाज अहमद अंसारी (भदोही), दर्पण बरनवाल (भदोही), पूर्व चेयरमैन सीईपीसी कुलदीप राज वाटल (दिल्ली), गुलाम नवी भट (जम्मू-कश्मीर), शेख आशिक (दिल्ली), कैप्टन मुकेश (दिल्ली), महाबीर प्रसाद उर्फ राजा शर्मा (जयपुर) बोधराज मल्होत्रा (पानीपत) व बिजेन्दर सिंह
जगलान (पानीपत) है, दुसरी गुट के संजय गुप्ता
की तरफ से संजय गुप्ता
(भदोही), उमेश कुमार शुक्ला (भदोही), राशिद कमर अंसारी (भदोही), अब्दुल सत्तार अंसारी (भदोही), जीतेन्द्र कुमार गुप्ता (भदोही), शाहिद अंसारी (भदोही), रामदर्शन शर्मा (दिल्ली), मोहसिन अली अंसारी (दिल्ली), विशाल गर्ग (दिल्ली), नवीन सुराना (पानीपत), मेहराज ससीन जन (जम्मू-कश्मीर) है।
वोटिंग के पहले तक
हर किसी की जुबान पर
यही था कि कैप्टन
मुकेश शर्मा गुट काफी मजबूती में है। लेकिन जब दोनों टीमों
की ओर क्रमशः दावत-ए-मीटिंग हुई
और निर्यातक वोटरों की जमघट दिखी
तो कहानी ही पलट गयी।
हालांकि दोनों गुटों के दावत-ए-मीटिंग कई ऐसे निर्यातक
वोटर दिखे, जो दोनों जगहों
पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। जबकि कुछ निर्यातक तटस्थ रहे वो सिर्फ अपने
ही गुट के दावत-ए-मीटिंग में पहुंचे। इन्हीं दावत-ए-मीटिंग की
उपस्थिति को आधार बनाते
हुए सीईपीसी चुनाव में खासा रुचि रखने वाले निर्यातक पंडितों ने यहां तक
दावा कर डाला कि
अब बाजी किसी एक के हाथ
में नहीं है, दोनों गुटों में कांटे की टक्कर है।
खास यह है कि
इस दहकती दावे में एक पूर्व चेयरमैन
द्वारा एक पूर्व चेयरमैन
पर घपले-घोटाले का ऐसा काला
चिठ्ठा वायरल किया कि वह घी
का काम कर गया। निर्यातक
पंडित की मानें तो
चूंकि मतदान गोपनीय है, कौन किसे वोट दिया, इसका किसी गुट को पता नहीं
चलेगा, ऐसे में लोग नए चेहरों को
ज्यादा तरजीह दे रहें है
और क्रास वोटिंग का यही सबसे
बड़ा कारण है।
फिरहाल, पिछले दो दिन की वोटिंग व दो सौ से अधिक वोटिंग कर चुके कालीन निर्यातकों से बातचीत के दौरान एक बात खुलकर सामने आई कि लोगों का रुझान दोनों गुटों के युवाओं पर है। इसमें हर किसी के चहेते व लोगों के दुख-दर्द को अपना समझने वाले और लोगों की ड्योढ़ी तक दस्तक देने वाले उमेश कुमार गुप्ता मुन्ना के पुत्र रोहित गुप्ता लोगों की जुबान पर है। जबकि एक गुट के मुखिया संजय गुप्ता भी लोगों की पसंद बने हुए है। ये दो ऐसे चेहरे है जिनकी पकड़ दोनों गुटों से ताल्लुक रखने वाले निर्यातकों में है। हालांकि वासिफ अंसारी व इम्तियाज अहमद अंसारी भी कम नहीं है और वह भी लोगों के चहेते बने हुए है। बात अगर उमेश शुक्ला की करें तो उन्हें उनके पिता हृदय नारायण शुक्ला के निर्यातक संबंधों का लाभ तो मिल ही रहा है, उनके निजी संबंधों के साथ युवा होने का भी लाभ उन्हें मिलता दिखाई दे रहा है। उनके साथ उनके पिता के साथ रहे लोग उन्हें जीताने के लिए इंडस्ट्री में दिन-रात लगे हुए है। जबकि कैप्टन मुकेश एक बड़े कारोबारी के साथ-साथ उनके विदेशी खरीदारों से संबंध होने के नाते उन्होंने बड़ी संख्या में मझोले निर्यातकों को काम दिलवाया है, इसका फायदा उन्हें मिल रहा है। सूर्यमणि तिवारी को ग्लोबल निर्यातक होने से लोगों में चर्चा-ए-खास है। खास बात यह है कि दोनों टीमों के ये ऐसे धुरंधर है जिनके दबदबे व संबंधों के चलते बाकी प्रत्याशियों को भी लाभ मिलता दिखाई दे रहा है। अब बाजी किसके हाथ लगेगी और कौन किसे इस क्रास वोटिंग की मक़जाल में वोट दिलवा पाता है यह तो परिणाम तय करेंगे, लेकिन चुनाव काफी दिलचस्प हो गया है इससे इनकार नहीं किया जा सकता।
इन सबके कारपेट इंडस्ट्री के भीष्म पितामह कहे जाने वाले एकमा के पूर्व अध्यक्ष हाजी शौकत अली अंसारी व रवि पाटौदिया ने कालीन निर्यातकों से अपील किया कि वे धर्म-मजहब, जात-पात से उपर उठकर उन प्रत्याशियों को जीताएं जो इंडस्ट्री के विकास में अपना योगदान दे सके। क्योंकि उनकी न कोई जाति है, ना ही पार्टी, सिर्फ इंस्डस्ट्री है और जो इसके लिए तत्पर है हमें उसे ही चुनना है। अब देखना है इनकी अपील का निर्यातक वोटरों पर कितना असर पड़ेगा। लेकिन सीनियर प्रशासनिक सदस्य उमेश गुप्ता मुन्ना, राजेन्द्र मिश्रा, काका ओवरसीज लिमिटेड ग्रूप के डायरेक्टर योगेन्द्र राय उर्फ काका, एकमाध्यक्ष ओंकारनाथ मिश्रा, पूर्व अध्यक्ष गुलाम सर्फुद्दीन अंसारी गुलामन, केयर एंड फेयर के ट्रस्टी अध्यक्ष प्रकाशमणि शर्मा, शिवसागर तिवारी, घनश्याम शुक्ला, भरत मौर्या, ओपी गुप्ता, हाजी रियाजुल अंसारी, पियुश बरनवाल, रामचंद्र यादव, श्यामनारायण यादव कई सीनियर निर्यातकों ने कहा है कि वोटिंग सभी का मौलिक अधिकार है, इसका खुलेमन से उपयोग करें और धर्म, जाति से उपर उठकर उद्योगहित में उर्जावान प्रत्याशी को विजयी बनाएं, जिससे कारपेट इंडस्ट्री का चर्तुदिक विकास हो।
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